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प्रेस प्रकाशनी

वर्ष 2011-12 के लिए मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही समीक्षा डॉ. डी. सुब्‍बाराव, गवर्नर का प्रेस वक्‍तव्‍य

25 अक्‍टूबर 2011

वर्ष 2011-12 के लिए मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही समीक्षा
डॉ. डी. सुब्‍बाराव, गवर्नर का प्रेस वक्‍तव्‍य

शुरू में मैं भारतीय रिज़र्व बैंक की ओर से वर्ष 2011-12 के लिए मौद्रिक नीति की इस दूसरी तिमाही समीक्षा में आप सब का स्‍वागत करता हूँ।

2. इसी सुबह हमने इस समीक्षा के साथ मौद्रिक नीति उपायों को प्रस्‍तुत किया। वर्तमान समष्टि आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर हमने निर्णय लिया है कि :

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत रिपो दर को 25 आधार अंकों तक बढ़ाया जाए। तदनुसार, रिपो दर 8.25 प्रतिशत से बढ़कर 8.50 प्रतिशत हो जाएगी।

3. तदनुसार, चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत रिपो दर के नीचे 100 आधार अंक के अंतर के साथ निर्धारित प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर 7.5 प्रतिशत पर समायोजित होती है। उसी प्रकार रिपो दर से 100 आधार अंक अधिक के अंतर पर निर्धारित सीमांत स्‍थायी सुविधा दर (एमएसएफ) 9.5 प्रतिशत पर समायोजित होती है।

4. ये परिवर्तन इस घोषणा के बाद तत्‍काल प्रभाव से लागू हो गए हैं।

5. हमने यह निर्णय भी लिया है कि बचत बैंक जमा ब्‍याज दर को तत्‍काल प्रभाव से नियंत्रण मुक्‍त किया जाए। मैं इस पर विस्‍तार से बाद में चर्चा करूँगा।

नीति प्रयास के पीछे की अवधारणाएं

6. मौद्रिक कड़ाई के साथ बने रहने का निर्णय दो व्‍यापक अवधारणाओं से प्रेरित रहा है।

7. पहली यह कि मुद्रास्‍फीति और मुद्रास्‍फीति प्रत्‍याशाएं दोनों उच्‍चतर बनी हुई हैं। मुद्रास्‍फीति का आधार व्‍यापक है और रिज़र्व बैंक के सुगमता स्‍तर से अधिक है। हम आशा करते हैं कि ये स्‍तर और दो माह तक जारी रहेंगे। नीति रुझान में समयपूर्व परिवर्तन की स्थिति में प्रत्‍याशाओं के संभावित जोखिम असंतुलित होंगे। तथापि, पुन: आश्‍वस्‍त करते हुए गति संकेतक खासकर गैर-मौसमीकृत तिमाही-दर-तिमाही हेडलाईन और मुद्रास्‍फीति नियंत्रण के मुख्‍य उपाय सुधार का संकेत देते हैं। यह उस अनुमान के अनुरूप है कि मुद्रास्‍फीति दिसंबर 2011 की शुरूआत से घटने लगेगी।

8. दूसरी अवधारणा जिसने नीति निर्णय को आकार दिया है वह यह है कि वृद्धि पिछली मौद्रिक नीति कार्रवाईयों के साथ-साथ कुछ अन्‍य कारकों के संचयी प्रभाव के कारण स्‍पष्‍ट रूप से सुधर रही है। मुद्रास्‍फीति में जैसे ही गिरावट शुरू होगी, एक न्‍यूनतर और स्‍थायी मुद्रास्‍फीति वातावरण बनाए रखने के समग्र उद्देश्‍य के भीतर वृद्धि जोखिम के लिए समुचित अवधारणा प्रदान करने हेतु नीति रुझान के लिए जगह तैयार होने लगेगी।

9. यद्यपि, पिछली मौद्रिक कार्रवाई का प्रभाव अभी तक पूरा नहीं हुआ है, हमारी वृद्धि मुद्रास्फीति गतिशीलता के आधार पर हमारा विचार है कि मुद्रास्फीति विरोधी रुख को बनाए रखा जाना आवश्यक है।

मौद्रिक नीति रूझान

10. नीति दस्तावेज में मौद्रिक नीति रूझान की तीन व्यापक रूपरेखा निम्नानुसार हैः-

  • ऐसा ब्याज दर परिवेश बनाए रखा जाए जो मुद्रास्फीति कम करे और जो मुद्रास्फीति संभावनाओं पर नियंत्रण रखे;

  • प्रवृत्ति वृद्धि को बढ़ाने में समर्थन के लिए निवेश गतिविधि को प्रोत्साहित करना; और

  • यह सुनिश्चित करने के लिए चलनिधि का प्रबंधन करना कि यह प्रभावी मौद्रिक अंतरण के अनुरूप नियंत्रित घाटे में बनी रहे।

मार्गदर्शन

11. पहले के समान, हमने आने वाले समय के लिए भी मार्गदर्शन दिए हैं। अनुमानित मुद्रास्फीति वक्र इंगित करना है कि दिसंबर 2011 में दर गिरनी शुरु हो जाएगी तथा मार्च 2012 तक 7 प्रतिशत पर स्थिर हो कर निचले स्‍तर पर बनी रहेगी। वर्ष 2012-13 की पहली छमाही में इसमें और कमी आने का अनुमान है। यह पण्य कीमतों की गतिशीलता और मौद्रिक कड़ाई के संचयी प्रभाव का संयोजन दर्शाता है। साथ ही, यह संभावना है कि मुद्रास्फीति की नियंत्रित दरें प्रत्याशाओं को अनुकूल रूप से प्रभावित करेंगी। इन अपेक्षित परिणामों से मौद्रिक नीति द्वारा थोड़े समय में वृद्धि जोखिम कम होने की संभावना है। ऐसा ध्यान में रखते हुए, नवंबर तक जारी मुद्रास्फीति की वर्तमान दरों के बावजूद दिसंबर की मध्य तिमाही समीक्षा में दरें तुलनात्मक रूप से कम होने की संभावना है। उसके पश्चात यदि मुद्रास्फीति वक्र अनुमान के अनुरूप रहेगा तो दरों में और वृद्धि आवश्यक नहीं होगी। तथापि, हमेशा की तरह, कार्रवाई सामने आने वाली समष्टि आर्थिक स्थितियों पर निर्भर करेगी।

12. तथापि, इस बात पर जोर दिया जाए कि विभिन्न कारकों - कृषि में संरचनागत असंतुलन, मूलभूत ढॉंचे में क्षमता अवरोध, विभिन्न प्रमुख पण्यों की विरूपित नियंत्रित कीमतें तथा राजकोषीय समेकन की गति - अर्थव्‍यवस्‍था में मध्यावधि मुद्रास्फीति जोखिम अधिक होंगे। इन जोखिमों को विभिन्न क्षेत्रों में संगठित नीति कार्रवाईयों से कम दिया जा सकता है। इन क्षेत्रों में प्रगति न होने पर मध्यावधि में, मौद्रिक नीति रूख में विकास में नरम बहाली की प्रतिक्रिया में मुद्रास्‍फीति के बढ़ते जोखिम पर ध्यान देना होगा।

अपेक्षित परिणाम

13. हमें आशा है कि आज की नीतिगत कार्रवाई और हमारे दिशानिर्देशों से निम्नलिखित तीन परिणाम सामने आएंगे -

  • पहला, मुद्रास्फीति को कम और स्थायी बनाने की विश्वसनीय प्रतिबद्धता के आधार पर मध्यावधि मुद्रास्फीति संभावनाएं नियंत्रित रहेंगी।

  • दूसरा, मुद्रास्फीति का जो वक्र सामने आएगा वह सुदृढ़ हो जाएगा जिसमे दिसंबर 2011 में गिरावट आने की शुरुआत होने की आशा है।

  • तथा अंतिम, इससे निवेश गतिविधि को प्रोत्साहन मिलेगा।

वैश्विक और घरेलू गतिविधियां

14. हमेशा की तरह हमारा निर्णय वैश्विक और देशी समष्टि आर्थिक स्थिति के सावधानीपूर्वक मूल्यांकन पर आधरित है। मैं उसका संक्षिप्त ब्योरा देता हूँ।

वैश्विक अर्थव्यवस्था

15. विश्‍वव्‍यापी स्‍तर पर यूएस और यूरो क्षेत्र की अर्थव्‍यवस्‍थाओं में वृद्धि की गति कमज़ोर हुई है। यूरो क्षेत्र में समष्टि आर्थिक लाभ की संभावनाएं सरकारी देनदारियों और वित्तीय क्षेत्र की समस्‍याओं के विश्‍वसनीय समाधान इनकी क्षमता के साथ गहराई से जुड़ी हैं। सुस्‍त वृद्धि, कमज़ोर सरकारी तुलन पत्रों, सरकारी देनदारियों के कारण बैंकों के समक्ष बड़े जोखिमों और राजनैतिक मज़बूरियों के साथ-साथ प्रतिकूल फीडबैक भरोसेमंद समाधान के लिए अड़चन हैं, और इन सबसे विश्‍वास के प्रति संकट पैदा हुआ है जो कि क्षेत्रीय और विश्‍वव्‍यापी वित्तीय स्थिरता के लिए संभावित खतरा है।

16. व्‍यापार और वित्तीय सम्‍पर्कों के कारण यह जोखिम भी बढ़ गया है कि यूरो क्षेत्र की अस्थिरता बाज़ार प्रधान उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में भी अपना असर दिखाएगी, जोकि अपने-अपने वित्तीय बाज़ारों, खासकर मुद्रा बाज़ारों में पहले ही से व्‍यापक परिवर्तनों का अनुभव कर चुके हैं। यद्यपि, बहुत से पण्‍यों की कीमतों में इस तिमाही के दौरान गिरावट रही, लेकिन कच्‍चे तेल की स्थिर रहीं। मुद्रा के मूल्‍य में गिरावट के कारण इसका असर यही हुआ कि पण्‍य का आयात करने वाली ईएमई पर दबाव पड़ेगा।

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था

17. अब देश की समष्टि आर्थिक स्थिति की ओर देखें तो भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था 2011-12 की अप्रैल-जून तिमाही में घटकर 7.7 प्रतिशत पर आ गई जबकि पिछली तिमाही में यह 7.8 प्रतिशत पर थी। औद्योगिक उत्‍पाद के सूचकांक से पैमाइश करें तो औद्योगिक संवृद्धि भी पिछले वर्ष की समनुरूपी अवधि के 8.7 प्रतिशत से घटकर अप्रैल-अगस्‍त 2011 के दौरान 5.6 प्रतिशत पर आ गई।

18. सेवा क्षेत्र की वृद्धि में मज़बूती है, हालांकि अंतर-क्षेत्रकीय सम्‍बद्धताओं के कारण इसमें भी कुछ नरमी आ सकती है। समान्‍य दक्षिणी-पश्चिमी मानसून और प्रथम अग्रिम आकलनों के आधार पर कहा जा सकता है कि खरीफ़ का रिकार्ड उत्‍पादन रहेगा, तो कृषि की संभावनाऍं बेहतर है। तथापि, मुद्रास्‍फीति और बढ़ती हुई ब्‍याज दरों की चिंता के कारण निवेश की मॉंग में शिथिलता है जो प्रोजेक्‍टों के धीमे निपटान और निष्‍पादन को प्रकट करता है।

19. रिज़र्व बैंक ने मई के वक्‍तव्‍य और जुलाई तिमाही की समीक्षा में 2011-12 के लिए जीडीपी में 8.0 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान जाहिर किया था। तथापि, सितंबर की मध्‍य-तिमाही समीक्षा में उल्‍लेख किया गया था कि वृद्धि अनुमानों के लिए जोखिम कम होने की तरफ है।

20. वर्तमान और विकासमान समष्टि आर्थिक स्थिति के आधार पर हमने 2011-12 के लिए जीडीपी संवृद्धि के आधारभूत अनुमान को संशोधित करते हुए कम करके 7.6 प्रतिशत रखा है।

मुद्रास्‍फीति

21. मुद्रास्‍फीति प्रमुख समष्टि आर्थिक चिन्‍ता बनी हुई है। हेडलाईन डब्‍ल्‍यूपीआई मुद्रास्‍फीति उच्‍चता पर ही अड़ी हुई है, वित्तीय वर्ष में अब तक यह औसतन 9.6 प्रतिशत पर रही। मुद्रास्‍फीति का आधार व्‍यापक है और यह तीन प्रधान समूहों - अर्थात् प्रा‍थमिक वस्‍तुओं, ईंधन और विद्युत तथा विनिर्मित उत्‍पादों से संचालित रही।

22. जैसाकि प्रथम तिमाही समीक्षा में संकेत किया गया था कि मुद्रास्‍फीति का स्‍तर और दृढ़ता दोनों ही चिंता का कारण बनी हुई हैं। अपेक्षाकृत बड़ी चिंता यह तथ्‍य है कि वृद्धि में स्‍पष्‍ट नरमी के बावजूद मुद्रास्‍फीति में दृढ़ता है। पुन: यह निश्चितता बताती है कि पद्धतिरहित अनुक्रमिक तिमाही डब्‍ल्‍यूपीआई ऑंकड़ों से यह राहत मिलती है कि मुद्रास्‍फीति के वेग में गिरावट आई है।

23. आगे देखेंगे कि मुद्रास्‍फीति का पथ मॉंग और आपूर्ति दोनों कारकों के आधार पर आकर लेगा।

  • पहले, यह समग्र मांग में संतुलन की सीमा पर निर्भर होगा। मांग संतुलन के कुछ लक्षण प्रत्यक्ष दिखाई देते हैं, यद्यपि उनका प्रभाव निवेश पक्ष पर अधिक देखा जा सकता है।

  • दूसरे, निकट भविष्य में देशी मुद्रास्फीति के परिदृश्य को आकार देने में क्रूड कीमतों की प्रवृत्ति महत्वपूर्ण घटक होगी। हाल ही की अवधि में वैश्विक क्रूड कीमतों में गिरावट का लाभ सांकेतिक अर्थ में रुपए में हुए मूल्यह्रास से हुए समायोजन से अधिक है। इस तरह विनिमय दर का कुछ प्रभाव देशी पेट्रोलियम कीमतों पर भी होगा।

  • तीसरे, मुद्रास्फीति परिदृश्य ऐसे पण्यों के संबंध में की गई आपूर्ति पर भी निर्भर होगा जिन्हें संरचनात्मक असंतुलन विशेषतः प्रोटीन मद रूप में वर्गीकृत किया गया है।

  • अंत में, अर्थव्यवस्था में अभी भी दबी हुई मुद्रास्फीति का तत्व है। नियंत्रित पेट्रोलियम की देशी कीमतों में वैश्विक पण्य कीमतों का पूरा-पूरा प्रभाव परिलक्षित नहीं होता है। कोयला और कुछ अन्य पण्यों की कीमतों से वर्तमान बाजार स्थितियां परिलक्षित नहीं होती हैं। जब कभी कीमत समायोजन किया जाता है तब उससे मुद्रास्फीतिकारी दबाव बढ़ते हैं।

24. देशी मांग-आपूर्ति संतुलन पण्य कीमतों में वैश्विक प्रवृत्तियों और संभाव्य मांग स्थिति को ध्यान में रखते हुए मार्च 2012 के लिए थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति का आधारभूत अनुमान 7 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा गया है। बढ़े हुए मुद्रास्फीतिकारी दबाव दिसंबर 2011 से कम होना अपेक्षित है, यद्यपि आकस्मिक प्रतिकूल गितिविधियों संबंधी अनिश्चितताएं रहती ही हैं।

चलनिधि और मौद्रिक स्थितियॉं

25. प्रणालीगत चलनिधि घाटा बैंक की निवल मांग और मीयादी देयताओं के एक प्रतिशत के भीतर है, जो रिज़र्व बैंक द्वारा मूल्यांकित संतोषजनक स्थिति और मौद्रिक नीति के मुद्रास्फीति विरोधी रूझान के अनुरूप है।

26. इस वर्ष अब तक मुद्रा आपूर्ति (एम3) और ऋण वृद्धि रिज़र्व बैंक के सांकेतिक वक्र से अधिक रही है। हम आशा करते हैं कि सकल मौद्रिक स्थिति पहली तिमाही समीक्षा में उल्लिखित अनुमानित वक्र के साथ स्पष्ट होगी। तदनुसार, हमने 2011-12 के लिए एम3 वृद्धि अनुमान 15.5 प्रतिशत और खाद्योतर ऋण वृद्धि 15 प्रतिशत पर बनाए रखी है।

जोखिम कारक

27. अब, मैं हमारी वृद्धि और मुद्रास्फीति अनुमानों के प्रति जोखिम पर प्रकाश डालूंगाः
  • पहले, वैश्विक समष्टि आर्थिक परिवेश के कारण वृद्धि कम होने का प्रमुख जोखिम,

  • दूसरे, हाल ही के नियंत्रण के बावजूद वैश्विक पण्य कीमतें आधिक रही हैं,

  • तीसरे, सरकार ने बढ़े हुए बाजार उधारों की घोषणा की है जिससे अधिक उत्पादक निजी क्षेत्र निवेश कम होने की संभावना हो सकती है, और

  • चौथे, प्रोटीनयुक्त मदों जैसे दाल, दूध, अंडा, मछली और मांस में संरचनात्मक असंतुलन जारी रहेगा और इसके परिणामस्वरूप खाद्य मुद्रास्फीति दबाव के अधीन बने रहने की संभावना है।

विकासात्‍मक और विनियामक नीतियॉं

28. इस समीक्षा में विकासात्‍मक और विनियामक नीतियों को भी शामिल किया गया है। हमने जो उपाय हमने घोषित किए हैं, उनमें से कुछ महत्‍वपूर्ण उपायों को मैं यहॉं संक्षेप में स्‍पष्‍ट करना चाहूँगा।

29. जैसाकि पहले संकेत दिया गया है, हमने निर्णय लिया है कि :

  • बचत बैंक जमा ब्‍याज दर को तत्‍काल प्रभाव से नियंत्रणमुक्‍त करने के लिए, बैंक निम्‍नलिखित दो शर्तों के अधीन बैंक अपनी बचत बैंक जमा ब्‍याज दरें लगाने के लिए स्‍वतंत्र हैं:

  • पहली, प्रत्‍येक बैंक एक लाख रुपए तक की बचत बैंक जमाराशियों पर एक समान ब्‍याज दर देनी होगी, इस सीमा के अंदर खाते में राशि कितनी भी हो।

  • दूसरी, एक लाख रुपये से अधिक की बचत बैंक जमाराशियों के लिए बैंक विभेदक ब्‍याज दरें प्रदान कर सकती है यदि बैंक ऐसा चुनता है। तथापि, समान जमाराशियों पर ब्‍याज दर देने में ग्राहकों के बीच भेदभाव नहीं होना चाहिए।

30. ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों में बैंकिंग के प्रवेश करने की आवश्‍यकताओं का विचार करते हुए रिज़र्व बैंक ने शाखा प्राधिकरण को उदार कर दिया है। फिलहाल बैंकों को टीयर 3 से टीयर 6 वाले केंद्रों में (49,999 तक की जनसंख्‍यावाले क्षेत्र) में सामान्‍य अनुमति के अधीन शाखाएं खोलने की अनुमति दी जाती है, बशर्तें, रिपोर्ट भेजी जाए।

31. यह उदार रूख इसलिए अपनाया गया है ताकि टीयर 3 से टीयर 6 तक के केंद्रों में शाखाएं खोलने की गति में वृद्धि हो सके। तथापि, यह देखा गया है कि टीयर 2 केंद्रों में अब तक अपेक्षित गति नहीं आ सकी है। टीयर 2 केंद्रों में स्‍तरीय बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए अब यह प्रस्‍तावित है कि :

  • देशी अनुसूचित वाणि‍ज्‍य बैंकों को (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) टीयर 2 केंद्रों में (50,000 से 99,999 जनसंख्‍यावाले) शाखा खोलने के लिए रिज़र्व बैंक अनुमति दे, प्रत्‍येक मामले में अनुमति प्राप्‍त करने की आवश्‍यकता नहीं रहेगी बशर्तें, उसकी रिपोर्ट भेजी जाए।

32. वित्तीय बाज़ार क्षेत्र में चार महत्‍वपूर्ण उपायों की घोषणा की गई।

  • पहला, रिज़र्व बैंक दिसंबर 2011 के अंत तक अंतिम निपटान मूल्‍य सहित 5-वर्षीय नकद तथा 2-वर्षीय ब्‍याज दर फ्यूचर्स (आइआरएफ) संबंधी अंतिम दिशानिर्देश जारी कर देगा।

  • दूसरा, नवंबर 2011 के अंत तक क्रेडिट डिफॉल्‍ट स्‍वैप्‍स (सीडीएस) संबंधी दिशानिर्देश प्रभावी किए जाएंगे।

  • तीसरा, दिसंबर 2011 के अंत तक सरकारी प्रतिभूतियों में मंदडि़या बिक्री संबंधी दिशानिर्देश जारी कर दिए जाएंगे ।

  • चौथा, सरकारी प्रतिभूतियों और ब्‍याज दर व्‍युत्‍पन्‍नी बाज़ार में द्वितीयक बाज़ार चलनिधि में वृद्धि करने की जॉंच करने तथा उपायों के सुझाव देने के लिए कार्यकारी दल का गठन किया जाएगा।

33. वाणिज्यिक बैंकों के लिए विनियामक उपायों की ओर बढ़ते हुए मैं, इस समीक्षा में घोषित किए गए कुछेक महत्‍वपूर्ण उपायों पर प्रकाश डालना चाहूँगा:

  • पहला रिज़र्व बैंक दिसंबर 2011 के अंत तक ऋण जोखिम के लिए आंतरिक रेटिंग आधारित (आइआरबी) दृष्टिकोण के संबंध में अंतिम दिशानिर्देश जारी कर देगा।

  • दूसरा, मार्च 2012 के अंत तक महत्‍वपूर्ण प्रावधानीकरण दृष्किोण पर अभिमतों के लिए चर्चा पेपर जारी किया जाएगा।

  • तीसरा, ऋण के उचित, पारदर्शी और पक्षपात रहित मूल्‍य निर्धारण के सिद्धांतों पर विचार करने के लिए कार्यदल गठित किया जाएगा।

  • चौथा, बैंकों/वित्तीय संस्‍थाओं द्वारा अग्रिमों की पुर्नसंरचना पर मौजूदा विवेकपूर्ण दिशानिर्देशों की समीक्षा करने और उत्‍कृष्‍ट अंतरराष्‍ट्रीय पद्धतियों और लेखांकन मानकों को ध्‍यान में रखते हुए संशोधन पर सुझाव देने के लिए एक अन्‍य कार्यदल गठित किया जाएगा।

34. ग्राहक सेवा हमेशा रिज़र्व बैंक की नीति की कार्य-सूची में सबसे ऊपर रही है। बैंकों में ग्राहक सेवा के विषय पर पुन: विचार करने की आवश्‍यकता को ध्‍यान में रखते हुए रिज़र्व बैंक ने ग्राहक सेवा सुधारने के लिए सिफारिशें देने के लिए दामोदरन समिति का गठन किया। समिति ने ग्राहक सेवा सुधारने के लिए कई सुझाव दिए हैं। हमने समिति द्वारा की गई सिफारिशों को लागू करने का निर्णय लिया है। इन पर तथा पिछले बैंकिंग लोकपाल सम्‍मेलन में भारतीय बैंक संघ (आइबीए) और भारतीय बैंकिंग संहिता और मानक बोर्ड (बीसीएसबीआइ) द्वारा पहचाने गए कार्य बिंदुओं पर व्‍यापक सहमति हुई।

35. रिज़र्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के संबंध में दो महत्‍वपूर्ण उपायों की घोषणा भी की है।

  • पहला, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - लघु वित्त संस्‍था (एनबीएफसी-एमएफआइ) नामक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी की नई श्रेणी की शूरूआत।

  • दूसरा, वित्तीय और गैर-वित्तीय क्षेत्र कंपनियों, दोनों में, कोर निवेश कंपनियों (सीआइसी) द्वारा समुद्रपारीय निवेश के लिए दिशानिर्देशों का एक अलग सेट जारी किया जाएगा।

36. समाप्‍त करने से पहले मैं, यह उल्‍लेख करना चाहता हूँ कि रिज़र्व बैंक का दृढ़ अभिमत है कि मुद्रास्‍फीति पर काबू पाना मध्‍यावधि में विकास को बनाए रखने तथा संभाव्‍य विकास दर को बढ़ाने, दोनों के लिए अनिवार्य है। संभाव्‍य विकास दर दीर्घावधि के लिए स्थिर नहीं है और न ही यह बाह्य रूप से निर्धारित किया गया है। यह नाजुक रूप से नीतियों पर निर्भर है जो निवेश अनुकूल वातावरण तैयार करती हैं और निवेश गतिविधियों को प्रोत्‍साहित करती हैं। सरकार और रिज़र्व बैंक के लिए यह सुनिश्चित करने की चुनौती है कि मुद्रास्‍फीति को कम करने के लिए अल्‍पावधि में मॉंग कम रहे किंतु साथ ही आपूर्ति कार्रवाई को प्रोत्‍साहित किया जाए ताकि मध्‍य अवधि में उत्‍पादकता में सुधार किया जा सके और अर्थव्‍यवस्‍था में संभाव्‍य उत्‍पादन को बढ़ाया जा सके।

37. मुझे ध्‍यानपूर्वक सुनने के लिए धन्‍यवाद और दीपावली की शुभकामनाएं।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/646


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