आरबीआई/2013-14/268
शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी) परि. सं.17/09.22.010/2013-14
17 सितंबर 2013
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
महोदया / महोदय,
आवास क्षेत्र : नवोन्मेषी आवास ऋण उत्पाद –
आवास ऋणों का अपफ्रंट संवितरण – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
यह पाया गया है कि कुछ बैंकों ने बिल्डरों/ डेवेलेपरों के साथ मिलकर कतिपय नवोन्मेषी आवास ऋण योजनाओं की शुरुआत की हैं। जैसे मंज़ूर किए गए व्यक्तिगत आवास ऋणों को आवास परियोजना के विभिन्न चरणों में संबद्ध किए बिना बिल्डरों को अपफ्रंट संवितरण किया जाना, बिल्डरों द्वारा निर्माण अवधि / निर्धारित अवधि के दौरान व्यक्तियों के आवास ऋणों की ब्याज राशि/ ईएमआई का भुगतान करना आदि। इसमें बैंक, बिल्डर और आवास इकाई के खरीदार के बीच त्रिपक्षीय करार हस्ताक्षरित करना शामिल होता है। ये ऋण उत्पाद 80 : 20, 75 : 25 के नाम से मशहूर हैं।
2. संभवत: ऐसे ऋण उत्पाद बैंक और उनके आवास ऋण के उधारकर्ताओं के लिए अतिरिक्त जोखिम पैदा कर देते हैं। जैसे, व्यक्तिगत उधारकर्ता और डेवेलोपर/बिल्डर के बीच वाद-विवाद , डेवेलोपर/ बिल्डर द्वारा सहमत अवधि के दौरान उधारकर्ता की ओर से ब्याज / ईएमआई भुगतान में चूक / बिलंब से भुगतान, परियोजना को समय पर पूरा न करना आदि। इसके साथ यदि व्यक्तिगत उधारकर्ता की ओर से डेवेलोपर / बिल्डर द्वारा भुगतान करने में देरी की जाती है, तो साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) द्वारा ऐसे उधारकर्ताओं की क्रेडिट रेटिंग / स्कोरिंग में कमी की जाती है क्योंकि ऋण चुकौती की जानकारी नियमित रूप से सीआईसी को भेजी जाती है। ऐसे मामलों में जहां बैंक, बिल्डरों/डेवेलोपरों के निर्माण के चरणबद्ध स्वरूप को न देखते हुए एकमुश्त ऋण राशि का अपफ्रंट संवितरण करते हैं, उन्हें अनुपातहीन रूप से उच्चतर जोखिमों के साथ–साथ निधियों के अप्रयोजन जैसे खतरों का भी सामना करना पड़ता है।
3. मंज़ूर किए गए आवास ऋणों के इस प्रकार के एक-मुश्त संवितरण में जुड़े उच्चतर जोखिमों को देखते हुए और ग्राहक अनुकूलता को ध्यान में रखते हुए शहरी सहकारी बैंक को सूचित किया जाता है कि व्यक्तियों को मंज़ूर किए गए आवास ऋणों के संवितरण को आवास परियोजना/ मकान निर्माण के विभिन्न चरणों में किया जाना चाहिए तथा अपूर्ण / निर्माणाधीन / ग्रीन फील्ड आवास परियोजनाओं के मामलों में अपफ्रंट संवितरण नहीं किया जाना चाहिए।
4. इस बात पर ज़ोर दिया जाता है कि शहरी सहकारी बैंक द्वारा किसी भी प्रकार के उत्पाद की शुरुआत करने से पहले ग्राहक अनुकूलता और उपयुक्तता संबंधी मुद्दों पर ध्यान दिया जाना चाहिए और यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उधारकर्ता / ग्राहकों को ऐसे उत्पादों से जुड़े जोखिमों और देयताओं से पूरी तरह से अवगत कराया जाता है।
भवदीया
(सेंटा जॉय)
उप महाप्रबंधक
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