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विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) निदेश, 2022

भा.रि.बैंक/2022-2023/110
ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.12

22 अगस्त, 2022

सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय

विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) निदेश, 2022

भारत में निवासी व्यक्तियों द्वारा किया जाने वाला पारदेशीय निवेश भारतीय उद्यमियों को व्यापार-वृद्धि के लिए वैश्विक स्तर पर अनेक अवसर प्रदान करते हुए, उनके कारोबार की मात्रा और उसका दायरा बढ़ाने का कार्य करता है। इस तरह के उद्यम प्रौद्योगिकी की उपलब्धता, अनुसंधान एवं विकास, अपेक्षाकृत अधिक व्यापक वैश्विक बाजार के साथ-साथ कम पूंजी लागत व अन्य लाभों के माध्यम से भारतीय संस्थाओं की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाते हैं और उनकी ब्रैंड वैल्यू में भी इजाफ़ा करते हैं। ऐसे पारदेशीय निवेश से विदेशी व्यापार और प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान को भी प्रोत्साहन मिलता है जिसके परिणामस्वरूप ऐसे अंतर-संबंधों के ज़रिए घरेलू रोजगार, निवेश और विकास को बढ़ावा मिलता है।

2. उदारीकरण की भावना को ध्यान में रखते हुए और कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार और रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के तहत जारी किए गए नियमों और विनियमों की उत्तरोत्तर समीक्षा करते हुए विभिन्न प्रक्रियाओं को सरल बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पारदेशीय निवेश संबंधी एक नवीन व्यवस्था को प्रचालित किया जा रहा है। दिनांक 07 जुलाई 2004 की अधिसूचना सं. फेमा 120/2004-आरबी [विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (संशोधन) विनियमावली, 2004] तथा दिनांक 21 जनवरी 2016 की अधिसूचना सं. फेमा 7(आर)/2015-आरबी [विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर स्थावर संपत्ति का अधिग्रहण और हस्तांतरण) विनियमावली, 2015] का अधिक्रमण करते हुए, भारत सरकार द्वारा दिनांक 22 अगस्त, 2022 की अधिसूचना सं. सा.का.जन. 646(अ) द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) नियमावली, 2022 अधिसूचित की गई है, और साथ ही, रिज़र्व बैंक की दिनांक 22 अगस्त, 2022 की अधिसूचना सं. फेमा 400/2022-आरबी द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) विनियमावली, 2022 अधिसूचित की गई है। यह नई व्यवस्था भारत में निवासी व्यक्तियों द्वारा किए जाने वाले पारदेशीय निवेश संबंधी मौजूदा ढांचे को सरल बनाती है, जिससे व्यापक आर्थिक गतिविधियों को कवर किया जा सकेगा और विशिष्ट अनुमोदन प्राप्त करने की आवश्यकताएँ कम हो जाएंगी। इससे अनुपालन का बोझ कम होगा और तत्संबंधी अनुपालन लागत भी घटेगी।

3. नवीन नियमों एवं विनियमों द्वारा किए गये कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन, निम्नलिखित हैं:-

(i) विभिन्न परिभाषाओं में अधिक स्पष्टता लाना;

(ii) “रणनीतिक क्षेत्र” नामक नई संकल्पना को लाया जाना;

(iii) निम्नलिखित के लिए अनुमोदन की अपेक्षा को समाप्त करना:

(ए) प्रतिफल का आस्थगित भुगतान;

(बी) किसी जांच एजेंसी/विनियामक निकाय द्वारा जांच के अधीन भारत में निवासी व्यक्तियों द्वारा निवेश/ विनिवेश;

(सी) दूसरी या उत्तरवर्ती स्तर की उप-अनुषंगी (एसडीएस) को या उसकी ओर से कॉर्पोरेट गारंटी जारी करना;

(डी) विनिवेश के कारण बट्टे खाते डालना;

(iv) रिपोर्टिंग में होने वाले विलंब हेतु "विलंब प्रस्तुतीकरण शुल्क (एलएसएफ)" का प्रावधान।

4. इस संबंध में विस्तृत परिचालनात्मक अनुदेश अनुबंध-I में दिये गए हैं। इन निदेशों में निहित अनुदेश अनुबंध-II में सूचीबद्ध परिपत्रों में दिये गए अनुदेशों का अधिक्रमण करेंगे।

5. नई व्यवस्था के तहत संशोधित रिपोर्टिंग फॉर्म और इन फॉर्मों को भरने संबंधी अनुदेश भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर "विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के तहत रिपोर्टिंग” विषय पर जारी 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.18 के भाग-VIII में उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

6. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों/ ग्राहकों को अवगत कराएं।

7. इस परिपत्र में निहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत जारी किये गए हैं और ये किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालते हैं।

भवदीय

(अजय कुमार मिश्र)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


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