17 मार्च 2011
मौद्रिक नीति की तिमाही के मध्य में समीक्षा : मार्च 2011
मौद्रिक उपाय
वर्तमान समष्टि आर्थिक आकलन के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि :
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चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत रिपो दर में 25 आधार बिंदुओं की वृद्धि करते हुए इसे तत्काल प्रभाव से 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.75 प्रतिशत किया जाए; और
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चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत प्रत्यावर्तनीय रिपो दर में 25 आधार बिंदुओं की वृद्धि करते हुए इसे तत्काल प्रभाव से 5.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.75 प्रतिशत किया जाए।
वैश्विक अर्थव्यवस्था
वैश्विक परिदृश्य एक मिलीजुली छवि प्रस्तुत करता है जबकि उभरती हुई बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं (इएमई) में वृद्धि मज़बूत बनी हुई है, जिसमें अमरीकी और यूरो क्षेत्र स्पष्ट रूप से गति पकड़ रहे हैं। तथापि, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में उथल-पुथल के परिणामस्वरूप तेल की कीमतों में तेज़ वृद्धि वैश्विक सुधार की गति में अनिश्चितता ला रही है। इसके अतिरिक्त पहले से ही उच्चतर खाद्य और अन्य वस्तुओं की कीमतों के शीर्ष पर आने से तेल की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी ने मुद्रास्फीति चिंताएं उत्पन्न की हैं।
उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीतिकारी दबाव पहले ही अधिक हैं क्योंकि उत्पादन अंतराल संकीर्ण हो गए हैं। जबकि हेडलाईन मुद्रास्फीति उल्लेखनीय रूप से कई उन्नत देशों विशेषत: यूरो क्षेत्र और यूके में बढ़ी हुई है। इसके परिणामस्वरूप कई उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं ने मौद्रिक कड़ाई शुरू की है जबकि आर्थिक सहायतावाले मौद्रिक रूझान से हटने पर चर्चा उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में सामने आ गई है।
जापान में प्राकृतिक आपदा के समष्टि-आर्थिक परिणामों का अभी आकलन करना जल्दबाजी होगी। जैसेही सामान्य स्थिति वापस आती है, पुनर्निर्माण पर व्यय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन उपलब्ध करा सकता है। तथापि, जापान में नाभिकीय ऊर्जा के लिए ताप का प्रतिस्थापन पेट्रोलियम कीमतों पर दबाव डाल सकता है।
घरेलू अर्थव्यवस्था
वृद्धि
केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन के हाल में जारी वर्ष 2010-11 के लिए 8.6 प्रतिशत की सकल घरेलू उत्पाद वद्धि का आकलन रिज़र्व बैंक की तीसरी तिमाही समीक्षा में घोषित अनुमान के अनुरूप है। रबी फसल के अंतर्गत बुआई क्षेत्र पिछले वर्ष की अपेक्षा अधिक है जो कृषि उत्पादन का अच्छा संकेत देता है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आइआइपी) के अस्थिर रहने पर भी अन्य संकेतक जैसेकि अद्यतन क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआइ), प्रत्यक्ष और परोक्ष कर संग्रह, व्यापारिक माल निर्यात और बैंक ऋण यह प्रस्तावित करते हैं कि वृद्धि की गति बनी रहेगी। सेवा क्षेत्र के अग्रणी संकेतक भी सक्रियता के साथ मज़बूत बने रहेंगे तथापि ऊर्जा और पण्य वस्तु कीमतों के बारे में जारी अनिश्चितता वर्तमान वृद्धि-पथ का एक खतरा बनते हुए निवेश वातावरण को बिगाड़ सकती है। विशेषकर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आइआइपी) में पूँजीगत वस्तुओं के कमज़ोर कार्यनिष्पादन यह प्रस्तावित करते हैं कि निवेश की गति धीमी हो सकती है।
मुद्रास्फीति
जनवरी में हल्की नरमी के बाद हेडलाईन थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति गैर-खाद्य विनिर्मित उत्पाद मुद्रासफीति में तेज़ बढ़ोतरी के द्वारा फरवरी 2011मेंप्रत्यावर्तितहोगई।
जैसी आशा थी, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में जनवरी 2011 से आवश्यक रूप से गिरावट आयी है। तथापि, दूध और 'अंण्डे, मॉंस और मछली' जैसे प्रोटिन स्रोतों की कीमतें संरचनात्मक मॉंग आपूर्ति असंतुलनों को दर्शाते हुए उच्चतर बनी रही। मध्यावधि में कृषि आपूर्ति प्रतिक्रिया में सुधार के लिए वर्ष 2011-12 के बज़ट में निहित कई उपाय इन असंतुलनों का समाधान करने में सहायता करेंगे। ईंधन की कीमतें और बढ़ोतरी की संभावना के साथ वैश्विक प्रवृत्ति को दर्शाते हुए उच्चतर बनी रहीं। उल्लेखनीय रूप से मॉंग पक्ष दबाव के एक संकेतक के रूप में गैर-खाद्य विनिर्मित मुद्रास्फीति जनवरी के 4.8 प्रतिशत से तेज़ी से बढ़कर फरवरी में 6.1 प्रतिशत हो गई और अपनी मध्यावधि प्रवृत्ति से लगातार ऊपर कायम रही। यह संकेत देते हुए कि उत्पादक उच्चतर इनपुट कीमतें उपभोक्ताओं से वसूलने में समर्थ है, यह तेज़ी सभी विनिर्माण गतिविधियों पर फैल गई।
अपनी तिसरी तीमाही समीक्षा में रिज़र्व बैंक ने मार्च 2011 के लिए वर्ष-दर-वर्ष थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति के लिए 7 प्रतिशत का अनुमान लगाया है। तथापि, और उन्नतशील जोखिम उच्चतर अंतराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों, मुक्त रूप से मूल्यांकित पेट्रोलियम उत्पादों, कोयले की लागू कीमतों में वृद्धि और गैर-खाद्य विनिर्मित उत्पाद कीमतों से उत्पन्न हुए हैं। मार्च 2011 की थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति अब उच्चतर होकर लगभग 8 प्रतिशत अनुमानित की गई है।
राजकोषीय घाटा
जबकि वर्ष 2011-12 के लिए राजकोषीय घाटे का बज़ट स्तर मॉंग पक्ष पर कुछ सुविधा देता है, उच्चतर तेल की कीमतों के परिणामस्वरूप पेट्रोलियम उत्पाद और उर्वरक व्यय पर दबाव डाल सकते हैं। अत: यह महत्वपूर्ण है कि सेवाओं के वितरण पर समझौता किए बिना सकल राशि को नियंत्रण में रखते हुए व्यय की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित किया जाए। केवल ऐसा करने से राजकोषीय स्थिति मॉंग पक्ष मुद्रस्फीति प्रबंध में योगदान कर सकती है।
चालू खाता
रिज़र्व बैंक ने अपनी तीसरी तिमाही समीक्षा में चालू खाता घाटा (सीएडी) में बढ़ते अंतर और उसके वित्तपोषण के स्वरूप के बारे में चिंता व्यक्त की थी। हाल के ज़ोरदार निर्यात निष्पादन को देखते हुए वर्ष 2010-11 के लिए चालू खाता घाटा अब सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 2.5 प्रतिशत पर पूर्व अनुमान से कम आकलित किया गया है। जबकि इस वर्ष चालू खाता घाटा का वित्तपोषण सुगमता से किया गया है, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) सहित दीर्घावधि घटकों पर अधिक ध्यान देते हुए पूँजी अंतर्वाहों की गुणवत्ता पर ध्यान देना आवश्यक है ताकि मध्यावधि में भुगतान संतुलन (बीओपी)कीसहनीयताकोबढ़ायाजासके।
ऋण परिस्थितियॉं
जबकि फरवरी में वर्ष-दर-वर्ष खाद्येतर ऋण वृद्धि 20 प्रतिशत के संकेतात्मक अनुमान से अधिक बनी रही, दिसंबर 2010 से ऋण विस्तार की गति सामान्य हुई। मौद्रिक अंतरण अधिक स्पष्ट दिखाई दे रहा है क्योंकि बैंकों ने अपने उधार दरों को बढ़ाना जारी रखा है।
चलनिधि
चलनिधि समायोजन सुविधा के माध्यम से निवल चलनिधि डालना जनवरी में लगभग `93,000 करोड़ से कम होकर फरवरी 2011 में `79,000 करोड़ हुई और मार्च में (16 मार्च तक) और आगे कम होकर `68,000 करोड़ हो गई। उक्त गिरावट मुख्य रूप से सरकारी व्यय में वृद्धि के कारण हुई और उसके फलस्वरूप रिज़र्व बैंक के पास सरकारी नकदी शेषों में गिरावट आयी। इसके अतिरिक्त, समग्र चलनिधि परिस्थिति रिज़र्व बैंक (बैंकों की निवल मॉंग और मीयादी देयताओं के +/- प्रतिशत) की सुगमता स्तर के नज़दीक पहुँचने की संभावना है, हालांकि अग्रिम कर संग्रहण के कारण मार्च की दूसरी छमाही में कुछ अस्थायी दबाव आने की संभावना है।
सार-संक्षेप
संक्षिप्तत: अंतर्निहित मुद्रास्फीतिकारी दबाव संघनित हो गए हैं यद्यपि वृद्धि के प्रति जोखिम उभर रहे हैं। बढ़ते वैश्विक पण्य मूल्य खासकर, तेल दोनों गतिविधियों के लिए प्रमुख सहभागी रहे हैं। चूँकि घरेलू ईंधन मूल्य अभी वैश्विक मूल्यों से अनुकूल नहीं हुए हैं खाद्येतर विनिर्माण मुद्रास्फीति में दर्शाए गए मॉंग व्याप्त दबाव बना रहने से मुद्रास्फीति जोखिम स्पष्ट रूप से बढ़ रहा है। वर्ष 2011-12 का केंद्रीय बज़ट यह दर्शाता है कि राजकोषीय और से मॉंग दबाव कुछ आसान होंगे। इससे निजी निवेश के लिए जगह बनेगी किंतु यह तभी संभव होगा यदि आर्थिक सहायता बनाए रखने की प्रतिबद्धता होगी। कृषि उत्पादकता में वृद्धि के उपाय खासकर संरचनात्मक मॉंग- आपूर्ति संतुलनों का सामना करने वाली मदें आनेवाले समय में खाद्य मुद्रास्फीति को सुगम बनाने में सहयोगी होगी।
अपेक्षित परिणाम
इस समीक्षा में नीति कार्रवाई से अपेक्षा है कि :
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वृद्धि की जोखिमों को कम करते हुए मॉंग-व्याप्त मुद्रास्फीति दबावों को नियंत्रित रखना जारी रखा जाए; और
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मुद्रास्फीतिकारी प्रत्याशाओं को नियंत्रित रखें और खाद्य और पण्य मूल्यों को अधिक सामान्य मुद्रास्फीति में परिवर्तित होने से रोका जाए।
मार्गदर्शन
वर्तमान और उभरती वृद्धि तथा मुद्रास्फीति परिस्थितियों के आधार पर रिज़र्व बैंक वर्तमान मुद्रास्फीति विरोधी दृष्टिकोण जारी रखेगी।
आर. आर. सिन्हा
उप महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2010-2011/1330
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