भारिबैं/2016-17/37
विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.10/04.09.01/2016-17
11 अगस्त 2016
अध्यक्ष/ प्रबंध निदेशक/
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
[सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)]
महोदय/ महोदया,
फैक्टरिंग लेनदेन के लिए प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार की स्थिति
कृपया प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) पर दिनांक 7 जुलाई 2016 के मास्टर निदेश विसविवि. केंका.प्लान.1/04.09.01/2016-17 तथा व्यापार प्राप्य डिस्काउंट प्रणाली (टीआरईडीएस) स्थापित एवं परिचालित करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिनांक 3 दिसंबर 2014 के दिशानिर्देश देखें।
2. एमएसएमई क्षेत्र के लिए चलनिधि सहायता बढ़ाने की दृष्टि से यह निर्णय किया गया है कि ‘दायित्व सहित’ आधार पर होने वाले फैक्टरिंग लेनदेन, जिनसे विभागीय रूप से फैक्टरिंग कारोबार हो रहा है, बैंकों द्वारा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे। टीआरईडीएस (TReDS) प्लेटफोर्म के परिचालित हो जाने पर इस मंच के माध्यम से किए जाने वाले फैक्टरिंग लेनदेन भी प्राथमिकता प्राप्त -क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे।
3. बैंक जहां कहीं भी फैक्टरिंग लेनदेन में ‘समनुदेशक’ (असाईनर) माइक्रो, लघु अथवा मध्यम उद्यम हो वहां संयंत्र और मशीनरी/ उपकरण में निवेश के लिए तदनुरूपी सीमाओं तथा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के वर्गीकरण के लिए लागू अन्य वर्तमान दिशानिर्देशों के अधीन एमएसएमई श्रेणी के अंतर्गत रिपोर्टिंग तारीख को अपने बकाया फैक्टरिंग पोर्टफोलियो का वर्गीकरण पीएसएल पर दिनांक 07 जुलाई 2016 के मास्टर निदेश के अध्याय (III) के पैरा 7 के अनुसार कर सकते हैं।
4. इस संबंध में, यह भी दोहराया जाता है कि बैंकों द्वारा फैक्टरिंग सेवाओं का प्रावधान – समीक्षा पर बैंकिंग विनियमन विभाग के दिनांक 30 जुलाई 2015 परिपत्र डीबीआर.सं.एफएसडी. बीसी.32/24.01.007/2015-16 के पैरा 9 के अनुसार, अन्य बातों के साथ-साथ, उधारकर्ता का बैंक दोहरे वित्तपोषण/ गणना से बचने के लिए उधारकर्ता से आवधिक आधार पर फैक्टरिंग की गई प्राप्तियों के बारे में प्रमाणपत्र भी प्राप्त करता रहे। साथ ही, दोहरे वित्तपोषण से बचने का दायित्व लेते हुए ‘फैक्टरों’ द्वारा उधारकर्ता को स्वीकृत सीमाओं और फैक्टर ऋण के ब्योरे संबंधित बैंकों को सूचित करना सुनिश्चित किया जाए।
भवदीय,
(ए. उद्गाता)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक |