8 फरवरी 2017
विकासात्मक और विनियामकीय नीतियों पर वक्तव्य
यह वक्तव्य विकासात्मक और विनियामकीय नीतिगत उपाय प्रस्तुत करता है जो बैंकिंग संरचना के और सुदृढ़ीकरण तथा भुगतान और निपटान प्रणालियों की सक्षमता बढ़ाने के लिए उठाए जाने हैं।
2. विनियमन, निगरानी और प्रवर्तन वित्तीय क्षेत्र के निगरानी तंत्र के तीन महत्वपूर्ण पहलु हैं। विनियमन रूपरेखा निर्धारित करता है जिसके अंदर वित्तीय संस्थाएं कार्य करती है जिससे कि एक तरफ विवेक, पारदर्शिता और तुलनीयता सुनिश्चित हो सके और दूसरी ओर ग्राहकों के हितों की रक्षा की जा सके। निगरानी वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से विनियमों के पालन की निगरानी की जाती है। प्रवर्तन उन विनियमों का अनुपालन नहीं करने के मामलों का निपटान करता है जो निगरानी प्रक्रिया या अन्य किसी दूसरे तरीके से देखे जाते हैं। वर्तमान में, रिज़र्व बैंक में विनियामकीय और निगरानी कार्यों का स्पष्ट सीमांकन किया गया है। प्रवर्तन कार्य के लिए एक अच्छा ढांचा और प्रक्रिया विकसित करने की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया है कि एक अलग से प्रवर्तन विभाग स्थापित किया जाए। इस संबंध में आवश्यक कदम उठाए जा चुके हैं और नया विभाग 1 अप्रैल 2017 से कार्य शुरू करेगा।
3. सूचना प्रौद्योगिकी जांच और साइबर सुरक्षा संबंधी विशेषज्ञ पैनल (अध्यक्षः श्रीमती मीना हेमचंद्र), रिज़र्व बैंक ने 2 जून 2016 को बैंकों को दिशानिर्देश जारी किए हैं जिसमें साइबर जोखिम के समाधान हेतु साइबर सुरक्षा की तत्परता का अधिदेश दिया गया है। जबकि बैंकों ने अपनी सुरक्षा सुदृढ़ करने के लिए कदम उठाए हैं, हाल के विविध और चतुराई पूर्ण साइबर प्रहारों ने साइबर सुरक्षा क्षेत्र और उभरते खतरों की चालू समीक्षा को जरूरी बना दिया है। इसके लिए, साइबर सुरक्षा पर एक अंतर-विषयक स्थायी समिति का गठन किया जा रहा है जो अन्य के साथ-साथ निम्नलिखित कार्य करेगी,
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मौजूदा/उभरती प्रौद्योगिकी में अंतर्निहित खतरों की समीक्षा;
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विभिन्न सुरक्षा मानकों/शिष्टाचारों के अध्ययन को अपनाना;
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स्टेकधारकों के साथ इंटरफेस; और
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साइबर सुरक्षा और लचीलेपन को सुदृड़ करने के लिए उचित नीतिगत हस्तक्षेपों का सुझाव देना।
जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2016-17/2127 |