आरबीआई/2012-13/324
बैंपविवि. सं. एफएसडी. बीसी. 66/24.01.019/2012-13
12 दिसंबर 2012
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय/महोदया
बैंकों द्वारा डेबिट कार्ड जारी करने हेतु दिशानिर्देश
कृपया दिनांक 30 अक्तूबर 2012 को घोषित मौद्रिक नीति 2012-13 की दूसरी तिमाही समीक्षा का पैरा 106 तथा 107 (उद्धरण संलग्न) देखें जिनमें यह प्रस्ताव किया गया है कि कुछ शर्तों के अधीन, बैंकों को को-ब्रांडेड डेबिट और रुपए में मूल्यवर्गित प्री-पेड इंस्ट्रूमेंट जारी करने के लिए आम अनुमति प्रदान की जाए ताकि बैंकों को प्रत्येक को-ब्रांडिंग व्यवस्था के लिए रिज़र्व बैंक के पास आने की जरूरत न रहे।
2. बैंकों द्वारा डेबिट कार्ड दिनांक 12 नवंबर 1999 के परिपत्र बैंपविवि. सं. एफएससी. बीसी.123/24.01.019/99-2000 में दिए गए दिशानिर्देशों तथा परवर्ती संशोधनों एवं मेल-बॉक्स स्पष्टीकरणों के अनुसार जारी किए जाते हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक के भुगतान एवं निपटान प्रणाली विभाग (डीपीएसएस) ने भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 (पीएसएसए) पारित होने के बाद डेबिट कार्ड के कुछ पहलुओं जैसे सुरक्षा तथा जोखिम शमन, घरेलू डेबिट, प्री-पेड तथा क्रेडिट कार्डों के बीच परस्पर निधियां अंतरित करना तथा मर्चेंट डिस्काउंट दरों के संबंध में भी अनुदेश जारी किए हैं। उक्त के मद्देनजर, इस विभाग द्वारा डेबिट कार्ड जारी करने पर जारी किए गए अनुदेशों की व्यापक समीक्षा की गई है।
3. हमारे परिपत्रों बैंपविवि.सं. एफएससी. बीसी. 123/24.01.019/99-2000 दिनांक 12 नवंबर 1999, बैंपविवि.सं. एफएससी. बीसी. 133/24.01.019/2000-2001 दिनांक 18 जून 2001, बैंपविवि.सं. एफएससी. बीसी. 32/24.01.019/2001-02 दिनांक 29 सितंबर 2001, बैंपविवि.सं. एफएससी. बीसी. 88/24.01.011ए/2001-02 दिनांक 11 अप्रैल 2002 और बैंपविवि.सं. एफएससी. बीसी. 106/24.01.019/2003-04 दिनांक 30 जून 2004 में दिए गए हमारे पूर्व अनुदेशों के अधिक्रमण में यह सूचित किया जाता है कि बैंक अनुबंध में दिए गए दिशानिर्देशों के अधीन को-ब्रांडेड डेबिट कार्डों सहित डेबिट कार्ड भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्व अनुमोदन लिए बिना जारी कर सकते हैं।
भवदीया
(सुधा दामोदर)
मुख्य महाप्रबंधक
संलग्नकः यथोक्त
अनुबंध
बैंकों द्वारा डेबिट कार्ड जारी करने पर दिशानिर्देश
बैंक यह सुनिश्चित करे कि उनके द्वारा जारी किए जा रहे डेबिट कार्ड निम्नलिखित दिशानिर्देशों के अधीन हैं।
क) बोर्ड द्वारा अनुमोदित की गई नीति
बैंक अपने बोर्ड के अनुमोदन से को-ब्रांडेड डेबिट कार्डों सहित डेबिट कार्ड जारी करने की एक व्यापक नीति बना सकते हैं तथा इस नीति के अनुसार अपने ग्राहकों को डेबिट कार्ड जारी कर सकते हैं। डेबिट कार्ड बचत खाता/चालू खाता धारक ग्राहकों को जारी किए जाने चाहिए, नकदी ऋण/ऋण खाता धारकों को नहीं।
ख) डेबिट कार्डों के प्रकार
बैंक को–ब्रांडेड डेबिट कार्डों सहित केवल ऐसे ऑन-लाईन डेबिट कार्ड ही जारी कर सकते हैं जिनमें ग्राहकों के खाते से तुरंत डेबिट होता है और जिनमें स्ट्रेट थ्रू प्रसंस्करण होता है।
ग) ऑन-लाईन डेबिट कार्ड
अब से बैंकों को ऑफ-लाईन डेबिट कार्ड जारी करने की अनुमति नहीं है। जो बैंक वर्तमान में ऑफ-लाईन डेबिट कार्ड जारी कर रहे हैं वे अपने ऑफ-लाईन डेबिट कार्ड परिचालनों की समीक्षा करें और इस परिपत्र की तिथि से 6 माह की अवधि के भीतर ऐसे कार्डों का परिचालन बंद कर दें। तथापि बैंक यह सुनिश्चित करें कि ग्राहकों को ऑन-लाईन डेबिट कार्ड अपनाए जाने के बारे में समुचित रूप से सूचित किया जाता है। ऑफ-लाईन डेबिट कार्डों के निर्गमन तथा परिचालन को बंद करने संबंधी समीक्षा तथा पुष्टि मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग,केंद्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई – 400001 को प्रेषित की जानी चाहिए। तथापि ऑफ-लाईन कार्डों को बंद किए जाने तक कार्डों में संचित बकाया शेष/खर्च न किए गए शेष आरक्षित अपेक्षाओं की गणना के अधीन होंगी।
घ) अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के उत्तरदायित्व का अनुपालन
केवाईसी/एएमएल/सीएफटी के संबंध में बैंकों पर लागू भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी होने वाले अनुदेशों/दिशानिर्देशों का को-ब्रैंडेड डेबिट कार्डों सहित सभी जारी किए गए कार्डों के संबंध में पालन किया जाए।
ड.) बैलेंस पर ब्याज का भुगतान
ब्याज का भुगतान समय-समय पर जारी होने वाले ब्याज दर संबंधी निदेशों के अनुसार होना चाहिए।
च) ग्राहकों को कार्ड जारी करने के लिए नियम एवं शर्तें
i) कोई भी बैंक किसी ग्राहक को बिना मांगे कार्ड प्रेषित नहीं करेगा, सिवाय ऐसे मामले के जिसमें कार्ड ग्राहक द्वारा पहले से धारित किसी कार्ड के एवज में हो।
ii) बैंक तथा कार्डधारक का संबद्ध संविदात्मक होगा।
iii) प्रत्येक बैंक कार्ड धारकों को लिखित रूप में संविदात्मक नियमों एवं शर्तों का एक सेट उपलब्ध कराएगा जो ऐसे कार्डों के जारी करने एवं उनके प्रयोग पर लागू होगा। इन शर्तों में संबंधित पक्षों के हितों के संबंध में उचित संतुलन बरता जाएगा।
iv) शर्तें स्पष्ट रूप से व्यक्त की जाएंगी।
v) शर्तों में विभिन्न प्रभारों के आधार को विनिर्दिष्ट किया जाएगा, लेकिन किसी समय लगने वाले प्रभारों की राशि विनिर्दिष्ट करना जरूरी नहीं है।
vi) शर्तों में उस अवधि को विनिर्दिष्ट किया जाएगा जिसके भीतर सामान्य तौर पर कार्ड धारक के खाते से डेबिट किया जाएगा।
vii) बैंक शर्तों में बदलाव कर सकता है, लेकिन परिवर्तन की पर्याप्त अग्रिम सूचना कार्डधारक को दी जाएगी ताकि यदि वह चाहे तो संविदा से संबंध-विच्छेद कर सके। ऐसी अवधि विनिर्दिष्ट की जाएगी जिसके समाप्त होने के बाद यह मान लिया जाएगा कि कार्डधारक ने शर्तें स्वीकार कर ली हैं यदि उस विनिर्दिष्ट अवधि के दौरान उसने संविदा से संबंध-विच्छेद नहीं कर लिया है तो।
viii) (1) इन शर्तों के द्वारा कार्डधारक बाध्य होगा कि वह कार्ड तथा उन साधनों (जैसे कि पिन या कोड) जिनसे कार्ड का परिचालन संभव होता है, को सुरक्षित रखने के लिए सभी समुचित उपाय करेगा।
(2) इन शर्तों के द्वारा कार्डधारक बाध्य होगा कि वह पिन या कोड को किसी भी रूप में रिकार्ड न करे ताकि ऐसे रिकार्ड तक ईमानदारी या बेईमानी से किसी तृतीय पक्ष की पहुँच हो जाए तो उसे पिन या कोड ज्ञात हो सकता है।
(3) इन शर्तों के द्वारा कार्डधारक बाध्य होगा कि वह निम्नलिखित के संबंध में जानकारी मिलते ही अविलंब बैंक को सूचित करेगा:
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कार्ड के खो जाने, चोरी होने या उसकी नकल बनाए जाने या अन्य साधनों से उसका दुरुपयोग होने पर,
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कार्डधारक के खाते में किसी अनधिकृत लेनदेन दर्ज होने पर,
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बैंक द्वारा उस खाते के परिचालन में किसी प्रकार की त्रुटि या अनियमितता होने पर।
(4) इन शर्तों में ऐसे संपर्क केंद्र को विनिर्दिष्ट किया जाएगा जहां ऐसी सूचना दी जा सके। ऐसी सूचना दिन या रात में किसी भी समय दी जा सकेगी।
ix) इन शर्तों में यह विनिर्दिष्ट किया जाएगा कि पिन या कोड जारी करते समय बैंक सावधानी बरतेगा तथा कार्डधारक के पिन या कोड को कार्डधारक के अतिरिक्त किसी अन्य को न प्रकट करने के लिए बाध्य होगा।
x) इन शर्तों में यह विनिर्दिष्ट किया जाएगा कि किसी कार्डधारक को किसी प्रणालीगत खराबी के कारण हुई प्रत्यक्ष हानि के लिए, जो बैंक के प्रत्यक्ष नियंत्रण में हो, बैंक उत्तरदायी होगा। तथापि, भुगतान प्रणाली के तकनीकी रूप से खराब हो जाने के कारण हुई किसी क्षति के लिए बैंक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा यदि प्रणाली के खराब होने की जानकारी उपकरण के डिसप्ले पर किसी संदेश द्वारा या किसी अन्य माध्यम से कार्डधारक को दी गयी हो। लेनदेन पूरा न होने या गलत लेनदेन होने की स्थिति में बैंक की जिम्मेदारी शर्तों पर लागू होने वाले कानून के प्रावधानों के अधीन मूलधन राशि तथा नुकसान हुए ब्याज तक सीमित है।
छ) नकदी आहरण
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 23 के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्व प्राधिकार प्राप्त किए बिना किसी भी सुविधा के अंतर्गत बिक्री स्थल (पीओएस) पर डेबिट कार्डों के माध्यम से किसी प्रकार के नकदी लेनदेन की सुविधा नहीं दी जानी चाहिए।
ज) सुरक्षा तथा अन्य पहलू
i) बैंक डेबिट कार्ड की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। डेबिट कार्डकी सुरक्षा की जिम्मेदारी बैंक की होगी तथा सुरक्षा में चूक होने या सुरक्षा प्रणाली के फेल होने के कारण किसी पक्ष को होनेवाली हानि का वहन बैंक को करना होगा।
ii) परिचालनों को ढूंढ़ा जा सके तथा त्रुटियों में सुधार किया जा सके इसके लिए (कालबाधित मामलों के लिए लॉ ऑफ लिमिटेशन को ध्यान में रखते हुए) बैंक पर्याप्त समयावधि तक आंतरिक अभिलेखों को बनाए रखेंगे।
iii) कार्डधारक को लेनदेन पूरा करने के बाद रसीद के रूप में तुरंत या समुचित समयावधि के भीतर पारंपरिक बैंक विवरणी जैसे किसी अन्य रूप में लेनदेन का लिखित रिकार्ड उपलब्ध कराया जाएगा।
iv) कार्डधारक कार्ड के खोने, चोरी होने या उसकी नकल बनाए जाने की सूचना बैंक को देने तक हुई हानि का वहन करेगा, किन्तु केवल एक निश्चित सीमा (जिस पर बैंक तथा कार्डधारक के बीच पहले से ही लेनदेन के प्रतिशत या एक निश्चित राशि के रूप में समझौता हुआ होगा) तक ही करेगा सिवाय ऐसे मामले को छोड़कर जहां कार्डधारक ने कपटपूर्ण रीति से, जानबूझकर या अत्यधिक लापरवाही से कार्य किया हो।
v) प्रत्येक बैंक ऐसे साधन मुहैया कराएगा जिनसे ग्राहक दिन या रात के किसी भी समय अपने भुगतान साधनों के खोने, चोरी हो जाने या उसकी नकल बनाए जाने के संबंध में सूचना दे सके।
vi) कार्ड के खोने, चोरी हो जाने या उसकी नकल बनाए जाने के संबंध में सूचना प्राप्त होने पर बैंक ऐसी सभी संभव कार्रवाइयां करेगा जिनसे कार्ड का आगे प्रयोग किया जा सके।
vii) खो गए/चोरी हो जाने वाले कार्डों के दुरुपयोग की घटनाओं में कमी लाने की दृष्टि से, बैंक कार्डधारक के फोटो के साथ या समय-समय पर विकसित होने वाली किसी अन्य उन्नत युक्तियों का प्रयोग करके कार्ड जारी करने पर विचार कर सकते हैं।
झ) डीपीएसएस के अनुदेशों का पालन
एक भुगतान प्रणाली के रूप में डेबिट कार्डों का निर्गम, सुरक्षा मुद्दों तथा जोखिम कम करने के उपायों, एक कार्ड से दूसरे कार्ड पर निधियों के अंतरण, व्यापारियों द्वारा प्रदत्त छूट की दरों की संरचना, असफल एटीएम लेनदेन इत्यादि, पर दिशानिर्देशों सहित समय-समय पर यथासंशोधित भुगतान एवं निपटान अधिनियम, 2007 के अंतर्गत भुगतान एवं निपटान प्रणाली विभाग द्वारा जारी संबंधित दिशानिर्देशों के अधीन होगा।
ण) अंतरराष्ट्रीय डेबिट कार्ड जारी करना
अंतरराष्ट्रीय डेबिट कार्ड का जारी किया जाना समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा विनिमय अधिनियम 1999 के अंतर्गत जारी निदेशों के अधीन होगा।
त) परिचालनों की समीक्षा
बैंकों को छमाही आधार पर अपने डेबिट कार्ड निर्गम/ परिचालन करने की समीक्षा करनी चाहिए। समीक्षा में अन्य बातों के साथ-साथ अंतर्निहित जोखिमों की दृष्टि से लंबी अवधियों के लिए प्रयोग में न लाए गए कार्डों सहित कार्ड के प्रयोग से संबंधित विश्लेषण शामिल होना चाहिए।
थ) रिपोर्टिंग अपेक्षाएं
परा बैंकिंग गतिविधियों पर मास्टर परिपत्र के पैरा 14.1 के अंतर्गत यह अपेक्षित था कि बैंकों द्वारा जारी स्मार्ट/डेबिट कार्डों के परिचालन संबंधी रिपोर्ट का छमाही आधार पर भुगतान एवं निपटान प्रणाली विभाग को प्रस्तुत किया जाना चाहिए और इसकी एक प्रति बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय में प्रस्तुत की जानी चाहिए जिसके न्याय क्षेत्र में उस बैंक का प्रधान कार्यालय स्थित है। यह अपेक्षा तत्काल प्रभाव से समाप्त की जा रही है।
द) शिकायतों का निवारण
बैंक ग्राहकों की शिकायतों का निवारण करने के लिए एक सुदृढ़ प्रणाली की स्थापना सुनिश्चित करें। बैंक की शिकायत निवारण प्रक्रिया और शिकायतों पर कार्रवाई शुरू करने हेतु निर्धारित समय-सीमा की जानकारी बैंक की वेबसाइट में दी जाए। वेबसाइट पर महत्वपूर्ण कार्यपालकों तथा बैंक के शिकायत निवारण अधिकारी के नाम, पदनाम, पता और संपर्क हेतु दूरभाष सं. दर्शायी जाए। अनुवर्ती कार्रवाई करने के लिए ग्राहकों की िशकायतों के लिए प्राप्ति-सूचना जैसे कि शिकायत संख्या/डाकेट संख्या देने की प्रणाली होनी चाहिए चाहे शिकायतें फोन से ही क्यों न प्राप्त हुई हों। यदि किसी शिकायतकर्ता को शिकायत दर्ज करने की तिथि से अधिकतम 30 दिनों के भीतर बैंक से संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं प्राप्त होती है, तो उसके पास अपनी शिकायतों के निवारण के लिए संबंधित बैंकिंग लोकपाल के कार्यालय से संपर्क करने का विकल्प होगा। इस संबंध में असफल एटीएम लेनदेनों के समाधान के लिए समय-सीमा के संबंध में समय-समय पर यथासंशोधित डीपीएसएस के दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए।
ध) को-ब्रांडिंग व्यवस्था
बैंकों द्वारा जारी किए गए को-ब्रांडेड डेबिट कार्ड उक्त के साथ-साथ निम्नलिखित नियमों एवं शर्तों के अधीन होंगेः
- बोर्ड द्वारा अनुमोदित की गई नीति
को-ब्रांडिंग व्यवस्था बैंक के बोर्ड द्वारा अनुमोदित की गई नीति के अनुसार होनी चाहिए। इस नीति में विनिर्दिष्ट रूप से, प्रतिष्ठा संबंधी जोखिम सहित, इस प्रकार की व्यवस्था से जुड़े विभिन्न जोखिमों से संबंधित मुद्दों के समाधान तथा जोखिम कम करने हेतु उपयुक्त उपायों का उल्लेख होना चाहिए।
बैंकों को चाहिए कि ऐसे कार्ड जारी करने के लिए वे जिन गैर-बैंकिंग कंपनियों से गठबंधन करने के इच्छुक हों, उन कंपनियों के संबंध में पर्याप्त सावधानी बरतें, ताकि ऐसी व्यवस्था के कारण उत्पन्न होने वाले प्रतिष्ठा संबंधी जोखिम से वे स्वयं को सुरक्षित कर सकें। किसी वित्तीय संस्था से गठबंधन प्रस्तावित होने पर बैंक यह सुनिश्चित करें कि उस संस्था को उसके विनियामक से इस तरह का गठबंधन करने के लिए अनुमोदन प्राप्त है।
- कार्यों/गतिविधियों की आउट सोर्सिंग
कार्ड जारी करने वाला बैंक को-ब्रांडिंग पार्टनर के सभी कृत्यों के लिए उत्तरदायी होगा। बैंक ‘बैंकों द्वारा वित्तीय सेवाओं की आउट-सोर्सिंग में आचरण संहिता तथा जोखिम का प्रबंधन’ पर समय-समय पर यथासंशोधित दिनांक 3 नवंबर 2006 के परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. 40/21.04.158/2006-07 में दिए गए दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करें।
- गैर-बैंक संस्था की भूमिका
गठबंधन व्यवस्था के अंतर्गत गैर-बैंक संस्था की भूमिका कार्डों के विपणन/वितरण तक या दी जाने वाली वस्तुओं/सेवाओं की उपलब्धता कार्डधारक को प्रदान करने तक ही सीमित होनी चाहिए।
कार्ड जारी करने वाले बैंक को खाता खोलते या कार्ड जारी करते समय प्राप्त की गई ग्राहक से संबंधित किसी सूचना को प्रकट नहीं करना चाहिए तथा को-ब्रांडिंग गैर-बैंकिंग संस्था को ग्राहक के खातों के ऐसे किन्हीं ब्यौरों के संपर्क में नहीं आने देना चाहिए जिससे बैंक की गोपनीयता के उत्तरदायित्वों का उल्लंघन हो सकता हो।
जिन बैंकों को अतीत में को-ब्रांडेड डेबिट कार्ड जारी करने के लिए विनिर्दिष्ट अनुमोदन प्रदान किए गए हैं उन्हें सूचित किया जाता है कि वे यह सुनिश्चित करें कि को-ब्रांडिंग व्यवस्था उपर्युक्त अनुदेशों के अनुरूप है। यदि को-ब्रांडिंग व्यवस्था दो बैंकों के बीच है, तो कार्ड जारीकर्ता बैंक उक्त शर्तों का अनुपालन सुनिश्चित करे।
उद्धरण
मौद्रिक नीति 2012-13 की दूसरी तिमाही समीक्षा
रुपए में मूल्यवर्गित (डिनोमिनेटेड) को- ब्रांडेड प्री-पेड/डेबिट कार्डजारी करना
106. प्रत्येक को- ब्रांडिंग व्यवस्था के लिए रिज़र्व बैंक के पास आने की जरूरत न रहे, इसलिए यह प्रस्तावित है कि :
107. इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जा रहे हैं । |