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अधिसूचनाएं

विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों का विप्रेषण) विनियमावली, 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई - 400 001

अधिसूचना सं. फेमा 13(आर)/2016-आरबी

01 अप्रैल 2016

विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों का विप्रेषण) विनियमावली, 2016

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 47 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा समय-समय पर यथासंशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.13/2000-आरबी को अधिक्रमित करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक किसी व्यक्ति द्वारा, भले ही वह व्यक्ति भारत में निवास करता हो अथवा निवास न करता हो, भारत में अपनी परिसंपत्तियों का भारत से बाहर विप्रेषण करने के बाबत निम्नलिखित विनियम निर्मित करता है, अर्थात :

1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ

  1. ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों का विप्रेषण) विनियमावली, 2016 कहलाएंगे।

  2. वे सरकारी राजपत्र में उनके प्रकाशन की तारीख से लागू होंगे ।

2. परिभाषाएँ

इन विनियमों में, जब तक कि प्रसंग से अन्यथा अपेक्षित न हो, -

i) "अधिनियम" का तात्पर्य विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) से है;

ii) "प्राधिकृत व्यापारी" का तात्पर्य उक्त अधिनियम की धारा 10 की उप-धारा (1) के अंतर्गत प्राधिकृत व्यापारी के रूप में प्राधिकृत किये गए व्यक्ति से है;

iii) "अनिवासी भारतीय (NRI)" का तात्पर्य विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2016 में उसके लिए यथा निर्धारित अर्थ से है;

iv) "भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO)” का तात्पर्य वही होगा जो विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2016 में उसके लिए निर्धारित है;

v) 'परिसंपत्तियों के विप्रेषण’ का तात्पर्य भारत से बाहर ऐसी निधियों के विप्रेषण से है जो किसी बैंक अथवा किसी फर्म अथवा किसी कंपनी में जमा धनराशि, भविष्य निधि शेष अथवा अधिवर्षिता लाभ, दावे अथवा बीमा पॉलिसी की परिपक्वता राशि, शेयरों, प्रतिभूतियों, अचल सम्पत्ति की बिक्रीगत राशि अथवा अधिनियम के उपबंधों अथवा उसके अंतर्गत निर्मित नियमों अथवा विनियमों के अनुसार भारत में धारित अन्य परिसंपत्तियों को दर्शाता हो;

vi) इन विनियमों में प्रयुक्त किंतु परिभाषित न किये गये शब्दों और अभिव्यक्तियों के क्रमशः वही तात्पर्य होंगे जो अधिनियम में निर्दिष्ट हैं।

3. भारत में धारित परिसंपत्तियों का भारत से बाहर विप्रेषण करने पर प्रतिबंध :-

जब तक अधिनियम अथवा उसके अंतर्गत निर्मित अथवा जारी नियमों या विनियमों में अन्यथा उपबंधित न हो, कोई भी व्यक्ति, भले ही वह भारत में निवासी हो अथवा न हो, वह स्वयं अथवा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा भारत में धारित परिसंपत्ति का विप्रेषण नहीं करेगाः

बशर्ते, यह कि पर्याप्त कारण होने पर रिज़र्व बैंक किसी व्यक्ति को उसके द्वारा भारत में धारित किसी परिसंपत्ति का विप्रेषण करने के लिए स्वयं उसे अथवा किसी अन्य व्यक्ति को अनुमति प्रदान कर सकता है ।

4. कतिपय मामलों में परिसंपत्तियों के विप्रेषण की अनुमति

(1) किसी अन्य देश का कोई नागरिक, जो "भारतीय मूल का व्यक्ति (PIO)” अथवा नेपाल अथवा भूटान का नागरिक न हो, जो –

(i) भारत में किसी नौकरी से सेवा-निवृत्त हुआ हो, अथवा

(ii) अधिनियम की धारा 6 की उप-धारा (5) में उल्लिखित किसी व्यक्ति से उसने परिसंपत्तियों को उत्तराधिकार में पाया हो; अथवा

(iii) भारत से बाहर की/का निवासी कोई विधवा/विधुर है और जिसने अपने मृतक पति/पत्नी, जो भारत का/की निवासी भारतीय नागरिक था/थी, की परिसंपत्तियां उत्तराधिकार में पायी हों, परिसंपत्तियों के अधिग्रहण, उत्तराधिकार अथवा वसीयत के रूप में प्राप्त करने के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करके प्रति वित्तीय वर्ष 10,00,000 अमरीकी डालर (एक मिलियन अमरीकी डालर मात्र) तक की राशि का विप्रेषण किसी प्राधिकृत व्यापारी के जरिए कर सकता है। बशर्ते कि ऐसे विप्रेषण की वार्षिक उच्चतम सीमा के आकलन के लिए उक्त अधिनियम के अंतर्गत निर्मित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में अचल सम्पत्ति का अधिग्रहण और अंतरण) विनियमावली, 2016 और विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 के अनुसार किसी अन्य देश के नागरिक द्वारा प्रत्यावर्तन के आधार पर स्वाधिकृत अथवा धारित शेयरों और अचल सम्पत्ति की बिक्रीगत आगम राशि दर्शाने वाली निधियां इसमें सम्मिलित नहीं की जाएंगी।

बशर्ते यह भी कि जब कभी एक से अधिक किस्तों में रकम विप्रेषित की जाए तो सभी किस्तों के विप्रेषण एक ही प्राधिकृत व्यापारी के जरिए किए जाने चाहिए।

(iv) कोई व्यक्ति जो भारत में पढ़ाई/प्रशिक्षण के लिए आया हो और अपनी पढ़ाई/अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया हो, वह अपने खाते में मौजूद शेष-राशि का विप्रेषण कर सकता है, बशर्ते इस प्रकार की शेष-राशि विदेश से सामान्य बैंकिंग चैनल के जरिए आए विप्रेषणों से प्राप्त निधियों अथवा ऐसे व्यक्ति द्वारा लायी गयी और प्राधिकृत व्यापारी को बेची गई विदेशी मुद्रा से रुपये में मिली राशि अथवा भारत में सरकार अथवा किसी संगठन से प्राप्त स्टाइपेंड/छात्रवृत्ति की शेष-राशि को दर्शाती हो।

(2) कोई अनिवासी भारतीय (NRI) अथवा भारतीय मूल का व्यक्ति (PIO) प्रति वित्तीय वर्ष 10,00,000 अमरीकी डालर (एक मिलियन अमरीकी डालर मात्र) तक की राशि का विप्रेषण किसी प्राधिकृत व्यापारी के जरिए कर सकता है,

(i) विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2016 के अनुसार खोले गए अनिवासी (साधारण) खाते (NRO Account) में जमाशेष से / विप्रेषक द्वारा परिसंपत्तियों के अधिग्रहण, उत्तराधिकार अथवा विरासत के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करने पर उत्तराधिकार /विरासत में अधिग्रहित परिसंपत्तियों/परिसंपत्तियों की बिक्रीगत आगम राशि से;

(ii) माता-पिता में से कोई अथवा किसी रिश्तेदार (कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(77) में यथा परिभाषित रिश्तेदार) द्वारा निष्पादित निपटान विलेख के अंतर्गत और विलेखकर्ता (सेटलर) की मृत्यु के बाद निपटान होने पर विलेख-धारक द्वारा मूल निपटान विलेख के प्रस्तुत करने पर;

बशर्ते कि जहां खंड (i) और (ii) के अंतर्गत विप्रेषण एक से अधिक किस्तों में किया जाता है, वहां विप्रेषण की सभी किस्तें उसी (एक ही) प्राधिकृत व्यापारी के जरिए विप्रेषित की जाएंगी।

बशर्ते यह भी कि जहां विप्रेषण एनआरओ (NRO) खाते में जमाशेष से किया जाता है/जाना है, वहां खाताधारक प्राधिकृत व्यापारी को इस आशय का वचनपत्र प्रस्तुत करेगा कि "विप्रेषक के खाते में जमाशेष से विप्रेषण किया जाना है जिसमें जमाशेष भारत में उसे वैध रूप में प्राप्त हुई राशि है और जो किसी अन्य व्यक्ति से उधार नहीं लिया गया है अथवा किसी अन्य एनआरओ खाते से अंतरित नहीं किया गया है तथा यदि ऐसा पाया जाएगा तो खाताधारक फेमा के अंतर्गत स्वयं को दण्ड का भागी बनाएगा।"

(3) कंपनी अधिनियम, 2013 के उपबंधों के तहत समापनाधीन भारतीय कंपनियों की परिसंपत्तियों के विप्रेषण की अनुमति भी भारत में प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा निम्नलिखित शर्तों के अंतर्गत प्रदान की जा सकती है:

(i) प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसा विप्रेषण भारत में किसी न्यायालय द्वारा जारी आदेश/सरकारी समापक अथवा स्वैच्छिक समापन के मामले में ऐसे समापक द्वारा जारी आदेश के अनुपालन में हो; एवं

(ii) तब तक विप्रेषण की अनुमति नहीं दी जाएगी जब तक कि विप्रेषक निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करता है :-

  1. भारत में सभी देयताएं या तो पूरी तरह चुका दी गई हैं अथवा उनके लिए पर्याप्त प्रावधान किया गया है, इसे पुष्ट करने वाला लेखापरीक्षक का प्रमाणपत्र।

  2. समापन कंपनी अधिनियम, 2013 के उपबंधों के अनुसार किया गया है, इस आशय का लेखापरीक्षक का प्रमाणपत्र।

  3. यदि समापन न्यायालय से भिन्न रूप में हो रहा हो तो लेखापरीक्षक का इस आशय का प्रमाणपत्र कि आवेदक अथवा समापनाधीन कंपनी के विरुद्ध भारत के किसी भी न्यायालय में कोई भी विधिक कार्रवाई लंबित नहीं है तथा विप्रेषण की अनुमति देने में कोई अड़चन नहीं है।

5. किसी भारतीय संस्था (एंटिटी) को कतिपय मामलों में निधियों के विप्रेषण की अनुमति :-

(1) भारत में कोई संस्था (एंटिटी) अपने यहाँ नौकरी में रखे गए प्रवासी स्टाफ, जो भारत के निवासी है, परंतु स्थायी रूप से भारत में निवास नहीं करते, की भविष्य निधि /अधिवर्षिता /पेंशन निधि में अपने अंशदान की राशि का विप्रेषण कर सकती है।

स्पष्टीकरण

इस विनियम के प्रयोजनार्थ,

(ए) 'प्रवासी स्टाफ’ का तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है जिसकी भविष्य निधि/ अधिवर्षिता/ पेंशन निधि भारत से बाहर के उसके मूल नियोक्ता द्वारा भारत से बाहर रखी (maintain की) जाती है।

(बी) 'स्थायी रूप से भारत में निवास नहीं करते’ का तात्पर्य भारत में किसी विशिष्ट अवधि (उसकी अवधि कितनी भी क्यों न हो) अथवा विशिष्ट जॉब / असाइनमेंट, जिसकी अवधि तीन वर्ष से अधिक न हो, में नियोजन के लिए भारत में निवासी व्यक्ति से है।

6. शाखा कार्यालय/संपर्क कार्यालय (प्रोजेक्ट कार्यालय को छोड़कर) के बंद होने पर परिसंपत्तियों अथवा समापन पर आगम राशि के विप्रेषण के लिए अनुमति

(1) भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा भारत में स्थापित किसी शाखा अथवा कार्यालय के बंद होने पर परिसंपत्तियों अथवा समापन पर आगम राशि के विप्रेषण के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों के साथ संबंधित प्राधिकृत व्यापारी को आवेदन करना होगा, अर्थात

(ए) भारत में शाखा अथवा कार्यालय स्थापित करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा दी गई अनुमति, जहां कहीं लागू हो, की प्रतिलिपि;

(बी) लेखापरीक्षक का प्रमाणपत्र :

  1. विप्रेषणीय राशि किस तरीके से आकलित हुई इस बात का उल्लेख हो और उसके साथ आवेदक की परिसंपत्तियों एवं देयताओं के समर्थन में विवरण संलग्न हो तथा परिसंपत्तियों के निपटान के तरीके का उल्लेख हो;

  2. इस बात की पुष्टि की गई हो कि शाखा /कार्यालय द्वारा कर्मचारियों, आदि की उपदान एवं अन्य लाभों की बकाया राशि सहित भारत में सभी देयताएं या तो पूर्णतः पूरी की गई हैं अथवा उनके लिए पर्याप्त प्रावधान किया गया है;

  3. इस बात की पुष्टि की गई हो कि भारत से बाहर के संसाधनों पर उपचित कोई आय (निर्यात की आगम राशि सहित) ऐसी नहीं है जो भारत में प्रत्यावर्तन हेतु शेष है;

  4. इस बात की पुष्टि की गई हो कि भारत में ऐसे कार्यालय की कार्यप्रणाली के संबंध में समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट सभी विनियामक अपेक्षाओं का शाखा / कार्यालय ने अनुपालन किया है।

(सी) आवेदक से इस आशय की पुष्टि कि भारत में किसी भी न्यायालय में कोई विधिक कार्रवाई लंबित नहीं है और विप्रेषण करने में कोई अड़चन नहीं है; और

(डी) भारत में कार्यालय के बंद होने के मामले में भारत में कंपनी रजिस्ट्रार से एक रिपोर्ट कि कंपनी अधिनियम, 2013 के उपबंधों का अनुपालन किया गया है।

(2) उप-विनियम (1) के अंतर्गत प्रस्तुत आवेदनपत्र पर विचार करके, संबंधित प्राधिकृत व्यापारी इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निर्देशों के तहत विप्रेषण की अनुमति प्रदान कर सकता है।

7. कतिपय मामलों में रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति लेना :-

(1) ऐसा कोई व्यक्ति जो निम्नलिखित मामलों में परिसंपत्तियों का विप्रेषण करने का इच्छुक हो, रिज़र्व बैंक को आवेदन कर सकता है, अर्थात

(i) प्रति वित्तीय वर्ष 10,00,000 अमरीकी डालर (एक मिलियन अमरीकी डालर मात्र) से अधिक के विप्रेषण हेतु-

  1. भारत से बाहर का निवासी जो किसी अन्य देश का नागरिक है, उसे विरासत, वसीयत अथवा उत्तराधिकार के कारण; और

  2. अनिवासी भारतीय अथवा भारतीय मूल का व्यक्ति (PIO) उसके अनिवासी साधारण खाते (NRO Account) में धारित शेष राशियों से / परिसंपत्तियों / उत्तराधिकार / विरासत के तौर पर अधिग्रहीत परिसंपत्तियों की बिक्री से।

(ii) भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति को इस आधार पर विप्रेषण करना कि यदि भारत से विप्रेषण न किया गया तो ऐसे व्यक्ति को बहुत कठिनाइयां झेलनी पड़ेंगी ;

(2) उप-विनियम (1) के अंतर्गत किए गए आवदेनपत्र पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक आवश्यक समझी गई शर्तों के साथ विप्रेषण करने की अनुमति प्रदान कर सकता है।

8. करों का भुगतान

इन विनियमों के अंतर्गत विप्रेषण वाला कोई भी लेनदेन भारत में लागू कर संबंधी कानूनों के अधीन होगा।

(शेखर भटनागर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


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