आरबीआई/2021-22/88
एफएमआरडी.डीआईआरडी.10/14.03.004/2021-22
फरवरी 10, 2022
प्रति,
मार्केट के सभी पात्र सहभागी
महोदया/ महोदया,
मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (क्रेडिट डेरिवेटिव) दिशानिदेश, 2022
कृपया 10 फरवरी 2022 को जारी किए गए द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2021-22 के एक भाग के तौर पर क्रेडिट डिफाल्ट स्वैप (सीडीएस) दिशानिदेशों की समीक्षा के संबंध में विकासात्मक और विनियामक नीतियों के बारे में दिए गए वक्तव्य के पैराग्राफ 4 का अवलोकन कीजिए।
2. भारतीय रिज़र्व बैंक (क्रेडिट डेरिवेटिव) दिशानिदेश, 2021 के प्रारूप को जनसाधारण से अभिमत प्राप्त करने हेतु 16 फरवरी 2021 को जारी किया गया, प्रारूप दिशानिदेशों की समीक्षा की गई और अब इन्हें अंतिम रूप दिया गया है। मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (क्रेडिट डेरिवेटिव) दिशानिदेश, 2022 संलग्न हैं।
भवदीया,
(डिम्पल भांडिया)
मुख्य महाप्रबंधक
वित्तीय बाजार विनियमन विभाग
अधिसूचना सं.एफएमआरडी.डीआईआरडी.11/14.03.004/2021-22 दिनांक 10 फरवरी 2022
मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (क्रेडिट डेरिवेटिव) निदेश, 2022
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 02) (इसके बाद अधिनियम के रूप में उल्लिखित) की धारा 45यू के साथ पठित इसी अधिनियम की धारा 45डबल्यू के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और परिपत्र सं.आईडीएमडी.पीसीडी.सं.14.03.04/10/2012-13 दिनांक 07 जनवरी 2013 को निष्क्रमित करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक (इसके बाद रिज़र्व बैंक के रूप में उल्लिखित) एतदद्वारा निम्नलिखित निदेश जारी करता है।
इस संबंध में समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) तथा विदेशी मुद्रा प्रबंधन (ऋण लिखत) विनियमावली, 2019 (अधिसूचना सं.फेमा.396/2019-आरबी दिनांक 17 अक्तूबर 2019) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा क्रेडिट डिफाल्ट स्वैप (सीडीएस) में लेनदेन – परिचालनगत अनुदेशों के संबंध में जारी ए.पी. (डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं.23 दिनांक 10 फरवरी 2022 का अवलोकन भी किया जाए।
1. लघु शीर्षक, व्याप्ति और प्रवर्तन
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इन निदेशों को मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (क्रेडिट डेरिवेटिव) निदेश, 2022 कहा जाएगा।
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ये निदेश भारत में ओवर-दि-काउन्टर (ओटीसी) मार्केट और मान्यता-प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों में किए गए क्रेडिट डेरिवेटिव संव्यवहारों के लिए अनुमेय होंगे।
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ये निदेश 09 मई 2022 से लागू होंगे।
2. परिभाषाएं
(i) इन परिभाषाओं में यदि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित नहीं हो तो :
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सीडीएस के ‘नीलामी निपटान’ का आशय ऐसी प्रक्रिया से है जिसमें संदर्भ/प्रदेय दायित्वों की कीमत जिसपर निपटान किया जाएगा, उसका निर्धारण निलामी पद्धति के माध्यम से निर्धारण किया जाता है।
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सीडीएस के ‘नकद निपटान’ का आशय ऐसी प्रक्रिया से है जिसमें संरक्षण क्रेता को संरक्षण विक्रेता द्वारा संदर्भगत दायित्वों के प्रत्याशित वसूली मूल्य को घटाते हुए सीडीएस संविदा की नोशनल रकम का भुगतान किया जाता है।
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‘केन्द्रीय प्रतिपक्ष’ का आशय ऐसे प्रतिष्ठान से है जो स्वयं को एक या एकाधिक वित्तीय बाजारों में सौदाकृत संविदाओं के प्रतिपक्षों के बीच अंत:स्थापित करता है और इस प्रकार प्रत्येक विक्रेता के लिए क्रेता और प्रत्येक क्रेता के लिए विक्रेता बन जाता है और इस प्रकार खुली संविदाओं के निष्पादन को सुनिश्चित कर देता है।
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‘कंपनी’ का वही आशय होगा जो कंपनी अधिनियम, 2013 (2013 का 18) की धारा 2(20) में निर्धारित किया गया है।
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‘कार्पोरेट बॉन्डों और डिबेंचरों’ का आशय है अपरिवर्तनीय ऋण प्रतिभूतियां जो ऋणग्रस्तता का सृजन अथवा अभिस्वीकृति करती हैं और इनमें विधान के प्रभाव से गठित किसी निगमित निकाय या किसी न्यास या किसी सांविधिक निकाय द्वारा निगमित डिबेंचर, बॉन्ड और इसी प्रकार की अन्य प्रतिभूतियां शामिल हैं, चाहे ये निर्गमनकर्ता की आस्तियों पर कोई प्रभार सृजित करती हों या नहीं, लेकिन इनमें केन्द्र सरकार या किसी राज्य सरकार द्वारा या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा यथा निर्दिष्ट किसी अन्य व्यक्ति द्वारा निर्गमित मुद्रा बाजार की ऋण लिखतें, प्रतिभूति रसीदें, प्रतिभूतिकृत ऋण लिखतें और बॉन्ड शामिल नहीं हैं।
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‘क्रेडिट चूक स्वैप (सीडीएस)’ का आशय है ऐसा क्रेडिट डेरिवेटिव जिसमें एक पक्ष (संरक्षण विक्रेता) दूसरे पक्ष (संरक्षण क्रेता) को संदर्भगत प्रतिष्ठान के संबंध में क्रेडिटइवेंट के मामले में भुगतान करने का वचन देता है, और इसके बदले में संरक्षण-क्रेता द्वारा संरक्षण विक्रेता को आवधिक भुगतान (प्रीमियम) तब तक किए जाते हैं जब तक कि संविदा का समापन या क्रेडिट इवेंट, दोनों में से जो भी पहले हो, नहीं हो जाए।
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‘क्रेडिट डेरिवेटिव’ का आशय है ऐसी डेरिवेटिव संविदा जिसके मूल्य का निर्धारण अंतनिर्हित ऋण लिखत के क्रेडिट जोखिम से किया जाता है।
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‘क्रेडिट इवेंट’ का आशय है किसी क्रेडिट डेरिवेटिव संविदा में पूर्व-परिभाषित घटना, जो इस संविदा के तहत निपटान को उत्प्रेरित करती है।
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‘प्रदेय दायित्व’ का आशय है संदर्भगत प्रतिष्ठान द्वारा निर्गमित ऐसे ऋण लिखत जो क्रेडिट इवेंट की स्थिति होने पर संरक्षण क्रेता द्वारा संरक्षण विक्रेता को भौतिक रूप से निपटाए गए सीडीएस संविदा के रूप में दिए जा सकते हैं।
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‘इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म (ईटीपी)’ का वही आशय रहेगा जैसा कि दिनांक 5 अक्तूबर 2018 को जारी अधिसूचना सं.एफएमआरडी.एफएमआईडी.08/2018 के माध्यम से जारी और समय-समय पर यथासंशोधित इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म्स (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2018 के पैराग्राफ 2(1)(iii) में निर्धारित किया गया है।
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‘एक्सचेंज’ का आशय है ‘मान्यता-प्राप्त स्टॉक एक्सचेन्ज’ और इसका वही अर्थ रहेगा जो प्रतिभूति संविदा विनियमन अधिनियम, 1956 (1956 का 42) की धारा 2(एफ) में निर्धारित किया गया है।
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‘सरकार-संबद्ध प्रतिष्ठान’ का वही अर्थ रहेगा जो भारतीय लेखांकन मानक (इन्ड एएस) 24 के अनुच्छेद 9 में निर्धारित किया गया है : संबद्ध पक्ष प्रकटीकरण।
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‘हेजिंग’ का आशय है किसी विशेष ऋण लिखत या किसी ऋण लिखत के पोर्टफोलियो के क्रेडिट जोखिम को कम करने के लिए क्रेडिट डेरिवेटिव लिखत करने के क्रियाकलाप।
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‘अवसंरचना कंपनी’ का अर्थ है ऐसी कंपनी जो आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 08 अप्रैल 2016 को अधिसूचित राजपत्र अधिसूचना सं.एफ.सं.13/6/2009-आईएनएफ, समय-समय पर यथासंशोधित अवसंरचना उप-क्षेत्रों की सुमेलित मास्टर सूची में निर्दिष्ट विश्ष्टि अवसंरचना उप-क्षेत्रों से संबंधित क्रियाकलापों में प्रमुख रूप से कार्यरत हो।
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‘मार्केट मेकर’ का आशय है ऐसा प्रतिष्ठान जो अन्य मार्केट मेकर्स और प्रयोक्ताओं को कीमतें प्रदान करता है।
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‘मुद्रा बाजार ऋण लिखत’ का अर्थ है समय-समय पर यथासंशोधित और 10 अगस्त 2017 को अधिसूचना सं.एफएमआरडी.डीआईआरडी.2/14.01.002/2017-18 के माध्यम से जारी रिज़र्व बैंक वाणिज्यिक पत्र निदेश, 2017 में यथा परिभाषित लिखत, समय-समय पर यथासंशोधित और 04 जून 2021 को अधिसूचना सं.एफएमआरडी.डीआईआरडी.03/14.01.003/2021-22 के माध्यम से जारी मुद्रा बाजार संबंधी मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (जमा प्रमाणपत्र) निदेश, 2021 के तहत परिभाषित जमा प्रमाणपत्र, और एक वर्ष तक की मूल या आरंभिक परिपक्वता वाले अपरिवर्तनीय डिबेंचर जैसा कि समय-समय पर यथासंशोधित और 07 जुलाई 2016 को अधिसूचना सं.एफएमआरडी.मास्टर निदेश सं.2/2016-17 के माध्यम से जारी मुद्रा बाजार लिखत संबंधी मास्टर निदेश : मांग/नोटिस मुद्रा बाजार, वाणिज्य पत्र, जमा प्रमाणपत्र और अपरिवर्तनीय डिबेंचर (एक वर्ष तक की मूल परिपक्वता) में परिभाषित है।
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‘निवल मालियत’ का वही अर्थ रहेगा जो कंपनी अधिनियम, 2013 (2013 का 18) की धारा 2(57) में निर्धारित है।
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‘अनिवासी’ का अर्थ होगा ‘भारत से बाहर का निवासी व्यक्ति’ और इसका वही अर्थ रहेगा जैसा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 2(डबल्यू) में निर्धारित किया गया है।
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‘ओवर-दि-काउन्टर (ओटीसी) बाजार’ का अर्थ है ऐसे बाजार जहां एक्सचेंजों के अलावा किसी भी अन्य प्रकार से संव्यवहार किए जाते हैं और इसमें इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म (ईटीपी) भी शामिल रहेंगे।
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सीडीएस के ‘भौतिक निपटान’ का अर्थ है ऐसी निपटान प्रकिया जिसमें संरक्षण क्रेता किसी भी पात्र प्रदेय दायित्वों की डिलीवरी संरक्षण विक्रेता को सीडीएस संविदा की नोशनल रकम की प्राप्ति के बदले में डिलीवर करता है।
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‘संदर्भ प्रतिष्ठान’ का अर्थ है ऐसे प्रतिष्ठान जिनके क्रेडिट जोखिम के बदले में क्रेडिट डेरिवेटिव संविदा की जाती है।
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‘संदर्भ दायित्व’ का अर्थ है ऐसे ऋण लिखत जो संदर्भ प्रतिष्ठान द्वारा निर्गमित किए जाते हैं और संविदा के मूल्यांकन और नकद निपटान मूल्य के निर्धारण या क्रेडिट इवेंट होने की स्थिति में प्रदेय दायित्व के निर्धारण हेतु सीडीएस संविदा में निर्दिष्ट किए जाते हैं।
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‘संबंद्ध पक्ष’ का वही अर्थ रहेगा जो भारतीय लेखांकन मानक (इन्ड एएस) 24 के अनुच्छेद 9 में निर्धारित किया गया है : संबद्ध पक्ष प्रकटीकरण।
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‘निवासी’ का अर्थ होगा ‘भारत में निवासी व्यक्ति’ और इसका वही अर्थ रहेगा जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 2(वी) में निर्धारित है।
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‘एकल-नाम सीडीएस’ का अर्थ है ऐसी सीडीएस संविदा जिसके अंतस्थ एकल संदर्भ प्रतिष्ठान रहता है।
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‘प्रतिस्थापन घटना’ का अर्थ है ऐसी कोई घटना जिसके परिणामस्वरूप संदर्भ दायित्व को संदर्भ प्रतिष्ठान द्वारा निर्गमित किसी अन्य दायित्व से प्रतिस्थापित किया जाता है।
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‘उत्तराधिकार घटना’ का अर्थ है ऐसी कोई घटना जिसके परिणामस्वरूप कोई संदर्भ प्रतिष्ठान संदर्भगत दायित्व के लिए प्रमुख दायित्वधारक नहीं रह जाता है।
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‘प्रयोक्ता’ का अर्थ है ऐसा व्यक्ति जो मार्केट मेकर के अलावा रूप में डेरिवेटिव संव्यवहार करता है।
(ii) इन निदेशों में प्रयुक्त किन्तु परिभाषित नहीं किए गए शब्दों और अभिव्यक्तियों का वही अर्थ रहेगा जो इस अधिनियम में निर्धारित किया गया है।
3. पात्र सहभागी
(i) निम्नलिखित व्यक्ति क्रेडिट डेरिवेटिव बाजार में सहभागित करने के पात्र होंगे :
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निवासी; और
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अनिवासी जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन (ऋण लिखत) विनियमन, 2019 दिनांक 17 अक्तूबर 2019 को जारी और समय-समय पर यथासंशोधित के तहत कॉरपोरेट बॉन्डों और डिबेंचरों में निवेश के पात्र हैं।
4. ओटीसी बाजार में अनुमत उत्पाद
(i) मार्केट मेकर्स और प्रयोक्ता एकल-नाम सीडीएस संविदाओं में संव्यवहार कर सकते हैं।
5. ओटीसी बाजार में मार्केट मेकर्स और प्रयोक्ता
5.1 मार्केट मेकर्स
(i) निम्नलिखित प्रतिष्ठान क्रेडिट डेरिवेटिव में मार्केट मेकर्स के रूप में कार्य करने के पात्र होंगे :
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अनुसूचित वाणिज्य बैंक; लघु वित्त बैंकों, भुगतान बैंकों, स्थानीय क्षेत्र के बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अलावा;
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गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी), एकल प्राइमरी डीलर (एसपीडी) और आवासन वित्त कंपनी (एचएफसी) सहित, विगत वित्तीय वर्ष की 31 मार्च के लेखापरीक्षित तुलनपत्र के अनुसार जिनकी न्यूनतम निवल स्वत्वाधीन निधियां रु.500 करोड़ हैं, बशर्ते भारतीय रिज़र्व बैंक के विनियमन विभाग ने विशिष्ट अनुमोदन दिया हो; और
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भारतीय निर्यात आयात बैंक, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, राष्ट्रीय आवास बैंक और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक।
(ii) मार्केट मेकर्स के रूप में कार्य करने का अनुमोदन प्राप्त हाने के बाद यदि कोई एनबीएफसी, कोई एसपीडी या कोई एचएफसी पात्रता मानदंडों को पूरा करने में विफल रहती है तो वह मार्केट मेकर्स के तौर पर कार्य नहीं करेगी। एनबीएफसी, एसपीडी या एचएफसी ऐसी संविदाओं की परिपक्वता / परिसमापन तक विद्यमान संविदाओं के तहत अपने दायित्वों को पूरा करना जारी रखेंगी।
(iii) क्रेडिट डेरिवेटिव संव्यवहार के पक्षकारों में से कम-से-कम एक पक्ष को इस प्रयोजन हेतु रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत मार्केट मेकर्स या केन्द्रीय प्रतिपक्ष रहना होगा।
5.2 प्रयोक्ता वर्गीकरण फ्रेमवर्क
(i) क्रेडिट डेरिवेटिव संविदओं का प्रस्ताव करने के प्रयोजन से प्रयोक्ताओं को मार्केट मेकर्स द्वारा या तो रिटेल अथवा गैर-रिटेल के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
(ii) गैर-रिटेल प्रयोक्ताओं के रूप में वर्गीकृत किए जाने के लिए निम्नलिखित प्रयोक्ता पात्र होंगे :
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मार्केट मेकर्स के अलावा एसपीडी और एचएफसी सहित एनबीएफसी;
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भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडाई) द्वारा विनियमित बीमा कंपनियां;
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पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा विनियमित पेंशन निधियां;
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भारतीय प्रतिभूति और एक्सचेन्ज बोर्ड (सेबी) द्वारा विनियमित म्यूचुअल फन्ड;
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भारतीय प्रतिभूति और एक्सचेन्ज बोर्ड (सेबी) द्वारा विनियमित वैकल्पिक निवेश निधियां;
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नवीनतम लेखापरीक्षित तुलनपत्र के अनुसार न्यूनतम रु.500 करोड़ की निवल मालियत वाली निवासी कंपनियां; और
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सेबी के पास पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक।
(iii) कोई प्रयोक्ता जो गैर-रिटेल प्रयोक्ता के रूप में वर्गीकृत किए जाने का पात्र नहीं है उसे रिटेल प्रयोक्ता के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
(iv) कोई प्रयोक्ता जो गैर-रिटेल प्रयोक्ता के रूप में वर्गीकृत किए जाने का अन्यथा पात्र है उसके पास रिटेल प्रयोक्ता के रूप में वर्गीकृत किए जाने का विकल्प रहेगा।
6. ओटीसी बाजार में क्रेडिट चूक स्वैप हेतु संरक्षण क्रेता और विक्रेता
(i) रिटेल प्रयोक्ताओं को केवल हेजिंग के प्रयोजन हेतु संरक्षण का क्रय करने की अनुमति दी जाएगी।
(ii) गैर-रिटेल प्रयोक्ताओं को हेजिंग या अन्यता हेतु संरक्षण क्रय की अनुमति दी जाएगी।
(iii) निम्नलिखित गैर-रिटेल प्रयोक्ता संरक्षण विक्रेता के रूप में कार्य करने के पात्र होंगे :
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इरडाई द्वारा विनियमित बीमा कंपनियां;
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पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण द्वारा विनियमित पेंशन निधियां;
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सेबी द्वारा विनियमित म्यूचुअल फन्ड;
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सेबी द्वारा विनियमित वैकल्पिक निवेश निधियां; और
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सेबी में पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक।
(iv) अनुच्छेद 6(iii) के तहत उल्लिखित बीमा कंपनियों, पेंशन निधियों, म्यूचुअल फन्डों और वैकल्पिक निवेश निधियों को संरक्षण विक्रेताओं के रूप में कार्य करने की अनुमति होगी बशर्ते वे अपने-अपने विनियामकों से अनुमोदन प्राप्त कर लें।
(v) विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की सहभागिता विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा क्रेडिट चूक स्वैप (सीडीएस) में संव्यवहार – परिचालनगत अनुदेश के बारे में 10 फरवरी 2022 को जारी ए.पी.(डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं.23 के प्रावधानों के अनुसार होगी।
7. संदर्भ प्रतिष्ठान और ओटीसी बाजार में क्रेडिट चूक स्वैप हेतु दायित्व
(i) सीडीएस संविदा में संदर्भ प्रतिष्ठान एक निवासी प्रतिष्ठान होंगे जो अनुच्छेद 7(ii) के तहत उल्लिखित किसी भी ऋण लिखत का निर्गम करने के पात्र हैं।
(ii) भारत में निर्गमित निम्नलिखित ऋण लिखत सीडीएस संविदा में संदर्भ दायित्व बनने का पात्र होंगे :
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मुद्रा बाजार ऋण लिखतें;
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दरांकित आईएनआर निगम बॉन्ड और डिबेंचर; और
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अवसंरचना कंपनियों द्वारा संस्थापित विशेष प्रयोजन वाहकों द्वार निर्गमित अदरांकित आईएनआर निगम बॉन्ड और डिबेंचर।
(iii) मांग/पुट आप्शन वाले बॉन्ड संदर्भ दायित्व का पात्र होंगे।
(iv) आस्ति-समर्थित प्रतिभूतियां/बंधक-समर्थित प्रतिभूतियां और क्रेडिट वर्धित/ गारंटीकृत बॉन्ड, परिवर्तनीय बॉन्ड, आदि जैसे संरचनागत दायित्वों को संदर्भ दायित्वों के रूप में अनुमति नहीं दी जाएगी।
(v) संदर्भ दायित्व/प्रदेय दायित्व को अभौतिक रूप में रखना होगा।
8. ओटीसी बाजार में क्रेडिट चूक स्वैप हेतु परिचालनगत निदेश
8.1 क्रय, अवमोचन और निपटान
(i) यदि संरक्षण क्रेता अथवा संरक्षण विक्रेता किसी के साथ भी संदर्भ प्रतिष्ठान संबंद्ध पक्ष है तो मार्केट मेकर्स सीडीएस संव्यवहार में प्रवेश नहीं करेंगे। हालांकि, दो (या अधिक) सरकार-संबद्ध प्रतिष्ठानों को इन निेदेशों के प्रयोजन से संबद्ध पक्ष नहीं माना जाएगा। मार्केट मेकर्स समुचित नियंत्रण स्थापित करेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि संबंधित पक्षों के साथ संव्यवहारों को यथाशीघ्र आधार पर पूरा कर लिया जाता है।
(ii) बाजार सहभागी संदर्भ प्रतिष्ठानों के संबंध में संरक्षण का क्रय/विक्रय नहीं करेंगे, यदि यथाअनुमेय आधार पर नकदी बाजार में इसी प्रकार के जोखिमों या किसी अन्य विनियामक निषेधा का उल्लंघन करते हुए इसी प्रकार के एक्सपोजरों पर ऐसी सहभागिता पर विनियामक निषेध हैं।
(iii) मूल प्रतिपक्ष के साथ संविदा का अवमोचन करके या नवस्थापन (नोवेशन)1 के माध्यम से किसी अन्य पात्र मार्केट सहभागी को संविदा का प्रत्यार्पण करके मार्केट सहभागी अपनी सीडीएस संविदा से बाहर हो सकते हैं, इस पर अधिसूचना सं.डीबीओडी.सं.बीपी.बीसी.76/21.04.157/2013-14 के माध्यम से 9 दिसम्बर 2013 को जारी ओटीसी डेरिवेटिव संविदा संबंधी परिपत्र के प्रावधानों की शर्तें लागू होंगी। हालांकि, उक्त परिपत्र के अनुच्छेद 2, अनुच्छेद 5.1 और अनुच्छेद 5.2 के तहत प्रावधान इन निदेशों के अनुसार किए गए सीडीएस संव्यवहारों के लिए अनुमेय नहीं होंगे।
(iv) मार्केट सहभागी सीडीएस संविदाओं को द्विपक्षीय रूप से या रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदित किसी अन्य क्लीयरिंग और निपटान व्यवस्था के माध्यम से निपटाएंगे।
(v) सीडीएस संविदाएं नकद निपटान, भौतिक निपटान या किसी नीलामी के माध्यम से निपटाए जा सकते हैं। नकद निपटान और नीलामी से निपटान की पद्धति का निर्धारण इन निदेशों के अनुच्छेद 9 के तहत निर्दिष्ट किए अनुसार क्रेडिट डेरिवेटिव निर्धारण समिति द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
8.2 रिटेल प्रयोक्ता के साथ संव्यवहार
(i) मार्केट मेकर्स यह सुनिश्चित करेंगे कि रिटेल प्रयोक्ताओं द्वारा किए गए सभी सीडीएस संव्यवहारों को हेजिंग के प्रयोजन से किया जाता है, अर्थात संरक्षण का क्रय करने वाले रिटेल प्रयोक्ता को :
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किसी भी पात्र संदर्भ दायित्व का एक्सपोजर होगा;
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अपने द्वारा धारित संदर्भ दायित्व के अंकित मूल्य से उच्चतर नोशनल रकम वाले सीडीएस संविदा(दाओं) का क्रय नहीं करेगा; और
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अपने द्वारा धारित संदर्भ दायित्व की परिपक्वता से बाद की समयावधि वाले सीडीएस या संदर्भ दायित्व की परिपक्वता के तत्काल बाद की परिपक्वता तारीख वाले मानक सीडीएस का क्रय नहीं करेगा।
उक्त के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए मार्केट मेकर्स रिटेल प्रयोक्ता से कोई भी सुसंगत जानकारी/प्रलेख मांग सकते हैं, बदले में ऐसी जानकारी प्रदान करना उनका दायित्व होगा।
(ii) जिस तारीख को अंतनिर्हित एक्सपोजर नहीं रह जाएगा उस तारीख से एक माह के भीतर रिटेल प्रयोक्ता अपनी सीडीएस पोजिशन से निकल जाएंगे।
(iii) रिटेल प्रयोक्ता जिस सीडीएस संविदा में शामिल हों उन संविदाओं का अनिवार्यतया भौतिक निपटान करना होगा।
8.3 मानकीकरण
(i) फिक्स्ड इन्कम मनी मार्केट एन्ड डेरिवेटिव एसोसिएशन ऑफ इन्डिया (फिमडा) द्वारा बाजार सहभागियों से परामर्श और अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम परिपाटियों के आधार पर भारतीय सीडीएस बाजार हेतु मानक मास्टर समझौता/ते तैयार करना होगा, जिसमें, अन्य बातों के साथ-साथ साथ क्रेडिट इवेंट परिभाषाएं और निपटान पद्धतियां भी शामिल होंगी।
(ii) फिमडा, कम-से-कम, सीडीएस संविदाओं के लिए निम्नलिखित कारोबारी सम्मतियां प्रकाशित करेगा :
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मानक परिपक्वता और प्रीमियम भुगतान तारीखें;
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मानक प्रीमियम;
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अग्रिम शुल्क आकलन पद्धति;
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पूर्ण प्रथम प्रीमियम के लिए संग्रहण भुगतान;
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संविदा दर की सम्मतियां; और
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क्रेडिट इवेंट के लिए लुकबैक अवधि।
8.4 प्रलेखन
(i) सीडीएस संविदाओं में, अन्य बातों के साथ-साथ साथ निम्नलिखित का उल्लेख किया जाएगा :
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संदर्भ प्रतिष्ठान, संदर्भ दायित्व और प्रदेय दायित्व(वों);
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क्रेडिट इवेंट परिभाषाएं; और
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निपटान की पद्धति और प्रकिया।
(ii) सीडीएस संविदा में संरक्षण विक्रेता का प्रत्यक्ष दावे का निरूपण होगा। संविदा में ऐसा कोई वाक्यांश नहीं होगा जो :
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संरक्षण विक्रेता को संविदा को एकपक्षीय रूप से निरस्त करने की सहूलियत देता हो, संविदा के निबंधनों के तहत संरक्षण क्रेता द्वारा चूक करने के मामले को छोड़कर;
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क्रेडिट इवेंट होने के बाद और संविदा के निबंधनों के तहत आवश्यक शर्तों और अपेक्षाओं को पूरा करने के बाद, क्रेडिट इवेंट भुगतान को समयबद्ध तरीके से करने में संरक्षण विक्रेता को प्रतिबंधित करते हों; या
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क्रेडिट इवेंट हानियों के लिए संरक्षण क्रेता के प्रति संरक्षण विक्रेता को किसी प्रकार का उपाय प्रदान करते हों।
8.5 ग्राहक संरक्षण
(i) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 16 सितम्बर 2021 के परिपत्र सं.एफएमआरडी.एफएमडी.07/02.03.247/2021-22 के माध्यम से जारी और समय-समय पर यथासंशोधित मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (ओटीसी बाजार में मार्केट मेकर्स) निदेश, 2021 और 15 मार्च 2019 को जारी तथा समय-समय पर यथासंशोधित भारतीय रिज़र्व बैंक परिपत्र सं.एफएमआरडी.एफएमएसडी.11/11.01.012/2018-19 के माध्यम से जारी भारतीय रिज़र्व बैंक (बाजार दुरुपयोग से बचाव) निदेश, 2019 का अनुपालन ओटीसी बाजार में मार्केट मेकर्स करेंगे।
8.6 रिपोर्टिंग
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मार्केट मेकर्स सभी ओटीसी सीडीएस संव्यवहारों को संव्यवहार होने के 30 मिनट के भीतर ही क्लीयरिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लि.(सीसीआईएल) की ट्रेड रिपॉजिटरी में रिपोर्ट करेंगे।
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मार्केट मेकर्स सभी अवमोचन, नवस्थापन, निपटान संव्यवहारों और किसी भी क्रेडिट, प्रतिस्थापन या अनुक्रमण घटना की रिपोर्ट सीसीआईएल की ट्रेड रिपॉजिटरी में रिपोर्ट करेंगे।
9. क्रेडिट डेरिवेटिव निर्धारण समिति
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फिमडा द्वारा क्रेडिट डेरिवेटिव निर्धारण समिति का गठन किया जाएगा जिसमें मार्केट मेकर्स और क्रेडिट डेरिवेटिव में प्रयोक्ताओं को मतदाता सदस्यों के तौर पर शामिल किया जाए। फिमडा यह सुनिश्चित करेगी कि प्रयोक्ताओं को समिति में पर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व मिलता है। इस समति में अवलोकनकर्ता सदस्यों के रूप में केन्द्रीय प्रतिपक्ष और परामर्शदाता सदस्यों के रूप में विधिक/लेखापरीक्षा/ परामर्शदाता फर्मों को भी शामिल किया जाए।
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फिमडा द्वारा क्रेडिट डेरिवेटिव निर्धारक समिति के क्रियाकलापों को नियंत्रित करने हेतु अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम व्यवहारों के अनुरूप नियमों की रचना की जाएगी।
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जब भी मार्केट सहभागी संपर्क करेंगे तो क्रेडिट डेरिवेटिव निर्धारक समिति क्रेडिट डेरिवेटिव संविदाओं के महत्त्वपूर्ण प्रावधानों के यथातथ्य निर्धारकों को तैयार करेगी, जिसमें क्रेडिट इवेंट की घटनाएं, प्रतिस्थापन घटनाएं, अनुक्रमण घटनाएं, क्रमानुयायी संदर्भ प्रतिष्ठान की पहचान का निर्धारण, आदि शामिल होंगे, लेकिन यह इतने तक ही सीमित नहीं रहेगा।
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क्रेडिट डेरिवेटिव निर्धारक समिति बाजार सहभागियों के परामर्श से सीडीएस संविदाओं के नकद निपटान हेतु मानक पद्धति का विकास करेगी।
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जब भी मार्केट सहभागी संपर्क करेंगे तो क्रेडिट डेरिवेटिव निर्धारक समिति सीडीएस संविदाओं के निपटान हेतु संदर्भ कीमत निर्धारित करने के लिए नीलामी का अयोजन करे। नीलामी आयोजित करने के मामले में क्रेडिट डेरिवेटिव निर्धारक समिति कार्यपद्धतियां/रक्षोपाय स्थापित करेगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि संदर्भ कीमत का निर्धारण उचित और पारदर्शी तरीके से किया जाता है।
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क्रेडिट डेरिवेटिव निर्धारक समिति के निर्णय बाजार सहभागियों के लिए बाध्यकारी होंगे।
10. एक्सचेंजों के लिए निदेश
(i) एक्सचेन्ज गारंटीकृत निपटान सहित मानकीकृत एकल-नाम सीडीएस संविदाओं का प्रस्ताव कर सकते हैं।
(ii) उत्पाद के डिजाइन, उत्पाद डिजाइन में परिवर्तनों, पात्र सहभागियों और सीडीएस संविदाओं के अन्य विवरणों के लिए एक्सचेंजों को रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमोदन प्राप्त करना होगा।
(iii) एक्सचेंजों को यह सुनिश्चित करना होगा कि एक्सचेंजों पर सहभागियों को सीडीएस के साथ सम्बद्ध जोखिमों के बारे में पर्याप्त रूप से जागरूक किया जाता है।
(iv) संदर्भ प्रतिष्ठानों और एक्सचेंज-ट्रेडेड सीडीएस के लिए संदर्भ दायित्व इन निदेशों के अनुच्छेद 7 के तहत निर्दिष्ट किए अनुसार होंगे।
(v) ऐसे सहभागी जो इन निदेशों के अनुच्छेद 5.2 के तहत परिभाषा के अनुसार रिटेल प्रयोक्ता हैं वे एक्सचेन्ज-ट्रेडेड सीडीएस में केवल हेजिंग के लिए संव्यवहार करेंगे और ऐसे प्रयोक्ता :
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किसी भी पात्र संदर्भ दायित्व का एक्सपोजर होगा;
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अपने द्वारा धारित संदर्भ दायित्व के अंकित मूल्य से उच्चतर नोशनल रकम वाले सीडीएस संविदा(दाओं) का क्रय नहीं करेगा; और
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अपने द्वारा धारित संदर्भ दायित्व की परिपक्वता से बाद की समयावधि वाले सीडीएस या संदर्भ दायित्व की परिपक्वता के तत्काल बाद की परिपक्वता तारीख वाले मानक सीडीएस का क्रय नहीं करेगा।
(vi) सहभागी संदर्भ प्रतिष्ठानों के संबंध में संरक्षण का क्रय/विक्रय नहीं करेंगे, यदि यथाअनुमेय आधार पर नकदी बाजार में इसी प्रकार के जोखिमों या किसी अन्य विनियामक निषेध का उल्लंघन करते हुए इसी प्रकार के एक्सपोजरों पर ऐसी सहभागिता पर विनियामक निषेध हैं।
(vii) एक्सचेन्जों पर सौदाकृत सीडीएस संविदाएं नकदी में निपटाई या नीलामी के माध्यम से निपटाई गई हो सकती हैं। क्रेडिट डेरिवेटिव निर्धारक समिति द्वारा नकद निपटान और नीलामी से निपटान की पद्धति का निर्धारण किया जाएगा जैसा कि इन निदेशों के अनुच्छेद 9 में निर्दिष्ट किया गया है।
(viii) क्रेडिट डेरिवेटिव निर्धारक समिति द्वारा किए गए निर्धारण एक्सचेन्ज-सौदाकृत सीडीएस संविदाओं के लिए अनुमेय होंगे।
(ix) विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) संरक्षण विक्रेता और/या संरक्षा क्रेता के रूप में एक्सचेन्ज-सौदकृत सीडीएस में लेनदेन कर सकते हैं। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की सहभागिता विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा क्रेडिट चूक स्वैप (सीडीएस) में संव्यवहार – परिचालनगत अनुदेश के बारे में 10 फरवरी 2022 को जारी ए.पी.(डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं.23 के प्रावधानों के अनुसार होगी। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा विक्रय किए गए संरक्षणों की सकल नोशनल रकम की रिपोर्ट एक्चेन्जों द्वारा सीसीआईएल को दैनिक आधार पर दिवस के अंत में की जाएगी या यदि रिज़र्व बैंक द्वारा अपेक्षित हो तो अंतरा-दिवस आधार पर की जाएगी।
(x) रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित रूप और तरीके से एक्सचेंजों द्वारा सभी सीडीएस संव्यवहारों की रिपोर्ट दिवस का अंत होने पर दैनिक आधार पर ट्रेड रिपॉजिटरी को की जाएगी, जिन्हें रिज़र्व बैंक ने इस प्रयोजन हेतु प्राधिकृत किया हुआ है।
(xi) एक्सचेंजों द्वारा सीडीएस संव्यवहारों से संबंधित कोई भी जानकारी रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित तरीके और प्ररूप में निर्धारित समय-सीमा के भीतर ही रिज़र्व बैंक को या इस प्रयोजन के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित किसी अन्य एजेंसी को दी जाएगी।
11. मूल्यांकन पद्धति
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क्रेडिट डेरिवेटिव संविदाओं को बाजार से सहबद्ध करने के लिए मार्केट मेकर्स समुचित और प्रबल पद्धतियां तैयार करेंगे।
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मार्केट मेकर्स अपनी सीडीएस पोजिशन का मूल्य निर्धारित करने के लिए फिमडा द्वारा प्रकाशित दैनिक सीडीएस वक्र या फिमडा द्वारा संस्तुत किसी अन्य बेंचमार्क या किसी मालिकाना मॉडल का प्रयोग करेंगे।
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सीडीएस पोजिशन का मूल्यन करने के लिए अपने मालिकाना मॉडल का प्रयोग करने रहे मार्केट मेकर्स मूल्यांकन का प्रकटीकरण मालिकाना मॉडल के अनुसार करेंगे, और अपने वित्तीय विवरणों में लेखे-जोखे संबंधी टिप्पणियों में इस मॉडल का प्रयोग करने के औचित्य और मूल्यांकन पद्धति के स्पष्टीकरण का भी उल्लेख करेंगे। इस प्रकटीकरण में फिमडा द्वारा प्रकाशित सीडीएस वक्र या फिमडा द्वारा संस्तुत किसी बेंचमार्क के अनुसार मूल्यांकन को भी शामिल किया जाएगा।2
12. विवेकपूर्ण मानदंड, लेखांकन और पूंजी संबंधी अपेक्षाएं
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मार्केट सहभागियों द्वारा क्रेडिट डेरिवेटिव के लिबेंचमार्कए अपने-अपने नियामकों द्वारा जारी अनुमेय विवेकपूर्ण मानदंडों और पूंजी पर्याप्तता संबंधी अपेक्षाओं का अनुपालन किया जाएगा।
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मार्केट सहभागियों द्वारा क्रेडिट डेरिवेटिव संविदाओं का लेखांकन संबंधित विनियामकों द्वारा जारी विनियामक दिशानिदेशों/अनुदेशों के साथ पठित और अधिसूचित अनुमेय लेखांकन मानकों के अनुसार किया जाएगा। यदि अधिसूचित अनुमेय लेखांकन मानक या संबंधित विनियामक ने क्रेडिट डेरिवेटिव संविदओं के लिए लेखांकन व्यवहार अधिसूचित नहीं किए हैं तो इस बारे में यदि इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउन्टेन्टस ऑफ इंडिया द्वारा यदि कोई दिशानिदेश हों तो उनका अनुपालन किया जाएगा।
13. रिज़र्व बैंक द्वारा मांगी गई जानकारी प्रदान करने का दायित्व
(i) पात्र सहभागियों सहित क्रेडिट डेरिवेटिव संविदओं का कारोबार करने वाले व्यक्तियों या एजेन्सियों से रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित प्ररूप और तरीके से यथा निर्धारित समय-सीमा में रिज़र्व बैंक ऐसी कोई भी जानकारी या विवरण या कोई स्पष्टीकरण मांग सकता है जो रिज़र्व बैंक के अभिमत से सुसंगत हो, और ऐसे व्यक्ति, एजेन्सियां और सहभागी इस प्रकार की जानकारी, विवरण या स्पष्टीकरण रिज़र्व बैंक द्वारा यथा निर्धारित तरीके और प्ररूप में निर्धारित समय-सीमा के भीतर प्रस्तुत करेंगे।
14. डाटा का प्रकीर्णन
(i) रिज़र्व बैंक या रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत कोई भी व्यक्ति या एजेंसी क्रेडिट डेरिवेटिव बाजार में संव्यवहारों से संबंधित किसी भी अनामकृत डाटा को लोकहित में प्रकाशित कर सकता है।
15. निदेशों का उल्लंघन
(i) किसी व्यक्ति या किसी एजेंसी द्वारा इन निदेशों के किसी भी प्रावधान या किसी भी अन्य अनुमेय कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किए जाने की स्थिति में उस व्यक्ति या एजेंसी को अपने कृत्य का बचाव करने का पर्याप्त अवसर देने के बाद रिज़र्व बैंक द्वारा कानून के अनुसार कोई भी दंडात्मक या विनियामक कार्रवाई करने के अलावा उस व्यक्ति या एजेंसी को क्रेडिट डेरिवेटिव बाजार में कारोबार करने के लिए एक-बार में एक माह तक की अवधि के लिए वर्जित कर दिया जाएगा, और इस प्रकार की कार्रवाई को सार्वजनिक कर दिया जाएगा।
16. ये निदेश जिस तारीख से प्रभावी हुए हैं उस तारीख से किए गए सभी क्रेडिट डेरिवेटिव संव्यवहारों के लिए अनुमेय होंगे। विद्यमान निदेश उन क्रेडिट डेरिवेटिव संव्यवहारों के लिए इन संविदाओं के कालातीत होने तक अनुमेय बने रहेंगे हो संबंधित निदेश के अनुसार निष्पादित किए गए हैं।
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