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अधिसूचनाएं

डिजिटल उधार में डिफॉल्ट लॉस गारंटी (डीएलजी) पर दिशानिर्देश

आरबीआई/2023-24/41
विवि.सीआरई.आरईसी.21/21.07.001/2023-24

08 जून, 2023

सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक सहित)
प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंक,
केंद्रीय सहकारी बैंक; और
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (आवास वित्त कंपनियां सहित)

महोदया/महोदय

डिजिटल उधार में डिफॉल्ट लॉस गारंटी (डीएलजी) पर दिशानिर्देश

10 अगस्त, 2022 को जारी आरबीआई की प्रेस विज्ञप्ति “डिजिटल ऋण पर कार्य दल की सिफ़ारिशें – कार्यान्वयन” के अनुबंध-II की धारा सी के पैरा (3.4.3.1) का संदर्भ दिया जाता है जिसके अनुसार यह निर्दिष्ट किया गया था कि फर्स्ट लॉस डिफॉल्ट गारंटी (एफ़एलडीजी) से संबन्धित सिफ़ारिश रिजर्व बैंक की जांच कर रहा है।

2. विनियमित संस्थाओं (आरई) और ऋण सेवा प्रदाताओं (एलएसपी) के बीच या दो आरई के बीच डिफॉल्ट लॉस गारंटी (डीएलजी) व्यवस्था, जिनको आमतौर पर एफ़एलडीजी के रूप में जाना जाता है, की बैंक द्वारा जांच की गई और इस परिपत्र के अनुबंध में निर्धारित दिशानिर्देशों के अधीन ऐसी व्यवस्थाओं को अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। इन दिशानिर्देशों के अनुरूप बनाई गई डीएलजी व्यवस्था को 'सिंथेटिक प्रतिभूतिकरण'1 के रूप में नहीं माना जाएगा और / या 'ऋण भागीदारी'2 के प्रावधानों को भी आकर्षित नहीं करेगा।

3. ये दिशानिर्देश इस परिपत्र की तारीख से लागू होंगे।

4. ये दिशानिर्देश बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराएँ 21, 35ए और 56, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धाराएँ 45जेए, 45एल और 45एम, राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 30ए और फ़ैक्टरिंग विनियमन अधिनियम की धारा 6 के तहत जारी किए गए हैं।

भवदीय

(मनोरंजन मिश्र)
मुख्य महाप्रबंधक

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1 “एक संरचना जहां एक्सपोजर के अंतर्निहित समूह का ऋण जोखिम पूर्णत: अथवा अंशत: ऋिव्युत्पन्नी (डेरिवेटिव) या ऋण गारंटी के उपयोग के माध्यम से स्थानांतरित किया जाता है; जो उधरदाता के तुलनपत्र वाले पोर्टफोलियो के ऋण जोखिम का बचाव (हेज) करता है", जैसा कि दिनांक 24 सितंबर 2021 के भारतीय रिजर्व बैंक (मानक आस्तियों का प्रतिभूतिकरण) निर्देश, 2021 के पैरा 5 (वाई) के तहत परिभाषित किया गया है।

2 "एक ऐसा लेन-देन है जिसके माध्यम से हस्तांतरणकर्ता ऋण संविदा के वास्तविक हस्तांतरण के बिना हस्तांतरिती(ओं) के लिए ऋण एक्सपोजर में अपने सभी या आंशिक आर्थिक हित को स्थानांतरित करता है, और हस्तांतरिती(ओं) हस्तांतरणकर्ता को हस्तांतरित आर्थिक हित की सीमा तक निधि प्रदान करता है जो हस्तांतरण करार के तहत मूलधन, ब्याज, शुल्क और अन्य भुगतान, यदि कुछ है उसके बराबर हो सकता है”, जैसाकि दिनांक 24 सितंबर 2021 के भारतीय रिज़र्व बैंक (ऋण एक्सपोजर का अंतरण) निदेश, 2021 के पैरा 9(ई) के तहत परिभाषित परिभाषित किया गया है।


अनुबंध

डिजिटल उधार में डिफॉल्ट लॉस गारंटी (डीएलजी) पर दिशानिर्देश

1. आवेदन का दायरा: ये दिशानिर्देश निम्नलिखित संस्थाओं (इसके बाद 'विनियमित संस्थाओं' के रूप में संदर्भित) द्वारा किए गए 'डिजिटल उधार’1 संचालन में दर्ज डीएलजी व्यवस्थाओं पर लागू होते हैं:

1.1. सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक सहित),

1.2. प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंक, केंद्रीय सहकारी बैंक; और

1.3. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (आवास वित्त कंपनियां सहित)

2. परिभाषाएँ

2.1. डिफॉल्ट लॉस गारंटी (डीएलजी): विनियमित इकाई (आरई) और इन दिशानिर्देशों के पैरा 3 में निर्धारित मानदंडों को पूरा करनेवाली इकाई के बीच एक संविदात्मक व्यवस्था, जिसे किसी भी नाम से संबोधित किया जाता हो, जिसके तहत वह इकाई आरई को यह गारंटी देती है कि वह चूक के कारण आरई के ऋण पोर्टफोलियो, जो अग्रिम रूप से निर्दिष्ट हो, मे होनेवाले नुकसान की भरपाई एक निश्चित प्रतिशत2 तक करेगी। आरई के ऋण पोर्टफोलियो, जो अग्रिम रूप से निर्दिष्ट हो, के कार्यनिष्पादन से जुड़ी समान प्रकृति की कोई अन्य अंतर्निहित गारंटी भी डीएलजी की परिभाषा में शामिल की जाएगी।

2.2. इन दिशानिर्देशों में प्रयुक्त और परिभाषित नहीं किए गए शब्दों का वही अर्थ होगा जो ‘डिजिटल ऋण संबंधी दिशानिर्देश’ पर दिनांक 02 सितंबर 2022 के परिपत्र में निर्धारित किया गया हैं।

3. डीएलजी प्रदाता के रूप में पात्रता – आरई द्वारा डीएलजी व्यवस्था में प्रवेश किसी उधार सेवा प्रदाता (एलएसपी)3 / अन्य आरई जिसके साथ उसने आउटसोर्सिंग (एलएसपी) व्यवस्था की है, के साथ ही किया जा सकता है। इसके अलावा, डीएलजी प्रदान करने वाले एलएसपी कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत कंपनी के रूप में निगमित किया होना चाहिए।

4. डीएलजी व्यवस्था की संरचना: आरई और डीएलजी प्रदाता के बीच डीएलजी व्यवस्था को स्पष्ट कानूनी रूप से लागू करने योग्य अनुबंध द्वारा समर्थित किया जाना चाहिए। इस तरह के अनुबंध में, अन्य बातों के साथ-साथ, निम्नलिखित विवरण होना चाहिए:

  1. डीएलजी कवर की सीमा

  2. रूप जिसमें आरई के साथ डीएलजी कवर बनाए रखा जाना है

  3. डीएलजी आह्वान के लिए समयरेखा

  4. इन दिशानिर्देशों के पैरा 11 के तहत प्रकटीकरण की आवश्यकताएं

5. डीएलजी के रूप: आरई केवल निम्नलिखित रूपों में से एक या अधिक में डीएलजी को स्वीकार करेंगे:

  1. आरई के साथ नकद जमा

  2. आरई के पक्ष में चिह्नित ग्रहणाधिकार के साथ एक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक के साथ सावधि जमा

  3. आरई के पक्ष में बैंक गारंटी

6. डीएलजी पर कैप: आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी बकाया पोर्टफोलियो, जो अग्रिम रूप से निर्दिष्ट हो, पर डीएलजी कवर की कुल राशि उस ऋण पोर्टफोलियो की राशि के पांच प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। निहित गारंटी व्यवस्था के मामले में, डीएलजी प्रदाता अंतर्निहित ऋण पोर्टफोलियो के पांच प्रतिशत की समतुल्य राशि से अधिक का निष्पादन जोखिम वहन नहीं करेंगे।

7. एनपीए की पहचान: पोर्टफोलियो स्तर पर उपलब्ध किसी भी डीएलजी कवर के बावजूद आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण मानदंडों के अनुसार एनपीए के रूप में पोर्टफोलियो में व्यक्तिगत ऋण संपत्ति की पहचान और परिणामी प्रावधान आरई की जिम्मेदारी होगी। उद्धरित डीएलजी की राशि को अंतर्निहित व्यक्तिगत ऋणों के विरुद्ध समायोजित नहीं किया जाएगा। आरई द्वारा वसूली, यदि कोई हो, उस ऋण से, जिस पर डीएलजी को उद्धरित किया गया है और वसूल किया गया है, उसे संविदात्मक व्यवस्था के अनुसार डीएलजी प्रदाता के साथ साझा किया जा सकता है।

8. विनियामक पूंजी के लिए डीएलजी का निरूपण: पूंजी गणना, यानी पोर्टफोलियो में व्यक्तिगत ऋण आस्तियों पर ऋण जोखिम न्यूनीकरण लाभों की गणना और आवेदन मौजूदा मानदंडों4 द्वारा अभिशासित होते रहेंगे।

9. डीएलजी को उद्धृत करना: आरई 120 दिनों की अधिकतम अतिदेय अवधि के भीतर डीएलजी को उद्धृत करेंगे, जब तक कि इससे पहले उधारकर्ता द्वारा भुगतान नहीं किया जाता।

10. डीएलजी की अवधि: अवधि जिसके लिए डीएलजी करार लागू रहेगा, वह अंतर्निहित ऋण पोर्टफोलियो में मौजूद सबसे लंबी अवधि के ऋण से कम नहीं होगा।

11. प्रकटीकरण आवश्यकताएँ: आरई यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र स्थापित करेगा कि जिन एलएसपी के साथ उनकी डीएलजी व्यवस्था है, वे अपनी वेबसाइट पर पोर्टफोलियो की कुल संख्या और प्रत्येक पोर्टफोलियो की संबंधित राशि जिस पर डीएलजी की पेशकश की गई है, को प्रकाशित करेंगे।

12. डीएलजी प्रदाता के संबंध में उचित सावधानी और अन्य आवश्यकताएं

12.1. आरई किसी भी डीएलजी व्यवस्था में प्रवेश करने से पहले बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति लागू करेंगे। इस तरह की नीति में कम से कम, डीएलजी प्रदाता के लिए पात्रता मानदंड, डीएलजी कवर की प्रकृति और सीमा, डीएलजी व्यवस्था की निगरानी और समीक्षा की प्रक्रिया, और डीएलजी प्रदाता को देय शुल्क, यदि कोई हो, का विवरण शामिल होगा।

12.2. यह दोहराया जाता है कि कोई भी डीएलजी व्यवस्था क्रेडिट मूल्यांकन आवश्यकताओं के विकल्प के रूप में कार्य नहीं करेगी और डीएलजी कवर के बावजूद पुष्ट क्रेडिट हामीदारी मानकों को स्थापित करने की आवश्यकता है।

12.3. जब भी कोई आरई डीएलजी व्यवस्था में प्रवेश करता है या उसका नवीनीकरण करता है, तो वह स्वयं को इस बात से संतुष्ट करने के लिए पर्याप्त जानकारी प्राप्त करेगा कि डीएलजी का विस्तार करने वाली इकाई इसका सम्मान करने में सक्षम होगी। इस तरह की जानकारी में, कम से कम, डीएलजी प्रदाता से वैधानिक लेखा परीक्षक द्वारा प्रमाणित घोषणा पत्र जिसमे कुल बकाया डीएलजी राशि, आरई की संख्या और पोर्टफोलियो की संबंधित संख्या जिसके लिए डीएलजी प्रदान किया गया है शामिल होगी। घोषणा में समान पोर्टफोलियो पर पिछली डिफ़ॉल्ट दरें भी शामिल होंगी।

13. डीएलजी व्यवस्थाओं से संबंधित ग्राहक सुरक्षा उपाय और शिकायत निवारण मुद्दे अन्य लागू मौजूदा मानदंडों के साथ-साथ 02 सितंबर 2022 के 'डिजिटल ऋण पर दिशानिर्देश' में निहित हमारे अनुदेशों द्वारा निर्देशित होंगे।

14. छूट

निम्नलिखित योजनाओं/संस्थाओं के अंतर्गत आने वाली गारंटियां डीएलजी की परिभाषा में शामिल नहीं होंगी:

14.1. सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी निधि ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई) की गारंटी योजनाएं, क्रेडिट रिस्क गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर लो इनकम हाउसिंग (सीआरजीएफ़टीएलआईएच) और राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी लि. (एनसीजीटीसी) के तहत व्यक्तिगत योजनाएं।

14.2. अंतरराष्ट्रीय निपटान बैंक (बीआईएस), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और साथ ही बहुपक्षीय विकास बैंकों द्वारा प्रदान की गई क्रेडिट गारंटी, जैसा कि 12 मई 2023 के बेसल III पूंजी विनियमन पर आरबीआई मास्टर परिपत्र के पैरा 5.5 में संदर्भित है।

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1 जैसा कि 02 सितंबर, 2022 के 'डिजिटल उधार पर दिशानिर्देश' पर परिपत्र के अनुलग्नक के पैरा 2.3 के तहत परिभाषित किया गया है।

2 डीएलजी आरई की पुस्तकों से अंतर्निहित ऋण एक्सपोजर का कोई वास्तविक हस्तांतरण डीएलजी प्रदाता की पुस्तकों में नहीं करेगा।

3 जैसा कि पैरा 2 सितंबर 2022 के 'डिजिटल उधार पर दिशानिर्देश' पर परिपत्र के अनुलग्नक के पैरा 2.5 के तहत परिभाषित किया गया है।

4 दिनांक 12 मई 2023 के ‘बेसल III पूंजी विनियमों पर मास्टर परिपत्र’ के पैरा 7, मास्टर निदेश – गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - प्रणालीगत रूप से गैर-महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 (समय-समय पर अद्यतन किया गया), मास्टर निदेश - गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी – गैर-व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण गैर-जमा लेने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 (समय-समय पर अद्यतन किया गया), ‘पूंजी पर्याप्तता पर विवेकपूर्ण मानदंड – प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक (यूसीबी)’ पर दिनांक 20 अप्रैल 2023 का मास्टर परिपत्र, ‘लघु वित्त बैंकों के लिए परिचालन दिशानिर्देश’ पर दिनांक 06 अक्तूबर 2016 का परिपत्र


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