आरबीआई/2014-2015/592
बैंविवि.सं.बीसी.93/29.67.001/2014-15
14 मई 2015
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक /
प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंक
महोदय / महोदया
समीक्षा का कैलेण्डर
कृपया 22 अप्रैल 2008 का हमारा परिपत्र बैंपविवि.सं.बीपी.बीसी.71/21.03.038/2007-08 देखें, जिसमें बैंकों को बोर्ड / प्रबंधन समिति के समक्ष समीक्षा का कैलेण्डर प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था।
2. रिजर्व बैंक द्वारा एक समग्र "समीक्षा कैलेण्डर” का निर्धारण किया गया है जिसे बैंकों के बोर्ड के समक्ष विचार-विमर्श हेतु प्रस्तुत किया जाता है और इसमें साल दर साल महत्वपूर्ण बातें जोड़ी गई हैं। यह पाया गया है कि समीक्षा कैलेण्डर में बोर्ड का बहुत सारा समय खप जाता है और इसके परिणामस्वरूप बोर्ड रणनीतिक और वित्तीय महत्व के मामलों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है। इस संबंध में, भारत में बैंकों के बोर्डों के गवर्नेंस की समीक्षा करने के लिए गठित समिति (अध्यक्ष: डॉ. पी. जे. नायक) ने भी यह सिफारिश की है कि बैंकों के बोर्डों में होनेवाले विचार-विमर्श के स्तर में सुधार लाए जाने की आवश्यकता है और रणनीतिक मुद्दों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
3. तदनुसार, पहले द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2015-16 में समीक्षा कैलेण्डर को समाप्त करने और उसके बदले नायक समिति द्वारा निर्धारित किए गए सात महत्वपूर्ण विषयों, नामत: कारोबार रणनीति, वित्तीय रिपोर्टें एवं उनकी सत्यनिष्ठा, जोखिम, अनुपालन, उपभोक्ता संरक्षण, वित्तीय समावेशन और मानव संसाधन (अनुबंध में दी गई व्याख्या के अनुसार) को शामिल करने तथा विचार-विमर्श के मुद्दों की अन्य सूची एवं उनकी आवधिकता को निर्धारित करने का उत्तरदायित्व बैंकों के बोर्डों को सौपने का प्रस्ताव किया गया है ।
4. बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे अपने बोर्ड के अनुमोदन से बोर्ड की बैठकों में विचार-विमर्श के मुद्दों की सूची और उनकी आवधिकता का निर्धारण इस प्रकार करें कि उपर्युक्त सात विषयों सहित रणनीतिक महत्व और वित्तीय महत्व के मुद्दों पर पर्याप्त ध्यान दिया जा सके ।
5. इस परिपत्र के अनुदेश 22 अप्रैल 2008 के हमारे परिपत्र बैंपविवि.सं.बीपी.बीसी.71/21.03.038/2007-08 मे दिए गए अनुदेशों का स्थान ले लेंगे।
भवदीया
(सुधा दामोदर)
मुख्य महाप्रबंधक
संलग्नक : यथोक्त
अनुबंध
बोर्ड में विचार-विमर्श के लिए महत्वपूर्ण विषय
श्रेणी |
ब्यौरे |
कारोबारी रणनीति |
नये उत्पाद विकसित करना; प्रत्येक कारोबार की प्रतिस्पर्धात्मकता ; लक्ष्यों के संबंध में कारोबारी समीक्षा। |
जोखिम |
ऋण, परिचालन, बाजार, चलनिधि जोखिमों से संबंधित नीतियां, जोखिम कार्यप्रणाली के स्वयंपूर्ण होने का मूल्यांकन । |
वित्तीय रिपोर्टें और उनकी वस्तुनिष्ठता |
वार्षिक और तिमाही वित्तीय परिणामों की व्यापक समीक्षा; एनपीए प्रबंधन तथा रिपोर्ट किया गया एनपीए तथा प्रावधानीकरण की वस्तुनिष्ठता । |
अनुपालन |
विनियामकीय अपेक्षाएँ; रिजर्व बैंक तथा सेबी के मानदंडों का पालन; रिजर्व बैंक के वार्षिक वित्तीय निरीक्षण और लाँग फार्म लेखा परीक्षा रिपोर्ट के प्रेक्षण; पिछली बैठक में लिए गए निर्णयों और सहायक कंपनियों के बीच हुए प्रमुख निर्णयों की समीक्षा; की गई कार्रवाई रिपोर्ट की समीक्षा; बोर्ड की समितियों में नियुक्तियां। |
उपभोक्ता संरक्षण |
दुर्विक्रय, विशेष रूप से तीसरे पक्ष के उत्पादों का; विभिन्न ग्राहक वर्गों के लिए उत्पादों की औचित्यता का निर्धारण; उपभोक्ता शिकायतों में वृद्धि की व्यापक प्रवृत्तियोँ और उनके संकेद्रण को समझना तथा उनका समाधान। |
वित्तीय समावेशन |
प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार की समीक्षा; सुविधाहीनों को भुगतान; कमजोर वर्गों से जमाराशियां जुटाई जाना; सूक्ष्म वित्तीय संस्थाओं को सहायता; तथा अन्य मुद्दे। |
मानव संसाधन |
निदेशकों की नियुक्ति तथा अनुमोदन; कर्मचारियों को भत्ते तथा अनुलाभ, कर्मचारियों के लिए प्रोत्साहन योजनाएं; कर्मचारियों के लिए पदोन्नति नीति; कर्मचारियों का प्रशिक्षण तथा कौशल विकास। |
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