भारिबैंक/2013-14/493
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.103
14 फरवरी 2014
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक जो विदेशी मुद्रा के प्राधिकृत व्यापारी हैं/
स्वर्ण के आयात के लिए नामित सभी एजेंसियाँ
महोदया/महोदय,
नामित बैंकों/एजेंसियों/एंटिटीज़ द्वारा स्वर्ण/स्वर्ण डोर (dore) का आयात – स्पष्टीकरण
प्राधिकृत व्यक्तियों का ध्यान, उल्लिखित विषय पर रिज़र्व बैंक के 14 अगस्त 2013 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 25 तथा 11 नवंबर 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 73 की ओर आकृष्ट किया जाता है।
2. अग्रिम प्राधिकार (AA) / शुल्क मुक्त आयात प्राधिकार (DFIA) के संबंध में अनेक अभिवेदन भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक को प्राप्त हुए हैं। इन अभिवेदनों को ध्यान में रखते हुये और भारत सरकार के परामर्श से यह निर्णय लिया गया है कि निम्नलिखित स्पष्टीकरण जारी किए जाएं जो तत्काल प्रभाव से लागू होंगे :
ए) 14 अगस्त 2013 से पहले जारी AA/DFIA के संबंध में निर्यात से पहले किए गए आयातों के क्रमानुक्रम की शर्त पर ज़ोर न दिया जाए, भले ही वे एसईज़ेड और ईओयू स्थित एंटिटीज़ और इकाइयों, प्रीमियर और स्टार ट्रेडिंग गृहों के मामलों से संबंधित ही क्यों न हों।
बी) AA/DFIA योजना के भाग के रूप में किए गए आयात, 20:80 योजना के दायरे से बाहर रहेंगे। ऐसे आयातों की गणना अलग से की जाएगी और उनसे नामित एजेंसियां/बैंक तथा एंटिटीज़ और आयात के लिए पात्र नहीं होंगे।
सी) नामित बैंक/एजेंसियां और एंटिटीज़ पुनर्भरण (रिप्लेनिशमेंट) योजना के अंतर्गत कार्य करने वाले निर्यातकों को (AA/DFIA धारकों को छोड़कर) स्वर्ण उपलब्ध करा सकते हैं। यदि आवश्यक हो तो वे इस प्रयोजन के लिए स्वर्ण का आयात कर सकते हैं। हालांकि, ऐसे आयात की गणना अलग से की जाएगी तथा वे और इसके तहत आयात के लिए हकदार नहीं होंगे।
डी) तीसरी खेप और उसके अनंतर स्वर्ण का आयात, निम्न दो मात्राओं में से कमतर होगा:
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जिस निर्यात के लिए साक्ष्य प्रस्तुत किए गए हैं उसके 5 गुने; अथवा
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नामित एजेंसी को पहली अथवा दूसरी खेप के लिए अनुमत स्वर्ण की मात्रा।
संशोधित अनुदेशों के अनुसार परिकल्पित 20:80 योजना के काम करने के स्वरूप (working) से संबंधित संशोधित उदाहरण अनुबंध में दिया गया है।
3. इसके अलावा स्वर्ण डोर (dore) के आयात के संबंध में 31 दिसंबर 2013 को जारी ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 82 के संदर्भ में यह स्पष्ट किया जाता है कि :
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रिफाइनरों को अपने लाइसेंस के 15% तक प्रथम दो माह में से प्रत्येक के लिए स्वर्ण डोर (dore) के आयात की अनुमति है।
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यदि डीजीएफटी द्वारा पहली दो खेपों के लिए पहले से ही मात्रा का निर्धारण किया गया हो तो ऐसी मात्रा के आयात को 31 दिसंबर 2013 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 82 के मार्फत जारी दिशानिर्देशों का अनुपालन माना जाएगा।
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डीजीएफटी, अधिसूचना के माध्यम से, नए रिफाइनरों को शामिल कर सकता है, और उनके लिए लाइसेंसशुदा मात्रा निश्चित कर सकता है।
4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं।
5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं।
भवदीय,
(रुद्र नारायण कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
अनुबंध
स्वर्ण के आयात के लिए 20/80 योजना के काम
करने के स्वरूप (working) का संशोधित उदाहरण*
1. नामित बैंक/एजेंसी/एबीसी नामक कोई अन्य एंटिटी मान लीजिए 100 किलो स्वर्ण का आयात करता/करती है जो केवल सीमा-शुल्क बांडेड माल गोदाम (bonded warehouses) के माध्यम से आएगा। यदि आवश्यक समझा जाए तो खेप दो बीजकों (इनवासों) में अर्थात एक निर्यातकों (अर्थात 20%) हेतु और दूसरी घरेलू उपयोगकर्ताओं (80%) के लिए मंगायी जा सकती है।
2. उक्त आयातित 100 किलो स्वर्ण में से, अभी तक की प्रक्रिया के अनुसार बांडेड वेयरहाउस में रखा 20 किलो स्वर्ण सीमा-शुल्क (कस्टम) प्राधिकारियों को वचनपत्र दे कर स्वर्ण के निर्यातकों को उपलब्ध कराने के लिए अंशत: अथवा पूर्णत: जारी कराया जा सकता है।
3. आभूषण कारोबार में संलग्न घरेलू एंटिटीज़/बुलियन ट्रेडर्स और स्वर्ण जमा योजना का परिचालन करने वाले बैंकों को, पहले पूरा भुगतान करने पर, शेष 80 किलो स्वर्ण की आपूर्ति हिस्सों में अथवा पूरी मात्रा में की जा सकती है। दूसरे शब्दों में घरेलू उपयोग हेतु उधार के किसी भी रूप में स्वर्ण की बिक्री की अनुमति नहीं होगी। यदि नामित बैंक स्वयं स्वर्ण जमा योजना का परिचालन करता है, तो ऐसे बैंक को 80 किलो में से स्वर्ण जमा योजना के परिचालन से उत्पन्न अपनी ओपन पोजीशन को नियमित करने के लिए उसके एक अंश का इस्तेमाल करने की अनुमति है।
4. एबीसी द्वारा 100 किलो स्वर्ण के आयात की अगली खेप के लिए सीमा-शुल्क प्राधिकारियों द्वारा केवल तभी अनुमति दी जाएगी जब निर्यात संबंधी साक्ष्य (अर्थात आयातित खेप का 20%) प्रस्तुत कर दिये जाएंगे।
5. तीसरी खेप और उसके अनंतर स्वर्ण का आयात, पहली दो खेपों से कम होगा:
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जिस निर्यात के लिए साक्ष्य प्रस्तुत किए गए हैं उसके 5 गुने; अथवा
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नामित एजेंसी को पहली अथवा दूसरी खेप के लिए अनुमत स्वर्ण की मात्रा।
नोट: रिफाइनरियों और किन्हीं अन्य स्वर्ण आयातक एंटिटीज़ द्वारा किसी भी अन्य रूप में/शुद्धता में स्वर्ण और स्वर्ण डोर( dore) के आयात के मामले में भी इसी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।
- स्वर्ण के आयात की प्रथम खेप 14.08.2013 से गिनी जाएगी।
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