आरबीआइ /2012 -13 / 559
ग्राआऋवि.जीएसएसडी.केंका.सं.81//09.01.03/2012-13
27 जून 2013
अध्यक्ष /प्रबंध निदेशक
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित
महोदय
प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र ऋण - एसजीएसवाई का राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका
मिशन (एनआरएलएम) के रूप में पुनर्गठन - आजीविका
कृपया आप प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को ऋण - विशेष कार्यक्रम - स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एसजीएसवाई) पर 2 जुलाई 2012 का मास्टर परिपत्र ग्राआऋवि. जीएसएसडी बीसी सं 1/ 09.01.01/ 2012-13 देखें।
1. पृष्ठभूमि
1.1. ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एसजीएसवाई) की पुनर्संरचना करते हुए 1 अप्रैल 2013 से मौजूदा एसजीएसवाई योजना के स्थान पर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) प्रारंभ किया है।
1.2. एनआरएलएम भारत सरकार का गरीबों, विशेष रूप से महिलाओं की मजबूत संस्थाओं के निर्माण के माध्यम से गरीबी कम करने को बढ़ावा देने, और कई वित्तीय सेवाओं और आजीविका सेवाओं का उपयोग कर पाने के लिए इन संस्थाओं को सक्षम बनाने संबंधी प्रमुख कार्यक्रम है। एनआरएलएम एक अत्यंत गहन कार्यक्रम के रूप में बनाया गया है और इसमें गरीबों को कार्यात्मक प्रभावी समुदाय के स्वामित्व वाली संस्थाओं में जुटाने, उनके वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और उनकी आजीविका को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से मानवी और भौतिक संसाधनों के गहन प्रयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया है। एनआरएलएम गरीबों की सेवाओं के इन संस्थागत प्लेटफार्मों का पूरक है जिनमें वित्तीय और पूंजी सेवाएं देना, उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने वाली सेवाएं, प्रौद्योगिकी, ज्ञान, कौशल और इनपुट, बाजार संबद्धता आदि शामिल है। समुदाय संस्थाएं गरीबों को अपने अधिकारों और हकों और सार्वजनिक सेवा का उपयोग करने के लिए समभिरुपता और विभिन्न हितधारकों के साथ साझेदारी का वातावरण निर्मित करते हुए एक मंच भी प्रदान करती हैं।
1.3 आपसी समानता के आधार पर महिलाओं के स्वयं सहायता समूह का एक साथ आना एनआरएलएम समुदाय संस्थागत डिजाइन का प्राथमिक आधार है। एनआरएलएम का ध्यान स्वयं सहायता समूहों और गांवों एवं उच्च स्तरों पर उनके फेडरेशनों सहित गरीब महिलाओं के संस्थानों के निर्माण, पोषण और सुदृढ़ीकरण पर केंद्रित है। इसके अलावा, एनआरएलएम में ग्रामीण गरीबों की आजीविका संस्थाओं को बढ़ावा दिया जाएगा। उक्त मिशन द्वारा गरीबों के संस्थानों के प्रति घोर गरीबी से ऊपर उठने तक 5-7 साल की अवधि के लिए एक सतत मदद का हाथ (सहायता प्रदान करना) बढ़ाया जाएगा। एनआरएलएम के तहत बनी समुदाय संस्थागत संरचना द्वारा एक बहुत लंबी अवधि के लिए और अधिक गहनता से समर्थन प्रदान किया जाएगा।
1.4 एनआरएलएम समर्थन में निम्नलिखित शामिल हैं - स्वयं सहायता समूहों के चहुमुखी क्षमता निर्माण जिसमें यह सुनिश्चित हो कि उक्त समूह अपने सदस्यों के चिंता के विषयों पर प्रभावी ढ़ंग से कार्य करता है, वित्तीय प्रबंधन, कमजोरियों और उच्च लागतवाली ऋणग्रस्तता को दूर करने के लिए उन्हें प्रारंभिक कोष समर्थन प्रदान करता है, एसएचजी फेडरेशन का गठन और पोषण करता है, फेडरेशन को मजबूत समर्थन संगठनों के रूप में विकसित करता है, गरीबों की आजीविका चिरस्थाई बनाता है, आजीविका संगठनों का गठन एवं पोषण करता है, या स्वयं उद्यम का कार्य करने या संगठित क्षेत्र में नौकरी पाने के लिए ग्रामीण युवाओं का कौशल विकास करना जिससे इन संस्थानों को प्रमुख विभागों, आदि से उनके हकों तक पहुंच प्रदान करने के लिए सक्षमता प्राप्त हो।
1.5 एनआरएलएम का कार्यान्वयन एक मिशन मोड का है। एनआरएलएम में राज्यों को अपने राज्यों की विशिष्ट गरीबी निर्मूलन कार्य योजना तैयार करने के लिए सक्षम बनाने के लिए एक मांग आधारित दृष्टिकोण अपनाया जाता है। एनआरएलएम से राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों को राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर के उनके मानव संसाधनों को व्यावसायिक बना लेने की सक्षमता प्राप्त होती है। उक्त राज्य मिशनों को ग्रामीण गरीबों को विविध प्रकार की उच्च गुणवत्ता वाली सेवा देने के लिए सक्षमता प्रदान की जाती है। एनआरएलएम निम्न बातों पर जोर देता है - निरंतर क्षमता निर्माण, गरीबों को आवश्यक कौशल और आजीविका के संगठित क्षेत्र में उभरनेवाले अवसर प्रदान करना और गरीबी में कमी के परिणामों के लक्ष्यों के मुकाबले निगरानी करना। ऐसे ब्लॉक और जिले गहन ब्लॉक और जिले होंगे जिनमें एनआरएलएम के सभी घटकों को चाहे एसआरएलएम या साझेदारी संस्थाओं या गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा, जबकि शेष होंगे गैर- गहन ब्लॉक और जिले । गहन जिलों का चयन भौगोलिक जनसांख्यिकीय वलनरेबिलिटी के आधार पर राज्यों के द्वारा किया जाएगा। यह कार्य अगले 7 – 8 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा। देश के सभी ब्लॉक एक समयांतर में गहन ब्लॉक बन जाएंगे।
2. एसजीएसवाई से प्रमुख भिन्नता:
2.1 एनआरएलएम में प्रमुख बदलाव को बढ़ावा दिया जा रहा है जो निवल आवंटन आधारित रणनीति से बदलकर मांग संचालित रणनीति बनाना है; इसमें राज्यों को महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों और फेडरेशनों, बुनियादी संरचनाओं और विपणन की क्षमता निर्माण और स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु नीति के लिए अपने स्वयं के प्लान विकसित करने की लोच प्राप्त है।
2.2 एनआरएलएम गरीबों के लक्ष्य समूह की पहचान बीपीएल सूची का उपयोग करने की प्रक्रिया जैसा कि एसजीएसवाई में किया जा रहा था,की बजाय 'गरीबों की एक सहभागिता पहचान' के माध्यम से करेगा। इसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बेआवाज, गरीब से गरीब लोग तक अनदेखे नहीं रह जाते हैं । वस्तुत: एनआरएलएम के तहत पहली वरीयता गरीब से गरीब परिवारों को दी जाती है।
2.3 एनआरएलएम में समानता के आधार पर और न कि एक सामान्य गतिविधि के आधार पर महिलाओं के स्वयं सहायता समूह के गठन को बढ़ावा दिया जाएगा जैसा कि एसजीएसवाई के तहत हुआ करता था; निश्चित रूप से यह संभव है कि समानता के आधार पर एकत्रित होनेवाले सदस्यों की गतिविधि एक ही रहेगी।
2.4 एसजीएसवाई के विपरीत, एनआरएलएम में एक संतृप्ति दृष्टिकोण अपनाया गया है और इसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एक गांव के सभी गरीबों को शामिल किया जाता है तथा प्रत्येक गरीब परिवार से एक महिला को स्वयं सहायता समूह में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जाता है।
2.5 एसएचजी फेडरेशन: एक गांव के सभी एसएचजी ग्राम स्तर पर एक फेडरेशन बनाने के लिए साथ आते हैं। सदस्यों और उनके स्वयं सहायता समूहों के लिए गांव फेडरेशन एक बहुत ही महत्वपूर्ण समर्थन संरचना है। फेडरेशन का अगला स्तर है क्लस्टर फेडरेशन। एक क्लस्टर में किसी ब्लॉक के भीतर के गांवों का एक समूह शामिल होता है। एक राज्य से दूसरे राज्य का यथार्थ विन्यास (कनफिगरेशन) अलग होगा, लेकिन आम तौर पर एक क्लस्टर में 25 - 40 गांव होते हैं। गरीबी की स्थिति से ऊपर उठने की अपनी लंबी यात्रा में एसएचजी और उनके सदस्यों के लिए गांव फेडरेशन और क्लस्टर फेडरेशन दो महत्वपूर्ण समर्थक संरचनाएं होती हैं।
2.6 एनआरएलएम स्वयं सहायता समूहों और उनके फेडरेशन को निरंतर मित्रता (हैंड होल्डिंग) समर्थन प्रदान करेगा। एसजीएसवाई में इस बात का अभाव था। एनआरएलएम के तहत यह समर्थन बड़े पैमाने पर एसएचजी फेडरेशनों में क्षमता निर्माण द्वारा और गरीब महिलाओं के बीच सामुदायिक व्यावसायिकों के एक काडर के निर्माण द्वारा प्रदान किया जाएगा। मिशन द्वारा फेडरेशन और सामुदायिक व्यावसायिकों को आवश्यक कौशल प्रदान किया जाएगा ।
2.7 यह सुनिश्चित करना एनआरएलएम का उद्देश्य है कि स्वयं सहायता समूहों को चिरस्थाई आजीविका और सभ्य जीवन स्तर प्राप्त किए जाने तक, पुन: पुन: वित्त का उपयोग करने में बैंकों से पहुंच उपलब्ध रहती है। एसजीएसवाई, जहां बल एक बार के समर्थन पर दिया जाता था, में यह बात नहीं थी ।
अनुबंध ‘ए ’ में एनआरएलएम की प्रमुख विशेषताएं दी गई हैं।
3. महिला स्वयं सहायता समूह और उनके फेडरेशन
3.1 एनआरएलएम के तहत महिला स्वयं सहायता समूह 10-15 व्यक्तियों का होता है। विशेष एसएचजी जैसे असुकर आदिवासी क्षेत्रों, दुर्गम क्षेत्रों, विकलांग व्यक्ति युक्त समूहों और दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों में बने समूहों के मामले में यह संख्या न्यूनतम 5 व्यक्तियों की हो सकती है।
3.2 एनआरएलएम में समानता आधारित महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा दिया जाएगा।
3.3 केवल विकलांग व्यक्तियों और अन्य विशेष श्रेणियों जैसे बुजुर्गों, विपरीतलिंगी के साथ गठित समूहों के लिए एनआरएलएम में स्वयं सहायता समूहों में पुरुष और महिलाएं दोनों होंगे।
3.4 एसएचजी एक अनौपचारिक समूह होता है और इसके लिए किसी सोसायटी अधिनियम, राज्य सहकारी अधिनियम या एक साझेदारी फर्म के अंतर्गत पंजीकरण अनिवार्य नहीं है (देखें 24 जुलाई 1991 का परिपत्र सं ग्राआऋवि. प्लान बीसी 13/ पीएल-09.22/ 90-91)। हालांकि, गांव स्तर, क्लस्टर स्तर, और उच्च स्तर पर गठित स्वयं सहायता समूहों के फेडरेशनों को उनके अपने-अपने राज्य में प्रचलित उचित अधिनियमों के तहत पंजीकृत किया जाना चाहिए।
स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय सहायता
4. परिक्रामी (रिवाल्विंग) फंड (आरएफ): एनआरएलएम 3/6 महीने की एक न्यूनतम अवधि के लिए अस्तित्व में रहने वाले और एक अच्छी एसएचजी के मानदंडों अर्थात् पंच सूत्रों - नियमित बैठकें करना, नियमित बचत करना, नियमित रूप से आंतरिक उधार देना, नियमित रूप से वसूली करना और खाता बहियों का उचित रखरखाव करना, का पालन करनेवाले स्वयं सहायता समूहों को परिक्रामी निधि (आरएफ) का समर्थन प्रदान करेगा। केवल ऐसे स्वयं सहायता समूहों, जिन्हें पहले कोई आरएफ प्राप्त नहीं हुआ है, को ही प्रति एसएचजी, कोष के रूप में, न्यूनतम 10,000 रुपये और अधिकतम 15,000 रुपये तक आरएफ प्रदान किया जाएगा। आरएफ का उद्देश्य उनकी संस्थागत और वित्तीय प्रबंधन क्षमता को मजबूत बनाना और समूह के भीतर एक अच्छी साख इतिहास का निर्माण करना है।
5. एनआरएलएम के तहत पूंजी सब्सिडी को बंद कर दिया गया है:
किसी भी स्वयं सहायता समूह को एनआरएलएम के कार्यान्वयन की तारीख से कोई पूंजी सब्सिडी स्वीकृत नहीं की जाएगी।
6. सामुदायिक निवेश समर्थन कोष (सीआइएफ)
गहन ब्लॉकों में स्थित स्वयं सहायता समूहों को ग्राम स्तर/क्लस्टर स्तर के फेडरेशन के माध्यम से सीआइएफ उपलब्ध कराया जाएगा जिसे फेडरेशन द्वारा निरंतर रूप से बनाए रखा जाना होगा। फेडरेशन उक्त सीआइएफ को स्वयं सहायता समूहों को ऋण प्रदान करने के लिए और/या सामान्य/सामूहिक सामाजिक - आर्थिक गतिविधियां करने के लिए उपयोग में लाएगा।।
7. ब्याज सबवेंशन लागू करना :
महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों द्वारा बैंकों / वित्तीय संस्थाओं से लिए जानेवाले सभी क्रेडिट पर प्रति एसएचजी अधिकतम 3, 00,000 रुपये के लिए बैंकों की उधार दर और 7% के बीच के अंतर को कवर करने के लिए एनआरएलएम में ब्याज दर सबवेंशन का प्रावधान है। देश भर में यह दो प्रकारों में उपलब्ध होगा:
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पहचान किए गए 150 जिलों में बैंक सभी महिला स्वयं सहायता समूहों को 3,00,000/- रुपये तक की एकत्रित ऋण राशि तक 7 प्रतिशत की दर पर उधार देंगे। स्वयं सहायता समूहों को शीघ्र भुगतान करने पर 3 प्रतिशत का अतिरिक्त ब्याज सबवेंशन भी प्राप्त होगा जिससे ब्याज की प्रभावी दर घटकर 4 प्रतिशत हो जाएगी।
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शेष जिलों में भी, एनआरएलएम का पालन करनेवाले महिला स्वयं सहायता समूहों को एसआरएलएम के साथ पंजीकृत किया जाएगा। ये स्वयं सहायता समूह 3 लाख रुपये तक के ऋण के लिए उधार संबंधी दरों और 7 प्रतिशत के बीच अंतर की सीमा तक ब्याज सबवेंशन के पात्र हैं, जो संबंधित एसआरएलएम द्वारा निर्धारित मानदंडों की शर्त पर होगा। योजना के इस भाग को एसआरएलएम द्वारा परिचालित किया जाएगा।
(ब्याज सबवेंशन और देश भर में उसके संचालन संबंधी विस्तृत दिशानिर्देश पर पहचान किए गए 150 जिलों की सूची के साथ एक अलग परिपत्र जारी किया जाएगा)
8. बैंकों की भूमिका :
8.1 बचत खाते खोलना : बैंकों की भूमिका सभी महिला स्वयं सहायता समूहों, विकलांग के सदस्यों वाले स्वयं सहायता समूहों और स्वयं सहायता समूहों के फेडरेशन के लिए खाते खोलने के साथ शुरू हो जाएगी। ग्राहकों की पहचान के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट प्रकार से 'अपने ग्राहक को जानिए' (केवाईसी) मानदंड लागू होंगे।
8.2 उधार संबंधी मानदंड:
8.2.1 ऋण का लाभ उठाने हेतु स्वयं सहायता समूहों के लिए पात्रता मानदंड
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स्वयं सहायता समूहों की कम से कम पिछले 6 महीनों की खाता बहियों के अनुसार और न कि बचत खाता खोलने की तिथि से एसएचजी सक्रिय रूप से अस्तित्व में होने चाहिए।
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एसएचजी पंच सूत्रों का पालन करनेवाले होने चाहिए अर्थात् नियमित बैठकें करना, नियमित बचत करना, नियमित रूप से आंतरिक उधार देना, समय पर चुकौती करना और खाता बहियों का अद्यतन रखरखाव करना।
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नाबार्ड द्वारा तय ग्रेडिंग के मानदंडों के अनुसार अर्हताप्राप्त होने चाहिए। जब कभी स्वयं सहायता समूहों के फेडरेशन अस्तित्व में आएंगे, बैंकों को समर्थन प्रदान करने के लिए फेडरेशन द्वारा ग्रेडिंग का कार्य किया जा सकता है।
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मौजूदा अकार्यक्षम स्वयं सहायता समूह भी, यदि उन्हें पुनर्जीवित किया जाता है और वे 3 महीने की एक न्यूनतम अवधि के लिए सक्रिय बने रहते हैं तो, ऋण के लिए पात्र होंगे।
8.2.2. ऋण राशि : एनआरएलएम के तहत कई बार सहायता प्रदान किए जाने पर बल दिया जाता है। इससे आशय है कि एसएचजी को चिरस्थाई आजीविका शुरू करने और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए अधिक मात्रा में ऋण पाने के सक्षम बनाने हेतु बार-बार सहायता प्रदान करते हुए उसकी एक समयावधि तक मदद करना। क्रेडिट की विभिन्न अंशों की राशि निम्नानुसार होनी चाहिए:
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प्रथम अंश : वर्ष के दौरान प्रस्तावित कोष के 4-8 गुना या 50,000 रुपए, इनमें से जो भी अधिक हो।
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दूसरा अंश : मौजूदा कोष के 5-10 गुना और अगले बारह महीनों के दौरान प्रस्तावित बचत अथवा 1 लाख रुपए, इनमें से जो भी अधिक हो।
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तीसरा अंश : स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए और फेडरेशन/सहायता एजेंसी द्वारा मूल्यांकित माइक्रो क्रेडिट प्लान तथा पिछले क्रेडिट रिकार्ड के आधार पर न्यूनतम 2 लाख रुपये।
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चौथा और बाद के अंश : चौथे अंश के लिए ऋण राशि 5-10 लाख रुपये के बीच तथा/ अथवा बादवाले अंशों में उच्चतर हो सकती है। उक्त ऋण राशि स्वयं सहायता समूहों और उनके सदस्यों के माइक्रो क्रेडिट प्लान के आधार पर होगी।
उक्त ऋण का उपयोग स्वयं सहायता समूहों के भीतर के अलग-अलग सदस्यों द्वारा सामाजिक जरूरतों को पूरा करने, उच्च लागत वाले ऋणों को स्वैप करने और चिरस्थाई आजीविका शुरू करने अथवा एसएचजी द्वारा शुरू की गई किसी भी व्यवहार्य सामान्य गतिविधि के वित्तपोषण के लिए किया जा सकता है। (कोष में उस एसएचजी द्वारा प्राप्त परिक्रामी निधि, यदि कोई हो, अपने स्वयं की बचत और अन्य संस्थानों / गैर सरकारी संगठनों द्वारा बढ़ावा दिए जाने के मामले में अन्य स्रोतों से प्राप्त राशि शामिल है।)
8.3 सुविधा के प्रकार और चुकौती:
8.3.1 एसएचजी आवश्यकतानुसार या तो मीयादी ऋण या सीसीएल ऋण या दोनों का उपभोग कर सकते हैं। आवश्यकता पड़ने पर पिछला ऋण बकाया रहने पर भी अतिरिक्त ऋण मंजूर किया जा सकता है।
8.3.2 चुकौती कार्यक्रम निम्नप्रकार से हो सकता है :
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ऋण का पहला अंश 6-12 किश्तों में चुकाया जाएगा।
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ऋण का दूसरा अंश 12-24 माह में चुकाया जाएगा।
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ऋण का तीसरा अंश माइक्रो क्रेडिट प्लान के आधार पर मंजूर किया जाएगा, चुकौती नकदी प्रवाह के आधार पर या तो मासिक / त्रैमासिक / अर्ध वार्षिक हो सकती है और यह 2 से 5 वर्षों के बीच होनी चाहिए।
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चौथे अंश से चुकौती नकदी प्रवाह के आधार पर या तो मासिक / त्रैमासिक / अर्ध वार्षिक हो सकती है और यह 3 से 6 वर्षों के बीच होनी चाहिए।
8.4 जमानत एवं मार्जिन :
एसएचजी को 10 लाख रुपए तक की सीमा हेतु न कोई संपार्श्विक और न कोई मार्जिन लगाया जाएगा। एसएचजी के बचत बैंक खातों के विरुद्ध कोई ग्रहणाधिकार नहीं लगाया जाएगा तथा ऋण मंजूरी के समय जमाराशि के लिए कोई आग्रह न किया जाए।
8.5 चूक करनेवालों के साथ व्यवहार :
8.5.1 यह वांछनीय है कि जान-बूझकर चूक करनेवालों को एनआरएलएम के अंतर्गत वित्त नहीं दिया जाना चाहिए। यदि जान-बूझकर चूक करनेवाले किसी समूह के सदस्य हों तो उन्हें परिक्रामी निधि की सहायता से निर्मित कोष सहित समूह की क्रेडिट गतिविधियों तथा मितव्ययिता के लाभ प्राप्त करने की अनुमति हो सकती है। लेकिन आर्थिक गतिविधियों के लिए सहायता के चरण पर जान-बूझकर चूक करनेवालों को बकाया ऋण की चुकौती न किए जाने तक आगे और सहायता का लाभ प्राप्त नहीं होना चाहिए। समूह के जान-बूझकर चूक करनेवाले को एनआरएलएम योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त नहीं होने चाहिए तथा समूह को ऋण के दस्तावेज़ीकरण के समय ऐसे चूक करनेवालों को छोड़कर वित्त प्रदान किया जा सकता है।
8.5.2 साथ ही, जान-बूझकर चूक न करनेवालों को ऋण प्राप्त करने से रोकना नहीं चाहिए। वास्तविक कारणों से चूक करनेवालों के मामलों में बैंक संशोधित चुकौती कार्यक्रम के साथ खाते के पुनर्गठन हेतु सुझाए गए मानदंडों का पालन कर सकते हैं।
9. क्रेडिट लक्ष्य प्लानिंग
9.1 नाबार्ड द्वारा तैयार किए गए संभाव्यता सहबद्ध प्लान / राज्य केंद्रित पेपर के आधार पर एसएलबीसी उप-समिति जिला-वार, ब्लाक-वार और शाखा-वार क्रेडिट प्लान तैयार कर सकती है। उप-समिति को राज्य के लिए क्रेडिट लक्ष्य तैयार करने हेतु एसआरएलएम द्वारा सुझाए गए अनुसार मौजूदा एसएचजी, प्रस्तावित नए एसएचजी तथा नए और दोहराए गए ऋणों हेतु पात्र एसएचजी पर विचार करना चाहिए। ऐसे निश्चित किए गए लक्ष्य एसएलबीसी में अनुमोदित किए जाने चाहिए तथा इनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए आवधिक समीक्षा और निगरानी की जानी चाहिए।
9.2 जिला-वार क्रेडिट प्लान डीसीसी को सूचित किया जाना चाहिए। ब्लाक-वार / क्लस्टर-वार लक्ष्य नियंत्रकों के माध्यम से बैंक शाखाओं को सूचित किए जाने चाहिए।
10. क्रेडिट उपरांत फॉलो-अप
10.1 एसएचजी को प्रांतीय भाषाओं में ऋण पास-बुक जारी किए जाएं जिनमें उन्हें संवितरित ऋणों के सभी ब्योरे तथा स्वीकृत ऋण पर लागू शर्तें निहित हों। एसएचजी द्वारा किए गए प्रत्येक लेन-देन पर पास-बुक को अद्यतन किया जाना चाहिए। ऋण के दस्तावेजीकरण तथा संवितरण के समय वित्तीय साक्षरता के एक भाग के रूप में शर्तों को स्पष्ट रूप से समझाना उपयुक्त होगा।
10.2 बैंक शाखाएं एक पखवाड़े में ऐसा एक दिवस तय करें जिस दिन स्टाफ फील्ड पर जा सके और एसएचजी और फेडरेशन की बैठकों में उपस्थित हो सके ताकि वे एसएचजी के कार्य देख सके तथा एसएचजी बैठकों और कार्य-निष्पादन की नियमितता का पता कर सके।
11. चुकौती :
कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करने हेतु ऋणों की शीघ्र चुकौती करना आवश्यक है। ऋण की वसूली सुनिश्चित करने के लिए बैंकों को सभी संभव उपायों अर्थात् व्यक्तिगत संपर्क, जिला मिशन प्रबंधन इकाई (डीपीएमयू) / डीआरडीए के साथ संयुक्त वसूली कैम्पों का आयोजन करना चाहिए। ऋण वसूली के महत्व के मद्देनजर बैंकों को प्रत्येक माह एनआरएलएम के अंतर्गत चूक करनेवालों की सूची तैयार करनी चाहिए और उस सूची को बीएलबीसी, डीएलसीसी बैठकों में प्रस्तुत करना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि जिला / ब्लाक स्तर का एनआरएलएम स्टाफ चुकौती शुरू करने में बैंकरों की सहायता करता है।
12. एसआरएलएम में बैंक अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति
डीपीएमयू / डीआरडीए को सशक्त बनाने के उपाय के रूप में तथा बेहतर क्रेडिट वातावरण का संवर्द्धन करने के लिए डीपीएमयू / डीआरडीए में बैंक अधिकारियों को प्रतिनियुक्त करने का सुझाव दिया गया है। बैंक राज्य सरकारों / डीआरडीए में उनके परामर्श से विभिन्न स्तरों पर अधिकारी प्रतिनियुक्त करने पर विचार कर सकते हैं।
13. योजना का पर्यवेक्षण और निगरानी
बैंक क्षेत्रीय / अंचल कार्यालय में एनआरएलएम कक्ष गठित करें। इन कक्षों को आवधिक रूप से निम्न कार्य करने होंगे - एसएचजी को ऋण उपलब्धता की निगरानी और समीक्षा, योजना के दिशा-निर्देशों का सुनिश्चित कार्यान्वयन, शाखाओं से डाटा संग्रहित करना और समेकित डाटा प्रधान कार्यालय और जिलों / ब्लॉकों की एनआरएलएम इकाइयों को उपलब्ध करवाना। कक्ष को राज्य स्टाफ और सभी बैंकों के साथ संप्रेषण को प्रभावी रखने के लिए एसएलबीसी, बीएलबीसी और डीसीसी बैठकों में नियमित रूप से इस समेकित डाटा पर चर्चा भी करनी चाहिए।
13.1 राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति : एसएलबीसी एसएचजी-बैंक सहलग्नता पर एक उप-समिति गठित करें। उप-समिति में राज्य में कार्यरत सभी बैंकों, भारतीय रिज़र्व बैंक, नाबार्ड से सदस्य, एसआरएलएम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी, राज्य ग्रामीण विकास विभाग के प्रतिनिधि, सचिव संस्थागत वित्त और विकास विभागों आदि के प्रतिनिधि शामिल होने चाहिए। उप-समिति समीक्षा के विशिष्ट एजेंडा, एसएचजी-बैंक सहलग्नता के कार्यान्वयन और निगरानी और क्रेडिट लक्ष्य प्राप्ति के मामलों / बाधाओं के साथ माह में एक बार बैठक करें। एसएलबीसी के निर्णय उप-समिति की रिपोर्टों के विश्लेषण से निकाले जाने चाहिए।
13.2 जिला समन्वयन समिति : डीसीसी (एनआरएलएम उप-समिति) जिला स्तर पर एसएचजी को ऋण उपलब्धता की निगरानी नियमित रूप से करेगा तथा उन मामलों का समाधान करेगा जो जिला स्तर पर एसएचजी को ऋण उपलब्धता में बाधक हो। इस समिति की बैठक में एलडीएम, नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक, बैंकों के जिला समन्वयकों और एनआरएलएम का प्रतिनिधित्व करने वाले डीपीएमयू स्टाफ तथा एसएचजी फेडरेशनों के पदधारियों की सहभागिता होनी चाहिए।
13.3 ब्लॉक स्तरीय बैंकर्स समिति : बीएलबीसी नियमित रूप से बैठकें करेंगी तथा ब्लॉक स्तर पर एसएचजी - बैंक सहलग्नता के मामलों पर विचार करेंगे। इस समिति में, एसएचजी / एसएचजी के फेडरेशनों को फोरम में अपनी आवाज उठाने हेतु सदस्यों के रूप में शामिल किया जाना चाहिए। बीएलबीसी में एसएचजी ऋण की शाखा-वार स्थिति की निगरानी की जानी चाहिए। (इस प्रयोजन के लिए अनुबंध बी और सी को प्रयोग में लाया जाए।)
13.4 जिला अग्रणी प्रबंधकों को रिपोर्टिंग :
शाखाओं को चाहिए कि वे हर माह में एनआरएलएम के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियों में हुई प्रगति / कमियों की रिपोर्ट अनुबंध बी और सी में दिए गए फार्मेट में एलडीएम को प्रस्तुत करें जो आगे एसएलबीसी की विशेष समिति / उप समिति को भेज दी जाती है।
13.5 भारतीय रिज़र्व बैंक को रिपोर्टिंग : बैंक एनआरएलएम पर की गई प्रगति की राज्यवार समेकित रिपोर्ट भारतीय रिज़र्व बैंक / नाबार्ड को मासिक अंतराल पर प्रस्तुत करें।
13.6 एसएचजी - बैंक सहलग्नता (लिंकेज) पर रिपोर्टिंग : नाबार्ड 'एसएचजी बैंक- सहलग्नता' पर मासिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा जिसका डाटा नियमित आधार पर एनआरएलएम के सीबीएस प्लेटफॉर्म से प्राप्त होगा।
13.7 एलबीआर विवरणियां : विधिवत सही कोड प्रस्तुत करते हुए एलबीआर विवरणियां प्रस्तुत करने की मौजूदा प्रणाली जारी रहेगी।
14. डाटा शेयरिंग :
वसूली आदि सहित विभिन्न ऋण नीतियां शुरू करने के लिए एसआरएलएम को परस्पर स्वीकृत फार्मेट / अंतराल पर डाटा शेयरिंग उपलब्ध कराया जाए। नियमित डाटा शेयरिंग के लिए वित्त पोषण करने वाले बैंक सीबीएस प्लैटफार्म के माध्यम से राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के साथ एक समझौता ज्ञापन (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैडिंग) निष्पादित करें।
15. बैंकरों को एनआरएलएम समर्थन :
15.1 एसआरएलएम प्रमुख बैंकों के साथ विभिन्न स्तरों पर सामरिक भागीदारी विकसित करें। वह पारस्परिक प्रतिफल संबंध के लिए बैंकों और गरीबों दोनों के लिए सक्षमता युक्त परिस्थितियां निर्मित करने में निवेश करें।
15.2 एसआरएलएम एसएचजी को वित्तीय साक्षरता प्रदान करने, बचत, ऋण पर परामर्शी सेवाएं देने, क्षमता निर्माण में सन्निहित माइक्रो-निवेश योजना पर प्रशिक्षण की सहायता प्रदान करेगा।
15.3 ग्राहक सहसंबंध प्रबंधकों (बैंक मित्र) की तैनाती से गरीब ग्राहकों को प्रदत्त बैंकिंग सेवाओं की गुणवत्ता सुधारना।
15.4 आइटी मोबाइल प्रौद्योगिकी और गरीब और युवा संस्थानों को व्यवसाय सुविधा प्रदाता और व्यवसाय प्रतिनिधि के रूप में प्रोन्नत करना।
15.5 समुदाय आधारित वसूली तंत्र : एसएचजी - बैंक सहलग्नता के लिए गांव / क्लस्टर / ब्लॉक स्तर पर एक विशिष्ट उप-समिति बनाई जाए जो बैंकों को ऋण राशि, वसूली आदि का उचित उपयोग सुनिश्चित करने में सहायता प्रदान करेगी। परियोजना स्टाफ सहित प्रत्येक गांव स्तर फेडरेशन से बैंक सहलग्नता उप-समिति के सदस्य शाखा परिसर में शाखा प्रबंधक की अध्यक्षता में बैंक सहलग्नता संबंधी एजेंडा मदों के साथ माह में एक बार बैठक करेंगे।
16. एसजीएसवाइ योजना बंद करना :
16.1 बैंक एसजीएसवाइ के स्थान पर 1 जुलाई 2013 से एनआरएलएम के अंतर्गत ऋण प्रदान करना शुरू कर सकते हैं।
16.2 वर्ष 2012-13 के दौरान एसजीएसवाइ के अंतर्गत स्वीकृत ऋण जिसके लिए सब्सिडी प्रदान की गई हो, के संबंध में बैंक 30 जून 2013 के पहले ऋण संवितरित करें या यदि ऋण संवितरित न किया गया हो तो सब्सिडी राशि लौटाएं।
16.3 बैंकों द्वारा पहली अप्रैल 2013 को या बाद में मंजूर किए जानेवाले ऋणों को एनआरएलएम की परिधि में लाया जाएगा।
16.4 ऋण के आंशिक संवितरण के मामले में बैंक एसजीएसवाइ के अंतर्गत सब्सिडी की शेष राशि प्राप्त करते हुए पूर्ण राशि संवितरित कर सकता है।
16.5 एसजीएसवाइ के अंतर्गत बकाया स्वीकृत ऋण के लिए जहां पूंजी सब्सिडी पहले ही प्रदान की गई हो, वहां ब्याज सबवेंशन योजना लागू नहीं है।
भवदीय
( आर. के. मूलचंदानी )
महाप्रबंधक
अनुलग्नक : यथोक्त |