भारिबैंक/2014-15/145
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 13
23 जुलाई 2014
सभी प्राधिकृत व्यक्ति
महोदया/महोदय,
सेबी के पास पंजीकृत दीर्घकालिक निवेशकों द्वारा
भारत में सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियों में विदेशी निवेश
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.20/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की अनुसूची 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार सेबी के पास पंजीकृत अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक और दीर्घकालिक निवेशक, प्रत्यावर्तनीय आधार पर, सरकारी प्रतिभूतियों और भारतीय कंपनी द्वारा जारी अपरिवर्तनीय डिबेंचरों (NCDs)/बांडों को, उनमें विनिर्दिष्ट शर्तों तथा भारतीय रिज़र्व बैंक और सेबी द्वारा, समय-समय पर यथा विनिर्दिष्ट सीमाओं के अंतर्गत खरीद सकते हैं।
2. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 29 जनवरी 2014 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.99 की ओर भी आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों, अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों और दीर्घकालिक निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने की वर्तमान सीमा 30 बिलियन अमरीकी डॉलर है, जिसमें से 10 बिलियन अमरीकी डॉलर की उप–सीमा दीर्घकालिक निवेशकों को सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए उपलब्ध है।
3. समीक्षा करने पर, यह निर्णय लिया गया है कि 30 बिलियन अमरीकी डालर की समग्र सीमा के तहत दीर्घकालिक निवेशकों द्वारा निवेश के लिए उपलब्ध 10 बिलियन अमरीकी डालर की सीमा को तदनुरूप 5 बिलियन अमरीकी डालर घटाकर, विदेशी संस्थागत निवेशकों/अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों/विदेशी पोटफोलियो निवेशकों के लिए सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश हेतु उपलब्ध सीमा को 5 बिलियन अमरीकी डालर बढ़ाया जाए। 5 बिलियन अमरीकी डालर की वृद्धिशील निवेश सीमा उन सरकारी बांडों में निवेश के लिए होगी जिनकी अवशिष्ट परिपक्वता अवधि न्यूनतम तीन वर्ष हो। इसके अलावा, विदेशी संस्थागत निवेशकों/ अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों/विदेशी पोटफोलियो निवेशकों द्वारा जब बिक्री अथवा मोचन (रिडेम्प्शन) द्वारा उनका मौजूदा निवेश विनिर्दिष्ट सीमा से जहां तक कम हो जाएगा, वहां तक उनके भावी निवेश सरकारी बांडों में करने अपेक्षित होंगे जिनकी न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता अवधि तीन वर्ष हो। तथापि, यह स्पष्ट किया जाता है कि इस बाबत कोई अवरुद्धता अवधि नहीं होगी एवं विदेशी संस्थागत निवेशक/अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक/विदेशी पोटफोलियो निवेशक (मौजूदा तीन वर्ष से कम की परिपक्वता अवधि सहित) घरेलू निवेशकों को प्रतिभूतियां बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे।
4. इस संबंध में परिचालनात्मक दिशानिर्देश सेबी द्वारा जारी किए जाएंगे।
5. सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश से संबंधित सभी मौजूदा अन्य शर्तें अपरिवर्तित बनी रहेंगी।
6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों एवं ग्राहकों को अवगत कराएं।
7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं ।
भवदीय,
(बी.पी.कानूनगो)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक
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