भा.रि.बैंक/2020-21/67
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.06
17 नवम्बर 2020
सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) -
फेमा, 1999 के अंतर्गत उल्लंघनों की कंपाउंडिंग
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (प्राव्या श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान “फेमा, 1999 के अंतर्गत उल्लंघनों की कंपाउंडिंग” विषय पर जारी मास्टर निदेश के पैराग्राफ सं. 3 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार उत्कृष्ट ग्राहक सेवा एवं परिचलनात्मक सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी तथा 07 नवम्बर 2017 की अधिसूचना सं. फेमा 20 (आर)/2017-आरबी के तहत कतिपय उल्लंघनों को कंपाउंड करने हेतु रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालयों/ उप-कार्यालयों को शक्तियों का प्रत्यायोजन किया गया है। विदेशी मुद्रा प्रबंध (गैर-कर्ज़ लिखतें) नियमावली, 2019 तथा विदेशी मुद्रा प्रबंध (भुगतान का माध्यम तथा गैर-कर्ज़ लिखतों की रिपोर्टिंग) विनियमावली, 2019 अर्थात: अधिसूचना सं. फेमा 395/2019-आरबी, दोनों को क्रमशः भारत सरकार एवं भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दिनांक 17 अक्तूबर 2019 को अधिसूचित किया गया है, जिसके द्वारा पूर्ववर्ती अधिसूचना सं. फेमा 20(आर)/2017-आरबी को अधिक्रमित किया गया है। तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालयों / उप-कार्यालयों को निम्नलिखित उल्लंघनों के लिए कंपाउंडिंग की शक्तियाँ प्रत्यायोजित की जाती हैं:
दिनांक 17 अक्तूबर 2019 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (गैर-कर्ज़ लिखतें) नियमावली, 2019 |
नियम 5 के साथ पठित नियम 2(के) |
नियम 21 |
अनुसूची-I का पैराग्राफ 3 (बी) (भारतीय रिज़र्व बैंक अथवा सरकार के अनुमोदन के बिना, जहाँ भी आवश्यक हो, शेयरों का निर्गमन) |
नियम - 4 (किसी अनिवासी से भारत में निवेश प्राप्त करना अथवा निवेशग्राही कंपनी द्वारा शेयरों के अंतरण को अभिलेखित करना) |
नियम 9(4) एवं नियम 13(3) |
दिनांक 17 अक्तूबर 2019 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (भुगतान का माध्यम तथा गैर-कर्ज़ लिखतों की रिपोर्टिंग) विनियमावली, 2019 |
विनियम 3.1(I)(ए) |
विनियम 4 (1) |
विनियम 4 (2) |
विनियम 4 (3) |
विनियम 4 (6) |
विनियम 4 (7) |
विनियम 4 (11) |
2. कृपया दिनांक 28 जून 2010 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.56 के पैराग्राफ 3.5 तथा दिनांक 31 जुलाई 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.11 के पैराग्राफ 2 का संदर्भ ग्रहण करें, जिसमें रिज़र्व बैंक द्वारा फेमा के तहत उल्लंघनों का वर्गीकरण करते हुए उन्हें “तकनीकी” अथवा “मटेरियल’ अथवा ‘संवेदनशील/ गंभीर स्वरूप के’ श्रेणियों में श्रेणीबद्ध किया गया है। इसकी समीक्षा किए जाने पर यह निर्णय लिया गया है कि उल्लंघनों के वर्गीकरण में जिस उल्लंघन को केवल प्रशासनिक / सचेतक सूचना जारी कर के निपटाया जाता था, ऐसी ‘तकनीकी’ श्रेणी को अब समाप्त कर दिया जाए और उन उल्लंघनों को समय-समय पर यथासंशोधित, दिनांक 1 जनवरी 2016 के “मास्टर निदेश-फेमा, 1999 के अंतर्गत उल्लंघनों की कंपाउंडिंग” में दिये गए कॉम्पाउंडिंग मैट्रिक्स के अनुसार अल्प कंपाउंडिंग राशि लगाकर नियमित किया जाए।
3. कृपया दिनांक 26 मई 2016 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.73 के पैराग्राफ 3 (I) का संदर्भ ग्रहण करें, जो कंपाउंडिंग आदेशों के सार्वजनिक रूप से प्रकटीकरण से संबंधित है। इसकी समीक्षा करते हुए, तथा इस संबंध में लागू पूर्ववर्ती अनुदेशों में आंशिक आशोधन करते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि 01 मार्च 2020 को अथवा उसके पश्चात जारी किए गए कंपाउंडिंग आदेशों के संदर्भ में, समूचे कंपाउंडिंग आदेशों को प्रकाशित करने के बजाय अब इन आदेशों के सारांश को निम्नलिखित प्रारूप में बैंक की वैबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा:
क्र.सं |
आवेदक का नाम |
उल्लंघन का विवरण (अधिनियमों / विनियमों / नियमों के प्रावधान जिन्हें कम्पाउण्ड किया गया है) |
कंपाउंडिंग आदेश की तिथि |
उल्लाघनों की कंपाउंडिंग हेतु लगाई गई दंडात्मक राशि |
1 |
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2 |
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4. इन परिवर्तनों को दर्शाने के लिए ऊपर उल्लिखित, समय-समय पर यथासंशोधित दिनांक 1 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.04 को तदनुसार अद्यतन किया जा रहा है। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत कराएं ।
5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11(2) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं।
भवदीय
(अजय कुमार मिश्र)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
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