भा.रि.बैंक/2020-21/99
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.11
16 फरवरी 2021
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक
महोदया/ महोदय,
उदारीकृत विप्रेषण योजना (LRS) के तहत भारत में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केन्द्रों (IFSCs) में विप्रेषण
कृपया उपर्युक्त विषय पर 05 फरवरी 2021 को रिज़र्व बैंक द्वारा जारी द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य के एक हिस्से के रूप में घोषित किए गए विकास एवं विनियामक नीतियों पर जारी वक्तव्य का संदर्भ लें।
2. अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केन्द्रों (आईएफ़एससी) में वित्तीय बाज़ारों की गहरी पैठ बनाने तथा निवासी व्यक्तियों को अपने पोर्टफोलियो में विविधता के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से उदारीकृत विप्रेषण योजना (LRS) के वर्तमान दिशानिर्देशों की समीक्षा की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि निवासी व्यक्तियों को एलआरएस के तहत विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम 2005, जिसे समय-समय पर संशोधित किया गया है, के अंतर्गत भारत में स्थापित आईएफ़एससी में विप्रेषण करने की अनुमति दी जाए। तदनुसार, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक निवासी व्यक्तियों को एलआरएस के तहत निम्नलिखित शर्तों के अधीन भारत में स्थित आईएफ़एससी में विप्रेषण करने की अनुमति दे सकते हैं :
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आईएफ़एससी में केवल ऐसी प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए ही विप्रेषण किया जाए, जो भारत में निवासी संस्थाओं/ कंपनियों(आईएफ़एससी से बाहर की) द्वारा जारी प्रतिभूतियों से भिन्न हो।
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निवासी व्यक्ति एलआरएस के तहत ऊपर उल्लिखित अनुमत निवेश हेतु आईएफ़एससी में ब्याज रहित विदेशी मुद्रा खाता (FCA) भी खोल सकता है। खाते में कोई निधियाँ प्राप्त होने की तारीख से 15 दिनों तक की अवधि के लिए यदि उनका उपयोग नहीं किया जाता है तो उन्हें भारत में स्थित निवेशक के घरेलू भारतीय रुपया खाते में तुरंत प्रत्यावर्तित किया जाए।
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निवासी व्यक्ति आईएफ़एससी में धारित इन विदेशी मुद्रा खातों के जरिए अन्य निवासियों के साथ कोई घरेलू लेनदेन नहीं कर सकेगा।
3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक, ऐसे विप्रेषणों को अनुमति देते समय, योजना के तहत निर्धारित रिपोर्टिंग अपेक्षाओं सहित अन्य सभी नियमों और शर्तों का अनुपालन सुनिश्चित करेंगे। यह ध्यान दिया जाए कि यदि भारत में निवासी (आईएफ़एससी से बाहर के) किसी भी व्यक्ति द्वारा आईएफ़एससी में स्थित किसी व्यक्ति / संस्था के साथ किसी प्रकार का लेन-देन किया जाता है, तो वह विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के तहत क्रमशः भारतीय रिज़र्व बैंक तथा भारत सरकार द्वारा जारी / अधिसूचित विनियमों / निदेशों और नियमों द्वारा शासित होगा। इसके अलावा, भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा यदि फेमा के किन्हीं प्रावधानों का उल्लंघन होता है, तो फेमा के तहत उल्लंघनों की कंपाउंडिंग संबंधी मौजूदा अनुदेशों/ प्रावधानों के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ऐसे उल्लंघनों की कंपाउंडिंग की जाएगी।
4. उपर्युक्त परिवर्तनों को दर्शाने के लिए मास्टर निदेश सं. 07 (मास्टर निदेश- उदारीकृत विप्रेषण योजना) को तदनुसार अद्यतन किया जा रहा है। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं।
5. इस परिपत्र में निहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति / अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं।
भवदीय
(अजय कुमार मिश्र)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक |