भारिबैंक/2015-16/211
मास्टर निदेश सं.बैंविवि.आईबीडी.सं.45/23.67.003/2015-16
22 अक्तूबर 2015
(28 अक्तूबर 2021 को अद्यतन किया)
(05 अप्रैल 2021 को अद्यतन किया)
(16 अगस्त 2019 को अद्यतन किया)
(9 जनवरी 2019 को अद्यतन किया)
(7 जून 2018 को अद्यतन किया)
(31 मार्च 2016 को अद्यतन किया)
(21 जनवरी 2016 को अद्यतन किया)
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना, 2015
बैंककारी विनियमन अधिनियम,1949 की धारा 35क के अधीन भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा "स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (जीएमएस)" के संबंध में दिनांक 15 सितंबर 2015 को कार्यालय ज्ञापन एफ.सं.20/6/2015-एफटी के द्वारा जारी केंद्र सरकार की अधिसूचना के अनुसरण में भारतीय रिज़र्व बैंक इससे आश्वस्त होने पर कि यह लोक हित में है, एतद् द्वारा सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़ कर) यह निदेश जारी करता है।
अध्याय – I
प्रारंभिक
1.1 उद्देश्य
जीएमएस, जो विद्यमान 'स्वर्ण जमा योजना (जीडीएस)' तथा 'स्वर्ण धातु ऋण योजना' (जीएमएल) को संशोधित करता है, का उद्देश्य देश की पारिवारिक इकाइयों तथा संस्थाओं द्वारा धारित स्वर्ण को गतिमान बनाना तथा उसके उत्पादक प्रयोजनों के लिए प्रयोग को सुगम बनाना है तथा दीर्घावधि में देश की स्वर्ण के आयात पर निर्भरता को कम करना है।
1.2 संक्षिप्त नाम और प्रारंभ
-
इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (स्वर्ण मुद्रीकरण योजना) निदेश, 2015 कहा जाएगा।
-
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़ कर सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक इस योजना को लागू करने के लिए पात्र होंगे।
-
जो बैंक इस योजना में भाग लेना चाहते हैं, उन्हें अपने बोर्ड के अनुमोदन से इसके कार्यान्वयन के लिए एक व्यापक नीति बनानी होगी।
1.3 परिभाषाएं
इस निदेश में, जब तक कि संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो, निम्नलिखित शब्दों का अर्थ वही होगा, जो उन्हें नीचे प्रदान किया गया है:
-
संग्रह और शुद्धता जांच केंद्र (सीपीटीसी) – जीएमएस के अंतर्गत जमाकृत और मोचित स्वर्ण के प्रबंधन के प्रयोजन से भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के द्वारा प्रमाणित तथा केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित संग्रह और परख केंद्र।
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प्राधिकृत बैंक – सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़ कर), जो योजना को लागू करने का निर्णय लेते हैं।
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जीएमएस मोबिलाइजेशन, कलेक्शन एंड टेस्टिंग एजेंट (जीएमसीटीए) - ज्वैलर्स / रिफाइनर जिन्हें बीआईएस द्वारा सीपीटीसी के रूप में प्रमाणित किया गया है और जो आईबीए द्वारा निर्धारित अतिरिक्त पात्रता शर्तों को पूरा करते हैं उन्हें प्राधिकृत बैंकों द्वारा जीएमसीटीए के रूप में मान्यता दी जाएगी।1
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मध्यम और दीर्घावधि सरकारी जमा (एमएलटीजीडी) – प्राधिकृत बैंक में केंद्र सरकार के खाते में 5-7 वर्ष की मध्यम अवधि अथवा 12-15 वर्ष की दीर्घावधि, अथवा केंद्र सरकार द्वारा समय- समय पर निर्धारित की जाने वाली इस प्रकार की अवधि के लिए जीएमएस के अंतर्गत जमा किया गया स्वर्ण।
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नामित बैंक – भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मौजूदा विदेश व्यापार नीति के अंतर्गत स्वर्ण के आयात के लिए प्राधिकृत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक।
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शोधशालाएं / परिशोधनकार (रिफाइनर्स) – परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशालाओं (एनएबीएल) के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड द्वारा प्रमाणित तथा केंद्र सरकार द्वारा जीएमएस के अंतर्गत जमाकृत और मोचित स्वर्ण के प्रबंधन के प्रयोजन से अधिसूचित शोधशालाएं।
-
योजना – स्वर्ण मुद्रीकरण योजना, 2015 जिसमें नवीकृत/सुधारित स्वर्ण जमा योजना (आर-जीडीएस) तथा सुधारित स्वर्ण धातु ऋण योजना (आर-जीएमएल) शामिल हैं।
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अल्पावधि बैंक जमा (एसटीबीडी) - जीएमएस के अंतर्गत प्राधिकृत बैंक में 1-3 वर्ष की अल्पावधि के लिए जमा किया गया स्वर्ण।
अध्याय II
सुधारित स्वर्ण जमा योजना (आर-जीडीएस)
2.1 मूल विशेषताएं
2.1.1 सामान्य
i. यह योजना मौजूदा स्वर्ण जमा योजना, 1999 का स्थान लेगी। तथापि, मौजूदा अनुदेशों के अनुसार यदि जमाकर्ताओं द्वारा अवधि-पूर्व आहरण नहीं किया गया, तो स्वर्ण जमा योजना के अंतर्गत बकाया जमाओं को परिपक्वता तक बने रहने की अनुमति दी जाएगी।
ii. सभी प्राधिकृत बैंक योजना का कार्यान्वयन करने के लिए पात्र होंगे।
iii. एसटीबीडी और एमएलटीजीडी पर मूलधन को स्वर्ण में दर्शाया जाएगा। हालांकि, जमा के समय स्वर्ण के मूल्य के संदर्भ में एसटीबीडी और एमएलटीजीडी पर ब्याज की गणना भारतीय रुपए में की जाएगी।2
iv. जमा करने के लिए पात्र व्यक्ति – निवासी भारतीय [व्यक्ति, हिंदू अविभक्त परिवार (एचयूएफ), स्वामित्व और भागीदारी फर्में,3 न्यास जिसमें म्यूचुअल फंड/ सेबी (म्युचुअल फंड) विनियमन के अंतर्गत पंजीकृत एक्सचेंज ट्रेडेड फंड शामिल हैं, कंपनियां, धर्मार्थ न्यास, केंद्र सरकार, राज्य सरकार या केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार के स्वामित्व वाली कोई अन्य संस्था]4 योजना के अंतर्गत जमा कर सकते हैं। योजना के अधीन दो या अधिक पात्र जमाकर्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से जमा करने की भी अनुमति है तथा ऐसे मामलों में जमाओं को ऐसे जमाकर्ताओं के नाम से खोले गए संयुक्त जमा खाते में जमा किया जाएगा। बैंक जमा खातों में संयुक्त परिचालन के संबंध में नामांकन सहित मौजूदा नियम इन स्वर्ण जमाओं पर भी लागू होंगे।
v. योजना के अंतर्गत सभी जमाएं सीपीटीसी/जीएमसीटीए5 में की जाएंगी।
योजना के तहत सभी जमा सीपीटीसी/ जीएमसीटीए में किए जाएंगे। बशर्ते6, अपने विवेक पर, बैंक विशेष रूप से बड़े जमाकर्ताओं से प्राधिकृत शाखाओं में स्वर्ण के जमा को स्वीकार कर सकते हैं। बैंकों के पास उन शाखाओं की पहचान करने के लिए एक बोर्ड अनुमोदित नीति होगी जो योजना के तहत जमा स्वीकार कर सकते हैं। नीति में अन्य बातों के साथ-साथ ऐसी शाखाओं की पहचान में शामिल प्रक्रियाओं और इसे देखने वाले सहयोगी कर्मचारियों के कौशल विकास का समावेश होगा । नीति प्रत्येक राज्य / केन्द्र शासित प्रदेशों में उन शाखाओं की न्यूनतम संख्या जो प्राधिकृत शाखा है, की भी पहचान करेगी, जहाँ बैंक की उपस्थिति है7 ।
बशर्ते यह भी कि बैंक अपने विवेकानुसार जमाकर्ताओं को सीधे ऐसी शोधशालाओं में स्वर्ण जमा करने की अनुमति भी दे सकते हैं, जिनके पास अंतिम परख करने तथा जमाकर्ता को 995 परिशुद्धता वाले मानक स्वर्ण की जमा रसीद जारी करने की सुविधाएं हैं8।
vi. योजना के अंतर्गत जमाओं पर ब्याज का उपचय जमाकृत स्वर्ण के परिष्कार के बाद व्यापार योग्य स्वर्ण में रूपांतरित होने की तारीख से अथवा सीपीटीसी/ जीएमसीटीए या बैंक की प्राधिकृत शाखा, जैसा भी मामला हो, में स्वर्ण की प्राप्ति के बाद 30 दिन, जो भी पहले हो, से प्रारंभ होगा।
vii. सीपीटीसी/ जीएमसीटीए या बैंक की प्राधिकृत शाखा, जैसा भी मामला हो, के द्वारा स्वर्ण की प्राप्ति की तारीख से शुरू होकर उस तारीख तक, जब जमा पर ब्याज का उपचय प्रारंभ होगा, सीपीटीसी/ जीएमसीटीए या बैंक की प्राधिकृत शाखा में स्वीकार किए गए स्वर्ण को प्राधिकृत बैंक द्वारा सुरक्षित अभिरक्षा के लिए धारित मद माना जाएगा।
viii. जिस दिन योजना के अधीन जमाकृत स्वर्ण पर ब्याज का उपचय प्रारंभ होगा, प्राधिकृत बैंक उस दिन स्वर्ण/यूएसडी दर के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लंदन एएम निर्धारण को क्रॉस करके फाईनेंसियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एफबीआईएल)9 द्वारा घोषित रुपया-यूएस डॉलर संदर्भ दर पर स्वर्ण देयताओं और आस्तियों को भारतीय रुपये में रूपांतरित करेंगे। उपर्युक्त मूल्य में स्वर्ण के आयात के लिए लागू सीमाशुल्क को जोड़ कर स्वर्ण के अंतिम मूल्य को हासिल किया जाएगा। बाद की किसी भी मूल्यांकन तारीख को स्वर्ण के मूल्यांकन के लिए तथा योजना के अंतर्गत स्वर्ण के भारतीय रुपये में रूपांतरण के लिए भी इस विधि का प्रयोग किया जाएगा।
ix. जैसे ही योजना को लागू करने की नीति को प्राधिकृत बैंकों के निदेशक मंडल का अनुमोदन प्राप्त होता है, वे योजना में भाग लेने संबंधी अपना निर्णय भारतीय रिज़र्व बैंक को सूचित करेंगे। वे अपनी सभी शाखाओं द्वारा योजना के अंतर्गत स्वर्ण जुटाने संबंधी रिपोर्ट भी समेकित रूप में मासिक आधार पर अनुबंध-2 में दिए गए प्रोफार्मा में आरबीआई को रिपोर्ट करेंगे10। प्राधिकृत बैंक अनुबंध-3 में दिए गए प्रारूप के अनुसार, अगले तीन महीनों मेंदेय मोचन रे का विवरण देते हुए विवरण प्रस्तुत करेंगे। अनुबंध 2 और 3 की जानकारी महीने के 7 वें दिन तक भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई के विनियमन विभाग को दी जाएगी।11
x. जीएमएस पर कर केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किए गए अनुसार होगा12।
xi. स्वर्ण की मात्रा ग्राम के तीन दशमलव अंकों तक व्यक्त की जाएगी13।
xii. “सभी प्राधिकृत बैंक अपनी शाखाओं, वेबसाइट और अन्य माध्यमों द्वारा योजना का पर्याप्त प्रचार करेंगे।”14
2.1.2 जमाओं को स्वीकार करना
i. किसी भी एक समय में न्यूनतम जमा 1015 10 ग्राम कच्चा स्वर्ण (टिकिया (bars), सिक्के, नगों और अन्य धातुओं को छोड़ कर गहने) होगा। योजना के अंतर्गत जमा के लिए कोई अधिकतम सीमा नहीं है।
ii. योजना के अंतर्गत जमाकृत सभी स्वर्ण, चाहे सीपीटीसी/ जीएमसीटीए में जमा किया हो या प्राधिकृत शाखाओं में, की परख सीपीटीसी/ जीएमसीटीए में ही की जाएगी:
बशर्ते, प्राधिकृत बैंक अपनी शाखाओं में सीधे स्वीकार किया गया मानक अच्छी सुपुर्दगी स्वर्ण को सीपीटीसी/ जीएमसीटीए में अग्नि-परख न करने के लिए स्वतंत्र हैं।
2.2 जमाओं के प्रकार
निम्नलिखित के अनुसार दो भिन्न स्वर्ण जमा योजनाएं होंगी :
2.2.1 अल्पावधि बैंक जमा (एसटीबीडी)
i. ऊपर पैरा 2.1.1 के सभी प्रावधान इस जमा पर लागू होंगे।
ii. अल्पावधि जमाओं को बैंक की तुलनपत्र पर देयता माना जाएगा। ये जमाएं प्राधिकृत बैंक में 1-3 वर्ष की अल्पावधि के लिए (पुनर्निर्धारण (रॉल ऑवर) सुविधा के साथ) की जाएंगी। खंडित अवधि (उदा. 1 वर्ष 3 महीने; 2 वर्ष 4 महीने 5 दिन; आदि) के लिए भी जमाओं की अनुमति दी जा सकती है। खंडित अवधि के साथ परिपक्वता वाली जमाओं के मामले में देय ब्याज की गणना पूर्ण वर्ष के लिए ब्याज की राशि और डी/360* एआरआई की दर से शेष दिनों के ब्याज के जोड के रूप में की जाएगी"
जहां, एआरआई= वार्षिक ब्याज दर
डी=दिनों की संख्या16
iii. आरबीआई के प्रयोज्य अनुदेशों के अनुसार जमाखाते में राशि जमा करने की तारीख से जमाओं पर सीआरआर और एसएलआर अपेक्षाएं लागू होंगी। तथापि, नकद आरक्षित निधि अनुपात (सीआरआर) तथा सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) पर दिनांक 01 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र के अनुसार बैंकों द्वारा उनकी बहियों में धारित स्वर्ण का स्टॉक एएसएलआर अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए पात्र आस्ति होगा। आगे, नामित बैंकों द्वारा स्वर्ण उधार लेने (अन्य प्राधिकृत बैंकों द्वारा एसटीबीडी के तहत जुटाए गए स्वर्ण से) को अंतरबैंक देयता के रूप में माना जाएगा और इसलिए सीआरआर और एसएलआर से छूट दी जाएगी।17
iv. प्राधिकृत बैंक, उनके द्वारा निर्धारित न्यूनतम अवरुद्धता अवधि और दण्ड, यदि कोई हो, की शर्त पर अपने विवेकानुसार पूर्ण या आंशिक अवधि-पूर्व आहरण की अनुमति दे सकते हैं।
v. प्राधिकृत बैंक इन जमाओं पर ब्याज दर निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं। जमा खातों में ब्याज संबंधित नियत तारीखों पर जमा किया जाएगा तथा वह जमा के नियमों के अनुसार आवधिक रूप से अथवा परिपक्वता पर आहरणीय होगा।
vi. 5 अप्रैल 2021 से, एसटीबीडी के संबंध में ब्याज को केवल भारतीय रुपए में ही अंकित और भुगतान किया जाएगा। परिपक्वता पर मूलधन का मोचन जमाकर्ता के विकल्प के अनुसार मोचन के समय प्रचलित स्वर्ण की कीमत के आधार पर जमा स्वर्ण के बराबर भारतीय रुपये अथवा स्वर्ण में किया जाएगा। इस संबंध में विकल्प जमाकर्ता द्वारा स्वर्ण जमा करते समय लिखित में दिया जाएगा, तथा वह अप्रतिसंहरणीय होगा। कोई भी अवधि-पूर्व मोचन प्राधिकृत बैंक के विवेकानुसार स्वर्ण या उसके बराबर भारतीय रुपये में किया जाएगा। इस परिपत्र के जारी होने से पहले किए गए सभी एसटीबीडी को उनके मौजूदा नियमों और शर्तों द्वारा अधिशासित किया जाएगा।18
2.2.2 मध्यम और दीर्घावधि सरकारी जमा (एमएलटीजीडी)
i. ऊपर पैरा 2.1 के दिशानिर्देशों के सभी प्रावधान इस जमा पर लागू होंगे।
ii. इस श्रेणी के अंतर्गत जमाएं केंद्र सरकार की ओर से प्राधिकृत बैंक द्वारा स्वीकार की जाएंगी। सीपीटीसी द्वारा जारी रसीदों तथा प्राधिकृत बैंक द्वारा जारी जमा प्रमाणपत्र में इसकी स्पष्ट जानकारी दी जाएगी।
iii. प्राधिकृत बैंकों के तुलन-पत्र में यह जमा प्रतिबिंबित नहीं होगा। यह केंद्र सरकार की देयता होगी और प्राधिकृत बैंक केंद्र सरकार की ओर से यह स्वर्ण जमा तब तक धारण करेंगे जब तक कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित व्यक्ति को इसका अंतरण नहीं किया जाता।
iv. मध्यावधि और दीर्घावधि सरकारी जमा (एमएलटीजीडी) की अन्य विशेषताएं निम्नानुसार होंगीः19
(ए) परिपक्वता
20मध्यम अवधि सरकारी जमा (एमटीजीडी) 5-7 वर्ष तक किया जा सकता है तथा दीर्घावधि सरकारी जमा (एलटीजीडी) 12-15 वर्ष के लिए, अथवा ऐसी अवधि के लिए किया जा सकता है, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर तय किया जाएगा। खंडित अवधि (उदा. 5 वर्ष 7 महीने; 13 वर्ष 4 महीने 15 दिन; आदि) के लिए भी जमाओं की अनुमति दी जा सकती है।
(बी) ब्याज दर
• ऐसे जमाओं पर ब्याज दर समय समय पर केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित की जाएगी। केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित की गई वर्तमान ब्याज दरें निम्नानुसार हैं:
(i) मध्यम अवधि जमा पर – 2.25% प्रतिवर्ष
(ii) दीर्घावधि जमा पर – 2.50% प्रतिवर्ष
• खंडित अवधि के साथ परिपक्वता वाली जमाओं के मामले में देय ब्याज की गणना पूर्ण वर्ष के लिए ब्याज की राशि और डी / 360 * एआरआई की दर से शेष दिनों की ब्याज के जोड के रूप में की जाएगी"
जहां, एआरआई= वार्षिक ब्याज दर
डी=दिनों की संख्या
(सी) ब्याज भुगतान की आवधिकता
इन जमाओं पर ब्याज भुगतान की आवधिकता वार्षिक है और हर वर्ष 31 मार्च को भुगतान किया जाएगा। जमाकर्ता के पास वार्षिक रूप से सामान्य ब्याज या परिपक्वता के समय संचयी ब्याज, ऐसे मामले में वार्षिक आधार पर चक्रवृद्धित किया जाएगा, का भुगतान प्राप्त करने का विकल्प होगा। इस विकल्प का उपयोग जमा के समय किया जाएगा।
(डी) न्यूनतम अवरुद्धता (लॉक इन) अवधि
मध्यम अवधि सरकारी जमा (एमटीजीडी) को 3 वर्ष के बाद तथा दीर्घावधि सरकारी जमा (एलटीजीडी) को 5 वर्ष के बाद किसी भी समय आहरण की अनुमति है।
(ई) अवधिपूर्व आहरण पर ब्याज
अवरुद्धता अवधि के पश्चात् अवधि-पूर्व आहरण पर जमाकर्ता को अदा की जाने वाली राशि की गणना नीचे (अ) और (आ) में दर्शाए गए अनुसार की जाएगी:
(अ) आहरण के दिन स्वर्ण जमा का वास्तविक बाजार मूल्य।
(आ) जमा के समय स्वर्ण के मूल्य पर देय ब्याज निम्नानुसार है।21
जमा का प्रकार |
अवरुद्धता अवधि (वर्ष) |
वास्तविक अवधि जिसके दौरान जमा बना रहा (वर्ष) |
>3 तथा < 5 |
≥5 तथा < 7 |
एमटीजीडी |
3 |
जमा के समय एमटीजीडी पर लागू दर से 0.375% घटाया जाएगा |
जमा के समय एमटीजीडी पर लागू दर से 0.25% घटाया जाएगा |
जमा का प्रकार |
अवरुद्धता अवधि (वर्ष) |
वास्तविक अवधि जिसके दौरान जमा बना रहा (वर्ष) |
>5 तथा < 7 |
≥ 7 तथा < 12 |
≥12 तथा < 15 |
एलटीजीडी |
5 |
जमा के समय एमटीजीडी पर लागू दर से 0.25% घटाया जाएगा |
जमा के समय एलटीजीडी पर लागू दर से 0.375% घटाया जाएगा |
जमा के समय एलटीजीडी पर लागू दर से 0.25% घटाया जाएगा |
(एफ़) लॉक-इन अवधि से पहले और बाद में जमाकर्ता की मृत्यु के मामले में जमा राशि के समय से पहले बंद होने पर ब्याज
जमाकर्ता को देय राशि की गणना (ए) और (बी) की राशि के रूप में की जाएगी, जैसा कि नीचे दर्शाया गया है:
(ए) निकासी के दिन सोने की जमा राशि का वास्तविक बाजार मूल्य।
(बी) लागू दर पर जमा की अवधि के लिए सोने के मूल्य पर देय ब्याज।
(i) लॉक-इन अवधि से पहले: लागू ब्याज दर निम्न प्रकार होगा:
जमा का प्रकार |
लॉक-इन अवधि |
वास्तविक अवधि जिसके लिए जमा चला है |
6 महीने तक |
> 6 महीने और <1 वर्ष |
≥1 वर्ष और <2 वर्ष |
≥2 साल और <3 साल |
एमटीजीडी |
3 साल |
कोई ब्याज नहीं |
जमा के समय एमटीजीडी के लिए लागू दर घटा 1.25% |
जमा के समय एमटीजीडी के लिए लागू दर घटा 1.00% |
जमा के समय एमटीजीडी के लिए लागू दर घटा 0.75% |
जमा का प्रकार |
लॉक-इन अवधि |
वास्तविक अवधि जिसके लिए जमा चला है |
1 साल तक |
>1 साल और <2 साल |
≥2 साल और <3 साल |
≥3 साल और <5 साल |
एलटीजीडी |
5 साल |
कोई ब्याज नहीं |
जमा के समय एमटीजीडी के लिए लागू दर घटा 1.00% |
जमा के समय एमटीजीडी के लिए लागू दर घटा 0.75% |
जमा के समय एमटीजीडी के लिए लागू दर घटा 0.25% |
(ii) लॉक-इन अवधि के बाद: लागू ब्याज दर निम्न प्रकार होगा:
जमा का प्रकार |
लॉक-इन अवधि |
वास्तविक अवधि जिसके लिए जमा चला है |
>3 साल और < 5 साल |
≥5 साल और < 7 साल |
एमटीजीडी |
3 साल |
जमा के समय एमटीजीडी के लिए लागू दर घटा 0.25% |
जमा के समय एमटीजीडी के लिए लागू दर घटा 0.125% |
जमा का प्रकार |
लॉक-इन अवधि |
वास्तविक अवधि जिसके लिए जमा चला है |
>5 साल और < 7 साल |
≥ 7 साल और < 12 साल |
≥12 साल और < 15 साल |
एलटीजीडी |
5 साल |
जमा के समय एमटीजीडी के लिए लागू दर घटा 0.125% |
जमा के समय एलटीजीडी के लिए लागू दर घटा 0.25% |
जमा के समय एलटीजीडी के लिए लागू दर घटा 0.125% |
(जी) लॉक-इन अवधि से पहले और बाद में एमएलटीजीडी पर लिए गए ऋण के चूक के कारण जमा राशि को समय से पहले बंद करने पर ब्याज
जमाकर्ता को देय राशि की गणना (ए) और (बी) की राशि के रूप में कीजाएगी, जैसा कि नीचे दर्शाया गया है:
(ए) निकासी के दिन सोने की जमा राशि का वास्तविक बाजार मूल्य।
(बी) लागू दर पर जमा की अवधि के लिए सोने के मूल्य पर देय ब्याज।
(i) लॉक-इन अवधि से पहले: लागू ब्याज दर निम्न प्रकार होगा:
जमा का प्रकार |
लॉक-इन अवधि |
वास्तविक अवधि जिसके लिए जमा चला है |
6 महीने तक |
> 6 महीने और <1 वर्ष |
≥1 वर्ष और <2 वर्ष |
≥2 साल और <3 साल |
एमटीजीडी |
3 साल |
कोई ब्याज नहीं |
जमा के समय एमटीजीडी के लिए लागू दर घटा 1.375% |
जमा के समय एमटीजीडी के लिए लागू दर घटा 1.125% |
जमा के समय एमटीजीडी के लिए लागू दर घटा 0.875% |
जमा का प्रकार |
लॉक-इन अवधि |
वास्तविक अवधि जिसके लिए जमा चला है |
1 साल तक |
>1 वर्ष और <2 वर्ष |
≥2 साल और <3 साल |
≥3 साल और <5 साल |
एलटीजीडी |
5 साल |
कोई ब्याज नहीं |
जमा के समय एमटीजीडी के लिए लागू दर घटा 1.125% |
जमा के समय एमटीजीडी के लिए लागू दर घटा 0.875% |
जमा के समय एमटीजीडी के लिए लागू दर घटा 0.375% |
(ii) लॉक-इन अवधि के बाद: लागू ब्याज दर निम्न प्रकार होगा:
जमा का प्रकार |
लॉक-इन अवधि |
वास्तविक अवधि जिसके लिए जमा चला है |
>3 साल और < 5 साल |
≥5 साल और < 7 साल |
एमटीजीडी |
3 साल |
जमा के समय एमटीजीडी के लिए लागू दर घटा 0.375% |
जमा के समय एमटीजीडी के लिए लागू दर घटा 0.25% |
जमा का प्रकार |
लॉक-इन अवधि |
वास्तविक अवधि जिसके लिए जमा चला है |
>5 साल और < 7 साल |
≥ 7 साल और < 12 साल |
≥12 साल और < 15 साल |
एलटीजीडी |
5 साल |
जमा के समय एमटीजीडी के लिए लागू दर घटा 0.25% |
जमा के समय एलटीजीडी के लिए लागू दर घटा 0.375% |
जमा के समय एलटीजीडी के लिए लागू दर घटा 0.25% |
v. एमएलटीजीडी के मामले में, परिपक्वता पर मूलधन का मोचन जमाकर्ता के विकल्प के अनुसार या तो मोचन के समय भारतीय रुपये में जमा स्वर्ण के बराबर राशि में अथवा स्वर्ण में किया जाएगा। तथापि, एमएलटीजीडी का अवधिपूर्व मोचन केवल भारतीय रुपये में होगा।22 जहां जमा का मोचन स्वर्ण में किया जाएगा; वहां जमाकर्ता से आनुमानिक मोचन राशि पर भारतीय रुपये में 0.2% की दर से प्रशासनिक प्रभार वसूला जाएगा। तथापि, एमएलटीजीडी पर उपचित ब्याज की गणना जमा के समय स्वर्ण के भारतीय रुपये में मूल्य के संदर्भ में की जाएगी तथा उसका भुगतान केवल नकद में किया जाएगा।23
vi. सरकार द्वारा अधिसूचित एजेंसियों द्वारा एमएलटीजीडी के अंतर्गत प्राप्त स्वर्ण की नीलामी की जाएगी तथा बिक्री आगम को भारतीय रिज़र्व बैंक में धारित सरकार के खाते में जमा किया जाएगा।
vii. नीलामी के ब्योरे और लेखांकन प्रक्रिया भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाएंगे।
viii. 24केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है कि 05 नवंबर 2016 से अगली सूचना तक25 प्राधिकृत बैंकों को एमएलटीजीडी के लिए 1.5% की एक समान दर पर हैंडलिंग प्रभार (स्वर्ण की शुद्धता की जांच करने, परिष्करण, परिवहन, भंडारण तथा अन्य संबंधित लागतों सहित) तथा योजना के अंतर्गत जुटाए गए स्वर्ण के बराबर भारतीय रुपये में राशि के 1% कमीशन का भुगतान किया जाए।
स्पष्टीकरण: बैंकों को अदा किए जाने वाले प्रभारों और कमीशन की गणना के लिए जमा के समय प्रचलित कीमत के आधार पर जमा किए गए स्वर्ण के बराबर रुपये की गणना की जाएगी।
2.3 स्वर्ण जमा खाते खोलना
ग्राहक पहचान के संबंध में स्वर्ण जमा खाते खोलना उन्हीं नियमों के अधीन होगा, जो अन्य किसी भी जमा खाते के संबंध में लागू हैं। ऐसे जमाकर्ता, जिनका प्राधिकृत बैंक में अन्य कोई खाता नहीं है, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित केवाईसी मानदंडों को पूरा करने के बाद, सीपीटीसी/ जीएमसीटीए में स्वर्ण सुपुर्द करने से पहले किसी समय प्राधिकृत बैंक में शून्य शेष के साथ स्वर्ण जमा खाता खोलेंगे।
प्राधिकृत बैंक इस तथ्य पर ध्यान दिए बिना कि जमाकर्ता जमा प्रमाणपत्र जारी करने की रसीद प्रस्तुत करता है या नहीं, सीपीटीसी/ जीएमसीटीए में स्वर्ण प्राप्त होने से 30 दिन के बाद एसटीबीडी या एमएलटीजीडी, जैसा भी मामला हो, में 995 परिशुद्धता वाले स्वर्ण की राशि जमा करेंगे, जैसाकि सीपीटीसी/ जीएमसीटीए से प्राप्त सूचना में सूचित किया गया हो।
2.4 संग्रह और शुद्धता जांच केंद्र (सीपीटीसी)
-
केंद्र सरकार इस योजना के अंतर्गत बीआईएस प्रमाणित सीपीटीसी/ परिशोधनकार की सूची को अधिसूचित करेगी तथा इसे भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के माध्यम से बैंकों को सूचित किया जाएगा26।
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प्राधिकृत बैंक इन केंद्रों की विश्वसनीयता के बारे में उनके मूल्यांकन के आधार पर स्वर्ण के प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित सीपीटीसी की सूची में से किसी भी सीपीटीसी को चुनने और प्राधिकृत करने के लिए स्वतंत्र होंगे। (कृपया बैंकों, परिशोधनशालाओं और सीपीटीसी के बीच त्रिपक्षीय करार के लिए पैरा 2.6 देखें)।
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प्राधिकृत बैंक पर्याप्त संख्या में सीपीटीसी के साथ करार में प्रवेश करने के लिए कदम उठाएंगे।27
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प्रत्येक प्राधिकृत बैंक, जो उसकी ओर से स्वर्ण जमा स्वीकार करने के लिए एक सीपीटी सी को प्राधिकार देता है, यह सुनिश्चित करेगा कि सीपीटीसी द्वारा प्रदर्शित ऐसे बैंकों की सूची में उसका नाम शामिल है।
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सीपीटीसी द्वारा लगाए जाने वाले प्रभारों की सूची केंद्र के किसी मुख्य स्थल पर प्रदर्शित की जाएगी।
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सीपीटीसी को कच्चा स्वर्ण सुपुर्द करने से पहले जमाकर्ता उस प्राधिकृत बैंक का नाम इंगित करेगा, जिसके पास वह जमा रखना चाहता है।28
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स्वर्ण की परख करने के बाद सीपीटीसी जमाकर्ता द्वारा इंगित किए गए प्राधिकृत बैंक की ओर से 995 परिशुद्धता वाले मानक स्वर्ण के लिए केंद्र के प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा हस्ताक्षरित रसीद जारी करेगा। साथ ही, सीपीटीसी जमा स्वीकार करने के संबंध में प्राधिकृत बैंक को भी सूचना प्रेषित करेगा।
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सीपीटीसी द्वारा निर्धारित 995 परिशुद्धता वाले स्वर्ण के बराबर राशि अंतिम होगी तथा सीपीटीसी द्वारा रसीद जारी करने के बाद स्वर्ण की गुणवत्ता या मात्रा में पाया गया कोई भी अंतर (परिशोधनशाला के स्तर पर परिशोधन अथवा अन्य किसी कारण से अंतर सहित) तीनों पार्टियों, अर्थात् सीपीटीसी, परिशोधनकर्ता और प्राधिकृत बैंक के बीच त्रिपक्षीय करार के नियमों और शर्तों के अनुसार किया जाएगा।
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जमाकर्ता सीपीटीसी द्वारा जारी 995 परिशुद्धता वाले स्वर्ण के बराबर राशि की रसीद व्यक्तिगत रूप से अथवा डाक द्वारा प्राधिकृत बैंक शाखा को प्रस्तुत करेगा।
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जमाकर्ता द्वारा रसीद प्रस्तुत किए जाने पर प्राधिकृत बैंक उसी दिन अथवा सीपीटीसी में स्वर्ण सुपुर्द करने की तारीख से 30 दिन के बाद, जो भी बाद में हो, अंतिम जमा प्रमाणपत्र जारी करेगा।
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सीपीटीसी में परख की प्रक्रिया का वर्णन अनुबंध-1 में किया गया है।
2.5 जीएमएस मोबिलाइजेशन, कलेक्शन एंड टेस्टिंग एजेंट (जीएमसीटीए)29
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ज्वैलर्स / रिफाइनर जो बीआईएस द्वारा सीपीटीसी के रूप में प्रमाणित हों और आईबीए द्वारा निर्धारित अतिरिक्त पात्रता शर्तों को पूरा करते हों, उन्हें प्राधिकृत बैंकों द्वारा जीएमसीटीए के रूप में मान्यता प्राप्त समझा जा सकता है।
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जीएमसीटीए के रूप में काम करने वाले ज्वैलर्स या रिफाइनर जमाकर्ताओं से प्राप्त स्वर्ण को परखेंगे और परिष्कृत करेंगे; प्राधिकृत बैंक के साथ द्वि-पक्षीय करार के अनुसार बैंकों के लिए परिष्कृत स्वर्ण की तिजोरी और संचलन करेंगे।
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चूंकि जीएमसीटीए सीपीटीसी के कार्यों को निष्पादित करेगा, उपर्युक्त पैरा 2.4 पर उल्लिखित सीपीटीसी पर लागू होने वाले निदेश, जीएमसीटीए पर भी लागू होंगे।
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प्राधिकृत बैंक जीएमसीटीए द्वारा निष्पादित स्वर्ण रखरखाव/ संग्रहण के कार्यों के लिए प्रोत्साहन / रखरखाव प्रभार के रूप में अधिकतम 1.5% का भुगतान करेंगे।
2.6 रिफाइनर को स्वर्ण का अंतरण
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प्राधिकृत बैंक इन संस्थाओं की विश्वसनीयता के बारे में उनके मूल्यांकन के आधार पर रिफाइनर (सरकार द्वारा अधिसूचित सूची संलग्न है) का चयन करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
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सीपीटीसी त्रिपक्षीय करार में निर्धारित नियमों और शर्तों के अनुसार रिफाइनर को स्वर्ण का अंतरण करेगा।
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प्राधिकृत बैंक के विकल्प पर परिष्कृत स्वर्ण, रिफाइनर, जीएमसीटीए या शाखा में ही रखे गए वॉल्ट में रखा जा सकता है।
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रिफाइनर/ जीएमसीटीए द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए, नामित बैंक पारस्परिक रूप से तय किए गए शुल्क का भुगतान करेंगे।
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रिफाइनर/ जीएमसीटीए जमाकर्ता से कोई शुल्क नहीं वसूलेंगे।
2.7 प्राधिकृत बैंक, रिफाइनर और सीपीटीसी के बीच त्रिपक्षीय करार
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प्रत्येक प्राधिकृत बैंक उन रिफाइनर और सीपीटीसी के साथ कानूनी रूप से बाध्यकारी त्रिपक्षीय करार करेगा, जिनके साथ वह योजना के अंतर्गत जुड़ेगा।
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करार में शुल्क की अदायगी, उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाएं, सेवा के मानक, स्वर्ण के आवागमन तथा योजना के परिचालन के संबंध में तीनों पक्षों के अधिकारों और कर्तव्यों के संबंध में ब्योरा स्पष्ट रूप से निर्धारित किया जाएगा।
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साथ ही, त्रिपक्षीय करार में परिशोधनशाला में सीधे ही स्वर्ण जमा कर सकने के लिए भी प्रावधान किया जाएगा। एक विकल्प यह भी है कि बैंक परिशोधनशालाओं/ जीएमसीटीए के साथ द्पक्षीय करार करेंगे, जिसमें त्रिपक्षीय करार के अतिरिक्त व्यवस्थाओं की शर्तें बताई जाएंगी30।
2.8 जीएमएस के अंतर्गत जुटाए गए स्वर्ण का उपयोग करना
2.8.1 एसटीबीडी के अंतर्गत स्वीकार किया गया स्वर्ण
एसटीबीडी के अंतर्गत जुटाए गए स्वर्ण के उपयोग की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना प्राधिकृत बैंक
i. भारत स्वर्ण सिक्के (आईजीसी) ढालने के लिए एमएमटीसी को, स्वर्णकारों को तथा जीएमएस में भाग लेने वाले अन्य प्राधिकृत बैंकों को स्वर्ण बेच सकता है; अथवा
ii. भारत स्वर्ण सिक्के (आईजीसी) ढालने के लिए एमएमटीसी को तथा स्वर्णकारों को जीएमएल के अंतर्गत स्वर्ण उधार दे सकता है।
iii. जीएमएल योजना में भाग लेने वाले अन्य प्राधिकृत बैंकों को निम्नलिखित शर्तों के अधीन स्वर्ण उधर दें।
(क) ब्याज दर: इन जमाओं से जुटाए गए स्वर्ण के अंतर-बैंक उधार पर ली जाने वाली ब्याज दर बैंकों द्वारा तय की जाएगी।
(ख) चुकौती: सहभागी बैंकों द्वारा व्यक्त की गई सहमति के अनुसार चुकौती आईएनआर या स्थानीय स्रोत से (भारतीय माल सुपुर्दगी मानक) आईजीडीएस / एलजीडीएस (एलबीएमए माल सुपुर्दगी मानक) स्वर्ण में होगा।
(ग) परिपक्वता काल: जैसा कि अंतर-बैंक उधार देने का उद्देश्य जीएमएल के तहत आभूषण निर्माताओं/ आभूषण निर्यातकों को स्वर्ण प्रदान करना है, स्वर्ण के अंतर-बैंक उधार का परिपक्वता काल 3 अप्रैल 2007 के हमारे परिपत्र डीबीओडी.सं.आईबीडी.बीसी.71/23.67.001/2006-07, विदेश व्यापार नीति और समय-समय पर संशोधित डीजीएफटी द्वारा जारी किए गए हैंडबुक के अनुसार होगा।31
2.8.2 एमटीएलटीजीडी के अंतर्गत स्वीकार किया गया स्वर्ण
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एमटीएलटीजीडी के अंतर्गत जमा किए गए स्वर्ण की एमएमटीसी अतवा केंद्र सरकार द्वारा प्राधिकृत अन्य किसी एजेंसी द्वारा नीलामी की जा सकती है तथा बिक्री से प्राप्त आय को आरबीआई के पास रखे केंद्र सरकार के खाते में जमा किया जाएगा।
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नीलामी में भाग लेने वाली संस्थाओं में आरबीआई, एमएमटीसी, बैंकों तथा केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में अधिसूचित की गई अन्य किन्ही इकाइयों को शामिल किया जा सकता है।
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प्राधिकृत बैंकों द्वारा नीलामी में खरीदे गए स्वर्ण का उपयोग ऊपर पैरा 2.7.1 में बताए गए अनुसार किसी भी प्रयोजन के लिए किया जा सकता है।
2.9 जोखिम प्रबंधन
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प्राधिकृत बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अधीन बुलियन कीमतों के प्रति एक्सपोजर से बचाव के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों, लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन से संपर्क करने अथवा काउंटर पर संविदा करने की अनुमति है।
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प्राधिकृत बैंकों को चाहिए कि वे स्वर्ण की कीमत में उतार-चढ़ाव के कारण स्वर्ण के प्रति अपने निवल एक्सपोजर के संबंध में उत्पन्न होने वाले जोखिम के प्रबंध के लिए समुचित सीमाओं सहित उपयुक्त जोखिम प्रबंधन प्रणाली बनाएं।
2.10 सीपीटीसी, जीएमसीटीए और परिशोधनशालाओं पर निगरानी
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केंद्र सरकार बीआईएस, एनएबीएल, आरबीआई और आईबीए के साथ परामर्श करके सीपीटीसी, जीएमसीटीए और परिशोधनशालाओं पर एक उपयुक्त पर्यवेक्षण व्यवस्था बना सकती है ताकि सरकार (बीआईएस तथा एनएबीएल) द्वारा इन केंद्रों के लिए निर्धारित किए गए मानकों का पालन सुनिश्चित किया जा सके।
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केंद्र सरकार अनुपालन न करने वाले सीपीटीसी, जीएमसीटीए और परिशोधनशालाओं के विरुद्ध उचित कार्रवाई कर सकती है, जिसमें दण्ड लगाना भी शामिल है।
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केंद्र सरकार सीपीटीसी और जीएमसीटीए के विरुद्ध जमाकर्ताओं की शिकायतों के संबंध में एक उपयुक्त शिकायत निवारण प्रणाली भी बना सकती है।
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रसीदें और जमा प्रमाणपत्र जारी करने, जमाओं के मोचन, ब्याज के भुगतान में किसी विसंगति के संबंध में प्राधिकृत बैंकों के विरुद्ध शिकायतों पर पहले बैंक की शिकायत निवारण प्रक्रिया के द्वारा और उसके बाद आरबीआई के बैंकिंग लोकपाल द्वारा कार्रवाई की जाएगी।
अध्याय III
जीएमएस से जुड़ी हुई स्वर्ण धातु ऋण (जीएमएल) योजना
3.1.1 सामान्य
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एसटीबीडी के अंतर्गत जुटाए गए स्वर्ण को जीएमएल के रूप में स्वर्णकारों को उपलब्ध कराया जा सकता है। प्राधिकृत बैंक भी एमएलटीजीडी के अंतर्गत नीलाम किए गए स्वर्ण को खरीद सकता है तथा स्वर्णकारों को जीएमएल प्रदान कर सकता है।
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स्वर्णकार परिशोधनकर्ताओं अथवा प्राधिकृत बैंक से स्वर्ण की भौतिक सुपुर्दगी प्राप्त कर सकते हैं। यह उस स्थान पर निर्भर करेगा, जहां परिशोधित स्वर्ण का भंडारण किया गया है।
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ऋणों और अग्रिमों पर दिनांक 01 जुलाई 2015 के भारिबैंक के मास्टर परिपत्र के पैरा 2.3.12 के अनुसार नामित बैंकों द्वारा परिचालित विद्यमान स्वर्ण (धातु) ऋण (जीएमएल) जीएमएस से जुड़ी जीएमएल योजना के साथ समांतर रूप से जारी रहेंगे। विद्यमान जीएमएल योजना के लिए मास्टर परिपत्रों में यथा-प्रस्तावित, समय-समय पर संशोधित विवेकपूर्ण दिशानिर्देश नई योजना पर भी लागू होंगे।
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नामित बैंकों से इतर प्राधिकृत बैंक केवल एसटीबीडी के अंतर्गत जुटाई गई स्वर्ण जमाओं के मोचन के लिए स्वर्ण का आयात करने के लिए पात्र होंगे।
3.1.2 लगाया जानेवाला ब्याज
प्राधिकृत बैंक जीएमएस से जुड़ी जीएमएल के लिए लगाई जाने वाली ब्याज दर निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं।
3.1.3 परिपक्वता अवधि
जीएमएस से जुड़ी जीएमएल के लिए परिपक्वता अवधि विद्यमान जीएमएल योजना के ही समान होगी।
अनुबंध 1
सीपीटीसी/जीएमसीटीए में परख की प्रक्रिया
I. एक्सआरएफ जांच करने से पहले ग्राहक को लगाया जाने वाले शुल्क की सूचना दी जाएगी।
II. स्वर्ण की शुद्धता के सत्यापन के प्रत्येक चरण पर और जमा के लिए परिचालनों और प्रक्रियाओं के लिए निम्नानुसार बीआईएस प्रमाणित शिष्टाचार (protocol) होगा:
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सभी वस्तुओं की एक्सआरएफ मशीन जांच और वजन ग्राहक की उपस्थिति में किया जाएगा तथा सीसीटीवी कैमरा द्वारा रिकॉर्ड किया जाएगा।
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एक्सआरएफ जांच के बाद ग्राहक को प्राथमिक जांच से असहमत होने या प्रस्तुत स्वर्ण को वापिस लेने का विकल्प दिया जाएगा, या फिर वह स्वर्ण को पिघलाने तथा अग्नि-परख जांच के लिए सहमति देगा।
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ग्राहक की सहमति मिलने पर स्वर्ण आभूषणों पर से गंदगी, जड़ाऊ नग, मीना आदि निकाल दिया जाएगा और उसके बाद ग्राहक की उपस्थिति में अग्नि-परख जांच के द्वारा प्रस्तुत स्वर्ण की शुद्धता निश्चित की जाएगी।
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यदि ग्राहक अग्नि परख जांच के परिणाम से सहमत होता है तो वह बैंक के पास स्वर्ण जमा करने के विकल्प का प्रयोग करेगा और ऐसी स्थिति में केंद्र द्वारा लगाए गए शुल्क का भुगतान बैंक द्वारा किया जाएगा। तथापि, अग्नि परख के परिणाम से किसी असहमति की स्थिति में केंद्र को नाम-मात्र का शुल्क अदा करने के बाद ग्राहक को पिघलाए गए स्वर्ण को वापिस लेने का विकल्प दिया जाएगा।
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यदि ग्राहक स्वर्ण को जमा करने का निर्णय लेता है तो उसे सीपीटीसी/ जीएमसीटीए द्वारा एक प्रमाणपत्र दिया जाएगा, जिसमें 995 परिशुद्धता वाले स्वर्ण के अनुरूप प्रस्तुत स्वर्ण का वजन प्रमाणित किया जाएगा।
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ग्राहक से यह प्रमाणपत्र प्राप्त होने पर बैंक जमाकर्ता के खाते में 995 शुद्धता वाले मानक स्वर्ण की समान मात्रा जमा करेगा।
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इसके साथ ही, सीपीटीसी/ जीएमसीटीए को भी ग्राहक द्वारा जमा के बारे में ब्योरे बैंक को सूचित करने होंगे।
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