भारिबैंक/2013-14/479
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 100
4 फरवरी 2014
सभी श्रेणी -। प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय,
निर्यात/आयात लेनदेनों के लिए तीसरे पक्ष को भुगतान
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान 8 नवंबर 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.70 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार, उसमें दी गई शर्तों के तहत, माल और साफ्टवेयर के निर्यात / माल के आयात हेतु तीसरे पक्ष को भुगतान करने की मंजूरी देने के लिए उन्हें अनुमति प्रदान की गयी है।
2. उक्त परिपत्र में किए गए उल्लेखानुसार "त्रिपक्षीय करार से समर्थित पक्के अप्रतिसंहरणीय निर्यात आदेश होने" संबंधी शर्त को पूरा करने में निर्यातकों / आयातकों द्वारा महसूस की जाने वाली कठिनाइयों को दृष्टिगत रखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि इस अपेक्षा पर उन मामलों में बल न दिया जाए, जहां परिस्थितियां तीसरे पक्ष को भुगतान करने की ओर ले जाने/पक्के अप्रतिसंहरणीय आदेश / इनवाइस में तीसरे पक्ष के नाम का उल्लेख होने के दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए गए हों। यह अनुमति निम्नलिखित शर्तों के तहत होगी:
(i) प्राधिकृत व्यापारी बैंक को लेनदेन की वास्तविकता और निर्यात दस्तावेजों, यथा इनवाइस / एफआईआरसी से संतुष्ट होना चाहिए।
(ii) ऐसे लेनदेन संबंधी सेवा देते समय प्राधिकृत व्यापारी बैंक को एफएटीएफ वक्तव्य (FATF Statement) को ध्यान में रखना चाहिए।
3. इसके अलावा, इस प्रक्रिया को उदारीकृत करने के मद्देनज़र माल के आयात के संबंध में तीसरे पक्ष को भुगतान करने के लिए 100,000 अमरीकी डालर की सीमा वापस ली जाती है।
4. 8 नवंबर 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.70 में उल्लिखित सभी अन्य शर्ते अपरिवर्तित बनी रहेंगी।
5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत कराने का कष्ट करें।
6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं।
भवदीय,
(सी.डी.श्रीनिवासन)
मुख्य महाप्रबंधक |