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प्रेस प्रकाशनी

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महत्वपूर्ण पर्यवेक्षी चिंताओं के आधार पर ईसीएल फाइनेंस लिमिटेड और एडलवाइस एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड के विरुद्ध पर्यवेक्षी कार्रवाई

29 मई 2024

महत्वपूर्ण पर्यवेक्षी चिंताओं के आधार पर ईसीएल फाइनेंस लिमिटेड और एडलवाइस एसेट रिकंस्ट्रक्शन
कंपनी लिमिटेड के विरुद्ध पर्यवेक्षी कार्रवाई

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (सरफेसी) और भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अंतर्गत निहित अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए एडलवाइस समूह से संबंधित निम्नलिखित पर्यवेक्षित संस्थाओं पर क्रमशः कारोबारी प्रतिबंध लगाए हैं।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने:

(i) ईसीएल फाइनेंस लिमिटेड (ईसीएल) को अपने सामान्य कारोबार के दौरान चुकौती और/ या खातों को बंद करने के अलावा, अपने थोक एक्सपोज़र के संबंध में किसी भी संरचित लेनदेन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने एवं उसे बंद करने का निदेश दिया।

(ii) एडलवाइस एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (ईएआरसीएल) को प्रतिभूति रसीदों (एसआर) सहित वित्तीय आस्तियों के अधिग्रहण करने तथा मौजूदा एसआर को अधिमानी और गौण शृंखला में पुनर्गठित करने पर रोक लगाने एवं उसे बंद करने का निदेश दिया।

उपरोक्त निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

यह कार्रवाई पर्यवेक्षी जांच के दौरान पाई गई महत्वपूर्ण चिंताओं पर आधारित है, जो मुख्य रूप से आपसी समझौते से कार्य कर रहे समूह संस्थाओं के आचरण से उत्पन्न हुई है, जिन्होंने लागू विनियमों का अननुपालन करते हुए ईसीएल के तनावग्रस्त एक्सपोज़रों को सदाबहार बनाए रखने के लिए ईएआरसीएल और संबंधित एआईएफ़ प्लेटफॉर्म का उपयोग करके कई संरचित लेनदेन किए। ईसीएल और ईएआरसीएल दोनों में एसआर का गलत मूल्यन भी पाया गया। उपरोक्त के अलावा, ईसीएल में, पर्यवेक्षी टिप्पणियों में अपने ऋणदाताओं को आहरण शक्ति की गणना के लिए अपने पात्र बही ऋणों का गलत विवरण प्रस्तुत करना, शेयरों के बदले उधार देने के लिए मूल्य की तुलना में ऋण संबंधी मानदंडों का अननुपालन, केंद्रीय बृहत ऋण सूचना भंडार(सीआरआईएलसी) को गलत रिपोर्टिंग और अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) दिशानिर्देशों का अननुपालन शामिल है। ईसीएल ने समूह की गैर-ऋणदाता संस्थाओं से ऋण लेकर उसे अंततः समूह एआरसी को बेच दिया, जिससे उसने उन विनियमों के अननुपालन में स्वयं को वाहक के रूप में इस्तेमाल किया, जो एआरसी को केवल बैंकों और वित्तीय संस्थानों से ही वित्तीय आस्तियों के अधिग्रहण की अनुमति देते हैं।

ईएआरसीएल में अन्य उल्लंघनों में, 2021-22 के लिए पिछले निरीक्षण के बाद जारी किए गए भारतीय रिज़र्व बैंक के पर्यवेक्षी पत्र को बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत नहीं करना, ऋणों के निपटान से संबंधित विनियमों का अननुपालन करना और अपने ग्राहकों की गैर-सार्वजनिक जानकारी को समूह संस्थाओं के साथ साझा करना शामिल था।

उक्त कमियों को दूर करने के लिए सार्थक सुधारात्मक कार्रवाई करने के बजाय, यह देखा गया कि समूह संस्थाएं, विनियमों के अनुपालन से बचने के लिए नए तरीकों का सहारा ले रही थीं। पिछले कुछ महीनों से, रिज़र्व बैंक उपर्युक्त संस्थाओं के वरिष्ठ प्रबंधन और उनके सांविधिक लेखा परीक्षकों के साथ बातचीत कर रहा है, लेकिन अभी तक कोई सार्थक सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की गई है, जिसके कारण कारोबार पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता पड़ गई है। इसके अलावा, दोनों कंपनियों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने आश्वासन कार्यों को सुदृढ़ करें ताकि हर समय अक्षरशः विनियामकीय अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।

अब कारोबार पर लगाए जा रहे प्रतिबंधों की समीक्षा, समूह द्वारा पर्यवेक्षी टिप्पणियों पर रिज़र्व बैंक की संतुष्टि के अनुसार कार्रवाई करने के बाद की जाएगी। इस प्रतिबंध से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा शीर्षांकित संस्थाओं के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य विनियामकीय अथवा पर्यवेक्षी कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(पुनीत पंचोली) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/397


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