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अधिसूचनाएं

जोखिम प्रबंध और अंतर-बैंक लेनदेन - एक्स्चेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव (ईटीसीडी)मार्केट में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा भागीदारी करने के संबंध में दिशानिर्देश

भारिबैंक/2013-14/650
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.148

20 जून 2014

सभी श्रेणी - I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

जोखिम प्रबंध और अंतर-बैंक लेनदेन - एक्स्चेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव (ईटीसीडी)
मार्केट में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा भागीदारी करने के संबंध में दिशानिर्देश

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय समय पर यथासंशोधित, 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएँ) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.25/आरबी-2000), समय-समय पर यथासंशोधित 6 अगस्त 2008 के करेंसी फ्यूचर्स (रिजर्व बैंक) निदेश, 2008 और 30 जुलाई 2010 के एक्स्चेंज ट्रेडेड करेंसी ऑप्शन्स (रिजर्व बैंक) निदेश, 2010 के साथ ही साथ 6 अगस्त 2008 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 5 तथा 30 जुलाई 2010 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 5 की ओर भी आकृष्ट किया जाता है जिनके अनुसार उल्लिखित अधिसूचनाओं तथा दिशानिर्देशों में दी गई शर्तों के तहत केवल भारत में निवासी व्यक्तियों को करेंसी फ्यूचर्स और ईटीसीडी मार्केट में भाग लेने की अनुमति है।

2. अब यह निर्णय लिया गया है कि समय-समय पर यथासंशोधित 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूत का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 {3 मई 2000 की अधिसूचना सं॰फेमा.20/2000–आरबी (3 मई 2000 का जीएसआर संख्या 406(ई)} की अनुसूची 2, 5, 7 एवं 8 में यथा विनिर्दिष्ट प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए पात्र विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) को निम्नलिखित शर्तों के तहत करेंसी फ्यूचर्स अथवा एक्स्चेंज ट्रेडेड करेंसी (ईटीसी) ऑप्शन्स की संविदाएं करने की अनुमति दी जाए :-

ए. एफपीआई (FPIs) को भारत में उनके भारतीय कर्ज एवं इक्विटी प्रतिभूतियों संबंधी एक्सपोज़र के बाजार मूल्य से उत्पन्न मुद्रा जोखिम को हेज करने के प्रयोजन हेतु करेंसी फ्यूचर्स अथवा एक्स्चेंज ट्रेडेड करेंसी ऑप्शन्स तक पहुंच की अनुमति दी जाएगी।

बी. ऐसे निवेशक संबंधित एक्स्चेंज के पंजीकृत/मान्यताप्राप्त ट्रेडिंग सदस्य के मार्फत करेंसी फ्यूचर्स/एक्स्चेंज ट्रेडेड ऑप्शन्स मार्केट में भाग ले सकते हैं।

सी. एफपीआई (FPIs) अंतर्भूत एक्स्पोज़र की पुष्टि कराए बिना, विदेशी मुद्रा में प्रति एक्स्चेंज 10 मिलियन अमरीकी डॉलर अथवा उसकी समतुल्य राशि तक के खरीद (long) व बिक्री (short) के सौदे कर सकते हैं। यह सीमा एक दिन (day end) अथवा अंतर्दिवस (intra-day) दोनों के लिए होगी।

डी. कोई एफपीआई (FPIs) किसी एक्स्चेंज में किसी भी समय पर 10 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक की बिक्री और 10 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक की खरीद नहीं कर सकता है, उससे अपेक्षित होगा कि उसके पास अंतर्भूत एक्स्पोज़र हों। अंतर्निहित एक्सपोजर के सुनिश्चय का दायित्व संबन्धित एफपीआई (FPIs) पर होगा।

ई. जोखिम प्रबंधन और उचित ट्रेडिंग के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (सेबी) द्वारा निर्धारित अतिरिक्त प्रतिबंधों को लगाने के लिए, हालांकि, एक्स्चेंज स्वतंत्र होगा।

एफ. एक्स्चेंज/समाशोधन निगम (Clearing Corporation) एफपीआई-वार (FPI-wise) दिन के अंत में ओपन पोजीशन के साथ-साथ अंतर्दिवसीय (Intraday) उच्चतम स्थिति की सूचना संबंधित अभिरक्षक (custodian) बैंक को उपलब्ध कराएगा। अभिरक्षक बैंक प्रत्येक एफपीआई (FPIs) द्वारा एक्सचेंजों में ली गई पोजीशनों के साथ-साथ उनके पास अथवा अन्य प्राधिकृत व्यापारी बैंकों के पास बुक की गई ओटीसी (OTC) संविदाओं का समेकन करेंगे। यदि संविदाओं का कुल मूल्य किसी दिन होल्डिंग के मार्केट मूल्य से ज्यादा पाया जाएगा, तो संबंधित एफपीआई (FPIs) सेबी द्वारा इस बाबत निर्धारित दण्डात्मक कार्रवाई के साथ-साथ भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), 1999 के तहत की जानेवाली कार्रवाई का भागी होगा। नामित अभिरक्षक बैंक से अपेक्षित है कि वह इसकी निगरानी करे और किसी प्रकार के अतिक्रमण/उल्लंघन को भारतीय रिज़र्व बैंक/सेबी की नोटिस में लाए।

3. तदनुसार, 10 जून 2014 की अधिसूचना सं॰एफईडी.1/ईडी(जीपी)-2014 एवं 10 जून 2014 की अधिसूचना सं॰एफईडी.2/ईडी(जीपी)-2014 अर्थात क्रमश: करेंसी फ्यूचर्स (रिजर्व बैंक) संशोधक निदेश, 2014 एवं एक्स्चेंज ट्रेडेड करेंसी ऑप्शन्स (रिजर्व बैंक) संशोधक निदेश, 2014 जारी करके 6 अगस्त 2008 की अधिसूचना सं॰एफईडी.1/डीजी(एसजी)-2008 और 30 जुलाई 2010 की अधिसूचना सं.एफईडी.1/ईडी(एचआरके)-2010 के द्वारा अधिसूचित निदेशों में संशोधन किए गए हैं। निदेशों की प्रतिलिपि (अनुबंध I और II) संलग्न है।

4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.25/आरबी-2000) में आवश्यक संशोधन 2 जून 2014 के जी.एस. आर.सं.374(ई) के जरिए (अधिसूचना सं॰फेमा.303/2014-आरबी) सरकारी राजपत्र में अधिसूचित किए गए हैं जिसकी प्रतिलिपि संलग्न है (संलग्नक - III)।

5. उपर्युक्त निर्देश भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45 डब्ल्यू और उपर्युक्त विनियमावली, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 47 की उपधारा (2) के खंड (एच) के अंतर्गत जारी किए गए हैं ।

6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं ।

भवदीय,

सी.डी.श्रीनिवासन)
मुख्य महाप्रबंधक


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