भारिबैंक/2013-14/649
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्रसं.147
20 जून 2014
सभी श्रेणी - I प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय,
जोखिम प्रबंध और अंतर-बैंक लेनदेन - एक्स्चेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव
(ईटीसीडी) मार्केट में निवासियों द्वारा सहभागिता के संबंध में दिशानिर्देश
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय समय पर यथासंशोधित, 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं॰फेमा.25/आरबी-2000), समय-समय पर यथासंशोधित 6 अगस्त 2008 के करेंसी फ्यूचर्स (रिजर्व बैंक) निदेश, 2008, 30 जुलाई 2010 के एक्स्चेंज ट्रेडेड करेंसी ऑप्शन्स (रिजर्व बैंक) निदेश, 2010 और उसके साथ ही 6 अगस्त 2008 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं॰ 5 तथा 30 जुलाई 2010 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं॰ 5 की ओर भी आकृष्ट किया जाता है जिनके अनुसार उल्लिखित अधिसूचनाओं तथा दिशानिर्देशों में दी गई शर्तों के तहत भारत में निवासी कोई व्यक्ति भारत के एक्स्चेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव (ईटीसीडी) मार्केट में भाग ले सकता है। इस संबंध में उनका ध्यान 1 मार्च 2013 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं॰ 86 और 8 जुलाई 2013 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं॰ 7 की ओर भी आकृष्ट किया जाता है जिनके अनुसार प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंकों द्वारा करेंसी फ्यूचर्स और ईटीसीडी मार्केट में मालिकाना (स्वयं के धन से) ट्रेडिंग करने पर प्रतिबंध लगाए गए थे।
2. वर्तमान विनियामक फ्रेमवर्क में, करेंसी फ्यूचर्स और एक्स्चेंज ट्रेडेड ऑप्शन्स मार्केट हेतु घरेलू सहभागियों के लिए किसी अंतर्भूत एक्स्पोजर की अपेक्षा नहीं है, जबकि ओवर दि काउंटर डेरिवेटिव मार्केट में पोजीशन लेने के लिए अंतर्भूत एक्स्पोजर होना अनिवार्य है। दोनों मार्केटों में एकरूपता (alignment) लाने के दृष्टिकोण से, अबसे, करेंसी फ्यूचर्स और एक्स्चेंज ट्रेडेड ऑप्शन्स में भागीदारी के लिए घरेलू सहभागियों को निम्नलिखित शर्तों का अनुपालन करना होगा:
ए) घरेलू सहभागियों को अंतर्भूत एक्सपोजर की पुष्टि कराए बिना प्रति एक्स्चेंज 10 मिलियन अमरीकी डॉलर तक की खरीद के साथ-साथ बिक्री करने की अनुमति होगी। सुकरता के लिए अमरीकी डॉलर से भिन्न मुद्रा संविदाओं के लिए एक्स्चेंज सीमाएं निर्धारित कर सकते हैं ताकि वे 10 मिलियन अमरीकी डॉलर के समतुल्य मूल्य की सीमा में बनी रहें।
बी) ईटीसीडी मार्केट में 10 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक की पोजीशन लेने के इच्छुक घरेलू सहभागियों को अंतर्भूत एक्स्पोसर की मौजूदगी की पुष्टि करानी होगी। इसके लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाएगी:
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माल और सेवाओं के निर्यातक अथवा आयातक सहभागियों के लिए ईटीसीडी में उचित हेजिंग पोजीशन लेने के लिए पात्र सीमा, (ए) निर्यातक के मामले में (I) विगत 3 वर्षों के निर्यात पण्यावर्त के औसत अथवा (II) पिछले वर्ष के निर्यात पण्यावर्त में से जो भी अधिक हो, के आधार पर और आयातकों के मामले में (I) विगत 3 वर्षों के आयात पण्यावर्त के औसत अथवा (II) विगत वर्ष के पण्यावर्त में से जो भी उच्चतर हो, के पचास प्रतिशत के आधार पर निर्धारित होगी।
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एक्स्चेंज के ट्रेडिंग सदस्य को सहभागी द्वारा अपने सांविधिक लेखा परीक्षक से उल्लिखित सीमा के संबंध में प्राप्त प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा और उसके साथ मुख्य वित्तीय अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित एक वचनपत्र भी संलग्न करना होगा कि बकाया ओटीसी डेरिवेटिव संविदाओं और बकाया ईटीसीडी संविदाओं दोनों का कुल योग संविदागत वास्तविक निर्यात अथवा आयात, जैसा भी मामला हो, के सदैव अनुरूप रहेगा।
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उपर्युक्त प्रमाणपत्र के आधार पर ट्रेडिंग सदस्य संबंधित ग्राहक की ओर से पात्र सीमा (उल्लिखित पैराग्राफ (i) में विनिर्दिष्ट) के पचास प्रतिशत तक ईटीसीडी संविदाएं बुक कर सकता है। यदि कोई सहभागी ईटीसीडी में पात्र सीमा के पचास प्रतिशत से अधिक की पोजीशन लेना चाहे, तो उसे अपने सांविधिक लेखापरीक्षक से प्राप्त प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा कि बकाया ओटीसी डेरिवेटिव संविदाओं और बकाया ईटीसीडी संविदाओं का कुल योग आम तौर पर पात्र सीमा के अनुरूप रहा है। ऐसे प्रमाण पत्र के आधार पर ट्रेडिंग सदस्य उक्त सीमा के पचास प्रतिशत से अधिक और उपर्युक्त पैराग्राफ (i) में उल्लिखित सीमा तक ईटीसीडी संविदाएं बुक कर सकता है।
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सभी अन्य सहभागियों के लिए जिनके चालू और पूंजी खाते गत लेन-देन के साथ- साथ निर्यातक और आयातक के तौर पर अंतर्भूत विदेशी मुद्रा एक्स्पोज़र हों और जो संविदागत एक्स्पोज़र के आधार पर ईटीसीडी बाजार में पहुँचने के इच्छुक हों, उन्हें ट्रेडिंग सदस्य के तौर पर कार्य करने वाले प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक के मार्फत ऐसे लेन-देन करने होंगे। ऐसे मामलों में अंतर्भूत एक्स्पोज़र के सत्यापन की ज़िम्मेदारी और यह सुनिश्चित करना कि खरीदी/बेची गई ईटीसीडी संविदाएं अंतर्भूत एक्स्पोज़र के अनुरूप हैं और उसी अंतर्भूत एक्स्पोज़र के लिए ओटीसी संविदाएं बुक नहीं की गई हैं, इसका दायित्व संबंधित (प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक) ट्रेडिंग सदस्य का होगा।
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उपर्युक्त पैराग्राफ (iv) में वर्णित सहभागियों को छोड़कर, ईटीसीडी मार्केट के सभी सहभागियों से अपेक्षित होगा कि वे संबंधित ट्रेडिंग सदस्यों को 31 मार्च और 30 सितम्बर को समाप्त अर्धवर्ष के लिए संबंधित तारीख से 15 दिनों के भीतर अपने सांविधिक लेखापरीक्षक से एक प्रमाणपत्र प्रस्तुत करें जिसमें यह उल्लेख हो कि सहभागी द्वारा ओटीसी और ईटीसीडी मार्केट में विगत छह माह में बुक की गई डेरिवेटिव संविदाओं का कुल योग वास्तविक एक्स्पोज़र से अधिक नहीं था।
सी॰ यह नोट किया जाए कि इस परिपत्र के उपबंधों के अनुपालन का दायित्व संबंधित सहभागी का होगा और किसी भी उल्लंघन के मामले में, सहभागी विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 और उसके अंतर्गत निर्मित विनियमों, निदेशों, आदि के उपबंधों के तहत कार्रवाई का भागी होगा।
3. 1 मार्च 2013 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं॰ 86 के अनुसार प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों को उनके ओटीसी डेरिवेटिव मार्केट की पोजीशन के बदले ईटीसीडी मार्केट में पोजीशन को समायोजित करने (आफ सेट करने) की अनुमति नहीं थी और 8 जुलाई 2013 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 7 के अनुसार उन्हें ईटीसीडी मार्केट में मालिकाना ट्रेडिंग करने की अनुमति नहीं थी। बदली हुई बाजार स्थितियों के मद्देनजर, अब यह निर्णय लिया गया है कि :
ए॰ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक अपनी नेट ओपन पोजीशन लिमिट (NOPL) एवं एक्स्चेंज द्वारा जोखिम प्रबंधन के प्रयोजन एवं बाजार की अक्षुण्णता (integrity) बनाए रखने के लिए विनिर्दिष्ट सीमा में ईटीसीडी मार्केट में मालिकाना ट्रेडिंग कर सकते हैं।
बी॰ प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक ओटीसी डेरिवेटिव मार्केट की पोजीशन के बदले ईटीसीडी मार्केट में पोजीशन को संतुलित/समायोजित (नेट/आफ सेट) भी कर सकता है। विदेशी मुद्रा बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुये, भारतीय रिजर्व बैंक अपेक्षित होने पर विशेष रूप से ओटीसी मार्केट के लिए NOPL (प्रतिशत के रूप में) में अलग से एक उप-सीमा का निर्धारण कर सकता है।
4. किसी सहभागी, निवासी अथवा अनिवासी, द्वारा ईटीसीडी मार्केट में उल्लिखित के सिवाय, किसी अन्य उच्चतम सीमा तक पोजीशन नहीं ली जा सकेगी। सेबी से प्राप्त यथोचित निर्देशों के तहत, हालांकि, एक्स्चेंज जोखिम प्रबंधन और मार्केट की अक्षुण्णता बनाए रखने के लिए कोई सीमा लगा सकेंगे।
5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं ।
भवदीय,
(सी॰डी॰श्रीनिवासन)
मुख्य महाप्रबंधक |