भारिबैंक/2012-13/557
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.122
27 जून 2013
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक जो
विदेशी मुद्रा के प्राधिकृत व्यापारी हैं/
स्वर्ण के आयात के लिए नामित सभी एजेंसियाँ
महोदया/महोदय,
नामित बैंकों/एजेंसियों द्वारा स्वर्ण का आयात
प्राधिकृत व्यक्तियों का ध्यान, उल्लिखित विषय पर हमारे 13 मई 2013 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 103 और 4 जून 2013 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 107 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिनके अनुसार यह निर्णय लिया गया था कि बैंकों, नामित एजेंसियों/प्रीमियर/स्टार ट्रेडिंग हाउसों, जिन्हें स्वर्ण के आयात के लिए भारत सरकार द्वारा अनुमति दी गयी है, द्वारा परेषण के आधार पर स्वर्ण के आयात को केवल स्वर्ण आभूषणों के निर्यातकों की वास्तविक आवश्यकताओं को पूरा करने तक ही सीमित किया जाए। इसके अलावा, यह सूचित किया गया था कि सभी श्रेणियों के तहत स्वर्ण के आयात के लिए नामित बैंकों/एजेंसियों द्वारा खोले जाने वाले साख पत्र 100 प्रतिशत नकदी मार्जिन आधार पर ही होंगे और स्वर्ण के आयात भुगतान पर देय प्रलेख आधार पर ही होंगे। तदनुसार, स्वीकृति पर देय प्रलेख आधार पर स्वर्ण आयात के लिए अनुमति नहीं दी जाएगी।
2. यह स्पष्ट किया जाता है कि उल्लिखित अनुदेश जारी किए जाने के परिणामस्वरूप, आपूर्तिकर्ता/क्रेता से उधार पर (Suppliers Credit/ Buyers Credit) स्वर्ण आयात के साथ ही साथ खुले मूल्य आधार पर स्वर्ण का आयात करते समय नकदी मार्जिन और भुगतान पर देय प्रलेख आधार संबंधी विनिर्दिष्ट अनुशासन का पालन करना होगा। दूसरे शब्दों में, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों से अपेक्षित है कि वे यह सुनिश्चित करें कि किसी भी स्वरूप अथवा नाम में उधार का उपयोग स्वर्ण के किसी भी स्वरूप के आयात के लिए न किया जाए। तथापि, ऋण आधार पर, स्वर्ण के आयात के लिए अनुमति बनी रहेगी क्योंकि योजना में इस बात पर विचार किया गया है कि स्वर्ण आभूषणों के निर्यातकों को लगाए गए उल्लिखित प्रतिबंध की अप्रयोज्यता के समरूप नामित बैंक/नामित एजेंसी आभूषणों के निर्यातकों को आगे उधार देने के लिए ऋण आधार पर स्वर्ण का आयात कर सकते हैं।
3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंको को सूचित किया जाता है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके घटकों द्वारा/के लिए किए गए विदेशी मुद्रा लेनदेनों के संबंध में इन अनुदेशों का कड़ाई से पालन किया जाता है।
4. स्वर्ण के आयात के संबंध में, समय-समय पर जारी, सभी अन्य अनुदेश यथावत/ अपरिवर्तित बने रहेंगे।
5. उल्लिखित अनुदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें ।
6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं ।
भवदीय,
(रुद्र नारायण कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक |