भारिबैंक/2013-14/367
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 73
11 नवंबर 2013
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक जो विदेशी मुद्रा के प्राधिकृत व्यापारी हैं/
स्वर्ण के आयात के लिए नामित सभी एजेंसियाँ
महोदया/महोदय,
नामित बैंकों/एजेंसियों/एंटिटीज़ द्वारा स्वर्ण का आयात
प्राधिकृत व्यक्तियों का ध्यान उल्लिखित विषय पर रिज़र्व बैंक के 14 अगस्त 2013 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 25 की ओर आकृष्ट किया जाता है।
2. भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक को अग्रिम प्राधिकरण (AA)/शुल्क मुक्त आयात प्राधिकरण (DFIA) के संबंध में अभ्यावेदन प्राप्त होते रहे हैं। इन अभ्यावेदनों पर विचार करते हुए और भारत सरकार के परामर्श से, यह निर्णय लिया गया है कि निम्नलिखित स्पष्टीकरण जारी किए जाएं:
अग्रिम प्राधिकरण (AA)/शुल्क मुक्त आयात प्राधिकरण (DFIA) जैसे किसी प्राधिकरण का उपयोग केवल निर्यात के प्रयोजनार्थ स्वर्ण के आयात के लिए किया जाना है और घरेलू उपयोग हेतु उसे इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होगी। 14 अगस्त 2013 से पहले जारी अग्रिम प्राधिकरण (AA)/शुल्क मुक्त आयात प्राधिकरण (DFIA) के लिए निर्यात से पहले आयात के सिलसिलेवार अनुक्रम (की सीक्वेंसिंग) की शर्त पर जोर नहीं दिया जाएगा।
3. पहले दिए गए किसी भी निर्देश के बावजूद, एसईज़ेड स्थित एंटिटीज़/इकाइयों और ईओयू, प्रीमियर और स्टार ट्रेडिंग गृहों (चाहे वे नामित ऐजेंसियां हों या नहीं) को केवल निर्यात के उद्देश्य से विशेष रूप से स्वर्ण का आयात करने की अनुमति दी जाती है। इसी प्रकार, अग्रिम प्राधिकरण (AA)/ शुल्क मुक्त आयात प्राधिकरण (DFIA) योजना के अंतर्गत दायित्वों को पूरा करने के लिए किए गए निर्यात 20:80 योजना के अंतर्गत किए गए निर्यात के लिए पात्र नहीं होंगे।
4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत कराने का कष्ट करें।
5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं।
भवदीय,
(रुद्र नारायण कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक |