05 मार्च 2020
येस बैंक लि. पर अधिस्थगन आदेश
निवेशकों से ऋणपत्रों की संविदा जुटाने, जमा वापसी रोकने और संभावित ऋण घाटे और परिणामी गिरावट को दूर करने के लिए पूंजी जुटाने में बैंक की असमर्थता के कारण येस बैंक लिमिटेड (बैंक) की वित्तीय स्थिति में निरंतर रूप से बड़े पैमाने पर गिरावट आई है। बैंक ने हाल के वर्षों में गंभीर अनुशासनिक मुद्दों और प्रथाओं को भी अनुभव किया है जिसके कारण बैंक की लगातार अवनति हुई है। अपनी बैलेंस शीट और तरलता को मजबूत करने के तरीके खोजने के लिए बैंक के प्रबंधन के साथ रिज़र्व बैंक निरंतर जुड़ा रहा है। बैंक प्रबंधन ने रिज़र्व बैंक को संकेत दिया था कि वह विभिन्न निवेशकों के साथ बातचीत कर रहा है और उसके सफल होने की संभावना है। 12 फरवरी 2020 को स्टॉक एक्सचेंज के दाखिले के अनुसार पूंजी को खोजने के अवसरों की तलाश के लिए बैंक कुछ निजी इक्विटी फर्मों के साथ भी जुड़ा हुआ था। इन निवेशकों ने रिज़र्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा की, लेकिन विभिन्न कारणों से अंततः कोई भी पूंजीगत निवेश नहीं किया गया। चूंकि एक विनियामक द्वारा पुनर्गठन की तुलना में बैंक और बाजार के नेतृत्व में पुनर्गठन एक पसंदीदा विकल्प है, इसलिए रिज़र्व बैंक ने इस तरह की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए सभी प्रयास किए और बैंक के प्रबंधन को एक अर्थक्षम पुनर्गठन योजना तैयार करने के लिए पर्याप्त अवसर दिया, जिसका कोई फायदा नहीं हुआ। इस बीच बैंक तरलता के नियमित बहिर्वाह का सामना कर रहा था।
इन घटनाक्रमों पर विचार करने के बाद, सार्वजनिक हित और बैंक के जमाकर्ताओं के हित में रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि एक विश्वसनीय पुनर्गठन योजना के अभाव में बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 45 के तहत केंद्र सरकार के पास अधिस्थगन लागू करने के लिए आवेदन करने के अलावा रिज़र्व बैंक के पास कोई विकल्प नहीं है । तदनुसार, केंद्र सरकार ने आज से प्रभावी रूप में अधिस्थगन आदेश लागू किया है।
रिज़र्व बैंक, बैंक के जमाकर्ताओं को आश्वस्त करता है कि उनके हित पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगे और उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। बैंकिंग विनियमन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार बैंक के पुनर्गठन या समामेलन के लिए अगले कुछ दिनों में रिज़र्व बैंक एक योजना का अन्वेषण और निर्माण करेगा और केंद्र सरकार की स्वीकृति के साथ अधिस्थगन की तीस दिनों की अवधि समाप्त हो जाने के पहले उसे अच्छी तरह से लागू करेगा ताकि जमाकर्ताओं को लंबे समय तक कठिनाई का सामना न करना पड़े।
रिज़र्व बैंक ने अधिनियम की धारा 35 के तहत बैंक को कुछ निदेश भी जारी किए हैं।
(योगेश दयाल)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/2022 |