भारिबैं/2019-20/160
विवि.सं.बीपी.बीसी.34/21.04.048/2019-20
11 फरवरी 2020
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित सभी बैंक और एनबीएफ़सी
महोदया/ महोदय,
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र– अग्रिमों की पुनर्रचना
कृपया 1 जनवरी 2019 के परिपत्र डीबीआर.सं.बीपी.बीसी.18/21.04.048/2018-19 का संदर्भ लें। उपरोक्त परिपत्र के माध्यम से अनुमत एमएसएमई अग्रिमों के एकबारगी पुनर्रचना को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। तदनुसार, 'मानक' के रूप में वर्गीकृत एमएसएमई के वर्तमान ऋणों को, आस्ति वर्गीकरण में गिरावट के बिना एकबारगी पुनर्रचित किए जाने की अनुमति है, जो निम्न शर्तों के अधीन है:
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बैंकों और एनबीएफसी द्वारा उधारकर्ता को, गैर-निधि आधारित सुविधाओं सहित कुल एक्सपोज़र, 01 जनवरी 2020 की स्थिति के अनुसार, 25 करोड़ रुपए से अधिक नहीं है।
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उधारकर्ता का खाता 01 जनवरी 2020 की स्थिति के अनुसार चूक में है लेकिन 'मानक आस्ति' है, और पुनर्रचना के कार्यान्वित होने की तिथि तक उसे 'मानक आस्ति' के रूप में ही वर्गीकृत किया जाना जारी रहता है।
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उधारकर्ता खाते की पुनर्रचना 31 दिसंबर 2020 को या उसके पहले कार्यान्वित हो जाए।
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उधारकर्ता संस्था पुनर्रचना के कार्यान्वित होने की तिथि को जीएसटी पंजीकृत है। तथापि यह शर्त जीएसटी पंजीकरण से छूट प्राप्त एमएसएमई पर लागू नहीं होगी। इसे 1 जनवरी 2020 तक प्राप्त होने वाली छूट की सीमा के आधार पर निर्धारित किया जाएगा।
2. यह स्पष्ट किया जाता है कि जिन खातों को 1 जनवरी 2019 के परिपत्र के अनुसार पहले ही पुनर्रचित किया जा चुका है, वे इस परिपत्र के तहत पुनर्रचना के लिए पात्र नहीं होंगे।
3. 1 जनवरी 2019 के परिपत्र में निर्दिष्ट अन्य सभी अनुदेश अपरिवर्तित हैं।
भवदीय
(सौरभ सिन्हा)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
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