आरबीआई/2013-14/186
बैंपविवि. डीआईआर. बीसी. सं. 40/13.03.00/2013-14
14 अगस्त 2013
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय /महोदया
अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) जमाराशियों
पर ब्याज दरों का विनियंत्रण
कृपया अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) जमाराशियों तथा साधारण अनिवासी (एनआरओ) खातों पर ब्याज दरों का विनियंत्रण पर दिनांक 16 दिसंबर 2011 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. डीआईआर. बीसी. 64/13.03.00/2011-12 देखें।
2. उक्त मास्टर परिपत्र के पैरा 2 के अनुसार बैंकों द्वारा एनआरई जमाराशियों पर दी जाने वाली ब्याज दरें उन ब्याज दरों से अधिक नहीं हो सकती जो उनके द्वारा तुलनीय घरेलू रुपया जमाराशियों पर दी जाती है। तथापि, तीन वर्ष और उससे अधिक की परिपक्वता अवधि की वृद्धिशील एनआरई जमाराशियों पर आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर)/सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) से दी जानेवाली छूट के लाभ को आगे बढ़ाने के लिए बैंकों को ऐसी जमाराशियों पर किसी उच्चतम सीमा के बिना ब्याज दर निर्धारित करने की स्वतंत्रता देने का निर्णय लिया गया है। एनआरओ खातों पर मौजूदा उच्चतम सीमा जारी रहेगी।
3. इस संबंध में समय-समय पर यथासंशोधित अन्य सभी अनुदेश अपरिवर्तित रहेंगे।
4. ये अनुदेश समीक्षाधीन 30 नवंबर 2013 तक वैध रहेंगे।
5. 14 अगस्त 2013 का संशोधनकारी निदेश बैंपविवि. सं. डीआईआर. बीसी. 39/13.03.00/2013-14 संलग्न है।
भवदीय
(प्रकाश चंद्र साहू)
मुख्य महाप्रबंधक
बैंपविवि. डीआईआर. बीसी. सं. 39/13.03.00/2013-14
14 अगस्त 2013
अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) जमाराशियों
पर ब्याज दरों का विनियंत्रण
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35 क द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और अनिवासी (बाह्य) (एनआरई) जमाराशियों तथा साधारण अनिवासी (एनआरओ) खातों पर ब्याज दरों का विनियंत्रण विषय पर 16 दिसंबर 2011 के निदेश बैंपविवि. डीआईआर. बीसी. 63/13.03.00/2011-12 में संशोधन करते हुए इस बात से संतुष्ट होकर कि ऐसा करना जनहित में आवश्यक तथा समयोचित है, भारतीय रिज़र्व बैंक एतदद्वारा निदेश देता है कि बैंक तीन वर्ष और उससे अधिक की परिपक्वता अवधि की अनिवासी (बाह्य) रुपया (एनआरई) जमाराशियों पर किसी उच्चतम सीमा के बिना ब्याज दरें निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं। साधारण अनिवासी (एनआरओ) खातों पर मौजूदा उच्चतम सीमा जारी रहेगी। ये अनुदेश समीक्षाधीन 30 नवंबर 2013 तक वैध रहेंगे।
(बि. महापात्र)
कार्यपालक निदेशक |