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भारतीय रिज़र्व बैंक ने विनियमित संस्थाओं में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर संशोधित मास्टर निदेश जारी किए

15 जुलाई 2024

भारतीय रिज़र्व बैंक ने विनियमित संस्थाओं में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर संशोधित मास्टर
निदेश जारी किए

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज विनियमित संस्थाओं अर्थात (i) वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित) और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों; (ii) सहकारी बैंकों (शहरी सहकारी बैंकों/राज्य सहकारी बैंकों/केन्द्रीय सहकारी बैंकों); तथा (iii) गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (आवास वित्त कंपनियाँ सहित) के लिए धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर तीन संशोधित मास्टर निदेश जारी किए।

ये मास्टर निदेश पूर्व के मास्टर निदेशों, परिपत्रों और उभरते मुद्दों की व्यापक समीक्षा के आधार पर तैयार किए गए हैं। ये मास्टर निदेश सिद्धांत-आधारित हैं और विनियमित संस्थाओं (आरई) में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन के समग्र अभिशासन और निगरानी में बोर्ड की भूमिका को मजबूत करते हैं। इन निदेशों में विनियमित संस्थाओं में मजबूत आंतरिक लेखापरीक्षा और नियंत्रण ढांचा स्थापित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया है।

मास्टर निदेशों में अब स्पष्ट रूप से यह अपेक्षा की गई है कि विनियमित संस्थाएं, व्यक्तियों/संस्थाओं को धोकेबाज़ के रूप में वर्गीकृत करने से पूर्व समयबद्ध तरीके से प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का अनुपालन सुनिश्चित करेंगी, तथा इसके लिए उन्हें माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 27 मार्च 2023 के निर्णय (भारतीय स्टेट बैंक एवं अन्य बनाम राजेश अग्रवाल एवं अन्य के मामले में सिविल अपील संख्या 7300/2022) को ध्यान में रखना होगा। आरई में धोखाधड़ी का शीघ्र पता लगाने और रोकथाम तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों और पर्यवेक्षकों को समय पर रिपोर्ट करने के लिए प्रारंभिक चेतावनी संकेतों (ईडब्ल्यूएस) और खातों की रेड फ्लैगिंग (आरएफए) पर ढांचे को और मजबूत किया गया है। इसके अलावा, जोखिम प्रबंधन प्रणालियों को मजबूत करने के लिए डेटा एनालिटिक्स और बाज़ार आसूचना इकाई की आवश्यकता को अनिवार्य कर दिया गया है।

ये निदेश अब क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, ग्रामीण सहकारी बैंकों और आवास वित्त कंपनियों पर भी लागू कर दिए गए हैं, जिसका उद्देश्य ऐसे विनियमित संस्थाओं में बेहतर धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन प्रणालियों और ढांचे को बढ़ावा देना है।

इन मास्टर निदेशों के जारी होने के साथ ही इस विषय पर मौजूदा 36 परिपत्र वापस ले लिए गए हैं। ऐसा, मौजूदा अनुदेशों को युक्तिसंगत बनाने तथा विनियमित संस्थाओं पर अनुपालन बोझ को कम करने के इरादे से किया गया है।

(पुनीत पंचोली) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/698


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