भारिबैं/2019-20/03
विसविवि.जीएसएसडी.बीसी.सं.04/09.10.01/2019-20
01 जुलाई 2019
अध्यक्ष/ प्रबंध निदेशक/ मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक और लघु वित्त बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और 20 से कम शाखाओं वाले विदेशी बैंकों को छोड़कर)
महोदय / महोदया,
मास्टर परिपत्र - अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं
कृपया आप 02 जुलाई 2018 का हमारा मास्टर परिपत्र विसविवि.जीएसएसडी.बीसी.सं.01/09.10.01/2018-19 देखें जिसमें इस संबंध में बैंकों को 02 जुलाई 2018 तक जारी अनुदेश/ दिशानिर्देश/ निदेश संकलित किए गए हैं।
2. इस मास्टर परिपत्र में उक्त विषय पर 30 जून 2019 तक के अनुदेशों को समाविष्ट किया गया है तथा यह रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (https://www.rbi.org.in) पर उपलब्ध है।
भवदीया,
(सोनाली सेन गुप्ता)
मुख्य महाप्रबंधक
मास्टर परिपत्र
1. अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं
भारत सरकार ने इस बारे में सावधानी बरतने का उल्लेख किया है कि अल्पसंख्यक समुदायों को सरकार प्रायोजित विभिन्न विशेष योजनाओं द्वारा मिलने वाले लाभ सही और पर्याप्त मात्रा में प्रदान किये जाते हैं। सभी वाणिज्यिक बैंकों को सूचित किया गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि अल्पसंख्यक समुदायों को बैंक ऋण आसानी से उपलब्ध होता है।
भारत सरकार ने उन राज्यों/ संघशासित क्षेत्रों को छोड़कर जहां अल्पसंख्यक बहुसंख्यक (मेजोरिटी में) हैं (जम्मू और कश्मीर, पंजाब, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड और लक्षद्वीप) उन 121 अल्पसंख्यक सकेंद्रित जिलों की सूची भेजी है जहां अल्पसंख्यकों की आबादी कम से कम 25 प्रतिशत है। तदनुसार, सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों से अपेक्षित है कि वे इन 121 जिलों के अल्पसंख्यकों को ऋण उपलब्धता की विशेष रूप से निगरानी करें और उसके द्वारा यह सुनिश्चित करें कि अल्पसंख्यक समुदाय को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के संपूर्ण लक्ष्य के अंदर ऋण का उचित और बराबर हिस्सा प्राप्त होता है (अल्पसंख्यक सकेंद्रित जिलों की अद्यतन सूची अनुबंध I में दी गई है)।
प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार पर रिज़र्व बैंक के वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार घरेलू अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और 20 तथा उससे अधिक शाखाओंवाले विदेशी बैंकों और लघु वित्त बैंकों (समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) का 75%) द्वारा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लिए पिछले वर्ष के 31 मार्च को विद्यमान समायोजित निवल बैंक क्रेडिट (एएनबीसी) अथवा तुलनपत्र से इतर एक्सपोजरों (ओबीई) की ऋण समकक्ष राशि, इनमें से जो भी अधिक हो, के 40 प्रतिशत का लक्ष्य अधिदेशात्मक कर दिया गया है। कमजोर वर्गों, जिनमें अन्यों के साथ-साथ अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्ति शामिल हैं, को उधार देने के लिए इसके भीतर ही, पिछले वर्ष 31 मार्च को विद्यमान एएनबीसी अथवा ओबीई की ऋण समकक्ष राशि, इनमें से जो भी अधिक हो, के 10 प्रतिशत का लक्ष्य अधिदेशात्मक कर दिया गया है।
2. अल्पसंख्यक समुदायों की परिभाषा
2.1 निम्नलिखित समुदायों को भारत सरकार, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के रूप में अधिसूचित किया गया है:
(क) सिख
(ख) मुस्लिम
(ग) ईसाई
(घ) झोरास्ट्रियन
(ङ) बुद्धिस्ट
(च) जैन
2.2 भागीदारी फर्म के मामले में, यदि भागीदारों में से अधिकांश एक अथवा अधिक विशिष्ट अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित हैं तो, ऐसी भागीदारी फर्मों को दिए गए अग्रिमों को अल्पसंख्यक समुदायों को दिए गए अग्रिमों में गिना जाना चाहिए। साथ ही यदि भागीदारी फर्म में अधिकांश हिताधिकारी स्वामित्व अल्पसंख्यक समुदाय का है तो, ऐसे उधार को निर्धारित समुदायों को दिए गए अग्रिमों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता। किसी कम्पनी का कानूनी रूप से पृथक अस्तिव होने के कारण उसे दिए गए अग्रिमों को निर्धारित अल्पसंख्यक समुदायों को दिए गए अग्रिमों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।
3. विशेष कक्ष की स्थापना और पूर्णतया उसके लिए नामित अधिकारी
3.1 प्रत्येक बैंक में एक विशेष कक्ष की स्थापना की जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण आसानी से उपलब्ध होता रहे और इस कक्ष का मुख्य अधिकारी उप महाप्रबंधक/ सहायक महाप्रबंधक या कोई अन्य समश्रेणी का होगा, जो ‘नोडल अधिकारी’ के रूप में कार्य करेगा।
3.2 प्रत्येक अल्पसंख्यक बहुल जिले के अग्रणी बैंक में एक अधिकारी होगा जो संपूर्ण रूप से अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण उपलब्ध कराने से संबंधित समस्याओं की ही जांच करेगा। बैंक ऋण के विविध कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार अल्पसंख्यक समुदायों के बीच करना और उनके लाभ हेतु शाखा प्रबंधकों के सहयोग से उपयुक्त योजनाएं बनाना उसका उत्तरदायित्व होगा।
3.3 नामित अधिकारी संबंधित जिलों में अल्पसंख्यक समुदाय की ऋण सहायता से संबंधित पहलुओं पर ही ध्यान देगा। वह जिला स्तर पर स्थापित अग्रणी बैंक से संबद्ध होगा। इस प्रकार, वह अग्रणी बैंक अधिकारी से आवश्यक मार्गदर्शन प्राप्त कर सकेगा। अग्रणी बैंक अधिकारी काफी वरिष्ठ स्तर का अधिकारी होगा जिसे अन्य क्रेडिट संस्थाओं और सरकारी एजेंसियों के साथ प्रभावी रूप से संपर्क करने का पर्याप्त अनुभव होगा। वह जिले के अन्य बैंकों के शाखा प्रबंधकों के घनिष्ठ सहयोग के साथ काम भी करता रहा होगा। नामित अधिकारी अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों के लिए यथोचित योजनाएं तैयार करने में उनके मार्गदर्शन के लिए बैठकें आयोजित करने की भी व्यवस्था करेगा। संबंधित बैंकों के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि नामित अधिकारी/ अधिकारियों को सौंपी गई भूमिका कारगर रूप से सफल होती है।
3.4 जिला परामर्शदात्री समितियों (डीसीसी) और राज्य स्तरीय बैंकर्स समितियों (एसएलबीसी) के संयोजक बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि अल्पसंख्यक समुदायों को आसानी से ऋण उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाये जाते हैं और इस संबंध में की गई प्रगति की उनकी बैठकों में नियमित रूप से समीक्षा की जाती है।
3.5 जिला स्तरीय पुनरीक्षण समिति (डीएलआरसी)/ राज्य स्तरीय पुनरीक्षण बैठकें (एसएलआरएम) / राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) के संयोजक बैंक राज्य अल्पसंख्यक आयोगों/ बोर्डों या राज्य अल्पसंख्यक वित्तीय निगमों के अध्यक्ष/ प्रबंध निदेशकों को या उनके प्रतिनिधियों को डीएलआरसी, एसएलआरएम और एसएलबीसी की बैठकों में भाग लेने हेतु आमंत्रित कर सकते हैं।
3.6 बैंकों द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों की समस्याओं के संबंध में कार्रवाई करने वाले (i) मुख्य कार्यालय के विशेष कक्ष के प्रभारी अधिकारी और (ii) चयनित जिलों में केवल अग्रणी बैंकों द्वारा नियुक्त अधिकारियों के नाम, पदनाम और पते राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को निम्नलिखित पते पर प्रस्तुत किये जाएं और आवधिक रूप से अद्यतन किये जाएं :
सचिव
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग
भारत सरकार
5वीं मंज़िल, लोक नायक भवन
खान मार्केट
नई दिल्ली 110003
संबंधित पत्राचार की प्रति वित्तीय समावेशन और विकास विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई को भी प्रस्तुत की जाए।
3.7 अल्पसंख्यक समुदाय संकेंद्रित जिलों के रूप में अभिनिर्धारित जिलों में अग्रणी बैंक जागरुकता उत्पन्न करने, हिताधिकारियों की पहचान करने, अर्थक्षम योजनाएँ तैयार करने, उत्पादन पूर्व और उत्पादनोत्तर सुविधाएँ उपलब्ध कराने यथा निविष्टियों की आपूर्ति/ विपणन वसूली, आदि में राज्य अल्पसंख्यक आयोग/ वित्त निगम को सम्मिलित कर सकते हैं।
3.8 अग्रणी बैंक अभिनिर्धारित जिलों में नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधकों (डीडीएम)/ गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ)/ स्वैच्छिक संगठनों का सहयोग लेकर स्व-सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से गरीबों तक पहुंच सकते हैं। अल्पसंख्यक संकेंद्रित जिलों के अग्रणी बैंकों से यह अपेक्षित है कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए कि अल्पसंख्यक समुदायों के विशेष रूप से गरीब और अशिक्षितों को उत्पादक कार्यकलाप करने के लिए बैंक ऋणों तक पहुँच होने में सक्रिय भूमिका अदा करें।
4. विभेदक ब्याज दर योजना के अन्तर्गत अग्रिम
अनुसूचित जाति (अजा)/ अनुसूचित जनजाति (अजजा) विकास निगमों को जिन शर्तों पर ऋण प्रदान किए जाते हैं, बैंक उन्हीं शर्तों पर विभेदक ब्याज दर योजना के अंतर्गत राज्य अल्पसंख्यक वित्त/ विकास निगम को ऋण प्रदान कर सकते हैं, बशर्ते निगमों के हिताधिकारी पात्रता संबंधी मानदंडों तथा योजना के अन्तर्गत निर्धारित शर्तें पूरी करते हों। बैंक ऋण आवेदन को समय पर स्वीकृत और वितरित करने के लिए यथोचित रूप से रजिस्टर रखने को सुनिश्चित करें।
5. निगरानी
5.1 विशिष्ट अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण उपलब्ध कराने में बैंकों के कार्य निष्पादन की निगरानी के उद्देश्य से अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को उपलब्ध कराई जानेवाली ऋण सहायता के आँकड़े भारतीय रिज़र्व बैंक और भारत सरकार, वित्त मंत्रालय और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को प्रति वर्ष मार्च और सितंबर को समाप्त छमाही के आधार पर भेजे जाने चाहिए। विवरण (अनुबंध II में दिया गया) प्रत्येक छमाही की समाप्ति से एक माह के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक में पहुँच जाना चाहिए।
5.2 अभिनिर्धारित अल्पसंख्यक संकेंद्रित जिलों में जिला परामर्शदात्री समितियों के संयोजक बैंकों को अपने अग्रणी उत्तरदायित्व के अन्तर्गत संबंधित तिमाही की समाप्ति के एक माह के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों को जिले के लिए निर्धारित फार्मेट में (अनुबंध III में) बैंकों द्वारा निर्दिष्ट अल्पसंख्यक समुदायों को दिए गए प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र अग्रिमों के उनके द्वारा संकलित आँकड़े प्रस्तुत करने चाहिए।
5.3 जिला परामर्शदात्री समितियों (डीसीसी) तथा राज्य स्तरीय बैंकर्स समितियों (एसएलबीसी) की बैठकों में अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण उपलब्ध कराने के संबंध में हुई प्रगति की नियमित रूप से समीक्षा की जानी चाहिए।
5.4 अभिनिर्धारित अल्पसंख्यक संकेंद्रित जिलों में अग्रणी बैंकों को संबंधित जिला परामर्शदात्री समितियों (डीसीसी) तथा राज्य स्तरीय बैंकर्स समितियों (एसएलबीसी) की बैठकों की कार्य सूची का सार और बैठकों का कार्यवृत्त केंद्रीय वित्त मंत्रालय और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को उनके प्रयोग के लिए तिमाही आधार पर प्रस्तुत करना चाहिए।
6. प्रशिक्षण
6.1 यह सुनिश्चित करने के लिए कि बैंक स्टाफ और अन्य अधिकारी अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को उचित प्रकार से समझते हैं, पदाधिकारियों और अन्य स्टाफ सदस्यों को उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इस प्रयोजन के लिए बैंकों को अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों में, प्रारंभिक पाठ्यक्रम, ग्रामीण उधार पर कार्यक्रम, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्रों का वित्तपोषण, गरीबी उपशमन कार्यक्रम, इत्यादि से संबंधित सत्रों को सम्मिलित करना चाहिए।
6.2 अभिनिर्धारित जिलों में अग्रणी बैंकों द्वारा इन जिलों में पदापित स्टाफ को विभिन्न ऋण योजनाओं के अन्तर्गत अल्पसंख्यक समुदायों को सहायता प्रदान करने के लिए समुचित प्रशिक्षण के माध्यम से प्रबोधित और प्रोत्साहित करना चाहिए।
6.3 अग्रणी बैंक नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधकों की सहायता से स्वयं सहायता समूहों को व्यष्टि ऋण/ उधार देने के संबंध में बैंक के पदाधिकारियों के लिए सुग्राहीकरण कार्यशालाओं का आयोजन करें।
6.4 अभिनिर्धारित ज़िलों में कार्यरत अग्रणी बैंकों को उद्यमिता विकास कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए ताकि इन क्षेत्रों के अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य बैंकों द्वारा वित्तपोषित किए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों का लाभ प्राप्त कर सकें। इन जिलों की जनता के बड़े भाग द्वारा किए जा रहे बड़े व्यवसाय अथवा गतिविधि के प्रकार के आधार पर राज्य सरकारों, उद्योग विभाग, जिला उद्योग केन्द्र, लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी), राज्य तकनीकी परामर्शदाता संगठन, खादी और ग्रामोद्योग आयोग तथा अन्य स्वैच्छिक संगठनों, जो ऐसे प्रशिक्षण और ओरिएंटेशन देने के लिए पूर्णतया सक्षम हैं, के सहयोग से कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए। कार्यक्रम की अवधि, कार्यक्रम की विषय-वस्तु और संकाय सदस्यों का चयन इत्यादि से संबंधित निर्णय प्रत्येक अग्रणी बैंक द्वारा तात्कालिक स्थिति, आवश्यकता और वर्तमान कौशल के साथ-साथ जिले में जनता की योग्यता को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए।
7. प्रचार
7.1 सरकार के गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों का व्यापक प्रचार अल्पसंख्यक समुदायों की बहुलता वाले स्थानों तथा विशेष रूप से अनुबंध I में सूचीबद्ध जिलों में होना चाहिए जहाँ अल्पसंख्यक समुदाय संकेंद्रित हैं।
7.2 अभिनिर्धारित जिलों में अग्रणी बैंकों को अल्पसंख्यक समुदायों के बीच बैंकों से ऋण सुविधाएँ प्राप्त करने के उचित उपायों का प्रचार-प्रसार करना चाहिए; जिसके लिए i) प्रिंट मीडिया अर्थात स्थानीय भाषाओं में पेंप्लेटों का वितरण, समाचार पत्रों में विज्ञापन/ लेख इत्यादि ii) टी.वी.चैनल – दूरदर्शन/ स्थानीय चैनल iii) इन समुदायों द्वारा धार्मिक/ त्यौहारों के अवसरों पर आयोजित मेलों में सहभागिता/ स्टॉल लगाना का प्रयोग किया जा सकता है।
8. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम (एनएमडीएफसी)
8.1 राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम (एनएमडीएफसी) की स्थापना अल्पसंख्यक समुदायों के पिछड़े वर्गों के बीच आर्थिक और विकासात्मक गतिविधियों के विकास हेतु सितम्बर 1994 में की गई। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम एक शीर्ष संस्था के रूप में कार्य करता है तथा संबंधित राज्य/ संघशासित सरकारों के राज्य अल्पसंख्यक वित्त निगम के माध्यम से हिताधिकारियों को राशि उपलब्ध कराता है।
8.2 राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम अन्य के साथ-साथ मार्जिन मनी योजना परिचालित कर रहा है। इस योजना के अंतर्गत परियोजना लागत के 60 प्रतिशत तक बैंक वित्त दिया जाएगा। परियोजना लागत की शेष राशि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम, राज्य चैनेलाइज़िंग एजेंसी और हिताधिकारी द्वारा क्रमशः 25 प्रतिशत, 10 प्रतिशत, और 5 प्रतिशत के अनुपात में वहन की जाएगी। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम द्वारा आरंभ की गई मार्जिन मनी योजना का कार्यान्वयन बैंकों द्वारा किया जाएगा। बैंक वित्त प्रदान करते समय बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को अग्रिम के संबंध में समय-समय पर जारी दिशानिर्देशों को ध्यान में रखना होगा। यह सुनिश्चित किया जाए कि ऋण की राशि से सृजित आस्तियाँ बैंक के पास बंधक/ गिरवी रखी जाती हैं। बैंकों द्वारा की गई वसूली में से पहले बैंक को देय राशि की वसूली करना उचित होगा।
9. अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रधान मंत्री का 15 सूत्री कार्यक्रम
भारत सरकार ने "अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रधान मंत्री के नए 15 सूत्री कार्यक्रम" को संशोधित किया है। उक्त कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को दिए जाने वाले उधार का यथोचित प्रतिशत अल्पसंख्यक समुदायों को देने का लक्ष्य रखा जाए और यह भी कि सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न योजनाओं के लाभ, सुविधाओं से वंचित लोगों तक पहुंचते हैं जिनमें अल्पसंख्यक समुदायों के सुविधाहीन वर्ग भी शामिल है। यह नया कार्यक्रम केन्द्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों/ विभागों द्वारा राज्य सरकारों/ संघशासित क्षेत्रों के जरिए कार्यान्वित किया जाना है और यह अल्पसंख्यक सकेंद्रित जिलों में विकास परियोजनाओं के विशिष्ट अनुपात की स्थिति दर्शाता है। तदनुसार, सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों से यह सुनिश्चित करना अपेक्षित है कि वे प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के समस्त लक्ष्यों के भीतर कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत के उप-लक्ष्य के अंतर्गत अल्पसंख्यक समुदायों को भी ऋण का उचित हिस्सा प्राप्त होता है। अग्रणी बैंकों को सूचित किया गया है कि वे जिला ऋण योजना तैयार करते समय इस आवश्यकता को ध्यान में रखें।
अनुबंध IV
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण उपलब्ध कराना
मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची
क्रम सं. |
परिपत्र सं. |
दिनांक |
विषय |
1. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.4/पीएस.160-86-87 |
24.07.86 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं |
2. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.97/पीएस.160-86-87 |
29.07.86 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं |
3. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.1378/पीएस.160-86-87 |
09.01.87 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं |
4. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.1563/पीएस.160-86-87 |
11.02.87 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं |
5. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.75/पीएस.160-86-87 |
08.04.87 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं |
6. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.14/पीएस.160-87-88 |
31.07.87 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं |
7. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.374/पीएस.160-87-88 |
31.07.87 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं |
8. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.45/पीएस.160-87-88 |
16.10.87 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं |
9. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.55/पीएस.160-87-88 |
02.11.87 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं |
10. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.56/पीएस.160-87-88 |
02.11.87 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं |
11. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.649/पीएस.160-88-89 |
27.09.88 |
प्रधानमंत्री का अल्पसंख्यकों के कल्याण से संबंधित 15 सूत्री निवेश |
12. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.46/पीएस.160-88-89 |
17.11.88 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएँ |
13. |
ग्राआऋवि.सं.स्टैट.बीसी.66/स्टैट.20 (सीबी)/88-89 |
21.01.89 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएँ |
14. |
ग्राआऋवि.सं.एलबीएस.बीसी.121/एलबीसी.34/88-89 |
07.06.89 |
राज्य अल्पसंख्यक आयोगों/बोर्डों या राज्य अल्पसंख्यक वित्तीय निगमों और जिला स्तरीय पुनरीक्षण समिति और राज्य स्तरीय पुनरीक्षण बैठकों में अजा/अजजा निगमों के प्रतिनिधियों को शामिल करना |
15. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.37/सी.453(यू)89-90 |
03.10.89 |
विभेदक ब्याज दर योजना - राज्य अल्पसंख्यक वित्तीय/विकास निगमों के माध्यम से अग्रिम देना |
16. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.124/पीएस.160-89-90 |
26.06.90 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं |
17. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.80/पीएस.160-92-93 |
10.03.93 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं - तिमाही विवरण |
18. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.1934/पीएस.160-92-93 |
22.06.93 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं |
19. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.17/पीएस.160-93/94 |
10.08.93 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं - कर्मचारियों को प्रशिक्षण |
20. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.32/पीएस.160-93-94 |
06.09.93 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं - संशोधित फार्मेट |
21. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.50/पीएस.160-93-94 |
13.10.93 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं - संशोधित फार्मेट |
22. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.83/पीएस.160-93-94 |
07.01.94 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण उपलब्धि - तिमाही विवरण |
23. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.166/पीएस.160-93-94 |
15.06.94 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं - 41 चयनित जिले |
24. |
एलबीएस.बीसी.29/02.03.01-94-95 |
31.08.94 |
राज्य अल्पसंख्यक आयोगों/बोर्डों या राज्य स्तरीय बैंकर समिति में राज्य अल्पसंख्यक वित्तीय निगमों के प्रतिनिधियों को शामिल करना |
25. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.79/09.10.01-94-95 |
09.12.94 |
विनिर्दिष्ट अल्पसंख्यक समुदायों की सूची -बुध्दिस्ट के स्थान पर-नव बुध्दिस्टों को शामिल करना |
26. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.33/09.10.01-96-97 |
07.09.96 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं - तिमाही विवरण |
27. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.43/09.10.01-96-97 |
10.10.96 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण उपलब्धि अनुदेशों का सार-संकलन |
28. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.108/09.12.01-96-97 |
28.02.97 |
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम (एनएमडीएफसी) |
29. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी. बीसी.13/09.10.01/2001-02 |
13.08.01 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं - मूल्यांकन अध्ययन |
30. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.1074/09.10.01/2001-02 |
21.01.02 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण उपलब्धि बढ़ाना |
31. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.62/09.10.01/2001-02 |
04.02.02 |
अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण उपलब्धि बढ़ाना |
32. |
ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.सं.22/09.10.01/2006-07 |
01.09.06 |
अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रधान मंत्री का 15 सूत्री कार्यक्रम |
33. |
ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.सं.83/09.10.01/2006-07 |
27.04.07 |
103 अल्पसंख्यक सकेंद्रित जिलों की सूची |
34. |
ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.सं.13/09.10.01/2007-08 |
16.07.07 |
अल्पसंख्यक सकेंद्रित उन 18 अतिरिक्त जिलों की सूची जिन्हें अल्पसंख्यक बहुल जनसंख्या वाले 103 जिलों की पहले परिचालित की गई सूची में शामिल नहीं किया गया है |
35. |
ग्राआऋवि.जीएसएसडी.बीसी.सं.44/09.10.001/2014-15 |
01.12.14 |
अल्पसंख्यक समुदायों में जैन समुदाय का समावेश |
|