भारिबैंक/2013-14/176
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.20
12 अगस्त 2013
सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय,
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) – विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग प्रक्रिया) नियमावली 2000 (नियमावली) – विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अंतर्गत उल्लंघनों की कंपाउंडिंग
प्राधिकृत व्यापारियों और उनके ग्राहकों का ध्यान 28 जून 2010 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 56 के पैरा 7.2 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसमें उन्हें सूचित किया गया था कि वे यह सुनिशचित करें कि लेन-देन की प्रक्रिया पूरी होने और सभी अपेक्षित अनुमोदन मिलने पर ही कंपाउंडिंग के लिए आवेदनपत्र प्रस्तुत किये जाएं। विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अंतर्गत हुए उल्लंघनों के संबंध में, विगत कुछ समय से, हमें ऐसे आवेदनपत्र प्राप्त हो रहे हैं जिनमें संबंधित प्राधिकारियों से उचित अनुमोदन/अनुमति नहीं ली गयी होती है, जिससे आवेदकों के साथ परिहार्य (avoidable) पत्र-व्यवहार करना पड़ता है तथा आवेदन पत्रों को लौटाना भी पड़ता है। यदि इस या किसी अन्य कारण से आवेदनपत्र लौटाना पड़े, तो आवेदनपत्र के साथ प्राप्त रुपये 5000/- की फीस भी उसके साथ लौटानी होती है।
2. ऐसे मामलों में कंपाउंडिंग फीस शीघ्र वापस करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि उसे एनईएफटी (NEFT) के द्वारा आवेदक के खाते में जमा कर दिया जाए। आवेदकों को सूचित किया जाता है कि वे संलग्नक में मैन्डेट तथा अपने बैंक खाते का ब्योरा, 28 जून 2010 और 13 दिसंबर 2011 के क्रमशः ए. पी. (डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं. 56 और 57 में निहित अनुदेशों के अनुसार विनिर्दिष्ट फार्म में आवेदन पत्र एवं अपेक्षित अन्य दस्तावेजों सहित प्रस्तुत करें।
3. इसके अलावा 13 दिसंबर 2011 के ए. पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 57 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, बाह्य वाणिज्यिक उधार, समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश और शाखा कार्यालय/ संपर्क कार्यालय के संबंध में दिए गए संलग्नकों को भी आयकर पैन नंबर (PAN) और एनआईसी कोड-1987 के अनुसार गतिविधियों को शामिल करने के लिए संशोधित किया गया है। कृपया यह नोट करें कि उल्लिखित ब्योरों के बिना आवेदनपत्रों को अधूरा समझा जाएगा।
4. आवेदक यह भी नोट करें कि रिज़र्व बैंक के पास कंपाउंडिंग आवेदन पत्र लंबित रहने के दौरान अपने पते में/संपर्क संबंधी ब्योरे में परिवर्तन होने पर, वे उसे कंपाउंडिंग प्राधिकारी के ध्यान में लाएं।
5. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं ।
6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध विनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत जारी किये गये हैं।
भवदीय,
(रुद्र नारायण कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक |