21 सितंबर 2022
रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर सं. 14/2022: एक लचीली विनिमय दर व्यवस्था के अंतर्गत
मौद्रिक नीति स्वतंत्रता - भारतीय संदर्भ में
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर भारतीय रिज़र्व बैंक वर्किंग पेपर शृंखला1 के अंतर्गत "एक लचीली विनिमय दर व्यवस्था के अंतर्गत मौद्रिक नीति स्वतंत्रता - भारतीय संदर्भ में" शीर्षक से एक वर्किंग पेपर रखा। पेपर का सह-लेखन हरप्रीत सिंह ग्रेवाल और पुष्पा त्रिवेदी ने किया है।
एक खुली अर्थव्यवस्था में, केंद्रीय बैंक, एक साथ विनिमय दर स्थिरता को बनाए रखने, स्वतंत्र मौद्रिक नीति का परिचालन करने और एक खुले पूंजी खाते से लाभान्वित होने की असंभव चुनौती का सामना करते हैं।
इस पृष्ठभूमि के सापेक्ष, यह पेपर मूल्यांकन करता है कि क्या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भारतीय रुपये में अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में मध्यक्षेप का, 1991 से 2020 के दौरान भारत की मौद्रिक नीति स्वतंत्रता पर कोई बाधित प्रभाव हुआ है।
पेपर के प्रमुख निष्कर्ष निम्नवत हैं:
-
भारत में विदेशी मुद्रा बाज़ार के मध्यक्षेप के परिणामस्वरूप मुद्रा आपूर्ति में वृद्धि की उच्च स्तर की अवरुद्धता है।
-
भारतीय रुपये में अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए पूंजी प्रवाह में वृद्धि के दौरान विदेशी मुद्रा बाजार के मध्यक्षेप से M3 में वृद्धि हुई है, तथापि यह न तो मुद्रास्फीतिकारी पाई गई है और न ही भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा नीतिगत दर प्रतिक्रिया प्राप्त करता है; यह आरबीआई की मौद्रिक नीति की स्वतंत्रता की ओर इशारा करता है, जो अपनी विनिमय दर नीति और वित्तीय खुलेपन से अधिक बाधाओं का सामना नहीं कर रही है।
(योगेश दयाल)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/903
|