Click here to Visit the RBI’s new website

अधिसूचनाएं

बैंकों में अदावी जमाराशियाँ / निष्क्रिय खाते – निष्क्रिय खातों की सूची प्रकाशित करना

भारिबैं/2014-15/481
सबैंविवि.केंका.बीपीडी (पीसीबी/आरसीबी).परि.सं.18/13.01.000/2014-15

27 फरवरी 2015

मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक/
राज्‍य और केंद्रीय सहकारी बैंक

महोदया/ महोदय,

बैंकों में अदावी जमाराशियाँ / निष्क्रिय खाते – निष्क्रिय खातों की सूची प्रकाशित करना

कृपया उक्त विषय पर हमारा 1 सितंबर 2008 का परिपत्र सं.शबैं‍वि‍.बीपीडी(पीसीबी).परि.सं.9/13.01.000/2008-09 और 18 फरवरी 2009 का परिपत्र आरपीसीडी.सीओ.आरएफ.बीसी.सं.89/07.38.01/2008-09 देखें जिसमें बैंकों को अदावी जमाराशियों/ निष्क्रिय खातों पर की जानेवाली कार्रवाई के संबंध में विस्तृत अनुदेश जारी किए गए हैं। उनसे ग्राहकों तथा उनके कानूनी वारिसों का पता लगाने के लिए कहा गया था। इन अनुदेशों में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित बातें शामिल हैं: i) जिन खातों में कोई परिचालन नहीं है ऐसे खातों (निष्क्रिय खाते) की वार्षिक समीक्षा ii) ऐसे खातों में परिचालन की अनुमति समुचित सावधानी बरतने के बाद ही दी जाए तथा iii) निष्क्रिय खाते को सक्रिय बनाने के लिए कोई प्रभार नहीं लगाया जाए, आदि.

2. जनहित को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि उपर्युक्त परिपत्र में निहित अनुदेशों के अतिरिक्त बैंकों को अदावी जमाराशियों/ निष्क्रिय खातों के खाताधारकों का पता लगाने के लिए अधिक सक्रिय (प्रो-एक्टिव) भूमिका निभानी चाहिए। अतः उन्हें सूचित किया जाता है कि वे अपनी वेबसाइटों पर उन अदावी जमाराशियों/ निष्क्रिय खातों की सूची प्रदर्शित करें जो दस वर्ष अथवा उससे अधिक अवधि से निष्क्रिय हैं। जिन बैंकों के पास वेबसाईट उपलब्ध नहीं है उनको संबंधित शाखा में यह सूची उपलब्ध कराना है। वेबसाइटों पर इस प्रकार प्रदर्शित/ शाखा में प्रदर्शित की गयी सूची में अदावी जमाराशियों/ निष्क्रिय खातों से संबंधित खाता धारक (धारकों) के केवल नाम तथा पते होने चाहिए। यदि ऐसे खाते व्यक्तियों के नाम में नहीं हैं तो खातों को परिचालित करने के लिए प्राधिकृत व्यक्तियों के नाम भी दर्शाए जाने चाहिए। तथापि बैंक की वेबसाइट पर खाता संख्या, खाते का प्रकार तथा शाखा का नाम (यूनिट बैंकों के मामलों में लागू नहीं) प्रकट नहीं किया जाएगा। बैंक द्वारा वेबसाइट पर प्रकाशित की गयी सूची में एक "फाइंड (Find)" विकल्प प्रदान किया जाना चाहिए ताकि आम जनता खाता धारक के नाम से खातों की सूची खोज सके।

3. राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंकों/ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को 8 फरवरी 2012 का परिपत्र आरपीसीडी.सीओ.आरएफ.बीसी.सं.58/03.05.033/2011-12 के माध्यम से अपनी वेबसाइटों पर उन अदावी जमाराशियों/ निष्क्रिय खातों की सूची प्रदर्शित करने के लिए सूचित किया गया है जो दस वर्ष अथवा उससे अधिक अवधि से निष्क्रिय हैं। बैंकों को यह भी सूचित किया गया है कि उपर्युक्त के अनुसार कार्रवाई 30 जून 2012 तक पूरी कर लेनी चाहिए और नियमित अंतरालों पर अपनी वेबसाइट को अद्यतन करते रहना चाहिए।

4. बैंक जमाकर्ता शिक्षा और जागरुकता निधि योजना, 2014 (योजना) विषय पर जारी 27 मई 2014 का परिपत्र बैंपविवि.सं.डीईएएफ कक्ष.बीसी.114/30.01.002/2013-14 देखें। योजना के पैरा 3(vi) के अनुसार बैंकों से अपेक्षित है कि वे प्रभावी तारीख के पिछले दिन, की स्थिति के अनुसार सभी खातों में उपचित ब्याज सहित संचयी शेष की गणना करेंगे तथा ऐसी देय राशियों को अगले महीने के अंतिम तारीख को बैंकिंग घंटों की समाप्ति से पहले जमाकर्ता शिक्षा और जागरुकता निधि (निधि) में अंतरण किया जाना चाहिए। उसके बाद, जैसाकि योजना के पैरा 3(vii) में उल्लिखित है, बैंकों को चाहिए कि प्रत्येक कैलेंडर माह में देय होने वाली राशियां (अर्थात् दस वर्ष या उससे अधिक अवधि के लिए अपरिचालित खातों की राशियां और अदावी शेष राशियां) तथा उस पर उपचित ब्याज अगले महीने के अंतिम कार्यदिवस पर निधि में अंतरित करें, जैसा कि योजना में विनिर्दिष्ट किया गया है।

5. बैंकों को उसी वेबसाइट पर/ शाखा में प्रदर्शित जगह अदावी जमाराशियों के लिए दावा करने/निष्क्रिय खाते को सक्रिय करने की प्रक्रिया तथा उसके लिए दावा करने के लिए आवश्यक फार्म तथा दस्तावेज से संबंधित जानकारी भी देनी चाहिए। बैंकों के पास दावेदारों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त परिचालनगत सुरक्षा उपाय होने चाहिए।

6. दस वर्ष या उससे अधिक अवधि के लिए अपरिचालित खातों की राशियां और अदावी शेष राशियों के संदर्भ में सूची को निम्नानुसार मासिक आधार पर अद्यतन किया जाना है:

  1. महीने/ अवधि के दौरान जमाकर्ता शिक्षा और जागरुकता निधि में जिन खाता धारकों का जमा अंतरित किया गया है उनका नाम एवं पते को जोड़ना

  2. महीने/ अवधि के दौरान जिन खाताधारकों के दावों को बैंक ने स्वीकार किया है उनका नाम और पते को हटाना। इस प्रकार नाम को हटाने के लिए निधि से धनवापसी तक रुकने की जरूरत नहीं है।

7. सभी शहरी सहकारी बैंक और जो एसटीसीबी/ सीसीबी अभी तक कार्रवाई पूरी नहीं की है उन्हें 30 जून 2015 तक पूरा करने के लिए सूचित किया जाता है।

भवदीया,

(सुमा वर्मा)
प्रधान मुख्‍य महाप्रबंधक


2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
पुरालेख
Server 214
शीर्ष