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अधिसूचनाएं

राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंकों (एसटीसीबी/सीसीबी) के लिए न्यूनतम पूंजी पर्याप्तता मानदंड लागू करना

आरबीआई/2013-14/433
ग्राआऋवि.आरसीबी.बीसी.73/07.51.012/2013-14

7 जनवरी 2014

अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक
सभी राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंक

महोदय / महोदया,

राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंकों (एसटीसीबी/सीसीबी) के लिए
न्यूनतम पूंजी पर्याप्तता मानदंड लागू करना

कृपया आप दिनांक 4 दिसंबर 2007 का परिपत्र ग्राआऋवि.केंका. आरएफ. बीसी.40/ 07.38.03/ 2007-08 देखें जिसमें राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंकों को जोखिम भारित आस्तियों के प्रति पूंजी अनुपात (सीआरएआर) का 31 मार्च 2008 का स्तर प्रकट करने और उसके बाद हर वर्ष अपने तुलन-पत्र  के " लेखे पर टिप्पणियां" में इन्हें जोड़ने के लिए सूचित किया गया था। यह भी सूचित किया गया था कि सीआरएआर मानदंड का अपेक्षित स्तर प्राप्त करने के लिए रोडमैप यथासमय प्रेषित किया जाएगा।

2. ग्रामीण सहकारी बैंकिंग प्रणाली की वित्तीय स्थिरता के परिप्रेक्ष्य में और राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंकों (एसटीसीबी/सीसीबी) की पूंजी संरचना को मजबूत बनाने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि एसटीसीबी/सीसीबी के लिए न्यूनतम सीआरएआर निर्धारित किया जाए। तदनुसार, एसटीसीबी/सीसीबी को नीचे दिए गए अनुसार तीन वर्षों की अवधि में चरणबद्ध रूप से न्यूनतम  9 प्रतिशत सीआरएआर प्राप्त करने के लिए सूचित किया जाता है :

31 मार्च 2015 को - 7 प्रतिशत
31 मार्च 2017 को - 9 प्रतिशत

एसटीसीबी/सीसीबी को सूचित किया जाता है कि वे 31 मार्च 2015 से निरंतर आधार पर 7 प्रतिशत और 31 मार्च 2017 से 9 प्रतिशत का अधिदेशित न्यूनतम सीआरएआर बनाए रखें।

3. साथ ही, यह निर्णय लिया गया है कि निर्धारित सीआरएआर मानदंड के अनुपालन के प्रयोजन के लिए पूंजी निधियां (टियर I और टियर II ) जुटाने में सुविधा हो इसके लिए एसटीसीबी/सीसीबी को दीर्घकालिक (सबोर्डिनेटेड) जमाराशि (एलटीडी) और नवोन्मेषी बेमीयादी कर्ज लिखत (आईपीडीआई) जारी करने की अनुमति दी जाए। एलटीडी और आईपीडीआई जारी करने संबंधी दिशानिर्देश क्रमश: (अनुबंध – I) और (अनुबंध – II) में दिए गए हैं।

4. दिनांक 4 दिसंबर 2007 के परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.बीसी.40/07.38.03/2007-08 में उल्लिखित अन्य बातें अपरिवर्तित हैं।

5. एसटीसीबी/सीसीबी कृपया इस परिपत्र की प्राप्ति सूचना उस संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को दें, जिसके क्षेत्राधिकार में वे स्थित हैं।

भवदीय

(ए. उदगाता)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक

अनुलग्नक : यथोक्त


अनुबंध – I

दीर्घकालिक (सबोर्डिनेटेड) जमाराशि जारी करने के संबंध में
राज्य / केंद्रीय सहकारी बैंकों के लिए दिशानिर्देश

जारी करने की शर्तें

1. राज्य / केंद्रीय सहकारी बैंक, रिज़र्व बैंक के साथ परामर्श से संबंधित निबंधक (आरसीएस) द्वारा दी गई पूर्वानुमति से दीर्घकालिक (सबोर्डिनेटेड) जमाराशि (एलटीडी) जारी कर सकते हैं। संबंधित राज्य / केंद्रीय सहकारी  बैंक के परिचालन क्षेत्र के बाहर के सदस्यों सहित सदस्यों तथा गैर-सदस्यों को एलटीडी जारी किया जा सकता है। विद्यमान शेयरधारियों के एलटीडी में अभिदान करने पर कोई पाबंदी नहीं है। निम्नलिखित शर्तो के  अनुपालन के साथ, एलटीडी के माध्यम से जुटाई गई राशि न्यून टियर II  पूंजी मानी जाने की पात्र होगी।

परिपक्वता

2.1 एलटीडी न्यूनतम 5 वर्ष तक की परिपक्वता अवधि के साथ होनी चाहिए।

सीमा

2.2 एलटीडी की बकाया राशि जो टियर II पूंजी के रूप में परिगणित किए जाने की पात्र है, टियर I पूंजी के 50 प्रतिशत तक सीमित होगी। उपर्युक्त सीमा साख (गुडविल) तथा अन्य अमूर्त आस्तियां घटाई जाने के बाद की लेकिन सहयोगी संस्थाओं, यदि कोई हो, में ईक्विटी निवेश को घटाए जाने से पहले की टियर I पूंजी की राशि पर आधारित होगी।

राशि

2.3 जुटाई जाने वाली राशि बैंक के निदेशक मंडल द्वारा तय की जाएगी।

दावों की वरिष्ठता

2.4 एलटीडी जमाकर्ताओं तथा अन्य लेनदारों (क्रेडिटरों)  के दावों से गौण रहेंगे लेकिन उनका स्थान अधिमानी शेयरधारियों सहित  (टियर I तथा टियर II दोनों) शेयरधारकों के दावों से ऊपर होगा। न्यून  टियर II में शामिल लिखतों के निवेशकों में दावे एक दूसरे के प्रति समरूप दर्जे (पारी-पासु) के होंगे।

2.5  विकल्प

(ए) एलटीडी 'पुट आप्शन' या 'स्टेप अप आप्शन' के साथ जारी नहीं किए जाएंगे।

(बी) 'कॉल आप्शन' अनुमत होगा और उसका प्रयोग 5 वर्ष के बाद रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति से किया जा सकेगा। कॉल आप्शन का प्रयोग करने के लिए बैंकों से प्राप्त प्रस्तावों पर विचार करते समय रिज़र्व बैंक अन्य बातों के साथ-साथ कॉल आप्शन के प्रयोग के समय की तथा कॉल आप्शन के प्रयोग के बाद की बैंक की सीआरएआर स्थिति को ध्यान में रखेगा।

शोधन / पूर्व चुकौती

2.6 परिपक्व होने पर एलटीडी की चुकौती केवल भारतीय रिज़र्व बैंक (ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग, केंद्रीय कार्यालय) के पूर्वानुमोदन से अन्य बातों के साथ निम्नलिखित शर्तों के अधीन की जाएगी :

  1. बैंक का सीआरएआर रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम विनियामक अपेक्षा से ऊपर है।

  2. इस प्रकार की चुकौती के प्रभाव के कारण  बैंक का सीआरएआर गिरकर न्यून न हो जाए अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम विनियामक अपेक्षा से नीचे ही न बना रहे।

ब्याज दर

2.7   एलटीडी पर एक निर्धारित ब्याज दर अथवा बाजार नियंत्रित रुपया ब्याज की बेंचमार्क दर के संदर्भ में ब्याज की अस्थिर (फ्लोटिंग) दर लगाई जाए।

डीआईसीजीसी कवर

2.8 एलटीडी निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) कवर की पात्र नहीं होगी।

क्रमिक बट्टा

2.9 पूंजी पर्याप्तता प्रयोजनों के लिए इन जमाराशियों पर क्रमिक रूप से बट्टा लगाया जाएगा जिसका विवरण नीचे दिया गया है:

परिपक्वता की शेष अवधि

बट्टे की दर

            एक वर्ष से कम

100%

 एक वर्ष से अधिक तथा दो वर्ष से कम

80%

 दो वर्ष से अधिक तथा तीन वर्ष से कम

60%

  तीन वर्ष से अधिक तथा चार वर्ष से कम

40%

  चार वर्ष से अधिक तथा पांच वर्ष से कम

20%

तुलन-पत्र में वर्गीकरण

2.10 इन लिखतों को 'उधार' के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा तथा उन्हें तुलन-पत्र में अलग से दर्शाया जाएगा।

आरक्षित निधि संबंधी अपेक्षा

2.11 एलटीडी जारी करके बैंक द्वारा जुटाई गई कुल राशि की गणना आरक्षित निधि संबंधी अपेक्षाओं (सीआरआर एवं एसएलआर) के प्रयोजन के लिए निवल मांग और मीयादी देयताओं की गणना के रूप में की जाएगी।

सूचना देने से संबंधित अपेक्षाएं

4. ऐसी दीर्घकालिक जमारशियां (एलटीडी) जारी करने वाले बैंक अपनी रिपोर्ट प्रधान मुख्य महाप्रबंधक, ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई को प्रस्तुत करेंगे जिसमें ऊपर किए गए उल्लेख के अनुसार एलटीडी जारी करने की शर्तों सहित जुटाई गई जमारशि का ब्यौरा दिया जाए।

एलटीडी में निवेश / एलटीडी पर अग्रिमों की  मंजूरी

5.  राज्य / केंद्रीय सहकारी बैंक को अन्य राज्य / केंद्रीय सहकारी बैंकों की एलटीडी में निवेश नहीं करना चाहिए और न ही अपनी या अन्य बैंकों द्वारा जारी की गई एलटीडी की जमानत पर अग्रिम मंजूर करना चाहिए।


अनुबंध – II

टियर I पूंजी के रूप में शामिल करने के लिए नवोन्मेषी बेमीयादी
ऋण लिखत (आईपीडीआई) पर लागू शर्तें

एसटीसीबी / सीसीबी द्वारा बांड या डिबेंचर के रूप में जारी किए जाने वाले नवोन्मेषी बेमीयादी ऋण लिखतों (नवोन्मेषी लिखत) को पूंजी पर्याप्तता प्रयोजनों के लिए टियर I पूंजी के रूप में शामिल करने की पात्रता के लिए निम्नलिखित शर्तों का पालन करना चाहिए।

1. नवोन्मेषी लिखतों को जारी करने की शर्ते :

(i) भारतीय रिज़र्व बैंक का अनुमोदन

नवोन्मेषी लिखत जारी करने के लिए बैंकों को मामला-दर-मामला आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमोदन प्राप्त करना चाहिए।

(ii) राशि

नवोन्मेषी लिखतों की जुटाई जाने वाली राशि के बारे में निर्णय बैंक के निदेशक मंडल द्वारा लिया जाएगा।

(iii) सीमाएं

नवोन्मेषी लिखत कुल टियर I पूंजी के 15 प्रतिशत से अधिक न हो। उपर्युक्त सीमा से अधिक के नवोन्मेषी लिखत टियर II पूंजी के लिए निर्धारित सीमाओं की शर्त पर  टियर II पूंजी के अंतर्गत शामिल किए जाने के पात्र होंगे। तथापि, निवेशकों के अधिकार एवं दायित्व पूर्ववत बने रहेंगे।

(iv) परिपक्वता अवधि

नवोन्मेषी लिखत बेमीयादी होंगे।

(v) ब्याज दर

निवेशकों को देय ब्याज स्थिर (फिक्स्ड) दर या अथवा बाजार नियंत्रित रुपया ब्याज की बेंचमार्क दर के संदर्भ में ब्याज की अस्थिर (फ्लोटिंग) दर पर देय होगा।

(vi) विकल्प

नवोन्मेषी लिखत 'पुट ऑप्शन' के साथ जारी नहीं किए जायेंगे। तथापि, बैंक कॉल ऑप्शन के साथ लिखत जारी कर सकते हैं बशर्ते निम्नलिखित शर्तों में से प्रत्येक शर्त का कड़ाई से अनुपालन किया जाता हो :

क) लिखत कम से कम दस वर्ष तक चल जाने के बाद कॉल ऑप्शन का प्रयोग किया जा सकता है ; तथा

ख) कॉल ऑप्शन का प्रयोग भारतीय रिज़र्व बैंक (ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग) के पूर्वानुमोदन से ही किया जा सकेगा। कॉल ऑप्शन का प्रयोग करने के लिए बैंकों से प्राप्त प्रस्तावों पर विचार करते समय भारतीय रिज़र्व बैंक अन्य बातों के साथ-साथ कॉल ऑप्शन का प्रयोग करने के समय की और कॉल ऑप्शन का प्रयोग करने के बाद की बैंक के सीआरएआर की स्थिति को भी ध्यान में रखेगा।

(vii) स्टेप-अप ऑप्शन

जारीकर्ता बैंक को एक स्टेप-अप ऑप्शन मिलेगा जिसका प्रयोग, लिखत जारी करने की तारीख से दस वर्षों की अवधि बीत जाने के बाद, कॉल ऑप्शन के साथ-साथ,लिखत की पूरी अवधि के दौरान केवल एक बार ही किया जा सकेगा। उक्त स्टेप-अप 100 आधार अंकों से अधिक नहीं होगा। स्टेप-अप की सीमाएं जारीकर्ता बैंकों के ऋणों की समग्र लागत पर लागू होंगी।

(viii) निश्चित अवरुद्धता अवधि खण्ड (लॉक-इन-क्लाज)

(क) नवोन्मेषी लिखत लॉक-इन-क्लाज के अधीन होंगे जिसके अनुसार जारीकर्ता बैंक ब्याज का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं होगा, यदि

1. बैंक का सीआरएआर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम विनियामक अपेक्षा से कम है; अथवा

2. इस प्रकार से भुगतान के प्रभाव के फलस्वरूप बैंक का जोखिम भारित आस्तियों के प्रति पूंजी अनुपात (सीआरएआर) घट कर नीचे चला जाता है अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम विनियामक अपेक्षा के नीचे ही बना रहता है;

(ख) तथापि, बैंक इस प्रकार के भुगतान के कारण जब निवल हानि होती है अथवा निवल हानि बढ़ जाती है, तो भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन से ब्याज का भुगतान कर सकते हैं बशर्ते 'सीआरएआर' विनियामक मानदंडों के ऊपर बना रहा हो ।

(ग) ब्याज संचयी नहीं होगा।

(घ) लॉक-इन-क्लाज लगाने के सभी अवसरों को जारीकर्ता बैंक द्वारा प्रधान मुख्य महाप्रबंधक, ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई के पास अधिसूचित किया जाना चाहिए।

(ix) दावे की वरिष्ठता

नवोन्मेषी लिखतों में निवेशकों के दावे

(क) ईक्विटी शेयरों में निवेशकों के दावों से वरिष्ठ; तथा

(ख) सभी अन्य लेनदारों (क्रेडिटरों) के दावों के अधीनस्थ होंगे।

(x) बट्टा

नवोन्मेषी लिखत पूंजी पर्याप्तता के प्रयोजनों के लिए क्रमिक बट्टा के अधीन नहीं होंगे क्योंकि ये लिखत बेमीयादी हैं।

(xi) अन्य शर्तें

उक्त नवोन्मेषी लिखत संपूर्णत: चुकता (पेड-अप), गैर-जमानती और किसी प्रतिबंधक खंड से मुक्त होने चाहिए।

2. आरक्षित निधि संबंधी अपेक्षाओं का पालन

किसी बैंक द्वारा नवोन्मेषी लिखतों के माध्यम से जुटाई गई कुल राशि की गणना आरक्षित निधि संबंधी अपेक्षाओं के प्रयोजन के लिए निवल मांग और मीयादी देयताओं की गणना हेतु देयता के रूप में नहीं की जाएगी और इस प्रकार इन पर सीआरएआर / एसएलआर अपेक्षाएं लागू नहीं होंगी।


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