5 अप्रैल 2024
मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2024-25
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प
3-5 अप्रैल 2024
वर्तमान और उभरती समष्टि-आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज (5 अप्रैल 2024) अपनी बैठक में यह निर्णय लिया है कि:
परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर यथावत् बनी हुई है।
ये निर्णय, संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को +/- 2 प्रतिशत के दायरे में रखते हुए 4 प्रतिशत का मध्यावधि लक्ष्य प्राप्त करने के अनुरूप है।
आकलन और संभावना
2. वैश्विक अर्थव्यवस्था आघात सहनीयता प्रदर्शित कर रही है और 2024 में इसके स्थिर संवृद्धि को बनाए रखने की संभावना है। अनुकूल आधार प्रभावों द्वारा समर्थित मुद्रास्फीति अधोगामी है, तथापि सेवाओं की अविनेय कीमतें लक्ष्य के सापेक्ष इसे ऊंचा रख रही हैं। जैसे-जैसे केंद्रीय बैंक अवस्फीति के अंतिम पड़ाव पर पहुँच रहे हैं, वित्तीय बाज़ार, मौद्रिक नीति प्रक्षेपवक्र के समय और गति पर बदलती धारणाओं पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इक्विटी बाज़ारों में तेजी आ रही है, जबकि सॉवरेन बॉण्ड प्रतिफल और अमेरिकी डॉलर में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। सुरक्षित निवेश मांग के कारण स्वर्ण की कीमतों में उछाल आया है।
3. घरेलू अर्थव्यवस्था की गति मजबूत है। दूसरे अग्रिम अनुमान (एसएई) के अनुसार, घरेलू मांग में मजबूत वृद्धि के कारण 2023-24 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 7.6 प्रतिशत की दर से बढ़ा। मजबूत निवेश गतिविधि और निवल बाह्य मांग में कमी के कारण तीसरी तिमाही में वास्तविक जीडीपी में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आपूर्ति पक्ष पर, विनिर्माण और निर्माण गतिविधि द्वारा संचालित, योजित सकल मूल्य में 2023-24 में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
4. आगे, अपेक्षित सामान्य दक्षिण-पश्चिम मानसून से कृषि गतिविधियों को समर्थन मिलना चाहिए। निरंतर लाभप्रदता के कारण विनिर्माण की गति बरकरार रहने की आशा है। सेवा गतिविधि के महामारी-पूर्व प्रवृत्ति से ऊपर बढ़ने की संभावना है। ग्रामीण गतिविधियों में और तेजी तथा स्थिर शहरी मांग के साथ निजी खपत को गति मिलनी चाहिए। भारतीय रिज़र्व बैंक के उपभोक्ता सर्वेक्षण के अनुसार, शहरी परिवारों द्वारा अपेक्षित विवेकाधीन व्यय में वृद्धि और आय के स्तर में सुधार निजी खपत की मजबूती के लिए अच्छा संकेत है। कारोबारी आशावाद, कॉर्पोरेट और बैंक के मजबूत तुलन पत्र, मजबूत सरकारी पूंजीगत व्यय और निजी पूंजीगत व्यय चक्र में तेजी के संकेतों के साथ निश्चित निवेश की संभावनाएं उज्ज्वल बनी हुई हैं। तथपि, भू-राजनीतिक तनाव, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाज़ारों में अस्थिरता, भू-आर्थिक विखंडन, लाल सागर में बढ़ते व्यवधान और चरम मौसम की घटनाओं से प्रतिकूल परिस्थितियाँ, संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न करती हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि पहली तिमाही में 7.1 प्रतिशत; दूसरी तिमाही में 6.9 प्रतिशत; तीसरी तिमाही में 7.0 प्रतिशत; और चौथी तिमाही में 7.0 प्रतिशत के साथ 7.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है (चार्ट 1)। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।
5. जनवरी-फरवरी 2024 के दौरान हेडलाइन मुद्रास्फीति घटकर 5.1 प्रतिशत हो गई, जो दिसंबर में 5.7 प्रतिशत थी। जनवरी में सुधार के बाद, फरवरी में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 7.8 प्रतिशत हो गई, जो मुख्य रूप से सब्जियों, अंडे, मांस और मछली के कारण बढ़ी। फरवरी में ईंधन की कीमतें लगातार छठे महीने अवस्फीति में रहीं। मूल सीपीआई (खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई) की अवस्फीति फरवरी में इसे 3.4 प्रतिशत पर ले आई - यह वर्तमान सीपीआई शृंखला में सबसे कम में से एक थी, जिसमें वस्तुओं और सेवाओं दोनों घटकों में मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज की गई थी।
6. आगे चलकर, खाद्य मूल्य अनिश्चितताएं मुद्रास्फीति की संभावना पर प्रभाव डालती रहेंगी। तथापि, 2023-24 में अपेक्षित रिकॉर्ड रबी गेहूं उत्पादन से अनाज की कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। सामान्य मानसून के शुरुआती संकेत भी ख़रीफ़ सीज़न के लिए अच्छे संकेत हैं। दूसरी ओर, जलवायु संबंधी आघातों की बढ़ती घटनाएं खाद्य कीमतों के लिए एक प्रमुख जोखिम बनी हुई हैं। जलाशयों का निम्न स्तर, विशेष रूप से दक्षिणी राज्यों में और अप्रैल-जून के दौरान सामान्य से अधिक तापमान का पूर्वानुमान भी चिंता का विषय है। कुछ दालों की सख्त मांग आपूर्ति की स्थिति और प्रमुख सब्जियों की कीमतों पर कड़ी निगरानी की आवश्यकता है। एलपीजी की कीमतों में हालिया कटौती के बाद निकट भविष्य में ईंधन की कीमतों में और गिरावट की संभावना है। निरंतर नरमी के बाद, कंपनियों पर लागत वृद्धि का दबाव ऊर्ध्वगामी प्रतीत हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में हालिया बढ़ोतरी के कारण कड़ी निगरानी की आवश्यकता है। भू-राजनीतिक तनाव और वित्तीय बाज़ारों में अस्थिरता भी मुद्रास्फीति की संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न करती है। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए और सामान्य मानसून की परिकल्पना करते हुए, 2024-25 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति पहली तिमाही में 4.9 प्रतिशत; दूसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत; तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत; और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत के साथ 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है और (चार्ट 2)। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।
7. एमपीसी ने कहा कि घरेलू आर्थिक आघात-सह बनी हुई है, जो मजबूत निवेश मांग और उत्साहित कारोबारी और उपभोक्ता मनोभावों से समर्थित है। हेडलाइन मुद्रास्फीति दिसंबर के चरम स्तर से नीचे आ गई है; तथापि, खाद्य कीमतों का दबाव चालू अवस्फीति प्रक्रिया को बाधित कर रहा है, जिससे मुद्रास्फीति के लक्ष्य तक अंतिम रूप से पहुँचने में चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं। प्रतिकूल जलवायु घटनाओं से अप्रत्याशित आपूर्ति पक्ष के आघातों और कृषि उत्पादन पर उनके प्रभाव के साथ-साथ भू-राजनीतिक तनाव तथा व्यापार और कमोडिटी बाज़ारों में प्रभाव विस्तार ने संभावना के लिए अनिश्चितताएं बढ़ा दी हैं। चूँकि जब तक मुद्रास्फीति टिकाऊ आधार पर 4 प्रतिशत के लक्ष्य तक नहीं पहुंच जाती, अवस्फीति के मार्ग को कायम रखने की आवश्यकता है, एमपीसी ने इस बैठक में नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखने का निर्णय लिया। मुद्रास्फीति की प्रत्याशाओं को नियंत्रित करने और पूर्ण संचरण को सुनिश्चित करने के लिए मौद्रिक नीति को सक्रिय रूप से अवस्फीतिकारी बने रहना चाहिए। एमपीसी, मुद्रास्फीति को लक्ष्य के साथ संरेखित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ रहेगी। एमपीसी का मानना है कि टिकाऊ मूल्य स्थिरता उच्च संवृद्धि के लिए मजबूत नींव स्थापित करेगी। एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो।
8. डॉ. शशांक भिडे, डॉ. आशिमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखने के लिए वोट किया। प्रो. जयंत आर. वर्मा ने नीतिगत रेपो दर को 25 आधार अंकों तक कम करने के लिए वोट किया।
9. डॉ. शशांक भिडे, डॉ. आशिमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए वोट किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो। प्रो. जयंत आर. वर्मा ने रुख को तटस्थ के रूप में बदलने के लिए वोट किया।
10. एमपीसी की इस बैठक का कार्यवृत्त 19 अप्रैल 2024 को प्रकाशित किया जाएगा।
11. एमपीसी की अगली बैठक 5-7 जून 2024 के दौरान निर्धारित है।
(योगेश दयाल)
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/42 |