भारिबैं/2015-16/265
एफएमआरडी.डीआइआरडी.06/14.03.07/2015-16
10 दिसंबर 2015
सभी एनडीएस-ओएम सदस्य
जब जारी केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों में लेन देन
उपर्युक्त विषय पर परिपत्र आइडीएमडी.सं./2130/11/01.01(डी)/2005-06 दिनांक 16 नवंबर 2006, और आइडीएमडी.डीओडी.सं.3166/11/01.01(बी)/2007-08 दिनांक 1 जनवरी 2008, द्वारा अद्यतन किये गये आरबीआई परिपत्र आइडीएमडी सं.3426/11.01.01(डी)/2005-06 दिनांक 3 मई 2006 की ओर आकृष्ट किया जाता है ।
2. दिनांक 29 सितंबर 2015 को घोषित चतुर्थ द्वैमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2015-16 के पैरा 35 में की गयी घोषणा के अनुसार यह निर्णय लिया गया है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को "जब जारी" (डब्लूआइ) बाजार में नयी और पुनर्निर्गत, दोनों प्रकार की प्रतिभूतियों में शॉर्ट पोजिशन लेने की अनुमति प्रदान की जाये । यह भी निर्णय लिया गया है कि अन्य पात्र प्रतिष्ठानों, यथा, म्युचुअल फंडों, बीमा कंपनियों, पेंशन निधियों, आवास वित्त कंपनियों, एनबीएफसी और युसीबी को ‘डब्लूआइ‘ बाजार में लाँग पोजिशन लेने की अनुमति दी जाये ।
3. तदनुसार, डब्लूआइ बाजार में आरंभिक राशि सीमा को संशोधित किया गया है और वह नयी तथा पुनर्निर्गत प्रतिभूतियों, दोनों के मामले में, निम्नलिखित सीमाओं के अधीन होगी :
श्रेणी |
सीमाएँ |
लाँग |
शॉर्ट |
प्राथमिक व्यापारी और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक |
कोई सीमा नहीं |
अधिसूचित राशि के 5 प्रतिशत से अनधिक |
अन्य पात्र प्रतिष्ठान |
कोई सीमा नहीं |
अनुमति नहीं है |
4. इसके अतिरिक्त, किसी नयी प्रतिभूति में समग्र निवल शॉर्ट पोजिशन (सभी प्रतिष्ठानों में निवल शॉर्ट पोजिशन का जोड़) की सीमा अधिसूचित राशि का 90% होगी और एनडीएस-ओएम पर उसकी निगरानी की जायेगी ।
5. यदि निवल शॉर्ट पोजिशन रखने वाला कोई प्रतिष्ठान नीलामी के बाद निपटान-तिथि को प्रतिभूतियाँ नहीं दे सके, तो लेन देन का निपटान सीसीआइएल के डिफॉल्ट निपटान तंत्र के अनुसार किय़ा जायेगा ।
6. दैनिक आधार पर डब्लूआइ लेन देनों की रिपोर्टिंग किये जाने की अपेक्षा को समाप्त कर दिया गया है । पूर्वोक्त परिपत्र में निर्धारित अन्य सभी शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी ।
7. उपर्युक्त परिवर्तन समीक्षा के अधीन होंगे ।
भवदीय,
(आर.सुब्रमणियन)
मुख्य महाप्रबंधक |