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अधिसूचनाएं

अस्थायी प्रावधानों /काउंटर सायक्लिकल प्रोविज़निंग बफर का उपयोग

आरबीआई/2013-14/485
बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 95/21.04.048/2013-14

7 फरवरी 2014

अध्‍यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(स्‍थानीय क्षेत्र के बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय

अस्थायी प्रावधानों /काउंटर सायक्लिकल प्रोविज़निंग बफर का उपयोग

कृपया बैंकों द्वारा अस्थायी प्रावधानों का निर्माण, लेखांकन, प्रकटीकरण और उपयोग पर 22 जून 2006 हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 89/21.04.048/2005-06 और 13 मार्च 2007 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 68/21.04.048/2006-07 देखें। बैंक, काउंटरसाईक्लिकल प्रोविज़निंग बफर' का निर्माण और उपयोग पर 21 अप्रैल 2011 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 87/21.04.048/2010-11 भी देखें जिसमें हमने यह सूचित किया था कि भारतीय रिजर्व बैंक की पूर्वानुमति से बैंक, प्रणालीगत व्यापक मंदी की अवधियों के दौरान अन्य बातों के साथ-साथ इस बफर का अनर्जक आस्तियों के लिए विनिर्दिष्‍ट प्रावधान करने के लिए उपयोग कर सकते हैं।

2. तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि बैंक अपने निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार एक काउंटर सायक्लिकल उपाय के रूप में, 31 मार्च 2013 की स्थिति के अनुसार रखे गए काउंटर सायक्लिकल प्रोविजिनिंग बफर/अस्थायी प्रावधानों के 33 प्रतिशत का उपयोग अनर्जक आस्तियों के लिए विनिर्दिष्‍ट प्रावधान करने के लिए कर सकते है।

3. इस उपाय के अंतर्गत काउंटर सायक्लिकल प्रोविज़निंग बफर/अस्थायी प्रावधानों का उपयोग "वित्तीय संकट की जल्द पहचान, समाधान के लिए शीघ्र उपाय और उधारदाताओं के लिए उचित वसूली: अर्थव्यवस्था की दबावग्रस्‍त आस्तियों को पुनः सक्रिय करने के लिए फ्रेमवर्क" पर 30 जनवरी 2014 की भारतीय रिजर्व बैंक की प्रेस विज्ञप्ति में त्वरित/अतिरिक्त प्रावधान के रूप में प्रस्तावित काउंटर सायक्लिकल बफर/अस्थायी प्रावधानों के अतिरिक्त होंगे।

4. इस संदर्भ में बैंक, 30 मार्च 2012 का "इंट्राडक्शन ऑफ डाइनामिक लोन लॉस प्रोविजिनिंग फ्रेमवर्क फॉर बैंक्‍स इन इंडिया” पर चर्चा पत्र देखें जिसमें बैंकों से अच्छे समय में डाइनामिक प्रोविजिनिंग खाता बनाने तथा मंदी के दौरान उसका उपयोग करने के लिए कहा गया है। प्रस्तावित फ्रेमवर्क के अंतर्गत बैंकों से अपेक्षित है कि वे दीर्घावधिक औसत वार्षिक प्रत्‍याशित हानि की गणना हेतु विभिन्न आस्ति श्रेणियों के लिए चूक की संभावना, चूक होने पर हानि जैसे पैरामीटर की गणना करें या डाइनामिक प्रोविजिनिंग अपेक्षा की गणना के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित मानक पैरामीटर का उपयोग करें। प्रणाली में सुधार के साथ डाइनामिक लोन लॉस प्रोविजिनिंग फ्रेमवर्क सुस्‍थापित होने की आशा है। इस बीच, बैंकों को विभिन्न आस्ति श्रेणियों के लिए अपनी दीर्घावधिक औसत वार्षिक प्रत्‍याशित हानि की गणना के लिए आवश्यक क्षमता का विकास करना चाहिए ताकि वे डाइनामिक प्रोविजिनिंग फ्रेमवर्क में स्विचओवर कर सकें।

भवदीय

(चंदन सिन्हा)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक


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