भारिबैं/2013-14/619
शबैंवि.बीपीडी (पीसीबी) परि. सं.67/09.50.001/2013-14
30 मई 2014
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
महोदया/ महोदय
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 36(1)(viii) के अधीन सृजित विशेष रिज़र्व पर आस्थगित कर देयता – शहरी सहकारी बैंक
यह ध्यान में आया है कि कुछ बैंक उनके द्वारा भविष्य में इस प्रकार के रिज़र्व से आहरण अभिप्रेत न होने के आधार बताते हुए लेखांकन मानक 22: 'आय पर कर के लिए लेखांकन' (एएस 22) के अनुसार विशेष रिज़र्व पर आस्थगित कर देयता का सृजन नहीं कर रहे हैं। बहुत से मामलों में बैंक इस उद्देश्य से अपने बोर्ड या समिति में संकल्प पारित किए हैं।
2. विशेष रिज़र्व पर आस्थगित कर देयता के सृजन संबंधी मामले को जांचा गया है और बैंकों को यह सूचित किया जाता है कि विवेकी तौर पर, विशेष रिज़र्व पर आस्थगित कर देयता का सृजन किया जाना चाहिए।
3. इस प्रयोजन के लिए, बैंक द्वारा निम्न प्रकार कार्रवाई की जाए।
ए) 31 मार्च 2013 के अनुसार विशेष रिज़र्व पर आस्थगित कर देयता का सृजन के कारण हुई खर्च यदि लाभ एवं हानी खाते (पी एंड एल खाता) में पूरी तरह से चार्ज नहीं किया गया है तो बैंक द्वारा उसे रिज़र्व से सीधे समायोजित किया जाए। इस प्रकार समायोजित राशि 2013-14 वित्त वर्ष के वित्तीय विवरणी के नोट्स टु एकाउंट में उचित रूप से प्रकट किया जाए।
बी) 31 मार्च 2014 को समाप्त वर्ष के बाद से विशेष रिज़र्व हेतु अंतरित राशि के लिए आस्थगित कर देयता उस वर्ष के लाभ एवं हानी खाते (पी एंड एल खाता) में चार्ज किया जाना चाहिए।
4. विशेष रिज़र्व पर आस्थगित कर देयता के सृजन की जरूरत को देखते हुए, बैंक टियर I पूंजी की गणना के लिए संपूर्ण विशेष रिज़र्व को गिना जाए। भवदीय,
(पी के अरोड़ा)
महाप्रबंधक |