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अधिसूचनाएं

वाणिज्यिक बैंकों (आरआरबी को छोड़कर), यूसीबी और एनबीएफसी (एचएफसी सहित) के सांविधिक केंद्रीय लेखा परीक्षकों (एससीए) / सांविधिक लेखा परीक्षकों (एसए) की नियुक्ति हेतु दिशानिर्देश

भा.रि.बैं./2021-22/25
संदर्भ सं.DoS.CO.ARG/SEC.01/08.91.001/2021-22

अप्रैल 27, 2021

अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यकारी अधिकारी,
सभी वाणिज्यिक बैंक (आरआरबी को छोड़कर)
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)
सभी गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां (NBFCs) (हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों सहित)

महोदया/महोदय

वाणिज्यिक बैंकों (आरआरबी को छोड़कर), यूसीबी और एनबीएफसी (एचएफसी सहित) के सांविधिक केंद्रीय लेखा परीक्षकों (एससीए) / सांविधिक लेखा परीक्षकों (एसए) की नियुक्ति हेतु दिशानिर्देश

निम्नलिखित दिशानिर्देश, बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 30 (1ए), बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अर्जन और अंतरण) अधिनियम, 1970/1980 की धारा 10 (1) और एसबीआई अधिनियम 1955 की धारा 41 (1) तहत और NBFC के लिए RBI अधिनियम, 1934 के अध्याय IIIB के प्रावधानों के तहत जारी किए गए हैं। ये दिशानिर्देश इस विषय पर जारी पिछले सभी दिशानिर्देशों (तालिका 1 संलग्न सूची) का अधिक्रमण करते हैं।

2. प्रयोजनीयताः

2.1 ये दिशानिर्देश, वाणिज्यिक बैंकों (आरआरबी को छोड़कर), यूसीबी और एचएफसी सहित एनबीएफसी (इसके बाद संस्था के रूप में उल्लिखित) पर, संस्थाओं में एससीए/ एसए1 की नियुक्ति/ पुनर्नियुक्ति के संबंध में, वित्त वर्ष 2021-22 और इसके बाद के लिए लागू होंगे। हालाँकि, 1,000 करोड़ से कम की आस्ति आकार2 वाली जमाराशि नहीं स्वीकारने वाली एनबीएफसी के पास अपनी मौजूदा प्रक्रिया को जारी रखने का विकल्प है।

2.2 चूंकि, एससीए/ एसए की नियुक्ति के संबंध में आरबीआई के दिशानिर्देशों को पहली बार वित्त वर्ष 2021-22 से यूसीबी और एनबीएफसी के लिए लागू किया जाएगा, इसलिए उनके पास वित्त वर्ष 2021-22 के एच 2 (दूसरी छमाही) से इन दिशानिर्देशों को अपनाने की छूट होगी ताकि कोई व्यवधान न हो।

3. आरबीआई का पूर्व अनुमोदन:

3.1 वाणिज्यिक बैंकों (आरआरबी को छोड़कर) और यूसीबी को उपर्युक्त सांविधिक प्रावधानों के अनुसार वार्षिक आधार पर एससीए / एसए की नियुक्ति / पुन: नियुक्ति के लिए आरबीआई (पर्यवेक्षण विभाग) का पूर्व अनुमोदन लेना होगा। इस उद्देश्य के लिए, उन्हें संदर्भ वर्ष के 31 जुलाई से पहले पर्यवेक्षण विभाग, आरबीआई को आवेदन देना चाहिए और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB), आरबीआई से पात्र लेखापरीक्षा फर्मों की सूची प्राप्त होने के एक महीने के भीतर आरबीआई से संपर्क करेंगे।

3.2 इस प्रयोजन के लिए, भारत में सभी वाणिज्यिक बैंक (आरआरबी को छोड़कर) और मुंबई क्षेत्र के यूसीबी, आरबीआई के केंद्रीय कार्यालय (पर्यवेक्षण विभाग) से संपर्क करेंगे। अन्य यूसीबी, आरबीआई के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय (पर्यवेक्षण विभाग) से संपर्क करेंगे, जिनके अधिकार क्षेत्र में उनका प्रधान कार्यालय स्थित है।

3.3 हालांकि, एनबीएफसी को एससीए/ एसए की नियुक्ति के लिए आरबीआई की पूर्वानुमति नहीं लेनी होती है, सभी एनबीएफसी को आरबीआई (उसी कार्यालय को जो यूसीबी के लिए लागू हैं जैसा कि उपर्युक्त पैरा 3.2 उल्लिखित है) को एससीए/ एसए की नियुक्ति के बारे में प्रत्येक वर्ष इस तरह की नियुक्ति के एक महीने के भीतर प्रपत्र ए में प्रमाणपत्र के माध्यम से सूचित करना होगा।

4. एससीए/एसए की संख्या और शाखा कवरेज

4.1 पिछले वर्ष के अंत तक 15,000 करोड़ और उससे अधिक की आस्ति आकार वाली संस्थाओं के लिए सांविधिक लेखा परीक्षा न्यूनतम दो लेखा परीक्षा फर्मों [साझेदारी फर्मों/ सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी)] द्वारा संयुक्त लेखा परीक्षा के अधीन करायी जानी चाहिए। अन्य सभी संस्थाओं को सांविधिक लेखा परीक्षा के लिए न्यूनतम एक लेखा परीक्षा फर्म (साझेदारी फर्म / एलएलपी) की नियुक्ति करनी चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि संस्था के संयुक्त लेखा परीक्षकों में कोई समान साझेदार नहीं है और वे लेखा परीक्षा फर्मों के समान नेटवर्क3 के अधीन नहीं हैं। इसके अलावा, संस्था, सांविधिक लेखा परीक्षा शुरू होने से पहले अपने एससीए/ एसए के परामर्श से उनके बीच कार्य का आबंटन करेगी।

4.2 संस्थाओं को, बोर्ड/ स्थानीय प्रबंधन समिति (LMC) से अनुमोदित नीति के आधार पर, अन्य बातों के साथ-साथ संबंधित कारकों जैसे- आस्तियों का आकार और फैलाव, लेखांकन और प्रशासनिक इकाइयों, लेनदेन की जटिलता, कम्प्यूटरीकरण का स्तर, अन्य स्वतंत्र लेखा परीक्षा इनपुट की उपलब्धता, वित्तीय रिपोर्टिंग में पाए गए जोखिम, आदि को ध्यान में रखते हुए एससीए/ एसए की संख्या के संबंध में निर्णय लेना चाहिए।

उपर्युक्त कारकों और संस्था की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, संबंधित बोर्डों / एलएमसी द्वारा एससीए / एसए की वास्तविक संख्या को निम्नलिखित सीमा के अधीन तय किया जाएगा:

क्र.स. संस्था की आस्ति का आकार एससीए/एसए की अधिकतम संख्या
1. 5,00,000 करोड़ तक 4
2. 5,00,000 करोड़ से अधिक और 10,00,000 करोड़ तक 6
3. 10,00,000 करोड़ से अधिक और 20,00,000 करोड़ तक 8
4. 20,00,000 करोड़ से अधिक 12

उपर्युक्त सीमाएं यह सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित की गई हैं कि संस्थाओं द्वारा नियुक्त एससीए/ एसए की संख्या, संस्थाओं के आस्ति-आकार और परिचालन-सीमा के अनुरूप और पर्याप्त हैं, ताकि लेखा परीक्षा का समयबद्ध और प्रभावी आयोजन सुनिश्चित किया जा सके। अनुभव के आधार पर भविष्य में इसकी समीक्षा की जाएगी।

4.3 ‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) में सांविधिक शाखा लेखा परीक्षकों की नियुक्ति और चयन हेतु पात्रता के नियम' के संबंध में आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार, पीएसबी, एससीए को शीर्ष 20 शाखाओं (बकाया अग्रिमों के स्तर के क्रम में सख्ती से चुने गए) का आबंटन इस प्रकार करेंगी कि एससीए द्वारा बैंक के कुल सकल अग्रिम का न्यूनतम 15% कवर हो सके। अन्य संस्थाओं (भुगतान बैंकों और कोर निवेश कंपनियों को छोड़कर) के लिए, एससीए / एसए, कम से कम शीर्ष 20 शाखाओं / संस्थाओं की शीर्ष 20% शाखाओं (100 से कम शाखा वाली संस्थाओं के मामले में) का दौरा और लेखा परीक्षा करेंगे, जिनका चयन उनके बकाया अग्रिमों के स्तर के क्रम में इस प्रकार किया जाएगा कि संस्थाओं के कुल सकल अग्रिमों का न्यूनतम 15% कवर हो सके। इसके अलावा, बैंकिंग कंपनियां और एनबीएफसी, सभी शाखाओं के खातों की लेखा परीक्षा के संबंध में कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 143 (8) के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करेंगी।

5. लेखा परीक्षकों के लिए पात्रता मानदंड

प्रत्येक संस्था, उन लेखा परीक्षा फर्म (फर्मों) को नियुक्त करे जो अनुबंध-I में दिए एससीए/ एसए के लिए निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं।

6. लेखा परीक्षकों की स्वतंत्रता

6.1 वाणिज्यिक बैंकों (RRBs को छोड़कर) और NBFC4 के लिए, बोर्ड की लेखा परीक्षा समिति (ACB) / LMC, लेखा परीक्षकों की स्वतंत्रता और प्रासंगिक विनियामक प्रावधानों, मानकों और सर्वोत्तम प्रथाओं के संदर्भ में हितों की स्थिति के टकराव की निगरानी और आकलन करेगी। इस संबंध में किसी भी चिंता से एसीबी/ एलएमसी द्वारा वाणिज्यिक बैंक (आरआरबी को छोड़कर)/ एनबीएफसी के निदेशक मंडल और आरबीआई के संबंधित वरिष्ठ पर्यवेक्षी प्रबंधक (एसएसएम)/ क्षेत्रीय कार्यालय (आरओ) को अवगत कराया जा सकता है।

यूसीबी/शेष एनबीएफसी के लिए, निदेशक मंडल लेखा परीक्षकों की स्वतंत्रता की निगरानी और आकलन करेगा। यूसीबी/एनबीएफसी के बोर्ड इस संबंध में किसी भी चिंता को आरबीआई के संबंधित एसएसएम/ आरओ के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं।

6.2 संस्थाओं के प्रबंधन के साथ किसी भी चिंता जैसे प्रबंधन द्वारा सूचना उपलब्ध न कराना/ असहयोग, जो लेखा परीक्षा प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कर सकता है, के मामले में एससीए/एसए भारतीय रिजर्व बैंक के एसएसएम/आरओ को सूचित करते हुए संस्‍था के बोर्ड5 /एसीबी/एलएमसी से संपर्क करेगा।

6.3 संस्‍था के समवर्ती लेखा परीक्षकों का उसी संस्‍था की एससीए/एसए के रूप में नियुक्ति के लिए विचार नहीं किया जाना चाहिए। लेखा परीक्षक की स्वतंत्रता का आकलन करते समय, एक ही संदर्भाधीन वर्ष के लिए संस्था और संस्था में वृहद् एक्सपोजर6 वाली संस्था की लेखा परीक्षा को, स्पष्ट रूप से शामिल किया जाना चाहिए।

6.4 संस्थाओं के लिए एससीए/एसए द्वारा किसी भी गैर-लेखा परीक्षा कार्यों (कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 144 में उल्लिखित सेवाओं, आंतरिक असाइनमेंट, विशेष असाइनमेंट आदि) या अपने समूह संस्थाओं के लिए किसी भी लेखा परीक्षा/गैर-लेखा परीक्षा कार्यों के बीच समयान्तराल, एससीए/एसए के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले या बाद में कम से कम एक वर्ष होना चाहिए। तथापि, एससीए/एसए के कार्यकाल के दौरान, एक लेखा परीक्षा फर्म संबंधित संस्थाओं को ऐसी सेवाएं प्रदान कर सकती है जिसके परिणामस्वरूप सामान्यत: हितों के टकराव7 का कारण न हो और बोर्ड/एसीबी/ एलएमसी के परामर्श से संस्थाएं इस संबंध में अपना निर्णय ले सकती हैं।

6.5 उपर्युक्‍त पैरा 6.3 और 6.4 में दिए गए विस्तृत प्रतिबंध, सामान्य भागीदारों वाली ऑडिट फर्मों या उसी नेटवर्क8 के तहत आनेवाली ऑडिट फर्म पर भी लागू होंगे।

7. एससीए/एसए के पेशेवर मानक

7.1 एससीए/ एसए द्वारा अपनी लेखा परीक्षा जिम्मेदारियों के निर्वहन में प्रासंगिक पेशेवर मानकों का अधिकतम तत्‍परता के साथ सख्ती से अनुपालन किया जाए।

7.2 संस्थाओं के बोर्ड9 / एसीबी / एलएमसी, वार्षिक आधार पर, एससीए / एसए के कार्यप्रदर्शन की समीक्षा करें। लेखा परीक्षा जिम्‍मेदारियों में कोई गंभीर चूक/लापरवाही या एससीए/एसए की ओर से व्यवहारिक या प्रासंगिक माने जाने वाले किसी अन्‍य मुद्दे की सूचना10 वार्षिक लेखा परीक्षा के पूरा होने से दो महीने के भीतर आरबीआई को दी जाएगी। लेखा परीक्षा फर्म के संपूर्ण विवरण सहित ऐसी रिपोर्टों को बोर्ड/एसीबी/ एलएमसी के अनुमोदन/सिफारिश के साथ भेजा जाना चाहिए।

7.3 लेखा परीक्षा कार्य में किसी प्रकार की लापरवाही होने पर जिसके कारण किसी संस्था की वित्तीय विवरणी में गलत तथ्य का उल्लेख किया जाता है अथवा यदि संस्थाओं को लेकर एससीए / एसए अपनी भूमिका / जिम्मेदारियों के निर्वहन में आरबीआई के दिशानिर्देश / निर्देशों का उल्लंघन करते हैं या उसके प्रति लापरवाही बरतते हैं तो ऐसी स्थिति में एससीए / एसए के विरुद्ध प्रासंगिक सांविधिक / विनियामक फ्रेमवर्क के तहत यथोचित कार्रवाई की जाएगी।

8. कार्यकाल और रोटेशन

8.1. लेखा परीक्षकों/ लेखा परीक्षा फर्मों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए, संस्थाओं को प्रत्येक वर्ष पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाली फर्मों के एससीए/ एसए की नियुक्ति तीन वर्षों11 की निरंतर अवधि के लिए करनी होगी। इसके अलावा, वाणिज्यिक बैंक (आरआरबी को छोड़कर) और यूसीबी उपर्युक्त अवधि के दौरान लेखापरीक्षा फर्मों को केवल भारतीय रिजर्व बैंक (पर्यवेक्षण विभाग) के संबंधित कार्यालय के पूर्व अनुमोदन, से हटा सकते हैं, जैसा कि इस परिपत्र के पैरा 3.2 में उल्लिखित, नियुक्ति के पूर्व अनुमोदन के लिए लागू होता है। तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा होने से पहले एससीए/ एसए को हटाने वाली एनबीएफसी इस तरह का निर्णय लेने के एक महीने के भीतर इसके लिए कारण/ औचित्य सहित इस संबंध में आरबीआई के संबंधित एसएसएम/ आरओ को सूचित करेंगे।

8.2 लेखापरीक्षा फर्म, लेखा परीक्षा कार्यकाल12 की एक आंशिक अथवा पूर्ण अवधि के उपरांत छह वर्ष (दो कार्यकाल) के लिए उसी इकाई में पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगी। हालांकि, ये ऑडिट फर्में अन्य संस्थाओं का वैधानिक ऑडिट जारी रख सकती हैं।

8.3. एक लेखा परीक्षा फर्म, विशिष्‍ट वर्ष के दौरान समवर्ती रूप से अधिकतम चार वाणिज्यिक बैंकों, [जिसमें एक से अधिक पीएसबी नहीं या एक अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान (नाबार्ड, सिडबी, एनएचबी, एक्जिम बैंक) या आरबीआई], आठ यूसीबी तथा आठ एनबीएफसी की सांविधिक लेखा परीक्षा कर सकता है बशर्ते कि आवश्यक पात्रता मानदंड, प्रत्येक संस्था के विशिष्ट शर्तों और विधान अथवा नियम द्वारा तय सीमा का अनुपालन किया जाए। स्पष्टता के लिए, यूसीबी के लिए निर्धारित सीमा में उसी लेखा परीक्षा फर्म द्वारा अन्य सहकारी समितियों की लेखा परीक्षा शामिल नहीं हैं। इस परिपत्र के प्रयोजन के लिए, समान साझेदारों और/या एक ही नेटवर्क के तहत लेखा परीक्षा फर्मों के एक समूह को एक इकाई माना जाएगा और तदनुसार एससीए/एसए के आवंटन के लिए उन पर विचार किया जाएगा। लेखा परीक्षा फर्मों के इसी नेटवर्क के अंतर्गत किसी अन्य/एसोसिएट ऑडिट फर्म द्वारा साझा/उप-अनुबंधित लेखा परीक्षा स्वीकार्य नहीं है। यदि आगामी ऑडिट फर्म, निवर्तमान ऑडिट फर्म से जुड़ी हो या फर्मों के एक ही नेटवर्क से हो तो आगामी ऑडिट फर्म पात्र नहीं होगी।

9. लेखा परीक्षा शुल्‍क और व्‍यय

9.1 सभी संस्थाओं के एससीए/एसए के लिए लेखा परीक्षा शुल्क संबंधित सांविधिक/विनियामक प्रावधानों के अनुसार तय किया जाएगा। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मामले में यह भारतीय रिजर्व बैंक के संबंधित निर्देशों द्वारा तय होगा।

9.2 सभी संस्थाओं के एससीए / एसए हेतु ऑडिट शुल्क, ऑडिट के कार्यक्षेत्र और व्याप्ति, आस्ति के आकार और प्रसार, लेखांकन और प्रशासनिक इकाइयों, लेनदेन की जटिलता, कम्प्यूटरीकरण के स्तर, वित्तीय रिपोर्टिंग आदि में पाये गए जोखिम, के अनुरूप और युक्तिसंगत होगा।

9.3 एससीए/ एसए का लेखा परीक्षा शुल्‍क तय करने के लिए संस्थाओं के बोर्ड/एसीबी/एलएमसी, संबंधित सांविधिक/ विनियामक निर्देशों के अनुसार सक्षम प्राधिकारी को सिफारिश करेंगे।

10. सांविधिक लेखा परीक्षा नीति और नियुक्ति प्रक्रिया

10.1 प्रत्येक संस्था बोर्ड/एलएमसी अनुमोदित नीति तैयार करेगी और उसे अपनी आधिकारिक वेबसाइट/सार्वजनिक डोमेन में प्रकाशित करेगी और उसके तहत आवश्यक प्रक्रिया तैयार करेगी जिसका पालन एससीए/एसए की नियुक्ति में किया जाएगा। इन निर्देशों के साथ-साथ, सभी प्रासंगिक सांविधिक/ विनियामक आवश्यकताओं का पालन करने के अतिरिक्त, इस महत्वपूर्ण आश्वासन कार्य के सभी प्रमुख पक्षों में जरूरी पारदर्शिता और वस्तुनिष्ठता बरती जानी चाहिए।

10.2 न्यूनतम प्रक्रियात्मक अपेक्षाओं से संबंधित दिशानिर्देश अनुबंध-II में दिए गए हैं।

भवदीय,

(अजय कुमार चौधरी)
प्रभारी मुख्‍य महाप्रबंधक


1 एससीए उन संस्थाओं के लिए जो अलग से सांविधिक शाखा लेखा परीक्षकों को नियुक्त करती हैं तथा अन्य सभी संस्थाओं के लिए एसए

2 आस्ति आकार का अर्थ कुल आस्तियों से है।

3 जैसा कंपनी (लेखा परीक्षा एवं लेखा परीक्षक) नियम, 2014 के नियम 6(3) में परिभाषित है।

4 कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 177 के साथ पठित मास्टर निदेश – गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी – प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण जमा नहीं स्वीकारने वाली और जमा स्वीकारने वाल कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 के पैरा 70 (1) के संदर्भ में जिन एनबीएफसी के लिए आवश्यक है कि वे बोर्ड की लेखा परीक्षा समिती का गठन करें।

5 बोर्ड से सीधे संपर्क तभी करें जब एसीबी संस्‍था में मौजूद न हो या लेखा परीक्षक का नोटिस एसीबी के किसी भी सदस्य से जुड़ी चिंता का विषय हो।

6 जैसा कि 'वृहद् एक्सपोजर फ्रेमवर्क' पर आरबीआई के निर्देशों में परिभाषित किया गया है

7 निम्नलिखित विशेष असाइनमेंट (सांकेतिक सूची) के मामले में सामान्य रूप से संघर्ष नहीं बनाया जाएगा:
(i) कर लेखा परीक्षा, कर प्रतिनिधित्व और कराधान मामलों पर सलाह, (ii) अंतरिम वित्तीय विवरणों का ऑडिट।
(iii) सांविधिक लेखा परीक्षक द्वारा सांविधिक या विनियामक आवश्यकताओं के अनुपालन में जारी किए जाने वाले प्रमाण पत्र। (iv) वित्तीय जानकारी या उसके खंडों पर रिपोर्टिंग

8 जैसा कि कंपनी (लेखा परीक्षा और लेखा परीक्षक) नियम, 2014 के नियम 6 (3) में परिभाषित किया गया है

9 यदि एसीबी इकाई में मौजूद न हो तो बोर्ड एससीए/एसए के प्रदर्शन की समीक्षा करेगा।

10 पीएसबी को संबोधित इस परिपत्र द्वारा सांविधिक लेखा परीक्षकों के निष्पादन के आकलन पर 26 मार्च, 2004 के परिपत्र को हटा दिया गया है।

11 सी एंड एजी का कार्यालय कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 139 (5) और 139 (7) के तहत सरकारी कंपनियों और सरकार द्वारा नियंत्रित अन्य कंपनियों के सांविधिक लेखा परीक्षकों की नियुक्ति जारी रखेगा। ऐसी कंपनियां उक्त अधिनियम की धारा 143 (6) और (7) के तहत सी एंड एजी के कार्यालय द्वारा अनुपूरक/परीक्षण लेखा परीक्षाधीन भी हैं। ऐसी संस्थाओं को कार्यकाल और रोटेशन नीति के संबंध में सी एंड एजी दिशानिर्देशों द्वारा निर्देशित किया जाएगा। हालांकि, जम्मू-कश्मीर बैंक लिमिटेड और इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक लिमिटेड के लिए इस तरह की नियुक्तियां सी एंड एजी के कार्यालय द्वारा आरबीआई की सहमति से की जाएंगी। इसके अलावा, ऑडिट फर्मों, जो पहले से ही किसी भी इकाई में 1 वर्ष या 2 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुकी हैं, उन्हें केवल शेष कार्यकाल यानी क्रमशः 2 वर्ष और 1 वर्ष पूरा करने की अनुमति दी जा सकती है, यदि वे वार्षिक आधार पर पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं।

12 यदि किसी लेखा परीक्षा फर्म ने आंशिक-कार्यकाल (1 वर्ष या 2 वर्ष) के लिए किसी इकाई की लेखा परीक्षा की है और फिर शेष कार्यकाल के लिए नियुक्त नहीं किया है, तो वे भी आंशिक-कार्यकाल पूरा होने से छह वर्ष के लिए उसी इकाई में पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होंगे।


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