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प्रेस प्रकाशनी

भारतीय रिज़र्व बैंक ने जनता को जाली प्रस्‍तावों के बारे में पुन: सावधान किया

6 फरवरी 2012

भारतीय रिज़र्व बैंक ने जनता को जाली प्रस्‍तावों के बारे में पुन: सावधान किया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने पुन: सूचित किया है कि वह पैसों के लिए अनचाहे फोन कॉल अथवा इ-मेल अथवा अन्‍य किसी भी प्रकार की व्‍यक्तिगत जानकारी के लिए जनता से संपर्क नहीं करती है। रिज़र्व बैंक किसी व्‍यक्ति का पैसा/विदेशी मुद्रा अथवा किसी भी प्रकार की निधि नहीं रखती/देती है अथवा व्‍यक्तियों के नाम पर/उनके लिए कोई खाता नहीं खोलती है। रिज़र्व बैंक ने जनता को सावधान रहने के लिए कहा है और धोखाधड़ी का शिकार न होने अथवा ऐसे धोखेबाज व्‍यक्ति जो अपने आप को भारतीय रिज़र्व बैंक के कर्मचारी बताते हैं के जाल में न फँसने की सलाह दी है।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने निम्‍नलिखित के बारे में सतर्क रहने के लिए कहा है -

  • भारतीय रिज़र्व बैंक किसी भी व्‍यक्ति का खाता नहीं रखता है।

  • भारतीय रिज़र्व बैंक के अधिकारियों के नाम पर धोखेबाज़ों से सावधान रहें।

  • भारतीय रिज़र्व बैंक का कोई भी व्‍यक्ति लॉटरी जीतने/विदेश से धन-राशि प्राप्‍त करने के बारे में कोई फोन नहीं करता है।

  • भारतीय रिज़र्व बैंक लॉटरी जीतने अथवा विदेश से निधि प्राप्‍त करने के जाली प्रस्‍तावों के लिए कोई एसएमएस अथवा पत्र अथवा इ-मेल नहीं भेजता है।

  • भारतीय रिज़र्व बैंक की आधिकारिक और असली वेबसाइट केवल (www.rbi.org.in) है। जनता कृपया सावधान रहे और जाली लोगो सहित 'रिज़र्व बैंक', 'आरबीआइ' आदि से शुरू होने वाले इसी प्रकार के पते वाली जाली वेबसाइटों से गुमराह न हों।

  • ऐसी धोखाधड़ी के बारे में स्‍थानीय पुलिस अथवा साईबर क्राइम प्राधिकारी को अवश्‍य जानकारी दें।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने पूर्व में भी कई अवसरों पर जनता को तथाकथित विदेशी संस्‍थाओं/व्‍यक्तियों अथवा ऐसी संस्‍थाओं/व्‍यक्तियों के प्रतिनिधि के रुप में कार्य कर रहे भारतीय निवासियों को विदेश से विदेशी मुद्रा में सस्‍ती निधियों के जाली प्रस्‍तावो/लॉटरी जीतने आदि का शिकार बनने से आगाह किया थाI  

धोखेबाज किस तरह से कार्य करते है इसके बारे में बताते हुए रिज़र्व बैंक ने कहा है कि धाखेबाज पत्र, ई-मेल, मोबाईल  फोन, एसएमएस आदि के माध्‍यम से भोलीभाली जनता को आकर्षक प्रस्‍ताव भेजकर फसाते हैI लोगों को विश्‍वास दिलाने के लिए ऐसे प्रस्‍ताव,ऐसे पत्रशीर्षों/वेबसाइटों के माध्‍यम से भेजे जाते है जो भारतीय रिज़र्व बैंक जैसी कोई सार्वजनिक प्राधिकरण जैसे दिखायी देती हैI ऐसे प्रस्‍ताव ऐसे संस्‍थाओं के शीर्ष कार्यपालकों/वरिष्‍ठ अधिकारियों द्वारा हस्‍ताक्षरित किए गए हो ऐसे दिखाई देते है I तथापि, केवल अधिकारियों का नाम सही होता है किन्‍तु उनके हस्‍ताक्षर जाली होते है I प्रस्‍ताव दस्‍तावेज में रिज़र्व बैंक के कुछ विभाग में कार्य कर रहे भारतीय रिज़र्व बैंक के अधिकारी का संपर्क पता भी दिया गया होता है I

धोखेबाज पहले तो शिकार व्‍यक्ति को विभिन्‍न आधिकारिक कारणों से छोटे मूल्‍य में पैसे जमा करने के लिए कहते है I ये पैसे वे प्रक्रिया शुल्‍क/लेन-देन शुल्‍क, कर समाशोधन प्रभार, अंतरण प्रभार, समाशोधन शुल्‍क आदि के रुप प्राप्‍त करते है I शिकार व्‍यक्ति को निर्धारित बैंक खाते में पैसा जमा करने के लिए कहते है I ऐसे प्रभारों को इकठ्ठा करने के लिए धोखेबाज के पास विभिन्‍न बैंक शाखाओं में एकल अथवा किसी संस्‍था के नाम में कई खाते होते है I धोखेबाज असली खाताधारकों को ऐसे जाली गतिविधियों से कुछ कमीशन प्राप्‍त कराने के लिए उनके खातों की जानकारी प्राप्‍त करते हैI

पैसा जमा हो जाने के बाद अधिक विश्‍वास भरे कारणों को जताते हुए वे अधिक पैसों की मांग करते है I इन खातों में एक बार अच्‍छी रकम जमा हो जाने के बाद धोखेबाज पैसा आहरित कर लेते है अथवा विदेश पैसा अंतरित कर देता है और लापता हो जाता है। कई निवासी पहले ही इसके शिकार हो चुके हैं और ऐसे जाली प्रस्‍तावों का शिकार होकर भारी मात्रा में पैसा गवां चुके है।

जनता को सूचित किया जाता है कि वे अपनी शिकायतें स्‍थानीय विधि प्रवर्तन एजेंसी में दर्ज कराएं। रिज़र्व बैंक ने 10 जनवरी 2012 की अपनी प्रेस प्रकाशनी में जनता द्वारा शिकायतें दर्ज कराने हेतु नोडल एजेंसियों की सूची दी है।

जे. डी. देसाई
सहायक प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/1256


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