भारिबैंक/2014-15/603
ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 102
21 मई 2015
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक
महोदया/महोदय,
रुपया आहरण व्यवस्था – व्यापार से संबन्धित विप्रेषण सीमा में बढ़ोत्तरी
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – I बैंकों का ध्यान अनिवासी विनिमय गृहों के रुपया/विदेशी मुद्रा वोस्ट्रो (Vostro) खाते खोलने और उन्हें बनाए रखने से संबन्धित अनुदेशों के ज्ञापन संबंधी, समय-समय पर यथासंशोधित, 6 फरवरी 2008 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 28 [ए.पी.(एफ़एल/आरएल सीरीज़) परिपत्र सं 02] के संलग्नक – I के भाग (बी) और 13 मार्च 2014 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 111 की ओर आकृष्ट किया जाता है ।
2. रुपया आहरण व्यवस्था के अंतर्गत अनुमत लेनदेनों की समीक्षा करने पर, यह निर्णय लिया गया है कि व्यापार से संबन्धित लेनदेनों की मौजूदा रू. 5,00,000 (पाँच लाख रुपये मात्र) प्रति लेनदेन की सीमा को तत्काल प्रभाव से बढ़ाकर रू. 15,00,000 (पंद्रह लाख रुपये मात्र) प्रति लेनदेन कर दिया जाए।
3. इसके अलावा यह भी निर्णय लिया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को रुपया आहरण व्यवस्था के अंतर्गत विनिर्दिष्ट सीमा से अधिक के भुगतानों को नियमित करने की अनुमति प्रदान करने की मंजूरी दी जाए बशर्ते वे लेनदेन की सदाशयता से संतुष्ट हों। इसके अतिरिक्त वे निम्नलिखित अतिरिक्त उपाय भी अवश्य करें:
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प्राधिकृत व्यापारी बैंक यह अवश्य सुनिश्चित करें कि रुपया आहरण व्यवस्था के अंतर्गत प्राप्त विप्रेषण एफ़एटीएफ़ अनुपालक देशों से ही हों,
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प्राधिकृत व्यापरी बैंक केवाईसी/एएमएल/सीएफ़टी एवं अन्य समुचित सावधानी संबंधी अपेक्षाओं का ध्यान रखें,
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एकल विनिमय गृह जो बार-बार बड़े मूल्य के व्यापारिक विप्रेषण प्रेषित करते हैं उनकी समीक्षा की जाए एवं उन्हें रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट किया जाए,
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प्राधिकृत व्यापारी बैंक विनिमय गृहों के खाते रखने वाले, अथवा उनकी ओर से लेनदेन की सुविधाओं का प्रबंध करने वाले तदनुरूपी बैंक (correspondents) से अवश्य संपर्क रखें ताकि उच्च मूल्य वाले व्यापारिक लेनदेनों और उनमें संलग्न पार्टियों से संबन्धित अतिरिक्त सूचना प्राप्त करने के लिए अनुरोध कर सकें। इस संबंध में एकत्रित ब्योरे रेकॉर्ड में रखे जाएँ और जांच के लिए उपलब्ध कराएं जाएं,
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प्राधिकृत व्यापारी बैंक यह अवश्य सुनिश्चित करें कि निर्यातक द्वारा जिस बैंक से निर्यात वित्त प्राप्त किया गया हो, उस निर्यातगत बकाया, यदि कोई हो, की अदायगी के लिए रुपया आहरण व्यवस्था के जरिए प्राप्त संबंधित निर्यात भुगतान की आगम राशि का इस्तेमाल किया जाए और तत्संबंधी घोषणापत्र निर्यातक से प्राप्त किया जाए।
4. समय समय पर संशोधित 6 फरवरी 2008 के ए. पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.28 [ए.पी. (एफ़एल/आरएल सीरीज़) परिपत्र सं. 02] में निहित सभी अन्य अनुदेश अपरिवर्तित बने रहेंगे।
5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी – I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबन्धित घटकों को अवगत कराएं ।
6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं।
भवदीय,
(बी. पी. कानूनगो)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक |