भारिबैं/ 2013-14/638
शबैंवि.बीपीडी. परि. सं.71/12.09.000/2013-14
11 जून 2014
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
महोदया/ महोदय
शहरी सहकारी बैंकों के लिए सूचना प्रणाली (आईएस) लेखापरीक्षा की शुरुआत
कृपया 12 फरवरी 2002 का हमारा परिपत्र शबैंवि.पीओटी.पीसीबी.30/09.96.000/2001-02 देखें, जिसमें शहरी सहकारी बैंकों को सतत रूप से ईडीपी लेखापरीक्षा प्रणाली की शुरुआत करने के लिए सूचित किया गया था। यह ध्यान में आया है कि इसके बाद से कुछ शहरी सहकारी बैंकों ने प्रौद्योगिकी को अपनाया है और अपने ग्राहकों के लिए इलेक्ट्रोनिक बैंकिंग, टेली बैंकिंग, इलेक्ट्रोनिक समाशोधन/ निधि अंतरण, इलेक्ट्रोनिक मनी, स्मार्ट कार्ड आदि की सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं। बैंक के शाखाओं द्वारा दिए जाने वाले विभिन्न प्रकार के सेवाओं को संघटित करने के उद्देश्य से, बेहतर ग्राहक सेवा प्रदान करने के लिए, एमआईएस रिपोर्ट सृजित करने के लिए और विनियामकों तथा भारत सरकार के लिए विभिन्न रिपोर्ट सृजित करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने 11 सितंबर 2013 के परिपत्र सं शबैंवि.केंका.बीपीडी. परि. सं.14/09.18.300/2013-14 के माध्यम से शहरी सहकारी बैंकों को उनके जमा आधार के अनुसार सीबीएस के कार्यान्वयन के लिए अंशाकित समय सीमा निर्धारित की है।
उक्त को देखते हुए तथा प्रौद्योगिकी को अपनाने पर होने वाली जोखिम को देखते हुए शहरी सहकारी बैंकों के लिए आईएस लेखापरीक्षा की शुरुआत करने की ज़रूरत महसूस की गई है। अत: यह सूचित किया जाता है कि
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शहरी सहकारी बैंक अपने परिचालन का स्तर, व्यापार का पेचीदगी और कंप्यूटरीकरण का स्तर को देखते हुए आईएस लेखापरीक्षा नीति को अपनाया जाए, यदि अभी तक अपनाया नहीं गया है तो और समय समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार उसकी समीक्षा की जाए।
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सभी क्रिटिकली महत्वपूर्ण शाखाओं (व्यापार के प्रकार एवं मात्रा की दृष्टि से) को शामिल करते हुए वार्षिक आधार पर आईएस लेखापरीक्षा के प्रवर्तन के लिए शहरी सहकारी बैंकों द्वारा कार्यप्रणाली अपनाई जाए।
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इस प्रकार की लेखापरीक्षा को सांविधिक लेखापरीक्षा से पूर्व शुरू किया जाए ताकि आईएस लेखापरीक्षा के रिपोर्ट सांविधिक लेखापरीक्षकों को पहले ही प्राप्त हो सकें जिससे वे जांच कर सकें और लेखापरीक्षा रिपोर्ट में किसी प्रकार की टिप्पण होने की स्थिति में उसे समाहित किए जा सकें।
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आईएस लेखापरीक्षा रिपोर्ट को बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया जाना है और लेखापरीक्षा नीति में दर्शाए अनुसार के समय सीमा के अधीन अनुपालन सुनिश्चित किया जाना है।
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उक्त अनुदेश को वर्तमान वित्त वर्ष, अर्थात- 1 अप्रैल 2014 से 31 मार्च 2015 के दौरान कार्यान्वित किया जाए।
भवदीया,
(सेंटा जॉय)
महाप्रबंधक |