भारिबैं/2014 -15/119
ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 2
7 जुलाई 2014
सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय,
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (FEMA), 1999 -
कच्चे, कटे हुए और पालिश किए हुए हीरों का आयात
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान 6 मई 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.59 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को अनुमति दी गई थी कि वे कच्चे, कटे हुए तथा पालिश किये हुए हीरों के आयात हेतु साख पत्र की मीयाद सहित आपूर्तिकर्ता और क्रेता ऋण (व्यापार ऋण) की अनुमति उस अवधि हेतु प्रदान कर सकते हैं जो पोतलदान की तारीख से 90 दिनों से अधिक नहीं होगी।
2. हीरे के आयातकों एवं रत्न और जवाहरात निर्यात संवर्धन परिषद (GJEPC) से प्राप्त अभिवेदनों को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार के परामर्श से, यह निर्णय लिया गया है कि कच्चे, कटे हुए तथा पालिश किये हुए हीरों के आयात के लिए, बगैर किसी साखपत्र (आपूर्तिकर्ता से ऋण)/वचनपत्र (क्रेता की साख पर उधार)/किसी भारतीय वित्तीय संस्था से सावधि जमा के, बेजमाती ऋण अर्थात विदेशी आपूर्तिकर्ता द्वारा अपने भारतीय ग्राहक/क्रेता को ऋण लेने की अनुमति उस अवधि के लिए प्रदान की जा सकती है जो पोतलदान की तारीख से 180 दिनों से अधिक नहीं होगी। संशोधित निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।
3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आयात संबंधी लेनदेनों के संबंध में, रिज़र्व बैंक द्वारा जारी समुचित सावधानी उपायों, अपने ग्राहकों को जानने संबंधी मानदण्डों एवं धन शोधन निवारक मानकों का पालन किया जाना चाहिए। इसके अलावा, कारोबार में किसी भारी एवं असामान्य वृद्धि की सूक्ष्मता से जांच करनी चाहिए ताकि लेनदेनों की सदाशयता सुनिश्चित हो सके। कच्चे, कटे हुए तथा पालिश किये हुए हीरों के आयात से संबंधित सभी अन्य अनुदेश अपरवर्तित बने रहेंगे।
4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों एवं ग्राहकों को अवगत कराएं।
5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं।
भवदीय,
(सी.डी.श्रीनिवासन)
मुख्य महाप्रबंधक |