आरबीआई/2015-16/176
बैंविवि.सं.एफएसडी.बीसी.37/24.01.001/2015-16
16 सितम्बर 2015
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय/महोदया,
बैंकों द्वारा इक्विटी निवेश – समीक्षा
कृपया 27 मई 1989 का परिपत्र डीबीओडी.बीपी.(एफएससी) 1854/सी-469-89 और 15 अक्तूबर 1991 का परिपत्र डीबीओडी.एफएससी.बीसी.45/सी.469 देखें जिसके अनुसार विनिर्दिष्ट रूप से भारतीय रिजर्व बैंक का पूर्व अनुमोदन प्राप्त किए बिना बैंक शेयर बाज़ारों, डिपॉजिटरी आदि समेत वित्तीय सेवा उद्यमों की इक्विटी में भाग नहीं ले सकते हैं, भले ही ऐसे निवेश बैंककारी विनियमन अधिनियम की धारा 19(2) के अंतर्गत निर्धारित अधिकतम सीमा के भीतर हों।
2. इस प्रकार के निवेश पहले से ही ‘परा बैंकिंग गतिविधियों’ पर 01 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र डीबीआर.सं.एफएसडी.बीसी19/24.01.001/2015-16 के पैरा 3.1 (क) और (ग) में उल्लिखित विवेकपूर्ण सीमाओं के अधीन हैं; अर्थात किसी बैंक द्वारा किसी सहायक कंपनी, या वित्तीय संस्थाओं, शेयर तथा अन्य बाजार, डिपॉजिटरी इत्यादि जो सहायक कंपनी नही हैं, समेत किसी वित्तीय सेवा कंपनी में इक्विटी निवेश बैंक की चुकता पूंजी और आरक्षित निधियों के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होने चाहिए। साथ ही, सभी सहायक कंपनियों और वित्तीय सेवा कार्य करने वाली अन्य संस्थाओं में किया गया कुल निवेश, गैर-वित्तीय कार्य करने वाली संस्थाओं में इक्विटी निवेश सहित, बैंक की चुकता शेयर पूंजी और आरक्षित निधियों के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। यदि वित्तीय सेवा कम्पनियों में निवेश ‘ट्रेडिंग के लिए धारित’ श्रेणी में धारण किए गए हैं और ‘बैंकों द्वारा निवेश पोर्टफोलियो के वर्गीकरण, मूल्यांकन और परिचालन के लिए विवेकपूर्ण मानदंड’ पर मास्टर परिपत्र में परिकल्पित 90 दिनों से अधिक धारण नहीं किए जाते हैं तो 20 प्रतिशत की अधिकतम सीमा लागू नहीं होती और न ही भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता है। वे मौजूदा विवेकपूर्ण मानदण्डों के भी अधीन हैं।
3. निर्णय प्रक्रिया में अधिक परिचालनगत स्वतंत्रता और लचीलापन प्रदान करने के लिए यह सूचित किया गया है कि, इक्विटी निवेश के ऐसे मामलों में जहां निवेश के बाद बैंक की धारिता निवेश प्राप्तकर्ता बैंक की चुकता पूंजी के 10 प्रतिशत से कम रहती है और बैंक के सहायकों, संयुक्त उपक्रमों या संस्थाओं समेत बैंक की धारिता उसके निवेश प्राप्तकर्ता कम्पनी की चुकता पूंजी के 20 प्रतिशत से भी कम बनी रहती है, जिन बैंकों का सीआरएआर 10 प्रतिशत या अधिक है तथा जिन्होंने पिछले वर्ष की 31 मार्च को निवल लाभ भी कमाया है उन्हें पूर्वानुमति के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से सम्पर्क करने की आवश्यकता नहीं है। वित्तीय सेवा कम्पनियों को दिनांक 01 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र डीबीआर.सं.एफएसडी.बीसी.19/24.01.001/2015-16 में परिभाषित किया गया है।
4. निवेश पर उपर्युक्त पैरा 2 में उल्लिखित वर्तमान विवेकपूर्ण सीमाएं तथा मौजूदा विवेकपूर्ण मानदण्ड लागू रहेंगे ।
भवदीया,
(लिली वडेरा)
मुख्य महाप्रबंधक |