भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई - 400 001
अधिसूचना सं.फेमा. 5 (आर)/2016-आरबी
01 अप्रैल 2016
(14 अगस्त 2024 तक संशोधित)
(13 नवंबर 2019 तक संशोधित)
(16 जुलाई 2019 तक संशोधित)
(09 नवंबर 2018 तक संशोधित)
विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2016
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उप-धारा (3) के खंड (एफ), धारा 47 की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा समय-समय पर यथासंशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.5/2000-आरबी को अधिक्रमित करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक भारत में निवासी किसी व्यक्ति और भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति के बीच जमाराशियों के रखने के संबंध में निम्नलिखित विनियम निर्मित करता है, अर्थात :-
1. संक्षिप्त नाम एवं प्रारंभ:-
i) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2016 कहलाएंगे।
ii) वे सरकारी राजपत्र में उनके प्रकाशन की तारीख से लागू होंगे।
2. परिभाषाएँ:-
इन विनियमों में, जब तक कि प्रसंग से अन्यथा अपेक्षित न हो, -
i) "अधिनियम" का तात्पर्य विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) से है;
ii) "प्राधिकृत बैंक" का तात्पर्य सहकारी बैंक सहित ऐसे बैंक (प्राधिकृत व्यापारी से भिन्न) से है, जिसे भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति के खाते बनाए रखने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत किया गया है;
iii) "प्राधिकृत व्यापारी" का तात्पर्य उक्त अधिनियम की धारा 10 की उप-धारा (1) के अंतर्गत प्राधिकृत व्यापारी के रूप में प्राधिकृत किये गए व्यक्ति से है;
iv) "जमाराशि" में किसी बैंक, कंपनी, स्वामित्ववाली संस्था, भागीदारी फ़र्म, निगमित निकाय, न्यास अथवा किसी अन्य व्यक्ति के पास जमा धन शामिल है;
v) "एफ़सीएनआर (बी) खाता" का तात्पर्य विनियम 5 के उप-विनियम (1) के खंड (ii) में संदर्भित विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) खाते से है;
vi) "अनिवासी भारतीय (NRI)" का तात्पर्य भारत से बाहर के निवासी उस व्यक्ति से है जो भारत का नागरिक है;
vii) "एनआरई खाता" का तात्पर्य विनियम 5 के उप-विनियम (1) के खंड (i) में संदर्भित अनिवासी बाह्य खाते से है;
viii) "एनआरओ खाता" का तात्पर्य विनियम 5 के उप-विनियम (1) के खंड (iii) में संदर्भित अनिवासी सामान्य खाते से है;
ix) "अनुमत करेंसी" का तात्पर्य मुक्त रूप में परिवर्तनीय विदेशी मुद्रा (करेंसी) से है ;
x) "भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) का तात्पर्य भारत से बाहर के निवासी उस व्यक्ति से है जो बांग्लादेश अथवा पाकिस्तान से भिन्न किसी देश अथवा केंद्र सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट किसी अन्य देश का नागरिक है जो निम्नलिखित शर्तें पूरी करता है:
-
जो भारत के संविधान अथवा नागरिकता अधिनियम,1955 (1955 का 57) के तहत भारत का नागरिक था; अथवा
-
वह उस भूभाग से सम्बद्ध था, जो 15 अगस्त 1947 के बाद भारत का हिस्सा बना; अथवा
-
जो भारत के नागरिक अथवा खंड (ए) अथवा (बी) में संदर्भित व्यक्ति की संतान अथवा पौत्र-पौत्री/नाती-नातिन अथवा परपौत्र-परपौत्री/परनाती/परनातिन है; अथवा
-
जो भारत के नागरिक का/की विदेशी मूल का पति/की पत्नी अथवा खंड (ए) अथवा (बी) अथवा (सी) में संदर्भित व्यक्ति का/की विदेशी मूल का पति/की पत्नी है;
स्पष्टीकरण: इस विनियम के प्रयोजन के लिए, "अनिवासी भारतीय (NRI)" अभिव्यक्ति में नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7(ए) के अर्थों में ‘भारत के ओवरसीज़ नागरिक (OCI)’ का कार्ड-होल्डर शामिल है"।
xi) "अनुसूची" का तात्पर्य इस विनियमावली की अनुसूची से है;
xii) "एसएनआरआर खाता" का तात्पर्य विनियम 5 के उप-विनियम (4) में संदर्भित विशेष अनिवासी रुपया खाते से है;
xiii) इन विनियमों में प्रयुक्त किंतु परिभाषित न किए गए शब्दों और अभिव्यक्तियों के क्रमश: वही अर्थ होंगे जो अधिनियम में निर्धारित किए गए हैं।
3. भारत में निवसी किसी व्यक्ति और भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति के बीच जमाराशियां रखने पर प्रतिबंध :-
अधिनियम अथवा अधिनियम के अंतर्गत निर्मित अथवा जारी विनियमों अथवा नियमों, निदेशों और आदेशों में अन्यथा उपबंधित को छोडकर, भारत में निवासी कोई व्यक्ति भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति से न तो कोई जमाराशि स्वीकार करेगा और न ही उसके पास कोई जमाराशि रखेगा।
बशर्ते, भारतीय रिज़र्व बैंक को आवेदन किए जाने पर और उसके इस बात से संतुष्ट होने पर कि ऐसा करना आवश्यक है, वह भारत में निवासी किसी व्यक्ति को भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति से जमाराशियां स्वीकार करने अथवा जमाराशियाँ देने की अनुमति प्रदान कर सकता है।
4. छूट :-
इन विनियमों में निहित कोई भी प्रावधान निम्नलिखित पर लागू नहीं होगाः
1) विदेशी राजनयिक मिशनों अथवा राजनयिकों(राजनयिक कार्मिकों) और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास रुपया खातों में धारित जमाराशियाँ।
2) राजनयिक मिशनों तथा राजनयिकों(राजनयिक कार्मिकों) द्वारा विशेष रुपया खातों अर्थात डिप्लोमेटिक बांड स्टोर्स एकाउंट में धारित जमाराशियाँ, जो बांड में स्टोर्स के आयात के लिए सीमाशुल्क प्राधिकारियों द्वारा विशेष सुविधाओं के रूप में उन्हें इसलिए मंजूर की गई हैं कि वे फर्मों और कंपनियों से बांडेड स्टॉक निम्नलिखित शर्तों के अंतर्गत खरीद सकें:
-
खाते में जमा बैकिंग चैनल से भारत के बाहर से प्राप्त विप्रेषणों के रूप में अथवा इस विनियम के खंड 3 के अनुसार किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास खाताधारक द्वारा भारत में रखे गये विदेशी मुद्रा खाते से अंतरण के रूप में हों;
-
खाताधारक को जारी किये गये प्रत्येक चेक पर "डिप्लोमेटिक बांड स्टोर्स एकाउंट नंबर" लिखा (superscribe) हो;
-
स्थानीय संवितरणों, अथवा बांड में स्टोर्स के आयात के लिए सीमाशुल्क प्राधिकारियों द्वारा विशेष सुविधाएं प्राप्त फर्मों और कंपनियों से बांडेड स्टॉक की खरीद के लिए भुगतानों हेतु खाते से नामे किए जाएंगे;
-
खाते में रखी निधियों का भारत से बाहर प्रत्यावर्तन रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के बिना किया जा सकता है।
3) राजनयिक मिशनों, राजनयिकों (राजनयिक कार्मिकों) तथा गैर-राजनयिक स्टाफ, जो संबन्धित बाहरी देशों के राष्ट्रिक हैं और भारत में विदेशी दूतावासों के सरकारी पासपोर्ट धारक हैं, द्वारा विदेशी मुद्रा में रखे गये खातों में धारित जमाराशियां निम्नलिखित शर्तों के अधीन होंगीः
ए) खाते में जमा केवल निम्नवत होगी :-
-
भारत के बाहर से बैकिंग चैनल से प्राप्त विप्रेषणों के रूप में;
- भारत में राजनयिक मिशन द्वारा वीज़ा शुल्क के रूप में वसूल की गई और रुपया खाते में जमा की गई राशियों से निधियों का अंतरण;
बी) ऐसे खाते में धारित निधियों को यदि रुपये में परिवर्तित किया जाता है तो उन्हें पुनः विदेशी मुद्रा में परिवर्तित नहीं किया जायेगा;
सी) चालू अथवा मीयादी जमा खाते के रूप में खाते रखे जा सकते हैं और राजनयिकों (राजनयिक कार्मिकों) के मामले एवं गैर-राजनयिक स्टाफ के मामले में इन्हें बचत खाते के रूप में भी रखा जा सकता है;
डी) बचत अथवा मीयादी जमाराशियों पर ब्याज दर उस प्राधिकृत व्यापारी द्वारा निर्धारित किये अनुसार होगी जिसके पास खाता खोला गया हो;
ई) खाते में से भारत के बाहर निधियों का प्रत्यावर्तन रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के बिना किया जा सकता है।
4) नेपाल और भूटान में निवासी व्यक्तियों द्वारा किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास रुपये में रखे खातों में धारित जमाराशियां;
5) भारत जिसका सदस्य देश है ऐसे बहुपक्षीय संगठन और उसके सहायक संगठन / सम्बद्ध निकाय और ऐसे बहुपक्षीय संगठन के भारत स्थित अधिकारियों द्वारा किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास रखे खाते में धारित जमाराशियां।
5. भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति से प्राधिकृत व्यापारी / प्राधिकृत बैंक द्वारा जमाराशियां स्वीकार करना :-
1) भारत में कोई प्राधिकृत व्यापारी निम्नानुसार जमाराशियां स्वीकार कर सकता है:
-
अनुसूची-1 में यथाविनिर्दिष्ट अनिवासी (बाह्य) खाता (एनआरई खाता) योजना के अंतर्गत अनिवासी भारतीय से;
-
अनुसूची-2 में यथाविनिर्दिष्ट विदेशी मुद्रा अनिवासी खाता (बैंक) योजना (एफसीएनआर(बी)खाता) के अंतर्गत अनिवासी भारतीय से;
-
अनुसूची-3 में यथाविनिर्दिष्ट अनिवासी (साधारण) खाता योजना (एनआरओ खाता) के अंतर्गत, भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति से;
2) उप-विनियम (1) पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, उप-विनियम के खंड (i) और (iii) में संदर्भित एनआरई तथा एनआरओ खाता योजना के अंतर्गत संबंधित अनुसूचियों में अंकित उपबंधों के अनुसार किसी प्राधिकृत बैंक द्वारा, इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन, भी जमाराशियां स्वीकार की जा सकती हैं।
3) उप-विनियम (1) पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, उक्त उप विनियम के खंड (ii) में संदर्भित विदेशी मुद्रा अनिवासी खाता (बैंक) योजना के अंतर्गत अनुसूची में अंतर्विष्ट उपबंधों के अनुसार किसी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक द्वारा, इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन, भी जमाराशियां स्वीकार की जा सकती हैं।
4) भारत में व्यावसायिक हित रखने वाला भारत से बाहर का निवासी कोई व्यक्ति भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास, अनुसूची-4 में यथाविनिर्दिष्ट, विशेष अनिवासी रुपया खाता (एसएनआरआर खाता) खोल सकता है, धारण कर सकता है और रख सकता है।
5) अनुसूची 5 में यथाविनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन निवासी अथवा अनिवासी अर्जक भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास एस्करों खाता खोल सकता है, धारण कर सकता है और बनाए रख सकता है।
6. प्राधिकृत व्यापारी / प्राधिकृत बैंक से भिन्न व्यक्ति द्वारा जमाराशियाँ स्वीकार करना :-
1) कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत पंजीकृत कोई कंपनी अथवा संसद अथवा राज्य विधान मण्डल के किसी अधिनियम के अंतर्गत निर्मित कोई कंपनी निकाय किसी अनिवासी भारतीय से प्रत्यावर्तनीय आधार पर जमाराशियाँ स्वीकार नहीं करेगी / नहीं करेगा। हालांकि, ऐसी कंपनी अनुसूची-6 में उल्लिखित शर्तों के अंतर्गत किसी अनिवासी भारतीय से प्रत्यावर्तनीय आधार पर स्वीकार की गई जमाराशियों को नवीकृत कर सकती है।
2) भारत में कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत पंजीकृत कंपनी अथवा कंपनी निकाय, स्वामित्व प्रतिष्ठान अथवा फ़र्म किसी अनिवासी भारतीय से अप्रत्यावर्तनीय आधार पर अनुसूची-7 में उल्लिखित शर्तों के अंतर्गत जमाराशियाँ स्वीकार कर सकती है।
3) 1
7. प्राधिकृत व्यापारी द्वारा अन्य राशियाँ जमा करना अथवा धारण करना :-
1) किसी प्राधिकृत व्यापारी द्वारा भारत से बाहर अपनी शाखा, प्रधान कार्यालय अथवा प्रतिनिधि बैंक के पास रखी गई जमा, और किसी प्राधिकृत व्यापारी की भारत से बाहर की शाखा अथवा प्रतिनिधि बैंक द्वारा रखी गई जमा, और जो भारत में रखी जा रही उसकी बहियों में दर्ज है, वह, समय-समय पर, इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निर्देशों द्वारा विनियमित होगी।
2) भारत से बाहर निगमित जहाजरानी अथवा एयरलाइन कंपनी भारत में अपने स्थानीय व्ययों को पूरा करने के लिए किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास अपना विदेशी मुद्रा खाता खोल सकती है, धारण कर सकती है और रख सकती है।
बशर्ते केवल भारत में उसके द्वारा माल-भाड़े अथवा यात्री किराए के रूप में वसूल की गई राशियों अथवा भारत के बाहर से बैंकिंग चैनल से आवक विप्रेषणों से प्राप्त राशियां ऐसे खाते में जमा की जाएंगी।
3) भारत में कोई प्राधिकृत व्यापारी रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निर्देशों के तहत किसी विदेशी कंपनी / एंटिटी को भारत में संविदा के कार्यान्वयन के लिए भारत में किसी एंटिटी के साथ अनिगमित संयुक्त उद्यम (UJV) को अपने सामान्य व्यावसायिक लेनदेनों को करने के लिए अनुसूची 4 में विनिर्दिष्ट ब्याज रहित विदेशी मुद्रा खाता और विशेष अनिवासी रुपया खाता खोलने की अनुमति दे सकता है। ऐसे खाते से किए गए नामे और उसमें की गई जमा अनिगमित संयुक्त उद्यम की कारोबारी अपेक्षाओं के अनुरूप होंगी।
बशर्ते कि खाते की अवधि संविदा की अवधि / अनिगमित संयुक्त उद्यम की परिचालन अवधि के समान होगी।
बशर्ते यह कि ऐसे खाते से किए गए सभी परिचालन उक्त अधिनियम अथवा उसके अंतर्गत निर्मित नियमों अथवा विनियमों अथवा जारी निदेशों के अनुरूप होंगे।
नोट: पाकिस्तान / बांग्लादेश के स्वामित्व / की राष्ट्रीयता वाली कंपनियों/एंटीटीज़ द्वारा खाते खोलने के लिए रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन लेना अपेक्षित होगा।
4) प्राधिकृत व्यापारी, रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति से, भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा भारत में निवासी किसी व्यक्ति के साथ स्वैच्छिक व्यवस्था के तहत भारत में आयातित माल के मूल्य के बदले भारत से निर्यातित माल के मूल्य के समायोजन हेतु भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति के नाम में विदेशी मुद्रा में अभिव्यक्त खाता खोल सकता है।
5) 2भारत में स्थित कोई प्राधिकृत व्यापारी, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक तथा विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक, जिनमें से दोनों भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) में संगत सेबी विनियमों के तहत पंजीकृत हों, को समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2017 के अनुसार निवेश करने के प्रयोजन से ब्याज-रहित विदेशी मुद्रा खाता खोलने और रखने की अनुमति दे सकता है।
6) 3भारत में स्थित प्राधिकृत व्यापारी भारत के बाहर निवासी व्यक्ति को यह अनुमति दे सकता है कि वह अपने द्वारा की गयी किसी अनुमति-प्राप्त डेरिवेटिव संविदा जो 23 अक्टूबर 2020 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (डेरिवेटिव संविदाओं हेतु मार्जिन) विनियमावली, 2020, समय-समय पर यथासंशोधित, के अनुसार हो, के लिए भारत में मार्जिन राशि भेजने और उसे प्राप्त करने के उद्देश्य से भारतीय रुपये में और/ या विदेशी मुद्रा में ब्याज-अर्जक खाता खोल सके, धारण कर सके और बनाए रख सके बशर्ते वह इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों का पालन करता हो।
8. नामांकन
प्राधिकृत व्यापारी व्यक्तिगत खाताधारकों द्वारा इन विनियमों के अनुसार रखी गई जमाओं /रखे गए खातों में नामांकन की सुविधा उपलब्ध करा सकते हैं।
(डॉ. आदित्य गेहा)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
|