आरबीआई/2017-18/199
ए.पी. (डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं.31
15 जून, 2018
(26 फरवरी, 2021 तक अद्यतनकृत)
सभी प्राधिकृत व्यक्ति
महोदया / महोदय
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा ऋण में निवेश – समीक्षा
प्राधिकृत डीलर श्रेणी–I (एडी श्रेणी–I) बैंकों का ध्यान 17 अक्तूबर 2019 की अधिसूचना सं.फेमा.396/2019-आरबी1 के माध्यम से अधिसूचित और समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंधन (ऋण लिखत) विनियमावली, 2019 की अनुसूची–1 और इसके तहत जारी संगत निदेशों की तरफ आकर्षित किया जाता है।
2. उपर्युक्त विषय पर ए.पी. (डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं. 22 दिनांक 6 अप्रैल, 2018, ए.पी. (डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं.24 दिनांक 27 अप्रैल 2018, और ए.पी. (डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं.26 दिनांक 1 मई 2018, की तरफ भी ध्यान आकर्षित किया जाता है।
3. अभिरक्षकों, एफपीआई और अन्य पण्यधारकों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर यह निर्णय किया गया है कि एफपीआई और अभिरक्षकों के लिए कुछ परिचालनगत नरमी और अंतरण पथ प्रदान किए जाएं ताकि वे इन विनियमों को अंगीकार कर सकें।
4. तदनुसार, ए.पी. (डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं.24 दिनांक 27 अप्रैल 2018 और ए.पी. (डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं.26 दिनांक 01 मई 2018 में निहित निदेशों का अधिक्रमण करते हुए निम्नलिखित निदेशों को जारी किया जाता है :
(क) परिभाषाएं
(i) “अल्प-कालिक निवेशों” को एक वर्ष तक की अवशिष्ट परिपक्वता वाले निवेशों के तौर पर परिभाषित किया जाता है;
(ii) “संबद्ध एफपीआई” शब्दबंध का आशय होगा ‘निवेशक समूह’ जैसा कि सेबी (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) विनियमावली, 2014 के विनियम 23(3) में यथा-परिभाषित है;
(iii) “कार्पोरेट से संबद्ध प्रतिष्ठान” पदबंध का आशय कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(76)(viii) में ‘संबद्ध पक्ष’ के लिए निर्धारित आशय से रहेगा। भारत सरकार अथवा राज्य सरकारों के स्वामित्व अथवा नियंत्रण वाले निर्गमकर्ता “कार्पोरेट से संबद्ध प्रतिष्ठान” की परिभाषा में नहीं आएंगे;
(iv) 2“छूटप्राप्त प्रतिभूतियों” में निम्नलिखित लिखतों को शामिल किया जाएगा :
क) आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों द्वारा निर्गमित प्रतिभूति रसीदें और ऋण लिखतें;
ख) दिवालिया और शोधन-अक्षमता संहिता, 2016 के तहत राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण द्वारा अनुमोदित निपटान योजना के अनुसार कार्पोरेट निपटान प्रक्रिया के तहत किसी प्रतिष्ठान द्वारा निर्गमित ऋण लिखतें; और
ग) 3अपरिवर्तनीय डिबेन्चर/कार्पोरेट बॉन्ड जो परिपक्वता पर मूलधन की चुकौती अथवा परिशोधित बॉन्ड के मामले में मूलधन की किस्त की चुकौती में आंशिक अथवा पूर्णतया तौर पर चूक किए गए हैं;
(v) “बहुपक्षीय वित्तीय संस्थान” का आशय है ऐसे एफपीआई जो बहुपक्षीय वित्तीय संस्थान हैं, जिनमें भारत सरकार एक सदस्य है।
(ख) न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता अपेक्षा का संशोधन
(i) ए.पी. (डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं.13 दिनांक 23 जुलाई 2014 के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों से अपेक्षित था कि वे न्यूनतम तीन वर्ष की अवशिष्ट परिपक्वता वाले सरकारी बॉन्डों में निवेश करें। अब इसके बाद से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को बिना न्यूनतम अवशिष्ट अवधि की अपेक्षा करते हुए खजाना बिलों सहित केन्द्र सरकार की प्रतिभूतियों, राज्य विकास ऋणों (एसडीएल) में निवेश करने की अनुमति इस शर्त पर दी जाती है कि किसी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक द्वारा दोनों में से किसी भी श्रेणी में किया गया अल्पकालिक निवेश उस श्रेणी में एफपीआई द्वारा किए गए कुल निवेश के 30 प्रतिशत4 से अधिक नहीं होगा।
(ii) ए.पी. (डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं.71 दिनांक 03 फरवरी 2015 के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों से अपेक्षित था कि वे न्यूनतम तीन वर्ष की अवशिष्ट परिपक्वता वाले कार्पोरेट बॉन्डों में निवेश करें। अब इसके बाद से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को न्यूनतम एक वर्ष से अधिक की अवशिष्ट परिपक्वता वाले कार्पोरेट बॉन्डों में निवेश करने की अनुमति इस शर्त पर दी जाती है कि किसी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक द्वारा कार्पोरेट बॉन्डों में किया गया अल्पकालिक निवेश उसी एफपीआई द्वारा किए गए कार्पोरेट बॉन्डों में कुल निवेश के 30 प्रतिशत5 से अधिक नहीं हो। ये निर्धारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा ‘छूटप्राप्त प्रतिभूतियों6’ में निवेश पर लागू नहीं होंगे।
(iii) यह अपेक्षित है कि किसी भी श्रेणी में किसी एफपीआई द्वारा दिवस-अंत आधार पर कुल निवेश में अल्पकालिक निवेश 30 प्रतिशत7 से अधिक नहीं होंगे। किसी भी दिवस के अंत में एक वर्ष तक की अवशिष्ट परिपक्वता वाले सभी निवेशों को 30 प्रतिशत8 की सीमा हेतु शामिल किया जाएगा।
(iv) किसी एफपीआई द्वारा किए गए अल्पकालिक निवेश कुल निवेशों के 30 प्रतिशत9 से अधिक हो सकते हैं, केवल तभी यदि अल्पकालिक निवेशों में पूर्णतया वही निवेश शामिल हों जो 27 अप्रैल 2018 को या उससे पहले किए गए हों; अर्थात अल्पकालिक निवेश में 27 अप्रैल 2018 के बाद किया गया कोई निवेश शामिल नहीं होगा।
(ग) प्रतिभूति-अनुसार सीमा का संशोधन
ए.पी. (डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं.19 दिनांक 6 अक्तूबर 2015 के अनुसार केन्द्र सरकार की किसी भी प्रतिभूति में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक के कुल निवेश हेतु वर्तमान में उस प्रतिभूति के बकाया स्टॉक के 20 प्रतिशत की अधिकतम सीमा को संशोधित करके उस प्रतिभूति के बकाया स्टॉक के 30 प्रतिशत पर किया जाता है।
(घ) जी-सेक और एसडीएल श्रेणी में निवेशों की ऑनलाइन निगरानी
(i) विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को अनुमति थी कि वे सीमा उपभोग 90 प्रतिशत पहुंचने तक निवेश कर सकते हैं, जिसके बाद शेष सीमा का आबंटन करने के लिए नीलामी व्यवस्था आरंभ हो जाती थी। क्लीयरिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लि. (सीसीआईएल) द्वारा जी-सेक सीमाओं के उपभोग की निगरानी ऑनलाइन करने की शुरूआत कर देने के साथ ही 1 जून 2018 से नीलामी व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है।
(ii) जी-सेक और एसडीएल में एफपीआई निवेश सीमाओं की निगरानी क्लीयरिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लि. (सीसीआईएल) द्वारा ऑनलाइन की जा रही है। प्रत्येक श्रेणी में निवेश सीमा का उल्लंघन करते हुए किसी भी संव्यवहार को स्वीकार नहीं किया जाएगा। अभिरक्षक और एफपीआई यह ध्यान दे कि कोई ऐसा संव्यवहार जो किसी श्रेणी की निवेश सीमा का उल्लंघन करता है उसे प्रतिवर्तित करना ही होगा।
(iii) प्रतिभूतियों (जी-सेक और एसडीएल में) का विक्रय/मोचन करने पर संबंधित एफपीआई ऐसे विक्रय/मोचन की तारीख (विक्रय/मोचन की तारीख को शामिल करते हुए) से दो कार्यदिवस की अवधि के भीतर पुनर्निवेश करें। यदि इस समयावधि के भीतर ही पुनर्निवेश नहीं किया जाता है तो उस श्रेणी के लिए उपलब्ध निवेश की उपलब्धता की शर्त पर पुनर्निवेश किया जाएगा।
(iv) जी-सेक और एसडीएल में निवेश हेतु सभी सीमाओं, यथा निवेश उपभोग सीमा, जी-सेक में प्रतिभूति-अनुसार सीमा, संकेन्द्रण सीमा और न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता अपेक्षा का अनुपालन करने का प्राथमिक दायित्व विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों और अभिरक्षकों का रहेगा।
(v) जी-सेक और एसडीएल में एफपीआई निवेश हेतु अन्य विभिन्न सीमाओं और अधिकतम सीमाओं की निगरानी भी सीसीआईएल करेगा। इसकी परिचालन व्यवस्था सीसीआईएल द्वारा अधिसूचित की जाएगी।
(ङ) संकेन्द्रण सीमा
किसी भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक द्वारा जी-सेक, एसडीएल और कार्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों नामक तीनों श्रेणियों में से प्रत्येक में निवेश के लिए निम्नानुसार संकेन्द्रण सीमा की शर्तें रहेंगी :
(i) दीर्घावधिक एफपीआई : संबद्ध श्रेणी के लिए विद्यमान निवेश सीमा का 15 प्रतिशत.
(ii) अन्य एफपीआई : संबद्ध श्रेणी के लिए विद्यमान निवेश सीमा का 10 प्रतिशत.
(iii) प्रभावी तारीख (वह तारीख जब संकेन्द्रण सीमाएं प्रभावी हुईं) को किसी एफपीआई का निवेश (आईएनवी0) संकेन्द्रण सीमा से अधिक होने के मामले में उसे एक बारगी उपाय के तौर पर निम्नलिखित रियायतों की अनुमति होगी, बशर्ते समग्र श्रेणी के लिए सीमाएं उपलब्ध हों :
क. प्रभावी तारीख को किसी एफपीआई का निवेश (आईएनवी0) संकेन्द्रण सीमा से अधिक होने के मामले में प्रभावी तारीख को उसे इतना अतिरिक्त निवेश करने की अनुमति होगी जिससे कि दिवस के अंत (आईएनवीटी) में उसके पोर्टफोलियो का आकार आईएनवी0 में संबद्ध श्रेणी के लिए निवेश सीमा का 2.5 प्रतिशत जोड़ते हुए, से अधिक नहीं हो। एक बार आईएनवीटी संबंद्ध श्रेणी के लिए विद्यमान संकेन्द्रण सीमा से नीचे आ जाए तो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक अनुमेय संकेन्द्रण सीमा तक निवेश करने के लिए मुक्त होगा।
ख. प्रभावी तारीख को किसी एफपीआई का निवेश (आईएनवी0) संकेन्द्रण सीमा के भीतर, लेकिन संबद्ध श्रेणी के लिए निवेश सीमा से 7.5 प्रतिशत अधिक (‘दीर्घावधि’ उप-श्रेणी में एफपीआई के मामले 12.5 प्रतिशत अधिक) होने के मामले में उस एफपीआई को प्रभावी तारीख को इतना अतिरिक्त निवेश करने की अनुमति होगी कि दिवस के अंत (आईएनवीटी) में उसके पोर्टफोलियो का आकार आईएनवी0 में संबंद्ध श्रेणी के लिए निवेश सीमा का 2.5 प्रतिशत जोड़ते हुए, से अधिक नहीं हो। एक बार आईएनवीटी संबंद्ध श्रेणी के लिए विद्यमान संकेन्द्रण सीमा से नीचे आ जाए तो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक अनुमेय संकेन्द्रण सीमा तक निवेश करने के लिए मुक्त होगा।
ग. अन्य सभी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को अनुमेय संकेन्द्रण सीमा तक निवेश करने की अनुमति होगी।
(च) कार्पोरेट बॉन्डों में एकल/समूह निवेशक-अनुसार सीमाएं
कार्पोरेट बॉन्डों में एफपीआई निवेश पर निम्नलिखित अपेक्षाओं की शर्तें रहेंगी :
(i) संबद्ध विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों सहित किसी भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक द्वारा कार्पोरेट बॉन्ड के किसी भी निर्गम में 50 प्रतिशत से अधिक निवेश नहीं किया जाएगा। संबद्ध विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों सहित किसी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक द्वारा किसी एकल निर्गम में 50 प्रतिशत से अधिक निवेश किए जाने की स्थिति में वह निवेशक इस निर्दिष्टि के पूरा हो जाने तक उसी निर्गम में और अधिक निवेश नहीं करेगा।
(ii) **10
(iii) कार्पोरेट बॉन्डों में एकल/समूह निवेशक-अनुसार सीमाओं की अपेक्षाएं (उपर्युक्त पैरा 4 (च)(i)**11) बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों द्वारा निवेशों और ‘छूटप्राप्त प्रतिभूतियों12’ में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा निवेशों के लिए अनुमेय नहीं होंगी।
(छ) कार्पोरेट बॉन्डों में पाइपलाइन निवेश
(i) विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा कार्पोरेट बॉन्डों में ऐसे निवेश संव्यवहार जो प्रक्रियाधीन थे किन्तु 27 अप्रैल 2018 तक निष्पन्न नहीं हुए (पाइपलाइन निवेश), ऐसे निवेशों को इस परिपत्र के अनुच्छेदों 4(फ)(i) और 4(फ)(ii) निर्दिष्ट अपेक्षाओं से छूट रहेगी, बशर्ते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक का अभिरक्षक स्वयं को समुचित रूप से संतुष्ट कर ले कि :
क) प्रमुख मानदण्ड जैसे कि कीमत/दर, समयावधि और निवेश की रकम के बारे में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक और निर्गमकर्ता के बीच 27 अप्रैल 2018 को या इससे पहले सहमति हो चुकी है;
ख) वास्तविक निवेश 31 दिसम्बर 2018 तक आरंभ हो जाएगा; और
ग) कार्पोरेट बॉन्डों में 27 अप्रैल 2018 से पहले एफपीआई निवेशों का नियंत्रण करने वाले प्रचलित विनियमों का अनुपालन करते हुए निवेश किया गया है।
(ii) उपर्युक्त शर्तों के अनुपालन के आकलन के आधार पर अभिरक्षकों द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक को बिना मामला भेजे यथास्थिति अनुसार एफपीआई द्वारा पाइपलाइन निवेश के लिए अनुमति प्रदान की या नहीं की जा सकती है।
(ज) अन्य परिवर्तन
कोई भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक आंशिक रूप से चुकता ऋण लिखतों में निवेश नहीं करेगा।
5. ये निदेश तत्काल प्रभाव से अनुमेय होंगे। ए.पी. (डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं.24 दिनांक 27 अप्रैल 2018 और ए.पी. (डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं.26 दिनांक 1 मई 2018 में निहित निदेशों को वापस लिया जाता है।
6. इस परिपत्र में निहित निदेशों को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के तहत जारी किया गया है और यदि किसी अन्य कानून के तहत कोई अनुमति/अनुमोदन अपेक्षित हैं तो इनसे उनपर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
भवदीया,
(डिम्पल भांडिया)
मुख्य महाप्रबंधक
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