आरबीआई/2014-15/320
बैंविवि.बीपी.बीसी.सं.50/08.12.014/2014-15
27 नवंबर 2014
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय
बैंकों द्वारा दीर्घावधि बांड जारी करना - इन्फ्रास्ट्रक्चर और किफायती दरों पर आवास का वित्तपोषण
कृपया उपर्युक्त विषय पर दिनांक 15 जुलाई 2014 का हमारा परिपत्र बैंपविवि.बीपी.बीसी.सं.25/08.12.014/2014-15 देखें। इसी अनुक्रम में, बैंकों को निम्नानुसार सूचित किया जाता है:
2. ऐसे बांडों के खुदरा निवेशकों को चलनिधि उपलब्ध कराए जाने की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया है कि बैंक उपर्युक्त परिपत्र के प्रावधानों के तहत अपने द्वारा जारी दीर्घावधि बांडों पर व्यक्तियों को ऋण प्रदान कर सकते हैं। बैंकों के निदेशक मंडल को इस संबंध में यथोचित मार्जिन, ऋण का उद्देश्य तथा अन्य रक्षात्मक उपायों को शामिल करते हुए एक नीति निर्धारित करनी चाहिए। इसके अलावा, ऐसे ऋण एक उच्चतम सीमा, जैसेकि 10 लाख रुपए प्रति उधारकर्ता के अधीन होने चाहिए तथा ऋण की अवधि बांडों की परिपक्वता अवधि के भीतर होनी चाहिए। यह भी स्पष्ट किया जाता है कि बैंकों को अन्य बैंकों द्वारा जारी ऐसे बांडों पर ऋण देने की अनुमति नहीं होगी।
3. इसके साथ ही, 15 जुलाई 2014 के उपर्युक्त परिपत्र के पैरा 7 में ‘पात्र ऋण’ (ईसी) के लिए दिए गए फार्मूला में ‘बी’ (ईसी के दो घटकों में से एक) की व्याख्या बांड जारी करने की तारीख को इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र (परियोजना ऋण) तथा किफायती आवास के लिए बकाया 'मानक' ऋण के रूप में की गई है। समीक्षा के बाद, यह निर्णय लिया गया है कि ‘बी’ को रिजर्व बैंक को रिपोर्ट किए जाने की तारीख (आरक्षित अनुपात अपेक्षाओं के लिए रिपोर्टिंग शुक्रवार तथा प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र दायित्वों की गणना के लिए प्रतिवर्ष 31 मार्च) को इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र (परियोजना ऋण) तथा किफायती आवास के लिए बकाया 'मानक' ऋण के रूप पढा जाए। इस संबंध में जारी अन्य अनुदेश यथावत रहेंगे।
भवदीय,
(सुदर्शन सेन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
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