भारिबैंक/2012-13/418
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 83
20 फरवरी 2013
सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय,
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 – बहुमूल्य और अल्प (सेमी) मूल्य रत्नों का आयात - स्पष्टीकरण
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 24 सितंबर 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 34 में निहित उपबंधों की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को अनुमति दी गई है कि वे पोत लदान की तारीख से 90 दिनों की अवधि तक के लिए स्वर्ण/बहुमूल्य धातुओं अथवा/और हीरे/अल्प (सेमी) मूल्य/बहुमूल्य रत्नों से जटित आभूषणों सहित किसी भी रूप में स्वर्ण के आयात हेतु खोले गये साख पत्र की मीयाद सहित आपूर्तिकर्ता और क्रेता ऋण को (व्यापार ऋण) अनुमोदित कर सकते हैं।
2. यह स्पष्ट किया जाता है कि बहुमूल्य रत्नों और अल्प (सेमी) मूल्य रत्नों के आयात हेतु खोले गये साख पत्र की मीयाद सहित आपूर्तिकर्ता और क्रेता ऋण (व्यापार ऋण) की अवधि पोतलदान की तारीख से 90 दिनों से अधिक नहीं होनी चाहिए। संशोधित निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।
3. 9 जुलाई 2004 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 2 के जरिये स्वर्ण के सीधे आयात, 28 अगस्त 2008 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 12 के जरिये प्लैटिनम / पैलेडियम / रोडियम / चांदी के आयात, 29 दिसंबर 2009 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.21 के जरिये कच्चे हीरों के आयात हेतु अग्रिम धनप्रेषण, 6 मई 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 59 के जरिये कच्चे, कटे हुए और पालिश किए हुए हीरों के आयात तथा 24 सितंबर 2012 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 34 के जरिये स्वर्ण/बहुमूल्य धातुओं अथवा/और हीरे/अल्प (सेमी) मूल्य/बहुमूल्य रत्नों से जटित आभूषणों सहित किसी भी रूप में स्वर्ण के आयात के लिए जारी सभी अनुदेश यथावत बने रहेंगे।
4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें।
5. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति / अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं।
भवदीया,
(रश्मि फौज़दार)
मुख्य महाप्रबंधक |