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मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2024-25 मौद्रिक नीति समिति का संकल्प 5 से 7 फरवरी 2025

7 फरवरी 2025

मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2024-25
मौद्रिक नीति समिति का संकल्प
5 से 7 फरवरी 2025

मौद्रिक नीति निर्णय

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की 53वीं बैठक 5 से 7 फरवरी 2025 तक श्री संजय मल्होत्रा, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ​​की अध्यक्षता में आयोजित की गई। एमपीसी के सदस्य डॉ. नागेश कुमार, श्री सौगत भट्टाचार्य, प्रो. राम सिंह, डॉ. राजीव रंजन और श्री एम. राजेश्वर राव बैठक में शामिल हुए। वर्तमान और उभरती समष्टि-आर्थिक स्थिति के आकलन के पश्चात, एमपीसी ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि:

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीतिगत रेपो दर को तत्काल प्रभाव से 25 आधार अंक घटाकर 6.25 प्रतिशत किया जाए; परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.00 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.50 प्रतिशत समायोजित हो जाएगी;

  • तटस्थ मौद्रिक नीति रुख को जारी रखा जाए और संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए मुद्रास्फीति को लक्ष्य के साथ टिकाऊ आधार पर संरेखित करने पर स्पष्ट रूप से ध्यान केंद्रित किया जाए।

ये निर्णय संवृद्धि को समर्थन देते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति के लिए +/- 2 प्रतिशत के दायरे में 4 प्रतिशत के मध्यम अवधि लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य के अनुरूप हैं।

संवृद्धि और मुद्रास्फीति संभावना

2. वैश्विक अर्थव्यवस्था ऐतिहासिक औसत से कम बढ़ रही है, यद्यपि उच्च आवृत्ति संकेतक विश्व व्यापार में निरंतर विस्तार के बीच आघात-सहनीयता का संकेत दे रहे हैं। विश्व आर्थिक परिदृश्य, अवस्फीति की धीमी गति, भू-राजनीतिक तनाव और नीतिगत अनिश्चितताओं के साथ चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। मजबूत डॉलर ने, अन्य बातों के साथ-साथ, उभरते बाजार मुद्राओं पर दबाव डालना जारी रखा है और वित्तीय बाजारों में अस्थिरता को बढ़ाया है।

3. घरेलू स्तर पर, प्रथम अग्रिम अनुमान (एफएई) के अनुसार, वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) निजी खपत में बहाली के समर्थन से वर्ष 2024-25 में 6.4 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की दर से बढ़ने का अनुमान है। आपूर्ति पक्ष पर, संवृद्धि को सेवा क्षेत्र और कृषि क्षेत्र में बहाली का समर्थन प्राप्त है, जबकि धीमी औद्योगिक संवृद्धि एक बाधा है।

4. आगे देखते हुए, रबी की अच्छी संभावनाएँ और औद्योगिक गतिविधि में अपेक्षित बहाली से 2025-26 में आर्थिक संवृद्धि को समर्थन मिलना चाहिए। मांग पक्ष के प्रमुख चालकों में से, केंद्रीय बजट 2025-26 में कर राहत से घरेलू खपत के मजबूत बने रहने की आशा है। उच्च क्षमता उपयोग स्तरों, वित्तीय संस्थानों और कॉरपोरेट्स के मजबूत तुलन-पत्र और पूंजीगत व्यय पर सरकार के निरंतर जोर से समर्थित, नियत निवेश में बहाली की आशा है। रिज़र्व बैंक के उद्यम सर्वेक्षणों और पीएमआई में रेखांकित सकारात्मक कारोबारी मनोभावों से इसकी पुष्टि होती है। आघात-सह सेवा निर्यात से संवृद्धि को समर्थन मिलता रहेगा। तथापि, भू-राजनीतिक तनाव, संरक्षणवादी व्यापार नीतियों, अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी कीमतों में उतार-चढ़ाव और वित्तीय बाजार की अनिश्चितताओं से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियां, संभावना के लिए अधोगामी जोखिम उत्पन्न कर रहीं हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2025-26 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो पहली तिमाही में 6.7 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.0 प्रतिशत तथा तीसरी और चौथी तिमाहियों में 6.5 प्रतिशत रहेगी (चार्ट 1)। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।

5. हेडलाइन मुद्रास्फीति अक्तूबर में अपने हाल के शीर्ष-स्तर 6.2 प्रतिशत से नवंबर-दिसंबर 2024 में क्रमिक रूप से कम हुई। सब्जियों की कीमत मुद्रास्फीति के अक्तूबर के उच्च स्तर से नीचे आने के कारण खाद्य मुद्रास्फीति में कमी ने हेडलाइन मुद्रास्फीति में गिरावट को बढ़ावा दिया। सभी वस्तुओं और सेवाओं के घटकों में मूल मुद्रास्फीति कम रही और ईंधन समूह में अवस्फीति जारी रही।

6. आगे बढ़ते हुए, खाद्य मुद्रास्फीति का दबाव, आपूर्ति पक्ष के किसी भी आघात के अभाव में, अच्छे खरीफ उत्पादन, सर्दियों में सब्जियों की कीमतों में कमी और अनुकूल रबी फसल की संभावनाओं के कारण महत्वपूर्ण रूप से कम होना चाहिए। मूल मुद्रास्फीति में वृद्धि की आशा है, लेकिन यह मामूली रहेगी। वैश्विक वित्तीय बाजारों में निरंतर अनिश्चितता के साथ-साथ ऊर्जा की कीमतों में उतार-चढ़ाव और प्रतिकूल मौसम की घटनाओं से मुद्रास्फीति के लिए ऊर्ध्वगामी जोखिम है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2024-25 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अगले वर्ष सामान्य मानसून की परिकल्पना करते हुए, 2025-26 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो पहली तिमाही में 4.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 4.0 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है (चार्ट 2)। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।

Chart_1 and 2

मौद्रिक नीति निर्णयों का औचित्य

7. एमपीसी ने कहा कि मुद्रास्फीति में कमी आई है। खाद्य पदार्थों पर अनुकूल संभावना और पिछली मौद्रिक नीति कार्रवाइयों के निरंतर संचारण के समर्थन से, 2025-26 में इसके और कम होने की आशा है, जो धीरे-धीरे लक्ष्य से संरेखित होगी। एमपीसी ने यह भी कहा कि यद्यपि संवृद्धि के 2024-25 की दूसरी तिमाही के निचले स्तर से बहाली की आशा है, लेकिन यह पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम है। ये संवृद्धि-मुद्रास्फीति गतिकी, एमपीसी के लिए मुद्रास्फीति को लक्ष्य के साथ संरेखित करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए संवृद्धि को समर्थन प्रदान करने के लिए नीतिगत स्थान खोलती है। तदनुसार, एमपीसी ने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को 25 आधार अंक घटाकर 6.25 प्रतिशत करने के लिए वोट किया।

8. साथ ही, वैश्विक वित्तीय बाजारों में अत्यधिक अस्थिरता और वैश्विक व्यापार नीतियों के बारे में निरंतर अनिश्चितताओं के साथ-साथ प्रतिकूल मौसम की घटनाओं ने संवृद्धि और मुद्रास्फीति की संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न किया है। इसके लिए एमपीसी को सतर्क रहने की आवश्यकता है। तदनुसार, एमपीसी ने सर्वसम्मति से तटस्थ रुख जारी रखने के लिए वोट किया। इससे एमपीसी को उभरते समष्टि-आर्थिक माहौल पर प्रतिक्रिया करने के लिए लचीलापन प्राप्त होगा।

9. एमपीसी की इस बैठक का कार्यवृत्त 21 फरवरी 2025 को प्रकाशित किया जाएगा।

10. एमपीसी की अगली बैठक 7 से 9 अप्रैल 2025 के दौरान निर्धारित है।

(पुनीत पंचोली) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/2094


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