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अधिसूचनाएं

सरकारी प्रतिभूति में विदेशी संविभाग निवेशकों द्वारा निवेश – मध्यावधि फ्रेमवर्क – समीक्षा

भारिबैं/2017-18/150
ए. पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र संख्या. 22

06 अप्रैल 2018

प्रति

सभी प्राधिकृत व्यक्ति

महोदया/महोदय

सरकारी प्रतिभूति में विदेशी संविभाग निवेशकों द्वारा निवेश – मध्यावधि फ्रेमवर्क – समीक्षा

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी –I बैंक का ध्यान विदेशी मुद्रा प्रबंध विनियमन 2000 के दिनांक 3 मई 2000 के जरिये अधिसूचित अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी और समय-समय पर यथा संशोधित अनुसूची 5 (स्थानांतरण या किसी व्यक्ति के द्वारा प्रतिभूति जारी करना जो भारत से बाहर का निवासी है) की ओर आकर्षित करता है।

2. विकासात्मक और विनियामक नीतियां संबंधी विवरण, चौथी द्वि मासिक मौद्रिक नीति विवरण 2017-18 में यह प्रस्ताव किया गया है कि एफपीआई द्वारा हेजिंग और निवेश की प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए विदेशी संविभाग निवेशकों द्वारा कर्ज (डेट) निवेश संबंधी वर्तमान विनियमन की विस्तृत समीक्षा की जाएगी। यह विनियामक परिवर्तन अप्रैल 2018 से लागू होगा। तदनुसार, भारत सरकार के साथ परामर्श करके एफपीआई की सीमा निम्नानुसार संशोधित की गई है:

3. निवेश की संशोधित सीमा

  1. केन्द्रीय सरकार की प्रतिभूति में एफ पी आई की निवेश सीमा में प्रति वर्ष 0.5% की बढ़ोतरी की गई है और यह वर्ष 2018-19 में प्रतिभूतियों के बकाया स्टॉक के 5.5% तक होगी और वर्ष 2019-20 में प्रतिभूतियों के बकाया स्टॉक के 6% हो जाएगी।

  2. राज्य विकास ऋणों में एफपीआई निवेश की निवेश सीमा प्रतिभूतियों की बकाया स्टॉक की 2% में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।

  3. कारपोरेट बॉन्ड में एफपीआई की निवेश की समग्र सीमा कारपोरेट बॉन्ड के बकाया स्टॉक के 9% तक निर्धारित की गई है। कारपोरेट बॉन्ड की श्रेणी के अंतर्गत सभी वर्तमान उप श्रेणियों को बंद कर दिया गया है और सभी प्रकार के कारपोरेट बॉन्ड में एफपीआई निवेश के लिए एक ही सीमा होगी।

  4. एसडीएल के अंतर्गत दीर्घावधि उप श्रेणी में कोई भी नया आबंटन नहीं किया गया है। इस उप श्रेणी के लिए रु 13,600 करोड़ की वर्तमान सीमा में से रु. 6,500 करोड़ सरकारी प्रतिभूति श्रेणी में स्थानांतरित किया गया है।

  5. दो उप श्रेणियों – ‘सामान्य’ और “दीर्घावधि” पर सरकारी प्रतिभूति की सीमा में वृद्धि का आबंटन वर्तमान अनुपात का 25:75 यथावत बनी रहेगी। तथापि, निवेश ब्याज के मूल्यांकन करने के बाद इस अनुपात को वर्ष 2018-19 के लिए पुनः 50:50 पर निर्धारित किया गया है।

  6. सरकारी प्रतिभूतियों में एफपीआई द्वारा कूपन में पुनः निवेश जो पहले से ही निवेश सीमा की बाहर थी, अब उसकी गड़ना सरकारी प्रतिभूति सीमा के अंतर्गत की जाएगी। तथापि, एफपीआई बिना किसी रोक-टोक/रुकावट के कूपन में पुनः निवेश कर सकते हैं जैसा कि वे अब करते हैं। सीमाओं के आवधिक पुनः निर्धारण के समय मात्र कूपन निवेश के लिए उपयोग किए जाने वाले राशि में जोड़ा जाएगा। तदनुसार, वर्ष 2018-19 के लिए 31 मार्च 2018 की स्थिति के अनुसार कूपन निवेश का स्टॉक रु. 4,760 करोड़ है को सरकारी प्रतिभूति के ‘सामान्य’ उप श्रेणी के अंतर्गत वास्तविक उपयोग में जोड़ा जाएगा। चूंकि यह एक बारगी उपाय के रूप में एक नई नीति है अतएव सरकारी प्रतिभूति की ‘सामान्य’ उप श्रेणी में निवेश की सीमा को 31 मार्च 2018 की स्थिति के अनुसार कूपन के पुनः निवेश के स्टॉक के बराबर राशि तक बढ़ाई गई है। सीमा में यह वृद्धि कूपन निवेश राशि के कारण है और पैराग्राफ 3 (क) में दर्शाये गए सीमा के अतिरिक्त है।

  7. इस कूपन पुनः निवेश की व्यवस्था को बाद में अन्य कर्ज (डेट) श्रेणियों में भी किया जाएगा।

  8. तदनुसार, विभिन्न श्रेणियों के लिए संशोधित सीमा पूर्णांक के बाद, निम्नानुसार होगी (सारणी 1):

सारणी 1 - डेट में एफपीआई निवेश के लिए संशोधित सीमा – 2018-19 (रुपये करोड़)
  जी सेक - सामान्य जी सेक- दीर्घावधि एसडीएल – सामान्य एसडीएल – दीर्घावधि कारपोरेट बॉन्ड कुल डेट
वर्तमान सीमा 191,300 65,100 31,500 13,600 244,323 545,823
अर्ध वार्षिक अप्रैल –सितंबर 2018 के लिए संशोधित सीमा 207,300* 78,700 34,800 7,100 266,700 594,600
अर्ध वार्षिक अक्तूबर–मार्च 2018 के लिए संशोधित सीमा 223,300* 92,300 38,100 7,100 289,100 649,900
* सीमा से अतिरिक्त एक बारगी रु. 4760 करोड़ इसमें शामिल है ताकि उपयोग किए जा रहे कूपन निवेश राशि को शामिल करने के लिए प्रावधान किया जा सके।

4. ये निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होगा ।

5. डेट में एफपीआई निवेश के परिचनालगत पहलुओं को प्रभावित करने वाले अन्य परिवर्तनों के संबंध में सेबी के साथ परामर्श कर और कूपन पुनः निवेश व्यवस्था के संबंध में घोषणा करते हुए एक अलग से अधिसूचना जारी की जाएगी जैसा कि पैराग्राफ 3(जी) में उल्लिखित है।

6. इस परिपत्र में उल्लिखित निर्देशों को विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) तथा किसी अन्य कानून के अंतर्गत आवश्यक अनुमति / अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किया जाता है।

भवदीय

(टी. रबि शंकर)
मुख्य महाप्रबंधक


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