भा.रि.बैं/2015-16/422
बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.103/21.04.132/2015-16
13 जून, 2016
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर),
अखिल भारतीय मीयादी ऋणदात्री तथा पुनर्वित्त संस्थाएं
(एक्जिम बैंक, नाबार्ड, एनएचबी तथा सिडबी)
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां
प्रतिभूतीकरण कंपनियां/ पुनर्निर्माण कंपनियां
दबावग्रस्त आस्तियों की संवहनीय संरचना के लिए योजना
दबावग्रस्त आस्तियों से निपटने के लिए ऋणदाताओं को अधिक समर्थ बनाने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक समय-समय पर विनियमित उधारदाताओं द्वारा दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान पर दिशानिर्देश और विवेकपूर्ण मानदंड जारी करता रहा है।
2. गंभीर वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहे बड़े उधार खातों के समाधान के लिए, अन्य बातों के साथ-साथ, समन्वित गहन वित्तीय पुनर्रचना की आवश्यकता होती है, जिसमें प्रायः ऋण का काफी अवेलखन और/ या बड़े प्रावधान करना शामिल है। बैंकों ने कार्यनीतिक ऋण पुनर्रचना (एसडीआर) प्रणाली के मामले का उदाहरण देते हुए, जो बैंकों को ऋण संपरिवर्तन से प्राप्त होने वाली उनकी इक्विटी धारिता पर अवशिष्ट ऋण के लिए निर्धारित प्रावधान बनाने और बाजार आधारित (एमटीएम) प्रावधानों के लिए 18 महीने देता है, ऋण अवलेखन और बड़े खातों के समाधान के मामले में अपेक्षित प्रावधान करने के लिए और अधिक समय की अनुमति देने हेतु अभ्यावेदन किया है।
3. यह सुनिश्चित करने के लिए कि परियोजनाओं को निरंतर पुनरूत्थान का अवसर देने के लिए पर्याप्त गहन वित्तीय पुनर्रचना की जाती है, रिज़र्व बैंक ने बैंकों के साथ उचित परामर्श के पश्चात ऐसे बड़े लेखों के समाधान की सुविधा देने का निर्णय लिया है, जो निम्नलिखित पैराग्राफों में दी गई शर्तों को पूरा करते हों।
4. पात्र खाते
उक्त योजना के अधीन पात्रता के लिए, खाते1 को निम्नलिखित सभी शर्तों को पूरा करना चाहिए :
(i) परियोजना ने वाणिज्यिक परिचालन शुरू कर दिया है;
(ii) खाते में सभी संस्थागत ऋणदाताओं का समग्र एक्सपोजर (उपचित ब्याज सहित) 500 करोड़ रुपये से अधिक है (रुपया ऋण, विदेशी मुद्रा ऋण/बाह्य वाणिज्यिक उधार सहित);
(iii) ऋण नीचे पैरा 5 में दी गई रूपरेखा के अनुसार संवहनीयता की कसौटी को पूरा करता हो।
5. ऋण संवहनीयता
किसी ऋण स्तर को तब संवहनीय माना जाएगा जब संयुक्त ऋणदाता फोरम (जेएलएफ)/ ऋणदाताओं के संघ/ बैंक स्वतंत्र तकनीकी-आर्थिक अर्थक्षमता (टीईवी) के माध्यम से यह निष्कर्ष निकालते हैं कि संस्थागत ऋणदाताओं को बकाया मौजूदा निधिक/ गैर-निधिक देयताओं में उस मूलधन कीमत के ऋण को उसी परिपक्वता अवधि में चुकाया जा सकता है जिसमें विद्यमान सुविधाओं को चुकाया जाता है, भले ही भावी नकद प्रवाह अपने वर्तमान स्तर पर ही रहे। इस योजना को लागू करने के लिए संवहनीय ऋण मौजूदा निधिक देयताओं के 50 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए। इसे नीचे पैरा 6.2 में भाग क के रूप में दर्शाया गया है।
6. संवहनीय ऋण
6.1 समाधान योजना में उधारकर्ता इकाई के समाधानोत्तर स्वामित्व के संबंध में निम्न में से किसी एक विकल्प को शामिल किया जाए:
(क) मौजूदा प्रवर्तक अधिकांश शेयरों अथवा नियंत्रण रखने के लिए अपेक्षित शेयरों को धारण करता रहे;
(ख) मौजूदा प्रवर्तक का स्थान नए प्रवर्तक ने निम्न में से किसी एक तरीके से ले लिया हो:
i. एसडीआर प्रणाली के अधीन इक्विटी में ऋण के किसी भाग के परिवर्तन के माध्यम से, जिसे बाद में किसी नए प्रवर्तक को बेच दिया जाता है;
ii. उधारकर्ता इकाइयों के स्वामित्व में परिवर्तन पर विवेकपूर्ण मानदंड के अनुसार अपेक्षित तरीके से (एसडीआर योजना के बाहर);
(ग) उधारदाताओं ने एसडीआर अथवा अन्य के अधीन ऋण के इक्विटी में परिवर्तन के माध्यम से संस्था में अधिकांश शेयरधारिता प्राप्त कर ली हो और
i. मौजूदा प्रबंधन को जारी रहने की अनुमति दे अथवा
ii. किसी परिचालन और प्रबंधन संविदा के अधीन प्रबंधन को किसी अन्य एजेन्सी/ व्यवसायी को सौप दें।
टिप्पणी: जहां न्यायिक लेखापरीक्षा द्वारा अथवा अन्य प्रकार से प्रवर्तक की ओर से अपराध स्थापित हो चुका है, यदि प्रवर्तक में परिवर्तन नहीं किया जाता अथवा प्रबंधन दोषी प्रवर्तक के हाथों में है, तो यह योजना लागू नहीं होगी।
6.2 ऊपर उल्लिखित किस भी परिस्थितियों में, संयुक्त ऋणदाता फोरम (जेएलएफ)/ संघ/ बैंक, स्वतंत्र तकनीकी-आर्थिक अर्थक्षमता (टीईवी) के बाद, निम्नानुसार भाग क और भाग ख में उधारकर्ता के वर्तमान बकाया राशियों का विभाजन करेंगे;
(क) ऋण के स्तर का निर्धारण करें (अगले छह महीने के भीतर मंजूर किए जाने के लिए अपेक्षित नये निधीयन और अगले 6 महीने के भीतर क्रिस्टलीकृत होने वाली गैर-निधिक ऋण सुविधाओं सहित) जिसकी सभी स्रोतों से मौजूदा ऋण के संबंधित अवशिष्ट परिपक्वताओं के भीतर चुकौती (ब्याज और मूलधन दोनों) की जा सकती हो, जो परिचालन के वर्तमान तथा तुरंत संभाव्य स्तर (छह महीने से अधिक न हो) से उपलब्ध नकद प्रवाह पर अधारित हो। इस प्रयोजन से, नवीनतम लेखा-परीक्षित/ समीक्षाकृत वित्तीय विवरण के अनुसार ऋण चुकौती के लिए उपलब्ध स्वतंत्र नकद प्रवाह (अर्थात, प्रतिबद्ध पूंजीगत व्यय से परिचालनों के नकदी प्रवाह को घटा कर) पर विचार किया जाएगा। जहां एक से अधिक ऋण सुविधा हो, वहां प्रत्येक सुविधा की परिपक्वता प्रोफाइल वह होगी जो इस समाधान योजना को अंतिम रूप देने की तारीख को मौजूद हो। चुकाए जा सकने वाले ऋण के स्तर के निर्धारण के लिए, मूल्यांकित स्वतंत्र नकदी प्रवाह का आवंटन प्रत्येक मौजूदा ऋण सुविधा की चुकौती के लिए उसी क्रम में किया जाएगा जिस क्रम में इसकी चुकौती देय होती हो। इस प्रकार से निर्धारित ऋण के स्तर को इन दिशानिर्देशों में भाग क के रूप में संदर्भित किया जाएगा।
(ख) सभी स्रोतों से वर्तमान समग्र बकाया ऋण और भाग क के बीच भिन्नता को इन दिशानिर्देशों में भाग ख के रूप में संदर्भित किया जाएगा।
(ग) तथापि, ऋणदाताओं की प्रतिभूति स्थिति को कमजोर नहीं किया जाएगा और ऋण का भाग क के भाग में प्रतिभूति आवरण की कम-से-कम वही राशि बनी रहेगी जो इस समाधान से पूर्व उपलब्ध थी।
7. समाधान योजना
7.1 समाधान योजना की निम्नलिखित विशेषताएं होंगी:
(क) भाग क की चुकौती के लिए ब्याज अथवा मूलधन चुकौती पर कोई नया अधिस्थगन नहीं दिया जाएगा।
(ख) इस समाधान से पहले के चुकौती कार्यक्रम तथा ब्याज दर की तुलना में भाग क के ब्याज या मूलधन की चुकौती के लिए कोई नया ऋण-स्थगन प्रदान नहीं किया जाएगा, चुकौती कार्यक्रम में कोई समयावधि नहीं बढ़ाई जाएगी, अथवा ब्याज दर में कोई कटौती नहीं की जाएगी।
(ग) भाग ख को इक्विटी में/ प्रतिदेय संचयी वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय अधिमानी शेयरों में परिवर्तित किया जाएगा। तथापि, ऐसे मामलों में जहां समाधान योजना में प्रवर्तक को बदलना शामिल नहीं है, वहां बैंक अपने विवेकानुसार भाग ख के किसी भाग को वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय डिबेंचर में भी बदल सकते हैं। ऐसे सभी लिखत संदर्भ की सुगमता के लिए इस परिपत्र में भाग ख लिखतों के रूप में संदर्भित किए जाते रहेंगे।
7.2 मूल्यांकन और मार्क टु मार्केट
इस योजना के प्रयोजन से, भाग ख लिखत के लिए उचित मूल्य निम्नलिखित विधियों के अनुसार हासिल किया जाएगा:
• इक्विटी – बैंक की निवेश-सूची में इक्विटी शेयर अधिमानतः दैनिक आधार पर, लेकिन कम-से-कम साप्ताहिक आधार पर बाजार दर आधारित होने चाहिए। ऐसे इक्विटी शेयर जिनके लिए वर्तमान कोटेशन उपलब्ध नहीं हैं अथवा जहां शेयरों को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध नहीं किया जाता है, वहां निम्नलिखित मूल्यांकन विधियों का प्रयोग करते हुए हासिल किए गए निम्नतम मूल्य पर उनका मूल्य निर्धारित किया जाए:
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विश्लेषित मूल्य ('पुनर्मूल्यन आरक्षित निधियां', यदि कोई हों, पर विचार किए बिना), जिसका निर्धारण कंपनी के नवीनतम लेखा-परीक्षित तुलन-पत्र से किया जाना है (जो मूल्यांकन तिथि से एक वर्ष से अधिक पहले का नहीं होना चाहिए)। यदि नवीनतम लेखा-परीक्षित तुलन-पत्र उपलब्ध नहीं है, तो शेयर का मूल्य 1 रुपये प्रति कंपनी निर्धारित किया जाए। स्वतंत्र टीईवी से विश्लेषित मूल्य के निर्धारण में सहायता मिलेगी।
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बट्टागत नकद प्रवाह विधि, जहां बट्टा कारक उधारकर्ता को प्रभारित वास्तविक ब्याज दर तथा 3 प्रतिशत होगा, जो 14 प्रतिशत की आधार सीमा के अधीन होगा। इसके अतिरिक्त, परियोजना के उपयोगी आर्थिक जीवनकाल के 85 प्रतिशत के भीतर होने वाला नकद प्रवाह (परिचालन के वर्तमान और तुरंत संभावित (छह महीने से अधिक नहीं) स्तर से उपलब्ध नकद प्रवाह) मान्य होगा।
• प्रतिदेय संचयी वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय अधिमान शेयर/वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय डिबेंचर – मूल्यन बट्टागत नकद प्रवाह (डीसीएफ) के आधार पर होना चाहिए। उक्त का मूल्यन विभिन्न सुविधाओं के लिए उधारकर्ता को प्रभारित भारित औसत वास्तविक ब्याज दर से 1.5 प्रतिशत न्यूनतम मूल्य वृद्धि के बट्टा दर पर होगा। जहां अधिमान लाभांश बकाया हों, वहां उपचित लाभांश के लिए कोई ऋण नहीं लिया जाना चाहिए और डीसीएफ के आधार पर उपर्युक्त के अनुसार निर्धारित मूल्य को आगे एक वर्ष के लिए बकाये की स्थिति में कम-से-कम 15 प्रतिशत तक, दो वर्षों के लिए बकाये की स्थिति में 25 प्रतिशत तक, और इसी प्रकार आगे तक (अर्थात्, 10 प्रतिशत वृद्धि सहित) भुनाया जाए।
7.3 जहां समाधान योजना में प्रवर्तक में परिवर्तन शामिल न हो अथवा जहां विद्यमान प्रवर्तक को ऋणदाताओं द्वारा अल्पांश स्वामी के रूप में परिचालन और कंपनी के प्रबंधन की अनुमति हो, प्रवर्तकों द्वारा आनुपातिक हानि साझा करने के सिद्धांत का पालन किया जाए। इसलिए, ऐसे मामलों में, ऋणदाताओं की यह अपेक्षा होगी कि विद्यमान प्रवर्तक ऋण को इक्विटी में संपरिवर्तित करके/ प्रवर्तक की इक्विटी के कुछ भाग को ऋणदाता को बिक्री के माध्यम से अपनी शेयरधारिता को कम-से-कम ऋणदाताओं के कुल बकाये में भाग ख के अनुपात में कम करें। संयुक्त ऋणदाता फोरम (जेएलएफ)/ संघ/ बैंक कम-से-कम भाग क की राशि के लिए ऐसे सभी मामलों में प्रवर्तकों की वैयक्तिक गारंटी भी प्राप्त करें।
7.4 उधार लेने वाली संस्था के कायापलट की दशा में ऋणदाताओं के लिए अच्छा पहलू प्राथमिक तौर पर इक्विटी/अर्ध- इक्विटी के माध्यम से होगा। अधिमान शेयरों/डिबेंचरों के इक्विटी में परिवर्तन के विकल्प के उपयोग की शर्तों का स्पष्ट उल्लेख किया जाएगा। यदि ऋणदाता किसी पूर्वनिर्धारित मूल्य से अधिक मूल्य पर शेयर बेचने का निर्णय लेता है, तो विद्यमान प्रवर्तक अथवा नया प्रवर्तक, जैसा भी मामला हो, को पहले इन्कार का अधिकार प्राप्त होना चाहिए। ऋणदाता उचित प्रसंविदा भी शामिल कर सकते हैं ताकि भाग ख में धारित अर्ध- इक्विटी से संबंधित प्रायोजित स्तर से ऊपर के नकद प्रवाह के उपयोग को शामिल किया जा सके।
7.5 इस योजना के अन्य महत्वपूर्ण सिद्धान्त निम्नानुसार हैं:
क. संयुक्त ऋणदाता फोरम (जेएलएफ)/ संघ/ बैंक टीईवी करने के लिए विश्वसनीय पेशेवर एजेन्सियों की सेवाएं प्राप्त करेंगे और समाधान योजना तैयार करेंगे। पेशेवर एजेन्सियों को नियुक्त करते समय, जेएलएफ/ संघ/ बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि एजेन्सी प्रतिष्ठित, सही मायने में स्वतंत्र/ किसी हित संघर्ष से मुक्त हो, उसके पास प्रमाणित विशेषज्ञता हो और आस्तियों की आर्थिक कीमत बनाए रखते हुए ऋणदाताओं के हित की रक्षा करने की स्थिति में हो। साथ ही, जोखिम प्रबंधन के दृष्टिकोण से, ऋणदाताओं को किसी एक विशिष्ट पेशेवर एजेन्सी में इस प्रकार के कार्यों के संकेन्द्रण से बचना चाहिए।
ख. जेएलएफ/ संघ/ बैंक में समाधान योजना पर मूल्य के संबंध में न्यूनतम 75 प्रतिशत ऋणदाताओं की तथा संख्या के संबंध में 50 प्रतिशत ऋणदाताओं की सहमति होगी।
ग. अलग-अलग बैंक के स्तर पर, भाग क और भाग ख में विभाजन समग्र स्तर पर भाग क से भाग ख के अनुपात में होगा।
8. निगरानी समिति
क. भारतीय बैंक संघ (आईबीए) द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक के परामर्श से एक निगरानी समिति (ओसी) का गठन किया जाएगा, जिसमें प्रतिष्ठित व्यक्ति होंगे। निगरानी समिति के सदस्यों को भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना नहीं बदला जा सकता है।
ख. समाधान योजना जेएलएफ/ संघ/ बैंक द्वारा निगरानी समिति को प्रस्तुत की जाएगी।
ग. निगरानी समिति इन दिशानिर्देशों के प्रावधानों के औचित्य और अनुपालन के लिए समाधान योजना, इत्यादि को तैयार करने में शामिल प्रक्रिया की समीक्षा करेगी, और इस पर विचार करेगी।
घ. निगरानी समिति एक सलाहकार निकाय होगी।
9. आस्ति वर्गीकरण और प्रावधान करना
(अ) जहां प्रवर्तक में बदलाव किया गया हो–
यदि प्रवर्तक में बदलाव किया गया जाता है, अर्थात् कोई नया प्रवर्तक आता है तो आस्ति वर्गीकरण और प्रावधान करना से संबंधी अपेक्षा ‘एसडीआर’ योजना अथवा ‘एसडीआर से बाहर’ योजना, जैसा भी लागू हो, के अनुसार होगी।
(ब) जहां प्रवर्तक में कोई बदलाव न किया गया हो–
i. इन दिशानिर्देशों के अंतर्गत खाते का समाधान करने के लिए ऋणदाताओं के निर्णय की तिथि (संदर्भ तिथि) को आस्ति वर्गीकरण इस तिथि से 90 दिनों की अवधि के लिए जारी रहेगा। स्टैंड-स्टिल उप-नियम की अनुमति दी जाएगी ताकि जेएलएफ/ संघ/ बैंक समाधान योजना बना सके और उक्त 90 दिन की अवधि के भीतर उसे लागू कर सके। यदि समाधान इस अवधि के भीतर कार्यान्वित नहीं होता है, तो यह मानते हुए कि ऐसा कोई ‘स्टैंड-स्टिल उप-नियम’ नहीं है, आस्ति वर्गीकरण मौजूदा आस्ति वर्गीकरण मानदंडों के अनुसार होगा।
ii. संदर्भ तिथि को ‘मानक’ खाते के संबंध में, सम्पूर्ण बकाया (भाग क और भाग ख दोनों) मानक रहेगा जो भाग ख में धारित राशि से कम-से-कम 40 प्रतिशत अधिक होने पर अथवा समग्र बकाये (भाग क और भाग ख को जोड़) का 20 प्रतिशत होने पर ऋणदाता द्वारा अग्रिम तौर पर किए गए प्रावधानों के अधीन होगा। इस प्रयोजन से, खाते में पहले से धारित प्रावधान मान्य हो सकते हैं।
iii. इस समाधान की तिथि को अनर्जक आस्ति के रूप में वर्गीकृत खाते के संबंध में, सम्पूर्ण बकाया (भाग क और भाग ख दोनों) मौजूदा आईआरएसी मानदंडों के अनुसार अनर्जक आस्ति के रूप में वर्गीकृत किया जाना और प्रावधान किया जाना जारी रहेगा।
iv. भाग क के ऋणों के संतोषजनक निष्पादन के एक वर्ष बाद ऋणदाता भाग क और भाग ख का मानक श्रेणी में उन्नयन करें। खाते में किसी पहले से मौजूद ऋण-स्थगन के मामले में, इस अवधि के दौरान भाग क ऋण के संतोषजनक निष्पादन के अधीन, सबसे बड़े ऋण-स्थगन के पूर्ण होने के एक वर्ष बाद उन्नयन की अनुमति होगी। तथापि, ऋणदाता वहां बताए गए मानदंडों के अनुसार भाग ख के लिखतों को बाजार दर आधारित करना जारी रखेंगे।
v. उपर्युक्त पैरा (ii) और (iii) के अनुसार निर्धारित न्यूनतम अपेक्षाओं के अतिरिक्त, उक्त पैरा 7.2 में किए गए उल्लेख के अनुसार भाग ख लिखतों के बही मूल्य और उनके उचित मूल्य के बीच अंतर के कारण कोई प्रावधान करने संबंधी आवश्यकता को उस तिमाही से आरम्भ करते हुए चार तिमाहियों के भीतर पूरा किया जाएगा जिसमें समाधान योजना को वास्तव में ऋणदाता की बहियों में कार्यान्वित किया गया है, इस प्रकार कि धारित एमटीएम प्रावधान पहली तिमाही में अपेक्षित प्रावधान का 25 प्रतिशत से कम न हो, दूसरी तिमाही 50 प्रतिशत से कम न हो और इसी प्रकार आगे भी हो। इस प्रयोजन से, खाते में पहले से धारित प्रावधान मान्य हो सकते हैं।
vi. यदि इस समाधान से पहले के किसी खाते के संबंध में बैंकों द्वारा धारित प्रावधान उपर्युक्त लागू उप-पैरा में निर्धारित संचयी प्रावधानीकरण संबंधी अपेक्षाओं से अधिक हैं तो अतिरिक्त राशि को समाधान योजना के कार्यान्वयन की तिथि से एक वर्ष के बाद ही प्रत्यावर्तित किया जा सकता है (अर्थात् जब यह ऋणदाता की बहियों में दर्शाया जाता है, इसमें इसके बाद पुनर्रचना की तिथि के रूप में संदर्भित), जो इस अवधि के दौरान संतोषजनक निष्पादन के अधीन होगा।
vii. समाधान योजना और नियंत्रण संबंधी अधिकार इस प्रकार से संरचित किए जाएं कि प्रवर्तक ऋणदाताओं के पूर्वानुमोदन के बिना और भाग ख में हानि में हुई वृद्धि, यदि कोई हो, को ऋणदाताओं से साझा किए बिना कंपनी/फर्म को बेचने की स्थिति में न हों।
viii. यदि बाद में भाग क एनपीए श्रेणी में फिसल जाता है तो संदर्भ तिथि को प्राप्त किए गए वर्गीकरण के संदर्भ में श्रेणी में गिरावट के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा और आवश्यक प्रावधान तुरंत किए जाने चाहिए।
ix. जहां कोई बैंक/एनबीएफसी/एआईएफआई एक तिमाही से अधिक अवधि के लिए निर्धारित प्रावधान/अवलेखन करने को चुनता है और इसकी परिणति किसी वित्त वर्ष की समाप्ति पर किए जाने के लिए शेष सम्पूर्ण प्रावधानीकरण/अवलेखन में होती है, तो बैंक/एनबीएफसी/ एआईएफआई वित्त वर्ष के अंत तक प्रावधान किए जाने के लिए शेष/अवलिखित न की गई राशि को विशेष प्रावधान में क्रेडिट करते हुए 'अन्य आरक्षित निधियों' [अर्थात्, बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 17(2) के अनुसार सृजित निधि के अलावा अन्य निधियां] में नामे डालें। तथापि, बैंक/एनबीएफसी/एआईएफआई 'अन्य आरक्षित निधियों' में नामे डाली गई राशि को आनुपातिक तौर पर प्रत्यावर्तित करें और उसके बाद अगले वित्त वर्ष की तिमाहियों में लाभ और हानि खाते में नामे डालते हुए प्रावधानीकरण/अवलेखन को पूर्ण करें। बैंक इस योजना के अंतर्गत वर्ष के दौरान किए गए प्रावधान की मात्रा और वर्ष के अंत तक 'अन्य आरक्षित निधियों' में नामे डाले गए अपरिशोधित प्रावधानों की मात्रा के संबंध में लेखे पर टिप्पणियों में उचित प्रकटन करेंगे।
10. शुल्क और प्रभार
आईबीए ऋणदाताओं से उधारकर्ता संस्था के संघ/ जेएलएफ़/ संघ /बैंक पर बकाया ऋण का एक निर्धारित प्रतिशत शुल्क के रूप में लेगा और एक समूह निधि बनाएगा। इस निधि का उपयोग समिति के खर्चों को पूरा करने के लिए किया जाएगा।
11. अनिवार्य कार्यान्वयन
यदि एक बार ऋणदाताओं द्वारा तैयार/प्रस्तुत समाधान योजना को ओसी द्वारा मंजूरी दी जाती है तो यह सभी ऋणदाताओं के लिए बाध्यकारी होगा। तथापि, संयुक्त ऋणदाता फोरम और सुधारात्मक कार्रवाई योजना पर मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार उनके पास बाहर निकलने का विकल्प होगा।
भवदीय,
(सुदर्शन सेन)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक
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