25 जनवरी 2021
रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 3/2021:
भारत में मौद्रिक नीति पारदर्शिता और मुद्रास्फीति प्रत्याशा पर अंकुश लगाना
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर श्रृंखला के तहत* “भारत में मौद्रिक नीति पारदर्शिता और मुद्रास्फीति प्रत्याशा पर अंकुश लगाना" शीर्षक से एक वर्किंग पेपर रखा। पेपर का लेखन जी.पी.सामंत और श्वेता कुमारी ने किया है।
यह पेपर भारत के लिए मौद्रिक नीति पारदर्शिता का सूचकांक बनाता है और मुद्रास्फीति प्रत्याशा पर अंकुश लगाना में पारदर्शिता की भूमिका की जांच करता है। अनुभवजन्य परिणाम बताते हैं कि 2016 में लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (एफआईटी) को अपनाने के बाद से नीति पारदर्शिता की डिग्री में वास्तव में काफी वृद्धि हुई है। इसके अलावा, अनुभवजन्य साक्ष्य बताते हैं कि पेशेवर पूर्वानुमानकर्ताओं और परिवारों की मुद्रास्फीति प्रत्याशा पर, एफआईटी के बाद की अवधि में, कमजोर-रूप में, अंकुश लगाया गया, हालांकि, परिवारों की प्रत्याशा मुद्रास्फीति सहिष्णुता बैंड के भीतर जरूरी नहीं थीं। परिवर्तन काल के दौरान (2014 से स्व-अधिरोपित अवस्फीतिकारी ग्लाइड-पथ और एफआईटी को अपनाने के बीच), दोनों ने महसूस किया कि मुद्रास्फीति और प्रत्याशा में गिरावट आई है, जिसके कारण उनके बीच सकारात्मक संबंध बना है। परिवर्तन पूर्व अवधि के दौरान, जब स्पष्ट मुद्रास्फीति लक्ष्य अनुपस्थित था, तथापि, उच्च स्तर पर, प्रत्याशाओं पर भी उचित रूप से अंकुश लगाया गया था।
(योगेश दयाल)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2020-2021/995
|